- Date : 23/07/2023
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भारत ने जैसे ही चावल निर्यात पर बड़े प्रतिबंध लगाए हैं, तब से अमेरिका में रह रहे भारतीयों में हड़कंप मच गई है और वे चावल खरीदने के लिए किराना और डिपार्टमेंटल स्टोर के बाहर कतार में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

Rice Export Ban Impact: गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले से अमेरिका में रह रहे भारतीयों की नींद उड़ा दी है। दरअसल, दुनियाभर में चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है और शिपमेंट में कटौती से अमेरिका में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों में एनआरआई चावल खरीदने के लिए किराना और डिपार्टमेंटल स्टोर के बाहर कतार में खड़े दिखाई दे रहे हैं, जबकि अन्य अलमारियों पर चढ़ रहे हैं और चावल के भारी बैग खींच रहे हैं। वीडियो में दुकानों पर ग्राहकों को चावल के केवल कई बैग खरीदते हुए भी दिखाया गया है।
हाल ही में खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि पर नियंत्रण लगेगा। इसमें 12 महीनों में खुदरा कीमतों में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि का हवाला दिया गया है और वैश्विक मांग के कारण दूसरी तिमाही में गैर-बासमती सफेद चावल के भारतीय निर्यात में साल-दर-साल 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि तब भी हुई जब सरकार ने टूटे हुए चावल के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया और सितंबर में सफेद चावल पर 20 फीसदी निर्यात कर लगाया।
भारत द्वारा चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अमेरिका में खरीदारी बढ़ने से और जमाखोरी शुरू हो गई है। जिन देशों पर प्रतिबंध लगने की आशंका है, उनमें अफ्रीकी देश, तुर्की, सीरिया और पाकिस्तानभी शामिल हैं। भारत ने पिछले साल 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया था और रबोबैंक के सीनियर एनालिस्ट ऑस्कर तजकरा ने कहा कि वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के पास इस अंतर को भरने के लिए अतिरिक्त क्षमता नहीं थी। आमतौर पर प्रमुख निर्यातक थाइलैंड, वियतनाम और कुछ हद तक पाकिस्तान और अमेरिका हैं।