- Date : 21/07/2023
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बैंक लॉकरों से चोरी के मामलों में बैंकों की जिम्मेदारी को समझना जरूरी है ताकि लॉकर मे रखा आपका सामान सुरक्षित रह सके।

Bank Lockers: अक्सर लोग बैंक लॉकर में आभूषण और कीमती सामान रखते हैं और इस बात को लेकर निश्चिंत रहते हैं कि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की है। ऐसे में यदि बैंक लॉकर में रखे आपके कीमती सामान चोरी हो जाएं और बैंक अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर ले तो आप क्या करेंगे? नोएडा से ऐसी खबर आई है, जिसमें एचडीएफसी बैंक की सेक्टर 121 शाखा में एक खाताधारक ऋतिक सिंघल के साथ हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का खुलासा हुआ है।
बैंक लॉकर से 30 लाख के आभूषण हुए गायब
सिंघल ने अपनी मूल्यवान संपत्ति की सुरक्षा के लिए बैंक में एक लॉकर किराए पर लिया था। इन बेशकीमती सामानों में उनकी पत्नी के गहने थे, जिनकी कीमत 30 लाख रुपये है। आखिरी बार सिंघल ने अपने लॉकर को फरवरी 2020 में कोरोना लॉकडाउन पहले एक्सेस किया था। इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया चले गए। वापस आने के बाद जब उन्होंने लॉकर खोला तो गहने गायब थे। परेशान और व्यथित, सिंघल ने बैंक से संपर्क किया तो बैंक ने अपना पल्ला झाड़ लिया। हार कर सिंघल ने कानूनी सहायता लेने का फैसला किया।
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क्या कहता है लॉकर का नियम?
बैंक लॉकर किराए पर लेने से पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि यदि बैंक लॉकर से किसी का सामान चोरी हो जाता है, तो बैंक की कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं होती है।
बैंक, एक मकान मालिक की तरह अपनी जगह किराए पर देता है। जैसे मकान मालिक की किराएदार के सामान के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होती, वैसे ही बैंक भी लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी नहीं लेता।
जब कोई व्यक्ति किसी बैंक से लॉकर किराए पर लेता है, तो उनके बीच एक करार होता है। यह करार स्पष्ट रूप से बताता है कि बारिश, आग, भूकंप, बाढ़, बिजली, नागरिक हंगामा, युद्ध, दंगे, या बैंक के नियंत्रण से परे किसी भी अन्य अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में बैंक को लॉकर की सामग्री के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा।
परेशानियों से बचने के लिए नए बैंक लॉकर नियम
बैंक लॉकरों में रखे सामानों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं को ध्यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक ने हस्तक्षेप करते हुए जनवरी 2022 से प्रभावी नए नियमों को लागू किया है।
इन नियमों के तहत चोरी, धोखाधड़ी, आग लगने या इमारत गिरने की स्थिति में, बैंक की देयता लॉकर के वार्षिक किराये शुल्क के 100 गुना तक बढ़ जाती है।
ग्राहक जब भी अपने लॉकर का उपयोग करते हैं तो उन्हें ईमेल और एसएमएस के माध्यम से अलर्ट प्राप्त होने चाहिए।
इसके अलावा, लॉकर रूम के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य हो गया है, जिसमें रिकॉर्डेड फुटेज को 180 दिनों की अवधि के लिए रखा जाना तय किया गया है।
यदि कोई ऐसा सबूत सामने आता है जिसमें गड़बड़ी की स्थिति में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत दिखती है या सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही का पता चलता है तो बैंक इस घटना के लिए जिम्मेदार होगा।
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