क्या पत्नी और बच्चों के पास नहीं हैं नॉमिनी के अधिकार? चौंकाने वाला राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का फैसला

यदि आपके जीवन बीमा के नॉमिनी आपका जीवनसाथी या बच्चे नहीं हैं, तो उनके लिए बीमा राशि क्लेम करना बहुत मुश्किल हो सकता है।

Insurance Claim

Life Insurance Nominee: लोग अपने प्रियजनों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा पॉलिसी करवाते हैं। पॉलिसी लेते समय इन्शुरन्स नॉमिनी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि नॉमिनी चुनने में गलती हुई तो बाद में प्रियजनों को पछताना पड़ सकता है। इस विषय में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का फैसला चौंकाने वाला है जहाँ नॉमिनी मां थी तो पत्नी और बच्चों को क्लेम देने से इनकार कर दिया गया।

Highlights:

  • अपने जीवन बीमा के लिए नॉमिनी का चयन बुद्धिमानी से करें। 

  • यह आपके नॉमिनी चयन पर निर्भर है कि इंश्योरेंस क्लेम किसको मिलेगा।  

  • सुरक्षा के लिए इन्शुरन्स नॉमिनी विवरणों की नियमित रूप से समीक्षा करें। 

इन्शुरन्स नॉमिनी नियम 

यदि जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते हैं तो आपसे एक व्यक्ति को नॉमिनी बनाने को कहा जाता है। यहाँ आप जिस व्यक्ति को भी नॉमिनी बनाएंगे, बीमा दावे का भुगतान केवल उसे ही किया जाएगा। 

यह भी पढ़ें: जीवन बीमा के लिए नॉमिनी कैसे तय करें?

नॉमिनी मां तो पत्नी को क्लेम नहीं

नॉमिनी के अधिकार से जुड़ा एक वास्तविक मामला सामने आया। अमरदीप सिंह जब अविवाहित थे तो उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से तीन बीमा पॉलिसियां ली थीं। उस वक्त उन्होंने अपनी मां को नॉमिनी बनाया था। बाद में उन्होंने शादी कर ली और उनके बच्चे भी हुए, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी पॉलिसियों में नॉमिनी का विवरण अपडेट नहीं किया।

जब अमरदीप का निधन हो गया तो एलआईसी पॉलिसी नियमों के अनुसार, उनकी मां जो नॉमिनी थी, उन्हें पूरी दावा राशि का भुगतान किया। उनकी पत्नी और बच्चों को कानूनी उत्तराधिकारी होने के बावजूद बीमा दावे का कोई हिस्सा नहीं मिला।

नॉमिनी के अधिकार के लिए न्याय की मांग

अमरदीप की पत्नी और बच्चे परेशान थे और उन्होंने दावा राशि में उचित हिस्सा मांगने के लिए जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद जिला फोरम ने एलआईसी को आदेश दिया कि वह दावा राशि को मृतक की मां, पत्नी और बच्चे के बीच बराबर-बराबर बांट दे।

जिला फोरम के फैसले से असंतुष्ट एलआईसी ने चंडीगढ़ में राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की। हालाँकि, वहाँ भी फैसला अमरदीप की पत्नी और बच्चों के पक्ष में था मगर माँ को भी कुछ मुआवजा देना तय किया गया। 

राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का फैसला 

इसके बाद एलआईसी इस मामले को सर्वोच्च प्राधिकरण यानि दिल्ली में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के पास ले गई। 19 जुलाई, 2023 को डॉ. इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व वाले आयोग ने अपना फैसला सुनाया। इसमें कहा गया है कि चूंकि शादी बीमा पॉलिसियां लेने के बाद हुई थी और नॉमिनी अपडेटेड नहीं था, इसलिए एलआईसी ने मौजूदा नॉमिनी (मां) को क्लेम का भुगतान करके सही किया है।

यह भी पढ़ें: अपने डिजिटल एसेट्स के लिए नॉमिनी कैसे बनाएं?

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