2023 में आर्थिक मंदी की आहट! जानें बाजार के नीचे जाने पर भी कैसे पाएं बेहतर रिटर्न्स?

बाजार की अनिश्चितताओं से बचने के लिए इक्विटी स्टॉक्स, म्‍यूचुअल फंड, ईटीएफ, और बॉण्ड से जुड़ी निवेश रणनीतियों को जानना जरूरी है।

बाजार के नीचे जाने पर भी कैसे पाएं बेहतर रिटर्न्स

आर्थिक मोर्चे पर दुनिया उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है। बैंक विफलताओं, मुद्रास्फीति, इन्फ्लेशन, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और शेयर बाजार में अस्थिरता जैसे विभिन्न कारकों के कारण आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ रही है। हालांकि वर्तमान में भारत का बाजार बढ़ रहा है, मगर विदेशी बाजारों में जारी उतार-चढ़ाव भारत के विकास को प्रभावित कर सकता है। ऐसी आर्थिक स्थितियां निवेश के जोखिम को बढ़ा देती हैं, हालांकि कुछ पैसे बनाने वाले निवेशक इस दौर में भी लाभ कमा जाते हैं। 

यदि आप मंदी के दौरान निवेश करने में रुचि रखते हैं, तो कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर आप अस्थिर स्थितियों में न्यूनतम जोखिम चाहते हैं, या गिरते बाजार के दौरान भी महत्वपूर्ण लाभ कमाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि आर्थिक मंदी के दौरान निवेश करने का सही तरीका क्या है। जानते हैं ऐसे ही कुछ निवेश युक्तियों (Investment Tips) के बारे में। 

म्‍यूचुअल फंड से घटाएं जोखिम

एक महत्वपूर्ण रणनीति यह है कि अलग-अलग शेयरों को खरीदने के बजाय म्युचुअल फंडों की ओर रुख किया जाए। मंदी के दौरान, कई शेयर कम कीमतों पर उपलब्ध होते हैं। म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने से भले ही ज्यादा रिटर्न न मिले, लेकिन यह आपको बड़े नुकसान से बचा सकता है। मंदी के बाद, शेयर बाजार में आम तौर पर भारी उछाल होता है, इसलिए आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने के लिए म्‍यूचुअल फंड निवेश महत्वपूर्ण है। 

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बॉन्ड और डिविडेंड को पोर्टफोलियो में शामिल करें

वित्तीय मंदी के दौरान निवेशकों के लिए निश्चित आय निवेश यानि बॉन्ड में निवेश करना एक और विकल्प है। यह बिना किसी जोखिम के नियमित आय प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, बाजार की स्थिति प्रतिकूल होने पर लाभांश-भुगतान प्रतिभूतियों में निवेश करना स्थिर आय का एक उत्कृष्ट स्रोत हो सकता है। डिविडेंड स्टॉक या लाभांश ऐसी कंपनियों के स्टॉक्स होते हैं जो अपनी कमाई का हिस्सा शेयरधारकों के साथ साझा करते हैं।

ईटीएफ और गोल्ड हैं सदाबहार

डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखना निवेश जोखिम को कम करने का एक शानदार तरीका है। इसे हासिल करने का एक तरीका डिविडेंड ईटीएफ में निवेश करना है। यह बाजार की स्थितियों के कारण होने वाले निवेश घाटे को कम करने में मदद करता है। दूसरी ओर, सोना हमेशा से ही एक सदाबहार निवेश विकल्प बना हुआ है। हाल के वर्षों में, अस्थिरता के समय सोना तेजी से लोकप्रिय हो गया है क्योंकि इसकी कीमत लगातार बढ़ती गई है। आकर्षक रिटर्न के लिए गोल्ड ईटीएफ में निवेश किया जा सकता है। कई वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी की अवधि के दौरान निवेशकों को सोने या चांदी में अपने निवेश का 10% से 15% हिस्सा रखना चाहिए। ऐसा करके वे अपने निवेश के एक हिस्से को सुरक्षित कर सकते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी स्टॉक्स भी एक विकल्प 

आपके पास विदेशी इक्विटी स्टॉक्स में भी निवेश का विकल्प होता है। खास तौर अमेरिकी शेयर निवेश के लिहाज से बेहतर माने जाते हैं। इन शेयरों में यदि समय के साथ रुपये में डॉलर के मुकाबले गिरावट आती है, तो फंड के एनएवी रिटर्न में वृद्धि होती है। भविष्य में डॉलर खर्च करने की योजना बना रहे भारतीय परिवारों के लिए यह एक आकर्षक निवेश विकल्प प्रस्तुत करता है। हालांकि इस तरह के निवेश के पहले जरूरी रिसर्च करना आवश्यक है।

लार्ज-कैप स्टॉक, ब्लू-चिप स्टॉक, बॉन्ड और डेट फंड का मिश्रण

डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो को अधिक व्यापक बनाएं और निवेश के अन्य तरीकों को इसमें शामिल करें। उदाहरण के लिए, लार्ज-कैप स्टॉक जो तकनीकी रूप से मजबूत होते हैं, आमतौर पर गिरावट के समय भी स्थिर रहते हैं। ऐसे ही ब्लू-चिप स्टॉक हमेशा निवेश के लिए एक लोकप्रिय विकल्प रहा है, चाहे वह आर्थिक मंदी के दौरान हो या उछाल के दौरान। इसके अतिरिक्त, बॉन्ड और डेट फंड के मिश्रण में निवेश करने से निवेशकों को एक स्थिर आय मिल सकती है, जो बाजार में गिरावट के दौरान नुकसान को कम करने में मदद करता है। रियल एस्टेट और गोल्ड बांड भी निवेश के ठोस विकल्प साबित हो सकते हैं।

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