- Date : 31/12/2019
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उन 5 गलतियों पर नज़र डालते हैं जिन्हें आप तेज़ी के बाज़ार में निवेश करते समय कर सकते हैं।

बढ़ती आर्थिक वृद्धि और बड़े पैमाने पर हो रहे विदेशी निवेश के कारण भारतीय शेयर बाज़ार ने बहुत फायदा दिया है।वास्तव में, पिछले 25 वर्षों में सेंसेक्स ने प्रमुख वैश्विक सूचकांकों को पीछे छोड़ दिया है।
शेयर बाज़ार में निवेश करके भारी मुनाफा कमाने की उम्मीद ने लाखों लोगों को इसमें निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि बाज़ार में सफल होने वालों की बहुत सी कहानियां हैं लेकिन यहां निवेश करके नुकसान उठाने वालों की भी कोई कमी नहीं है। शेयर बाज़ार में सफलता का कोई तय सूत्र नहीं है।
शेयर बाज़ार में कमाई के बेहतर मौके बनाने के लिए तेज़ी के बाज़ार में निवेश करते समय आपको कुछ गलतियों से बचना चाहिए:
1. बाज़ार का अनुमान लगाने की कोशिश करना
बाज़ार का अनुभव नहीं रखने वाले निवेशक आमतौर से बहुत कम कीमत पर शेयर खरीद कर उसे बहुत ऊंची कीमत पर बेचना चाहते हैं। इससे उनका मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना होता है। हालांकि बाज़ार की चाल का अनुमान लगाना बेकार है। बाज़ार के जानकार भी इसे करने की सलाह नहीं देते। यह ऐसा ही है जैसे आप अपनी मेहनत की कमाई से जुआ खेल रहे हों।
अगर आप ने कुछ ख़ास शेयरों में निवेश किया है तो उनके टेक्निकल चार्ट और कंपनी रिपोर्ट्स को पढ़कर आपको पता लगेगा कि आगे लंबे समय में शेयर कैसा प्रदर्शन करेगा। आपकी निवेश रणनीति भावना पर नहीं बल्कि लक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए।
2. ट्रेडिंग रणनीतियों के साथ प्रयोग करना
ट्रेडिंग और निवेश दो अलग रणनीतियां हैं। जहां ट्रेडर्स कम समय में फायदा लेने की कोशिश करते हैं वहीं निवेशक
लंबे समय में पैसा बनाने की कोशिश करते हैं। ट्रेडिंग के लिए काफी समय, विशेषज्ञता और अनुभव की ज़रूरत होती है। ट्रेडिंग के लिए आपको पूरा समय देना पड़ेगा। रिटेल निवेशक के लिए ट्रेडिंग करना सही नहीं है।
3. भीड़ के साथ चलने की मानसिकता
तेज़ी के समय शेयर बाज़ार से जुड़ी सलाह वायरस की तरह फैलती है। आप रातों रात अमीर बनने वाले लोगों की कहानियां सुनते हैं। ज्यादातर सलाह मिड और स्माल-कैप शेयरों से जुड़ी होती हैं। इनमें आने वाली तेज़ी अक्सर बाज़ार की तेज़ी के कारण होती है और उसके पीछे शायद ही कोई मूलभूत कारण होता है।
सूचना हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ जाती है। अगर आप पेशेवर निवेशक नहीं है तो संभावना है कि जब तक सूचना आपके पास पहुंचेगी तब तक उसके हिसाब से काम करने का समय निकल चुका होगा। यह भी हो सकता है कि बाज़ार में मंदी के समय ये शेयर आपकी पूरी कमाई को ही ख़त्म कर दें। शेयर बाज़ार में सीधे निवेश की जगह मिडकैप आधारित म्यूचूअल फंड में निवेश करना सही रहता है।
4. ऐसेट आवंटन सही तरह से न करना
बाज़ार में तेज़ी आने पर हर किसी को लगता है कि उसे सफलता का सूत्र मिल गया है और हर कोई शेयर बाज़ार में निवेश बढ़ा देता है। ऐसे समय में ज़रूरी है कि अपने ऐसेट आवंटन को लंबी अवधि के लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता को देख कर ही करें।
अपने निवेश पर कम जोखिम के साथ अधिकतम रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश को डाइवर्सिफाइ करें। एक ही ऐसेट क्लास पर निर्भर न रहें। हालांकि बैंक जमा अब निवेश के लिहाज के आकर्षक नहीं रह गया है लेकिन उससे आपके निवेश पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है।
5. एसआईपी में निवेश बंद कर देना
बाज़ार में लगातार तेज़ी होने पर भी कुछ अस्थिरता ज़रूर रहती है। तेज़ी के समय निवेशक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में किए जा रहे निवेश को यह सोचकर रोक देते हैं कि वे इस पैसे को दूसरी जगह निवेश करके बेहतर रिटर्न ले सकते हैं। इसके विपरीत मंदी के समय कीमत कम होने के डर से निवेशक पैसे को बाहर निकाल लेते हैं।
एसआईपी ‘रूपये की औसत लागत’ के सिद्धांत पर काम करता है, इसमें कीमतें कम होने पर आप ज़्यादा यूनिट्स खरीद सकते हैं और शेयरों की कीमत बढ़ी होने पर आपको कम यूनिट्स मिलती हैं। लंबे समय में एसआईपी बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों के बराबर ही
रिटर्न देता है।
लंबे समय में सफलता के लिए डर और लालच जैसी भावनाओं पर काबू रखें। धैर्य के साथ और अनुशासित तरीके से निवेश करते रहें। नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की निगरानी करें और अपने निवेश को बढ़ते हुए देखें।
बढ़ती आर्थिक वृद्धि और बड़े पैमाने पर हो रहे विदेशी निवेश के कारण भारतीय शेयर बाज़ार ने बहुत फायदा दिया है।वास्तव में, पिछले 25 वर्षों में सेंसेक्स ने प्रमुख वैश्विक सूचकांकों को पीछे छोड़ दिया है।
शेयर बाज़ार में निवेश करके भारी मुनाफा कमाने की उम्मीद ने लाखों लोगों को इसमें निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि बाज़ार में सफल होने वालों की बहुत सी कहानियां हैं लेकिन यहां निवेश करके नुकसान उठाने वालों की भी कोई कमी नहीं है। शेयर बाज़ार में सफलता का कोई तय सूत्र नहीं है।
शेयर बाज़ार में कमाई के बेहतर मौके बनाने के लिए तेज़ी के बाज़ार में निवेश करते समय आपको कुछ गलतियों से बचना चाहिए:
1. बाज़ार का अनुमान लगाने की कोशिश करना
बाज़ार का अनुभव नहीं रखने वाले निवेशक आमतौर से बहुत कम कीमत पर शेयर खरीद कर उसे बहुत ऊंची कीमत पर बेचना चाहते हैं। इससे उनका मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना होता है। हालांकि बाज़ार की चाल का अनुमान लगाना बेकार है। बाज़ार के जानकार भी इसे करने की सलाह नहीं देते। यह ऐसा ही है जैसे आप अपनी मेहनत की कमाई से जुआ खेल रहे हों।
अगर आप ने कुछ ख़ास शेयरों में निवेश किया है तो उनके टेक्निकल चार्ट और कंपनी रिपोर्ट्स को पढ़कर आपको पता लगेगा कि आगे लंबे समय में शेयर कैसा प्रदर्शन करेगा। आपकी निवेश रणनीति भावना पर नहीं बल्कि लक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए।
2. ट्रेडिंग रणनीतियों के साथ प्रयोग करना
ट्रेडिंग और निवेश दो अलग रणनीतियां हैं। जहां ट्रेडर्स कम समय में फायदा लेने की कोशिश करते हैं वहीं निवेशक
लंबे समय में पैसा बनाने की कोशिश करते हैं। ट्रेडिंग के लिए काफी समय, विशेषज्ञता और अनुभव की ज़रूरत होती है। ट्रेडिंग के लिए आपको पूरा समय देना पड़ेगा। रिटेल निवेशक के लिए ट्रेडिंग करना सही नहीं है।
3. भीड़ के साथ चलने की मानसिकता
तेज़ी के समय शेयर बाज़ार से जुड़ी सलाह वायरस की तरह फैलती है। आप रातों रात अमीर बनने वाले लोगों की कहानियां सुनते हैं। ज्यादातर सलाह मिड और स्माल-कैप शेयरों से जुड़ी होती हैं। इनमें आने वाली तेज़ी अक्सर बाज़ार की तेज़ी के कारण होती है और उसके पीछे शायद ही कोई मूलभूत कारण होता है।
सूचना हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ जाती है। अगर आप पेशेवर निवेशक नहीं है तो संभावना है कि जब तक सूचना आपके पास पहुंचेगी तब तक उसके हिसाब से काम करने का समय निकल चुका होगा। यह भी हो सकता है कि बाज़ार में मंदी के समय ये शेयर आपकी पूरी कमाई को ही ख़त्म कर दें। शेयर बाज़ार में सीधे निवेश की जगह मिडकैप आधारित म्यूचूअल फंड में निवेश करना सही रहता है।
4. ऐसेट आवंटन सही तरह से न करना
बाज़ार में तेज़ी आने पर हर किसी को लगता है कि उसे सफलता का सूत्र मिल गया है और हर कोई शेयर बाज़ार में निवेश बढ़ा देता है। ऐसे समय में ज़रूरी है कि अपने ऐसेट आवंटन को लंबी अवधि के लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता को देख कर ही करें।
अपने निवेश पर कम जोखिम के साथ अधिकतम रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश को डाइवर्सिफाइ करें। एक ही ऐसेट क्लास पर निर्भर न रहें। हालांकि बैंक जमा अब निवेश के लिहाज के आकर्षक नहीं रह गया है लेकिन उससे आपके निवेश पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है।
5. एसआईपी में निवेश बंद कर देना
बाज़ार में लगातार तेज़ी होने पर भी कुछ अस्थिरता ज़रूर रहती है। तेज़ी के समय निवेशक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में किए जा रहे निवेश को यह सोचकर रोक देते हैं कि वे इस पैसे को दूसरी जगह निवेश करके बेहतर रिटर्न ले सकते हैं। इसके विपरीत मंदी के समय कीमत कम होने के डर से निवेशक पैसे को बाहर निकाल लेते हैं।
एसआईपी ‘रूपये की औसत लागत’ के सिद्धांत पर काम करता है, इसमें कीमतें कम होने पर आप ज़्यादा यूनिट्स खरीद सकते हैं और शेयरों की कीमत बढ़ी होने पर आपको कम यूनिट्स मिलती हैं। लंबे समय में एसआईपी बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों के बराबर ही
रिटर्न देता है।
लंबे समय में सफलता के लिए डर और लालच जैसी भावनाओं पर काबू रखें। धैर्य के साथ और अनुशासित तरीके से निवेश करते रहें। नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की निगरानी करें और अपने निवेश को बढ़ते हुए देखें।