- Date : 19/05/2023
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बिजली की खपत और बिलों पर एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है, जिनके जरिए 30% तक बिजली कटौती की जा सकती है।

बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है, चाहे वह कारखानों, घरों या कार्यालयों में हो। रोजमर्रा के उपकरणों का बढ़ता उपयोग इस उछाल में योगदान दे रहा है। दुर्भाग्य से, इनमें से अधिकांश उपकरण ऊर्जा कुशल यानि एनर्जी एफिशिएंट नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिजली के बिल अधिक आते हैं। हालाँकि, उन्हें कम बिजली की खपत वाले उपकरणों से बदलकर, बिजली की खपत को 30 प्रतिशत तक कम करना संभव है।
Electricity Bill में बढ़ोतरी की वजह
लोगों की आय में वृद्धि हुई है, जिससे जीवन स्तर में सुधार हुआ है। नतीजतन, जीवन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्टस लोगों के घरों तक पहुँच गए हैं। अब फ्रिज, कूलर, या एसी, आम लोगों के मूलभूत जरूरतों में शामिल हो गए हैं। ऐसे में इनका उपयोग आसानी से बिजली बिल को तेजी से बढ़ा रहा है।
कारखानों और कार्यालयों का भी यही हाल है, जहाँ क्रय शक्ति में वृद्धि के परिणामस्वरूप उच्च उत्पादन के साथ बिजली खपत भी बढ़ गई है।
प्रोडक्टस का एनर्जी फिशिएंट न होना एक बड़ी वजह
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में, एनर्जी इनएफिशिएंट प्रोडक्टस बिजली बिल में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह है। बिजली की खपत के लिए बदनाम आउटडेटेड टेक्नोलॉजी मोटर्स अभी भी उपयोग में हैं। अक्सर कारखाने या कार्यालय के मालिक उपयोग के लिए ऐसी मशीनें चुनते हैं जो या तो पुरानी होती हैं या सेकंड हैन्ड। ये पुरानी मशीनें बिजली की अधिक खपत करती हैं। अक्सर घरेलू उपभोक्ता भी कुछ हज़ार रुपये बचाने के लिए बिजली की खपत वाले घरेलू उपकरण खरीदकर इस पैटर्न में शामिल हो जाते हैं।
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बिजली बिल में कमी क्यों जरूरी है?
बिजली की खपत को नियंत्रित करना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे बिजली उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है। हालांकि, देश में उत्पादित 70 प्रतिशत से अधिक बिजली कोयले पर निर्भर करती है, जिसमें से अधिकांश को सीमित घरेलू भंडार के कारण आयात करने की आवश्यकता होती है। आयातित कोयले पर यह निर्भरता उच्च लागत वाली होती है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालती है। इसके अतिरिक्त, कोयले से बिजली के उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
आयातित कोयले पर यह निर्भरता उच्च लागत वाली होती है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालती है। इसके अतिरिक्त, कोयले से बिजली के उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
स्मार्ट तरीकों से करें बिजली बिल में कटौती
एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट बिजली बिल को 30% तक कम कर सकते हैं। चाहे वो एनर्जी एफिशिएंट फ्रिज हो या एनर्जी एफिशिएंट एसी, ऐसे प्रोडक्ट स्मार्ट सेविंग्स को बढ़ावा देते हैं।
अच्छी बात यह है कि लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं और अपने घरों में ऊर्जा कुशल उत्पादों को अपना रहे हैं। कारखानों में शुरुआती निवेश के साथ एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट को स्थापित किया जा रहा है।
कार्यालय भी स्मार्ट सुविधाओं को भी अपना रहे हैं जिनमें सेन्सरयुक्त एनर्जी एफिशिएंट एसी और लाइट भी शामिल है। ये सेंसर मौजूद लोगों की संख्या के आधार पर एयर कंडीशनिंग और प्रकाश व्यवस्था को समायोजित करते हैं। यदि कोई कमरा खाली है, तो रोशनी स्वचालित रूप से बंद हो जाती है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है।
बिजली बिल कैसे घटाएं?
Electricity Bill में कमी के लिए एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट अपनाना एक बेहतरीन विकल्प है। जहाँ तक संभव हो, नए और बेहतर ऊर्जा कुशल उत्पादों को अपनाएं। जितनी जल्दी हो सके, पुरानी मशीनों को नई ऊर्जा कुशल मशीनों से बदल दें।
हालांकि इस बदलाव के लिए शुरुआती निवेश की जरूरत होती है, लेकिन कुछ समय बाद ही इसका शानदार रिटर्न दिखना शुरू हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर, पुणे में जेडब्ल्यू मैरियट होटल को देखते हैं। एनर्जी एफिशिएंट सिस्टम को लागू करने पर होटल ने अपने बिजली बिल में 35 प्रतिशत की कमी देखी।
एनर्जी एफिशिएंसी पर सरकार का जोर
इस तरह के परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के लिए, सरकारें और संगठन जागरूकता को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य अधिक ऊर्जा-सचेत समाज बनाना है जो आराम या उत्पादकता से समझौता किए बिना स्थिरता को प्राथमिकता देता है।
चाहे वह कारखानों, घरों या कार्यालयों में हो, ऊर्जा कुशल प्रथाओं और उपकरणों को अपनाने से महत्वपूर्ण बचत और पर्यावरणीय लाभ हो सकते हैं।
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