आर.बी.आई. नीतिगत फैसले: रेपो रेट अछूता रहा , गोल्ड लोन को मूल्य के 90% तक बढ़ाया गया

आरबीआई वर्तमान के बेहद नाजुक आर्थिक और वित्तीय स्थितियों को संभालने के लिए नीतिगत परिवर्तन करता है

आर.बी.आई. नीतिगत फैसले रेपो रेट अछूता रहा , गोल्ड लोन को मूल्य के 90% तक बढ़ाया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार, 06 अगस्त, 2020 को अपने वर्चुअल द्विमासिक मौद्रिक नीति संबोधन के दौरान कुछ प्रमुख नीतिगत फैसले लिए।

तीन दिवसीय बैठक के बाद श्री दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35% ही रहने देने का फैसला किया ।एमपीसी अपने ' उदार ' रुख को बनाए रखा और निकट भविष्य को देखते हुए रेपो दर में किसी भी और वृद्धि से इनकार किया । समिति को उम्मीद है कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति थोड़ी ऊंची रहेगी और ' अनुकूल मूल प्रभाव ' के कारण वित्तीय वर्ष के आखिरी भाग के दौरान कम हो जाएगी ।

यहां नीति समीक्षा से कुछ अन्य हाइलाइट्स दिए गए हैं:

सोने के एवज में ऋण पर उच्च मार्जिन

सोने के आभूषण के लिए अनुमन्य ऋण और मूल्य के अनुपात (एलटीवी) को मौजूदा 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया गया है। इससे परिवारों को कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए उधारी बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

एमएसएमई के लिए ऋण पुनर्गठन

तनावग्रस्त ऋणों वाले एमएसएमई उधारकर्ता ऋण पुनर्गठन के लिए तब तक पात्र हुए जब तक कि उनके खातों को 1 मार्च, 2020 को "मानक" के रूप में वर्गीकृत किया गया। राहत का लाभ लेने के लिए पुनर्गठन को 31 मार्च 2021 तक अमल करना होगा।

आवास और एनबीएफसी क्षेत्रों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राहत सुविधा

कोविड-19 से संबंधित अवरोधों के कारण तरलता चिंताओं को दूर करने के लिए आवास और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र को 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के लिए निर्धारित 5,000 करोड़ रुपये की सुविधा भी शामिल है।

मैक्रो-इकनोमिक और वित्तीय स्थितियों के प्रबंधन के लिए अतिरिक्त उपाय

आरबीआई स्टार्टअप्स को प्राथमिकता से कर्ज देने पर ज़ोर देगा, वित्तीय बाजारों के लिए तरलता सहायता प्रदान करेगा और ऋण प्रवाह में सुधार करेगा। डिजिटल भुगतान बढ़ने के साथ, एमपीसी का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना और वित्तीय क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करना है ताकि डिजिटल भुगतान प्रणालियों को और गहरा किया जा सके । 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार, 06 अगस्त, 2020 को अपने वर्चुअल द्विमासिक मौद्रिक नीति संबोधन के दौरान कुछ प्रमुख नीतिगत फैसले लिए।

तीन दिवसीय बैठक के बाद श्री दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35% ही रहने देने का फैसला किया ।एमपीसी अपने ' उदार ' रुख को बनाए रखा और निकट भविष्य को देखते हुए रेपो दर में किसी भी और वृद्धि से इनकार किया । समिति को उम्मीद है कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति थोड़ी ऊंची रहेगी और ' अनुकूल मूल प्रभाव ' के कारण वित्तीय वर्ष के आखिरी भाग के दौरान कम हो जाएगी ।

यहां नीति समीक्षा से कुछ अन्य हाइलाइट्स दिए गए हैं:

सोने के एवज में ऋण पर उच्च मार्जिन

सोने के आभूषण के लिए अनुमन्य ऋण और मूल्य के अनुपात (एलटीवी) को मौजूदा 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया गया है। इससे परिवारों को कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए उधारी बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

एमएसएमई के लिए ऋण पुनर्गठन

तनावग्रस्त ऋणों वाले एमएसएमई उधारकर्ता ऋण पुनर्गठन के लिए तब तक पात्र हुए जब तक कि उनके खातों को 1 मार्च, 2020 को "मानक" के रूप में वर्गीकृत किया गया। राहत का लाभ लेने के लिए पुनर्गठन को 31 मार्च 2021 तक अमल करना होगा।

आवास और एनबीएफसी क्षेत्रों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राहत सुविधा

कोविड-19 से संबंधित अवरोधों के कारण तरलता चिंताओं को दूर करने के लिए आवास और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र को 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के लिए निर्धारित 5,000 करोड़ रुपये की सुविधा भी शामिल है।

मैक्रो-इकनोमिक और वित्तीय स्थितियों के प्रबंधन के लिए अतिरिक्त उपाय

आरबीआई स्टार्टअप्स को प्राथमिकता से कर्ज देने पर ज़ोर देगा, वित्तीय बाजारों के लिए तरलता सहायता प्रदान करेगा और ऋण प्रवाह में सुधार करेगा। डिजिटल भुगतान बढ़ने के साथ, एमपीसी का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना और वित्तीय क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करना है ताकि डिजिटल भुगतान प्रणालियों को और गहरा किया जा सके । 

संवादपत्र

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