- Date : 21/09/2022
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आपकी आमदनी अच्छी होने के बवाजूड आपका डेट टू इनकम रेश्यो आपके पर्सनल लोन को अटका सकता है।

Personal loans at low interest rates: महंगाई की दर को नियंत्रण में रखने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक लगातार रेपो रेट बढ़ा रहा है। इसके चलते दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अपने ब्याज की दरों में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं। ऐसे में यदि आप लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि अब यह पहले से महंगा हो गया है।
यदि आप एक नामी गिरामी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर भी काम करते हों और आपकी तनख्वाह खासी मोटी भी हो लेकिन यदि आपने ‘डेट टू इनकम रेश्यो’ कम नहीं रखा है तो आपको पर्सनल लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है।
हालांकि, कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखते हुए आप अभी भी न्यूनतम ब्याज दर पर पर्सनल लोन प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं, कैसे?
आपकी नौकरी
पर्सनल लोन के लिए किस कंपनी में नौकरी है या कौन नियोक्ता है इस पर ध्यान दिया जाता है। लोन देनेवाला इस बात की जांच करता है कि क्या आपको वेतन नियमित रूप से मिलता है। यदि ऐसा ना हो तो लोन वापस करने में समस्या आ सकती है, और ऐसे में ब्याज की दर अधिक भी हो सकती है।
आपकी तनख्वाह
यदि आप एक संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और आपकी तनख्वाह नियमित रूप से आती है तो पर्सनल लोन के लिए फायदेमंद ब्याज दर मिल सकता है। यह भी देखा जाता है कि क्या ऋणदाता किस्त के भुगतान की क्षमता पर रखते हैं। यदि आय में अनियमितता हो तो ब्याज की दर अधिक हो जाएगी।
सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर (Cibil Score)
लोन लेते समय ऋणदाता सबसे पहले ग्राहक के सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर की जाँच करता है। ग्राहक का सिबिल स्कोर जितना अच्छा होगा, उतने ही कम ब्याजवाला पर्सनल लोन उसे मिलेगा।
क्रेडिट स्कोर ग्राहक के पुराने लोन के भुगतान के बारे में जानकारी देता है। यदि क्रेडिट हिस्टरी अच्छी है तो अपेक्षाकृत कम ब्याज दर में लोन मिलता है। आमतौर पर 750 का क्रेडिट स्कोर अच्छा स्कोर माना जाता है।
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प्री-अप्रूव्ड लोन
विशेषज्ञों की सलाह है कि जिस बैंक में खाता हो, वहीं से लोन के लिए आवेदन करना चाहिए। बैंक के पास ग्राहक के दस्तावेज के साथ क्रेडिट हिस्टरी भी मौजूद होती है। उसकी विश्वसनीयता के आधार पर कम दर में लोन प्राप्त किया जा सकता है। बैंक के साथ अच्छे संबंध भी प्री-अप्रूव्ड लोन दिलवा सकते हैं।
क्रेडिट हिस्टरी
यदि लोन पर ब्याज की दर कम चाहते हैं तो अपनी क्रेडिट हिस्टरी को ठीक रखना जरूरी है। इसका मतलब आपके पहले के लोन पर किस्तों का भुगतान नियमित रूप से हो रहा हो। ऐसा करने से ब्याज दर कम हो सकती है। साथ ही, यदि किस्त भरने में अनियमितता हो या पुराने लोन की रकम बहुत ज्यादा हो तो ऐसे में नए लोन की रकम कम हो जाने की संभावना है।
पुराना लोन
यदि आवेदक लोन डिफॉल्टर हो तो कम ब्याज दर का लोन मिलना असंभव है। पुराने लोन का भुगतान समय पर न करने से नए लोन में ब्याज दर अधिक रहेगी। आवेदक का अधिक राशि के लोन का आवेदन निरस्त किया जा सकता है।
डेट टू इनकम रेश्यो
चाहे आप ऊँची नौकरी और ऊँचे वेतन पर ही काम क्यों न करते हों लेकिन यदि आपका डेट टू इनकम रेश्यो अच्छा नहीं है तो लोन पर कम ब्याज दर मिलना मुश्किल हो जाएगा। डेट टू इनकम रेश्यो में देखा जाता है कि कहीं आपकी अधिकतर आय पुराने लोन की किस्तें पटाने या भुगतान में ही खर्च तो नहीं हो जाती है। डेट टू इनकम रेश्यो जितना कम होगा, लोन के लिए उतने ही अच्छे प्रस्ताव बनेंगे।
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