- Date : 15/02/2023
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होम लोन कर भी बचाता है और गृहस्वामी भी बनाता है, यानी दोहरा लाभ!

Home loan for tax: पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को काफी बढ़ा दिया है। इस वर्ष लोन और मंहगा हो गया है। मगर आज भी लोन और होम लोन लेनेवालों की संख्या कम नहीं हुई है। आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च और अक्तूबर 2022 के बीच होम लोन में 8.4% की बढ़त हुई है।
बैंकबाज़ार के सीईओ आदिल शेट्टी की राय में भारतीयों की इच्छाओं की सूची में एक अदद मकान का मालिक होना काफी ऊँचे स्थान पर है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए होम लोन एक पसंदीदा साधन रहा है। साथ ही, होम लोन पर आकर्षक कर लाभ भी मिलते हैं।
अगर आप भी होम लोन लेना चाहते हैं, तो यहां कुछ ऐसे तरीके बताये गये हैं जिनसे आप कर में काफी बचत कर सकते हैं।
होम लोन के ब्याज के भुगतान पर कर लाभ
अगर आप ने बन चुके मकान के लिए लोन लिया है, तो आप अपनी ईएमआई के ब्याज पर कर में कटौती का दावा कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 24B के अंतर्गत दो लाख रूपये की सीमा तक कर में छूट मिल सकती है। आपको इसका लाभ तभी मिलेगा जब आप उस मकान में रहते हों।
अगर आप किसी बन रहे मकान या परिसंपत्ति के लिए लोन ले रहे हैं तो यह कर लाभ का एक आदर्श विकल्प है। इस लोन की ईएमआई में दो घटक होते हैं- मूल राशि और ब्याज। आप आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत निर्माणाधीन मकान के लोन के दोनों घटकों के लिए कर कटौतियों का दावा कर सकते हैं।
होम लोन लेने वाले आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत वार्षिक 1.5 लाख रुपये तक के मूलधन के भुगतान पर कर में कटौती के लिए दावा कर सकते हैं। लेकिन अगर आप परिसंपत्ति को कब्जा प्राप्त करने के पांच वर्ष के भीतर बेचते हैं, तो इन कटौतियों को उसे बेचने के वर्ष की आपकी आय में जोड़ दिया जाएगा ।
किसी भी परिसंपत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसी अतिरिक्त लागतें जुड़ती हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत अतिरिक्त प्रभार की ऐसी लागतों पर एक बार अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक की कटौती की अनुमति दी जाती है। संयुक्त रूप से खरीदी गई परिसंपत्ति के लिए, दोनो मालिक अतिरिक्त चार्ज के लिए 1.5 लाख रूपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: वैल्यू फंड कैसे अलग है?
आयकर अधिनियम की अन्य धाराओं से कर लाभ
आयकर अधिनियम की धारा 80C के अलावा धारा 80EE और 80EEA में भी कटौती का प्रावधान है। अगर आप पहली बार गृह-स्वामी बने हैं तथा दो शर्तों को पूरा करते हैं तो धारा 80EE के अंतर्गत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं। पहली शर्त है कि आपकी लोन की राशि तथा प्रोपर्टी की वैल्यू क्रमश: 35 लाख रूपये और 50 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। दूसरी, यह कटौती केवल आर्थिक वर्ष 2016-17 में लिये गये होम लोन पर लागू है। 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2022 के दौरान मंजूर किए गए होम लोन पर धारा 80EEA के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती की सुविधा मिलती है।
कर लाभ के ये प्रावधान ज्वाइंट होम लोन पर भी लागू हैं। ज्वाइंट होम लोन में दोनों उधारकर्ता अधिकतम सीमा यानी दो लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इस लाभ का दावा करने के लिए सह-उधारकर्ता का संपत्ति के एक मालिक के रूप में पंजीकृत होना ज़रूरी है।
अगर होम लोन लेते समय इन तरीकों को ध्यान में रखेंगे तो अपने कर में पर्याप्त बचत कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
Home loan for tax: पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को काफी बढ़ा दिया है। इस वर्ष लोन और मंहगा हो गया है। मगर आज भी लोन और होम लोन लेनेवालों की संख्या कम नहीं हुई है। आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च और अक्तूबर 2022 के बीच होम लोन में 8.4% की बढ़त हुई है।
बैंकबाज़ार के सीईओ आदिल शेट्टी की राय में भारतीयों की इच्छाओं की सूची में एक अदद मकान का मालिक होना काफी ऊँचे स्थान पर है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए होम लोन एक पसंदीदा साधन रहा है। साथ ही, होम लोन पर आकर्षक कर लाभ भी मिलते हैं।
अगर आप भी होम लोन लेना चाहते हैं, तो यहां कुछ ऐसे तरीके बताये गये हैं जिनसे आप कर में काफी बचत कर सकते हैं।
होम लोन के ब्याज के भुगतान पर कर लाभ
अगर आप ने बन चुके मकान के लिए लोन लिया है, तो आप अपनी ईएमआई के ब्याज पर कर में कटौती का दावा कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 24B के अंतर्गत दो लाख रूपये की सीमा तक कर में छूट मिल सकती है। आपको इसका लाभ तभी मिलेगा जब आप उस मकान में रहते हों।
अगर आप किसी बन रहे मकान या परिसंपत्ति के लिए लोन ले रहे हैं तो यह कर लाभ का एक आदर्श विकल्प है। इस लोन की ईएमआई में दो घटक होते हैं- मूल राशि और ब्याज। आप आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत निर्माणाधीन मकान के लोन के दोनों घटकों के लिए कर कटौतियों का दावा कर सकते हैं।
होम लोन लेने वाले आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत वार्षिक 1.5 लाख रुपये तक के मूलधन के भुगतान पर कर में कटौती के लिए दावा कर सकते हैं। लेकिन अगर आप परिसंपत्ति को कब्जा प्राप्त करने के पांच वर्ष के भीतर बेचते हैं, तो इन कटौतियों को उसे बेचने के वर्ष की आपकी आय में जोड़ दिया जाएगा ।
किसी भी परिसंपत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसी अतिरिक्त लागतें जुड़ती हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत अतिरिक्त प्रभार की ऐसी लागतों पर एक बार अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक की कटौती की अनुमति दी जाती है। संयुक्त रूप से खरीदी गई परिसंपत्ति के लिए, दोनो मालिक अतिरिक्त चार्ज के लिए 1.5 लाख रूपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: वैल्यू फंड कैसे अलग है?
आयकर अधिनियम की अन्य धाराओं से कर लाभ
आयकर अधिनियम की धारा 80C के अलावा धारा 80EE और 80EEA में भी कटौती का प्रावधान है। अगर आप पहली बार गृह-स्वामी बने हैं तथा दो शर्तों को पूरा करते हैं तो धारा 80EE के अंतर्गत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं। पहली शर्त है कि आपकी लोन की राशि तथा प्रोपर्टी की वैल्यू क्रमश: 35 लाख रूपये और 50 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। दूसरी, यह कटौती केवल आर्थिक वर्ष 2016-17 में लिये गये होम लोन पर लागू है। 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2022 के दौरान मंजूर किए गए होम लोन पर धारा 80EEA के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती की सुविधा मिलती है।
कर लाभ के ये प्रावधान ज्वाइंट होम लोन पर भी लागू हैं। ज्वाइंट होम लोन में दोनों उधारकर्ता अधिकतम सीमा यानी दो लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इस लाभ का दावा करने के लिए सह-उधारकर्ता का संपत्ति के एक मालिक के रूप में पंजीकृत होना ज़रूरी है।
अगर होम लोन लेते समय इन तरीकों को ध्यान में रखेंगे तो अपने कर में पर्याप्त बचत कर सकते हैं।
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