- Date : 23/01/2021
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अलग-अलग तरह के बैंक खाते होने से आपको अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है. यहाँ इस बारे में बताया गया है

बैंक एकाउंट होना आपके जीवन की बुनियादी ज़रूरतों में से एक है. भारत में ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चों के थोड़ा बड़े होते ही उनके लिए बैंक खाता खोल देते हैं, ताकि उनमें बचत की आदत विकसित की जा सके. बड़े स्तर पर देखें, तो बैंक खाते राष्ट्रीय स्तर पर बचत के पैसे को जुटाने और उसे सही इस्तेमाल में लगाने का एक ज़रूरी साधन हैं.
यह प्रधान मंत्री जन धन योजना जैसी शानदार पहल का ही नतीजा है, कि अधिकांश भारतीयों के पास अपना बैंक खाता हैं जिसका इस्तेमाल वे भविष्य में बचत और निवेश शुरू करने के लिए कर सकते हैं.
बैंक खाते मुख्य रूप से लिक्विडिटी, एक्सेसरीज़, और ब्याज कमाने की क्षमता के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. मोटे तौर पर, उन्हें डिमांड डिपॉज़िट, टाइम डिपॉज़िट और नॉन-रेज़िडेंट एकाउंट के रूप में बांटा जा सकता है. अन्य सामान्य प्रकारों में डीमैट और एस्क्रो एकाउंट शामिल हैं.
आइए इनमें से हरेक को गौर से समझते हैं:
डिमांड डिपॉज़िट
इन खातों से आप जितनी बार चाहे पैसा निकाल सकते हैं, बस इन खातों पर ब्याज की दरें कम रहती हैं. दो मुख्य प्रकार के डिमांड डिपॉजिट हैं- बचत खाते और चालू खाते.
- बचत खाता: इस प्रकार का खाता रोज़ाना के खर्चों के लिए सबसे अच्छा रहता है क्योंकि आप अपनी मर्ज़ी से पैसा जमा कर सकते हैं या निकाल सकते हैं. हालांकि, आमतौर पर आप हर महीने सिर्फ़ कुछ लेनदेन ही मुफ़्त में कर सकते हैं, बाकी पर शुल्क लगेगा. बैंक आपसे हर महीने कुछ बैलेंस हमेशा अकाउंट में रखने को कह सकता है. हालांकि, बुनियादी बचत खातों के लिए इसमें छूट दी गई है ताकि कम बचत करने वाले लोग भी अकाउंट में पैसे जमा रख सकें. ब्याज दरें बहुत कम रहती हैं, आमतौर पर 3% -5% से लेकर.
- करेंट अकाउंट: यह खाता उन लोगों के लिए होता है, जिन्हें बहुत ज़्यादा बार पैसे जमा करने और निकालने पड़ते हैं, जैसे व्यापार या कमर्शियल इस्टैब्लिशमेंट. ऐसे खातों पर ब्याज नहीं मिलता. बचत खातों की तुलना में इनमें हर महीने ज़्यादा बैलेंस रखना पड़ता है. हालांकि, करेंट अकाउंट में ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है जिससे उन व्यापारों को शॉर्ट-टर्म कैपिटल के लिए एक्सेस मिलती है जिन्हें इसकी ज़रूरत है.
टर्म डिपॉज़िट
जैसा कि नाम से पता चलता है कि, टर्म डिपॉज़िट से पैसा एक विशेष समय पूरा होने से पहले वापस नहीं लिया जा सकता. आप जितने समय तक पैसा रखते हैं उस हिसाब से इनमें ब्याज दरें ज़्यादा रहती हैं. यह अवधि कुछ हफ़्तों से लेकर कई वर्षों तक हो सकती है. फिक्स्ड डिपॉज़िट और रिकरिंग डिपॉज़िट, टर्म डिपॉज़िट के ही प्रकार हैं.
- फिक्स्ड डिपॉज़िट: फिक्स्ड डिपॉज़िट एकमुश्त निवेश है जिसे आमतौर पर मैच्योरिटी से पहले वापस नहीं लिया जा सकता, और समय से पहले वापस लेने के लिए आपसे पेनल्टी के तौर पर शुल्क लिया जाएगा. एक बार तय किए गई अवधि को बदला नहीं जा सकता. हालांकि, अगर आपको पैसे की तुरंत ज़रूरत है तो कुछ बैंक समय से पहले निकासी की सुविधा देते हैं. प्रस्तावित ब्याज दर पैसे रखने की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है, और अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आप 5% -7% तक ब्याज पा सकते हैं.
- रिकरिंग डिपॉज़िट एक रिकरिंग डिपॉज़िट में उपयोगकर्ता, तय किए हर महीने या तीन महीने के बाद पूर्व निर्धारित राशि निवेश कर सकते हैं. रिकरिंग डिपॉज़िट के साथ, प्रत्येक किश्त में न तो अवधि और न ही निवेश की जाने वाली रकम को बदला जा सकता है. हालांकि, एक फायदा यह है कि आप नियमित रूप से छोटी रकम के साथ निवेश शुरू कर सकते हैं. जिस अवधि के लिए आप निवेश करते हैं उसके आधार पर रिकरिंग डिपॉज़िट की ब्याज दरें भी फिक्स्ड डिपॉज़िट के समान ही 5% -7% तक होती है.
नॉन-रेज़िडेंट डिपॉज़िट
भारतीय नागरिक या विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति, बचत और निवेश के उद्देश्य से नॉन-रेज़िडेंट डिपॉज़िट (एनआरडी) खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन खातों का इस्तेमाल आम तौर पर विदेशों में हुई कमाई को भेजने के लिए किया जाता है. हालांकि, उन्हें किराए, डिविडेंड से हुई कमाई को जमा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एनआरडी खाते तीन तरह के होते हैं.
- नॉन-रेज़िडेंट एक्सटर्नल (एनआरई) रुपी अकाउंट: इन खातों का इस्तेमाल भारत में विदेश से पैसे भेजने के लिए किया जाता है. हालांकि, डिपॉज़िट को रुपये में बदलने की ज़रूरत पड़ती है. इन्हें भारतीय नागरिकों के साथ जॉइंट अकाउंट की तरह भी खोला जा सकता है. फंड्स को एनआरआई के लिए अन्य खातों या स्थानीय भारतीय खातों में ट्रांसफ़र किया जा सकता है. हालांकि, भारत में हुई कमाई को एनआरई खातों में जमा नहीं किया जा सकता. एनआरई खाते पर टैक्स नहीं लगता, यानी कि इन खातों के बैलेंस या ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
- फॉरेन करेंसी नॉन-रेज़िडेंट (FCNR) खाता: इनका इस्तेमाल केवल 1-5 वर्षों के टर्म डिपॉज़िट के लिए किया जाता है. एनआरआई ग्राहक USD, GBP, EUR, JPY, CAD, AUD, SGD, HKD और CHF जैसी आठ करेंसी में सीधे जमा करने के लिए एफसीएनआर खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एनआरई खातों की तरह ही, इन भेजे गए पैसों पर भी टैक्स नहीं लगता और यह देश के हिसाब से बदल दिए जाते हैं. इन खातों के फंड्स को अन्य एनआरई या एफसीएनआर खातों में ट्रांसफ़र किया जा सकता है, लेकिन इनमें स्थानीय तौर पर धनराशि स्वीकार नहीं की जाती (आप लोकल करेंसी में पैसे जमा नहीं करा सकते).
- नॉन-रेज़िडेंट (एनआरओ) रुपया खाता: एनआरओ खातों का इस्तेमाल भारत में प्रॉपर्टी से मिली आय को रखने के लिए किया जाता है, जैसे किराया या डिविडेंड. विदेश में काम करने वाले (या विदेश में बसने वाले) भारतीय नागरिक एनआरओ खाते खोल सकते हैं. एनआरई खातों की तरह, ये भारत में रहने वाले परिवार/अन्य लोगों के साथ जॉइंट तौर पर खोले जा सकते हैं. वे टर्म या सेविंग्स डिपॉजिट हो सकते हैं, लेकिन इन पर टैक्स, टैक्स स्लैब के अनुसार लागू होते हैं. एनआरओ खाते की एक ख़ासियत यह है कि आप एक वित्तीय वर्ष में केवल 1 मिलियन अमरीकी डालर तक की रकम ही अपने देश भेज सकते हैं. हालांकि, टीडीएस काटे जाने के बाद, ब्याज से मिली आय को किसी दूसरे देश में ले जाया जा सकता है. उपयोगकर्ताओं आसानी से एक से दूसरे खाते में पैसा ट्रांसफ़र भी कर सकते हैं.
अन्य सामान्य बैंक खाते
- डीमैट खाता: डिमैटरियलाइज्ड (डीमैट) खाते इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर और स्टॉक रखने के लिए बनाए जाते हैं. इन खातों को, आपकी ओर से बैंकों या स्टॉकब्रोकर द्वारा खोला जाता है और आपको तुरंत ट्रेडिंग करने की सुविधा देते हैं. यदि कोई एनआरआई डीमैट खाता खोलना चाहता है, तो उन्हें एक रिपैट्रिएबल डीमैट अकाउंट (एनआरई खाते से जुड़ा हुआ) या एक नॉन-रिपैट्रिएबल डीमैट खाता (एनआरओ खाते से जुड़ा हुआ) खोलना होगा.
- एस्क्रो खाता क्या है? एस्क्रो खाते का इस्तेमाल बड़े लेन-देन (जैसे कि रियल एस्टेट) के मामले में किया जाता है ताकि फंड को थर्ड पार्टी को ट्रांसफ़र करने से पहले रोककर रखा जा सके. हालांकि, एक एस्क्रौ खाता केवल नकदी नहीं रखता है - इसमें शेयर और अन्य एसेट भी रखे जा सकते हैं.
ऐसा बैंक खाता चुनना सबसे अच्छा है जो आपकी वित्तीय आवश्यकताओं और जिम्मेदारियों के आधार पर हो. इन खातों के बारे में ज़्यादा समझने के लिए, अपने बैंकर से संपर्क करें.
बैंक एकाउंट होना आपके जीवन की बुनियादी ज़रूरतों में से एक है. भारत में ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चों के थोड़ा बड़े होते ही उनके लिए बैंक खाता खोल देते हैं, ताकि उनमें बचत की आदत विकसित की जा सके. बड़े स्तर पर देखें, तो बैंक खाते राष्ट्रीय स्तर पर बचत के पैसे को जुटाने और उसे सही इस्तेमाल में लगाने का एक ज़रूरी साधन हैं.
यह प्रधान मंत्री जन धन योजना जैसी शानदार पहल का ही नतीजा है, कि अधिकांश भारतीयों के पास अपना बैंक खाता हैं जिसका इस्तेमाल वे भविष्य में बचत और निवेश शुरू करने के लिए कर सकते हैं.
बैंक खाते मुख्य रूप से लिक्विडिटी, एक्सेसरीज़, और ब्याज कमाने की क्षमता के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. मोटे तौर पर, उन्हें डिमांड डिपॉज़िट, टाइम डिपॉज़िट और नॉन-रेज़िडेंट एकाउंट के रूप में बांटा जा सकता है. अन्य सामान्य प्रकारों में डीमैट और एस्क्रो एकाउंट शामिल हैं.
आइए इनमें से हरेक को गौर से समझते हैं:
डिमांड डिपॉज़िट
इन खातों से आप जितनी बार चाहे पैसा निकाल सकते हैं, बस इन खातों पर ब्याज की दरें कम रहती हैं. दो मुख्य प्रकार के डिमांड डिपॉजिट हैं- बचत खाते और चालू खाते.
- बचत खाता: इस प्रकार का खाता रोज़ाना के खर्चों के लिए सबसे अच्छा रहता है क्योंकि आप अपनी मर्ज़ी से पैसा जमा कर सकते हैं या निकाल सकते हैं. हालांकि, आमतौर पर आप हर महीने सिर्फ़ कुछ लेनदेन ही मुफ़्त में कर सकते हैं, बाकी पर शुल्क लगेगा. बैंक आपसे हर महीने कुछ बैलेंस हमेशा अकाउंट में रखने को कह सकता है. हालांकि, बुनियादी बचत खातों के लिए इसमें छूट दी गई है ताकि कम बचत करने वाले लोग भी अकाउंट में पैसे जमा रख सकें. ब्याज दरें बहुत कम रहती हैं, आमतौर पर 3% -5% से लेकर.
- करेंट अकाउंट: यह खाता उन लोगों के लिए होता है, जिन्हें बहुत ज़्यादा बार पैसे जमा करने और निकालने पड़ते हैं, जैसे व्यापार या कमर्शियल इस्टैब्लिशमेंट. ऐसे खातों पर ब्याज नहीं मिलता. बचत खातों की तुलना में इनमें हर महीने ज़्यादा बैलेंस रखना पड़ता है. हालांकि, करेंट अकाउंट में ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है जिससे उन व्यापारों को शॉर्ट-टर्म कैपिटल के लिए एक्सेस मिलती है जिन्हें इसकी ज़रूरत है.
टर्म डिपॉज़िट
जैसा कि नाम से पता चलता है कि, टर्म डिपॉज़िट से पैसा एक विशेष समय पूरा होने से पहले वापस नहीं लिया जा सकता. आप जितने समय तक पैसा रखते हैं उस हिसाब से इनमें ब्याज दरें ज़्यादा रहती हैं. यह अवधि कुछ हफ़्तों से लेकर कई वर्षों तक हो सकती है. फिक्स्ड डिपॉज़िट और रिकरिंग डिपॉज़िट, टर्म डिपॉज़िट के ही प्रकार हैं.
- फिक्स्ड डिपॉज़िट: फिक्स्ड डिपॉज़िट एकमुश्त निवेश है जिसे आमतौर पर मैच्योरिटी से पहले वापस नहीं लिया जा सकता, और समय से पहले वापस लेने के लिए आपसे पेनल्टी के तौर पर शुल्क लिया जाएगा. एक बार तय किए गई अवधि को बदला नहीं जा सकता. हालांकि, अगर आपको पैसे की तुरंत ज़रूरत है तो कुछ बैंक समय से पहले निकासी की सुविधा देते हैं. प्रस्तावित ब्याज दर पैसे रखने की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है, और अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आप 5% -7% तक ब्याज पा सकते हैं.
- रिकरिंग डिपॉज़िट एक रिकरिंग डिपॉज़िट में उपयोगकर्ता, तय किए हर महीने या तीन महीने के बाद पूर्व निर्धारित राशि निवेश कर सकते हैं. रिकरिंग डिपॉज़िट के साथ, प्रत्येक किश्त में न तो अवधि और न ही निवेश की जाने वाली रकम को बदला जा सकता है. हालांकि, एक फायदा यह है कि आप नियमित रूप से छोटी रकम के साथ निवेश शुरू कर सकते हैं. जिस अवधि के लिए आप निवेश करते हैं उसके आधार पर रिकरिंग डिपॉज़िट की ब्याज दरें भी फिक्स्ड डिपॉज़िट के समान ही 5% -7% तक होती है.
नॉन-रेज़िडेंट डिपॉज़िट
भारतीय नागरिक या विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति, बचत और निवेश के उद्देश्य से नॉन-रेज़िडेंट डिपॉज़िट (एनआरडी) खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन खातों का इस्तेमाल आम तौर पर विदेशों में हुई कमाई को भेजने के लिए किया जाता है. हालांकि, उन्हें किराए, डिविडेंड से हुई कमाई को जमा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एनआरडी खाते तीन तरह के होते हैं.
- नॉन-रेज़िडेंट एक्सटर्नल (एनआरई) रुपी अकाउंट: इन खातों का इस्तेमाल भारत में विदेश से पैसे भेजने के लिए किया जाता है. हालांकि, डिपॉज़िट को रुपये में बदलने की ज़रूरत पड़ती है. इन्हें भारतीय नागरिकों के साथ जॉइंट अकाउंट की तरह भी खोला जा सकता है. फंड्स को एनआरआई के लिए अन्य खातों या स्थानीय भारतीय खातों में ट्रांसफ़र किया जा सकता है. हालांकि, भारत में हुई कमाई को एनआरई खातों में जमा नहीं किया जा सकता. एनआरई खाते पर टैक्स नहीं लगता, यानी कि इन खातों के बैलेंस या ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
- फॉरेन करेंसी नॉन-रेज़िडेंट (FCNR) खाता: इनका इस्तेमाल केवल 1-5 वर्षों के टर्म डिपॉज़िट के लिए किया जाता है. एनआरआई ग्राहक USD, GBP, EUR, JPY, CAD, AUD, SGD, HKD और CHF जैसी आठ करेंसी में सीधे जमा करने के लिए एफसीएनआर खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एनआरई खातों की तरह ही, इन भेजे गए पैसों पर भी टैक्स नहीं लगता और यह देश के हिसाब से बदल दिए जाते हैं. इन खातों के फंड्स को अन्य एनआरई या एफसीएनआर खातों में ट्रांसफ़र किया जा सकता है, लेकिन इनमें स्थानीय तौर पर धनराशि स्वीकार नहीं की जाती (आप लोकल करेंसी में पैसे जमा नहीं करा सकते).
- नॉन-रेज़िडेंट (एनआरओ) रुपया खाता: एनआरओ खातों का इस्तेमाल भारत में प्रॉपर्टी से मिली आय को रखने के लिए किया जाता है, जैसे किराया या डिविडेंड. विदेश में काम करने वाले (या विदेश में बसने वाले) भारतीय नागरिक एनआरओ खाते खोल सकते हैं. एनआरई खातों की तरह, ये भारत में रहने वाले परिवार/अन्य लोगों के साथ जॉइंट तौर पर खोले जा सकते हैं. वे टर्म या सेविंग्स डिपॉजिट हो सकते हैं, लेकिन इन पर टैक्स, टैक्स स्लैब के अनुसार लागू होते हैं. एनआरओ खाते की एक ख़ासियत यह है कि आप एक वित्तीय वर्ष में केवल 1 मिलियन अमरीकी डालर तक की रकम ही अपने देश भेज सकते हैं. हालांकि, टीडीएस काटे जाने के बाद, ब्याज से मिली आय को किसी दूसरे देश में ले जाया जा सकता है. उपयोगकर्ताओं आसानी से एक से दूसरे खाते में पैसा ट्रांसफ़र भी कर सकते हैं.
अन्य सामान्य बैंक खाते
- डीमैट खाता: डिमैटरियलाइज्ड (डीमैट) खाते इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर और स्टॉक रखने के लिए बनाए जाते हैं. इन खातों को, आपकी ओर से बैंकों या स्टॉकब्रोकर द्वारा खोला जाता है और आपको तुरंत ट्रेडिंग करने की सुविधा देते हैं. यदि कोई एनआरआई डीमैट खाता खोलना चाहता है, तो उन्हें एक रिपैट्रिएबल डीमैट अकाउंट (एनआरई खाते से जुड़ा हुआ) या एक नॉन-रिपैट्रिएबल डीमैट खाता (एनआरओ खाते से जुड़ा हुआ) खोलना होगा.
- एस्क्रो खाता क्या है? एस्क्रो खाते का इस्तेमाल बड़े लेन-देन (जैसे कि रियल एस्टेट) के मामले में किया जाता है ताकि फंड को थर्ड पार्टी को ट्रांसफ़र करने से पहले रोककर रखा जा सके. हालांकि, एक एस्क्रौ खाता केवल नकदी नहीं रखता है - इसमें शेयर और अन्य एसेट भी रखे जा सकते हैं.
ऐसा बैंक खाता चुनना सबसे अच्छा है जो आपकी वित्तीय आवश्यकताओं और जिम्मेदारियों के आधार पर हो. इन खातों के बारे में ज़्यादा समझने के लिए, अपने बैंकर से संपर्क करें.