- Date : 14/02/2023
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SEBI और सिस्टम की पूरी चौकसी के बावजूद समय-समय पर शेयर बाजार और निवेशक धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं।

Biggest stock market scams in India: शेयर बाजार लंबे समय से निवेश का एक पसंदीदा विकल्प माना जाता है। बाजार ने निवेशकों को उनके निवेश के बदले रिटर्न के तौर पर मोटी रकम जुटा कर दी है। इतना होते हुए भी समय-समय पर शेयर बाजार धोखाधड़ी का भी शिकार हुआ है।
धोखेबाजों ने शेयर बाजार के कारोबार का फायदा उठाते हुए निवेशकों को खासा चूना लगाया जिसके कारण अपूरणीय क्षति पहुँची है।
इस लेख के माध्यम से हम ग्राहकों को शेयर मार्केट के सबसे बड़े फ्रॉड से आगाह करना चाहेंगे। ये वे घटनाएँ थीं जिन्होंने शेयर बाजार के सामान्य कामकाज को ही नहीं बल्कि निवेशकों की वित्तीय स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला था और पूरे सिस्टम के मूल्य को ही कम कर दिया था।
शेयर बाजार घोटाले और उनका वर्ष
1. हर्षद मेहता स्कैम 1992
यह घोटाला कैपिटल मार्केट से जुड़ा हुआ था और धोखेबाज का नाम था हर्षद मेहता जिसने ये कारनामा 1992 में अंजाम दिया था। हर्षद मेहता ने बैंको से धन जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर बैंक रसीदों का इस्तेमाल किया था। बाद में स्टॉक की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध शेयरों में निवेश भी किया था।
2. सीआरबी स्कैम 1996
सी आर भंसाली ने कैपिटल मार्केट में ही 1996 में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की थी। भंसाली ने गैरमौजूद फार्मों के माध्यम से फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड जैसी कई योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक पैसा जुटाया था। बाद में इसी धन का उपयोग उसने शेयर बाजार में शेयर की कीमतों में हेराफेरी करने के लिए किया था।
3. केतन पारेख घोटाला 2001
कैपिटल मार्केट में 2001 में केतन पारेख ने बैंक और वित्तीय संस्थाओं से गलत तरीकों से धन जुटाया था और उस पैसे का उपयोग कृत्रिम रूप से बाजार में शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया था।
4. यूटीआई (UTI) स्कैम 2001
2001 में हुए म्यूचुअल फंड के घोटाले में चेयरमैन, एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर और स्टॉक ब्रोकरों की मिलीभगत शामिल थी। बड़े जोखिम वाले शेयरों में लगातार निवेश के कारण कुप्रबंधन की स्थिति बन गई थी। साथ ही केतन पारेख के 10 शेयरों में बड़े पैमाने पर निवेश भी किया गया था।
5. सत्यम स्कैम-2009
इस आईटी कंपनी के ऑडिटर, डायरेक्टर और प्रबंधकों द्वारा किया गया यह घोटाला 2009 में सामने आया था। कंपनी के शीर्ष प्रबंधन ने 2003 से 2008 के बीच खातों और हिसाब में हेराफेरी की थी। इस तरह उन्होंने आईटी कंपनी की बढ़ी हुई बिक्री, लाभ और मार्जिन के गलत आँकड़े जारी किए थे। अत्यधिक संपत्ति दर्शाने वाले झूठे खुलासे भी किए गए थे।
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6. सहारा स्कैम- 2009
एनबीएफसी (NBFC) में 2009 में हुए इस स्कैम के लिए सुब्रतो रॉय दोषी पाए गए थे। सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCD) जारी किए गए थे। सहारा ने सेबी के प्रावधनों को धता बताते हुए गैरकानूनी तरीके से निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया था।
7. शारदा चिटफंड स्कैम- 2013
सुदीप्ता सेन ने 2013 में शारदा समूह द्वारा संचालित पोंजी योजना के अंतर्गत छोटे निवेशकों के साथ ठगी की थी। इस घोटाले में कम आय वाले निवेशकों से रिडीमेबल बॉन्ड और सुरक्षित डिबेंचर जारी करके धन एकत्रित किया गया था जिसके बदले अविश्वसनीय रूप से अधिक लाभ का वायदा किया गया था। लेकिन बाद में निवेशकों के पैसों का गबन कर लिया गया और पुनर्भुगतान में धोखाधड़ी का मामला सामने आया था।
8. एनएसईएल घोटाला- 2013
कमोडिटी मार्केट में 2013 में हुए इस घोटाले में सीईओ और प्रमोटर शामिल थे। यह घोटाला एनएसईएल कृषि क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म मुहैया कराने वाली कंपनी से संबंधित था। इनमें गैरमौजूद कमोडिटीज का कारोबार दर्शाया गया था। साथ ही जाली बिक्री और लेन-देन के आंकड़े दिए गए थे।
9. पीएसीएल घोटाला- 2014
2014 में पोंजी स्कीम के इस घोटाले में कंपनी के एमडी, प्रमोटर और डायरेक्टर शामिल थे। गैरमौजूद जमीन की बिक्री का वायदा करके निवेशकों से पैसा ठगा गया था। जमा किए गए पैसे से बकाया कर्ज का भुगतान किया गया था।
यहाँ यह बताना बेहद जरूरी है कि सेबी (SEBI) अन्य मध्यस्थता करने वाले लोगों के साथ मिलकर शेयर बाजार की अखंडता को सुरक्षित रखने और निवेशकों की रक्षा करने का प्रयास कर रहा है।
बावजूद इसके कुछ धोखेबाज सिस्टम को ठगने के तरीके ढूँढ़ते रहते हैं। एक निवेशक के रूप में सभी को सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि घोटालेबाजों के चंगुल से बचने के आवश्यक उपाय किए जा सकें।
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Sources -
Biggest stock market scams in India: शेयर बाजार लंबे समय से निवेश का एक पसंदीदा विकल्प माना जाता है। बाजार ने निवेशकों को उनके निवेश के बदले रिटर्न के तौर पर मोटी रकम जुटा कर दी है। इतना होते हुए भी समय-समय पर शेयर बाजार धोखाधड़ी का भी शिकार हुआ है।
धोखेबाजों ने शेयर बाजार के कारोबार का फायदा उठाते हुए निवेशकों को खासा चूना लगाया जिसके कारण अपूरणीय क्षति पहुँची है।
इस लेख के माध्यम से हम ग्राहकों को शेयर मार्केट के सबसे बड़े फ्रॉड से आगाह करना चाहेंगे। ये वे घटनाएँ थीं जिन्होंने शेयर बाजार के सामान्य कामकाज को ही नहीं बल्कि निवेशकों की वित्तीय स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला था और पूरे सिस्टम के मूल्य को ही कम कर दिया था।
शेयर बाजार घोटाले और उनका वर्ष
1. हर्षद मेहता स्कैम 1992
यह घोटाला कैपिटल मार्केट से जुड़ा हुआ था और धोखेबाज का नाम था हर्षद मेहता जिसने ये कारनामा 1992 में अंजाम दिया था। हर्षद मेहता ने बैंको से धन जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर बैंक रसीदों का इस्तेमाल किया था। बाद में स्टॉक की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध शेयरों में निवेश भी किया था।
2. सीआरबी स्कैम 1996
सी आर भंसाली ने कैपिटल मार्केट में ही 1996 में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की थी। भंसाली ने गैरमौजूद फार्मों के माध्यम से फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड जैसी कई योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक पैसा जुटाया था। बाद में इसी धन का उपयोग उसने शेयर बाजार में शेयर की कीमतों में हेराफेरी करने के लिए किया था।
3. केतन पारेख घोटाला 2001
कैपिटल मार्केट में 2001 में केतन पारेख ने बैंक और वित्तीय संस्थाओं से गलत तरीकों से धन जुटाया था और उस पैसे का उपयोग कृत्रिम रूप से बाजार में शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया था।
4. यूटीआई (UTI) स्कैम 2001
2001 में हुए म्यूचुअल फंड के घोटाले में चेयरमैन, एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर और स्टॉक ब्रोकरों की मिलीभगत शामिल थी। बड़े जोखिम वाले शेयरों में लगातार निवेश के कारण कुप्रबंधन की स्थिति बन गई थी। साथ ही केतन पारेख के 10 शेयरों में बड़े पैमाने पर निवेश भी किया गया था।
5. सत्यम स्कैम-2009
इस आईटी कंपनी के ऑडिटर, डायरेक्टर और प्रबंधकों द्वारा किया गया यह घोटाला 2009 में सामने आया था। कंपनी के शीर्ष प्रबंधन ने 2003 से 2008 के बीच खातों और हिसाब में हेराफेरी की थी। इस तरह उन्होंने आईटी कंपनी की बढ़ी हुई बिक्री, लाभ और मार्जिन के गलत आँकड़े जारी किए थे। अत्यधिक संपत्ति दर्शाने वाले झूठे खुलासे भी किए गए थे।
यह भी पढ़ें: पेनी स्टॉक्स: 700% से अधिक रिटर्न
6. सहारा स्कैम- 2009
एनबीएफसी (NBFC) में 2009 में हुए इस स्कैम के लिए सुब्रतो रॉय दोषी पाए गए थे। सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCD) जारी किए गए थे। सहारा ने सेबी के प्रावधनों को धता बताते हुए गैरकानूनी तरीके से निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया था।
7. शारदा चिटफंड स्कैम- 2013
सुदीप्ता सेन ने 2013 में शारदा समूह द्वारा संचालित पोंजी योजना के अंतर्गत छोटे निवेशकों के साथ ठगी की थी। इस घोटाले में कम आय वाले निवेशकों से रिडीमेबल बॉन्ड और सुरक्षित डिबेंचर जारी करके धन एकत्रित किया गया था जिसके बदले अविश्वसनीय रूप से अधिक लाभ का वायदा किया गया था। लेकिन बाद में निवेशकों के पैसों का गबन कर लिया गया और पुनर्भुगतान में धोखाधड़ी का मामला सामने आया था।
8. एनएसईएल घोटाला- 2013
कमोडिटी मार्केट में 2013 में हुए इस घोटाले में सीईओ और प्रमोटर शामिल थे। यह घोटाला एनएसईएल कृषि क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म मुहैया कराने वाली कंपनी से संबंधित था। इनमें गैरमौजूद कमोडिटीज का कारोबार दर्शाया गया था। साथ ही जाली बिक्री और लेन-देन के आंकड़े दिए गए थे।
9. पीएसीएल घोटाला- 2014
2014 में पोंजी स्कीम के इस घोटाले में कंपनी के एमडी, प्रमोटर और डायरेक्टर शामिल थे। गैरमौजूद जमीन की बिक्री का वायदा करके निवेशकों से पैसा ठगा गया था। जमा किए गए पैसे से बकाया कर्ज का भुगतान किया गया था।
यहाँ यह बताना बेहद जरूरी है कि सेबी (SEBI) अन्य मध्यस्थता करने वाले लोगों के साथ मिलकर शेयर बाजार की अखंडता को सुरक्षित रखने और निवेशकों की रक्षा करने का प्रयास कर रहा है।
बावजूद इसके कुछ धोखेबाज सिस्टम को ठगने के तरीके ढूँढ़ते रहते हैं। एक निवेशक के रूप में सभी को सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि घोटालेबाजों के चंगुल से बचने के आवश्यक उपाय किए जा सकें।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
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