- Date : 26/07/2022
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कोविड महामारी, तेल की बढ़ती कीमतों, मुद्रास्फीति और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भारतीय शेयर मार्केट अस्थिर है। आने वाले हफ्तों में इसके इसी प्रकार बने रहने की संभावना है।

21वीं सदी के बाद से भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयर मार्केट में से एक रहा है। कोविड महामारी के प्रकोप के बाद से यह सब बदल गया है। भारतीय स्टॉक अब उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले से हालात और भी खराब हो गए हैं। ऐसे में आने वाले कुछ हफ्तों में निवेशक क्या उम्मीद कर सकते हैं? चिंता न करें क्योंकि हम वर्तमान संकट के कारणों सहित आपको सब कुछ समझाएंगे।
मार्केट में इस अस्थिरता का कारण क्या है?
भारतीय स्टॉक मार्केट वैश्विक कारकों से प्रभावित हुआ है। सबसे बड़ा कारण 2020 में आई कोविड महामारी थी। यह महामारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, स्टॉक मार्केट में अस्थिरता लाने में महत्वपूर्ण रही है। हालांकि महामारी अब काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन इसका प्रभाव अभी भी बना हुआ है। यह वास्तव में अर्थव्यवस्था के लिए महामारी के प्रभाव के चंगुल से बाहर आने का समय है।
पिछले कुछ वर्षों में तेल की बढ़ती कीमतों ने भी भारतीय स्टॉक मार्केट की बढ़ती अस्थिरता में योगदान दिया है। भारत अभी भी अपनी विशाल ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। इस प्रकार, तेल की ऊंची कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट के लिए हानिकारक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का कहर जारी है। इसलिए, लोगों के खरीदने की क्षमता में काफी गिरावट आई है। स्वाभाविक रूप से, इसका भारतीय स्टॉक मार्केट पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके साथ ही, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध वैश्विक स्टॉक मार्केट के लिए खराब रहा है। फलस्वरूप, भारतीय स्टॉक मार्केट भी इससे प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। युद्ध ने भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना बहुत कठिन बना दिया है।
भविष्य में क्या उम्मीद करें
इस तरह की अस्थिरता और मुद्रास्फीति अगले कुछ हफ्तों में बने रहने की संभावना है। आने वाले हफ्तों में भी सुधार की उम्मीद बहुत कम है। ऐसा अर्थशास्त्री दिलीप भट्ट का मानना है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड अगले दो से तीन तिमाहियों तक जारी रहने की संभावना है।
अर्थशास्त्री अमनीश अग्रवाल के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियां भविष्य में भी मजबूती से प्रदर्शन करती रहेंगी। उनका सुझाव स्टॉक में निवेश के लिए मिडकैप से लार्ज स्केल आईटी कंपनियों को लक्षित करने का है। क्योंकि, यह स्टॉक मार्केट में आने वाले हफ्तों में निवेश करने लायक एक क्षेत्र है। अमनीश अग्रवाल की सलाह है की उन संस्थाओं में निवेश करने की सोचें जिनके स्टॉक पहले से ही महत्वपूर्ण सुधार के दौर से गुजर रहे हैं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य वित्तीय उद्देश्यों के लिए है। आपको इसे किसी भी कानूनी या कर निर्धारण या निवेश या बीमा सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। वित्तीय निर्णय लेने की स्थिति में आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए।
21वीं सदी के बाद से भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयर मार्केट में से एक रहा है। कोविड महामारी के प्रकोप के बाद से यह सब बदल गया है। भारतीय स्टॉक अब उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले से हालात और भी खराब हो गए हैं। ऐसे में आने वाले कुछ हफ्तों में निवेशक क्या उम्मीद कर सकते हैं? चिंता न करें क्योंकि हम वर्तमान संकट के कारणों सहित आपको सब कुछ समझाएंगे।
मार्केट में इस अस्थिरता का कारण क्या है?
भारतीय स्टॉक मार्केट वैश्विक कारकों से प्रभावित हुआ है। सबसे बड़ा कारण 2020 में आई कोविड महामारी थी। यह महामारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, स्टॉक मार्केट में अस्थिरता लाने में महत्वपूर्ण रही है। हालांकि महामारी अब काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन इसका प्रभाव अभी भी बना हुआ है। यह वास्तव में अर्थव्यवस्था के लिए महामारी के प्रभाव के चंगुल से बाहर आने का समय है।
पिछले कुछ वर्षों में तेल की बढ़ती कीमतों ने भी भारतीय स्टॉक मार्केट की बढ़ती अस्थिरता में योगदान दिया है। भारत अभी भी अपनी विशाल ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। इस प्रकार, तेल की ऊंची कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट के लिए हानिकारक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का कहर जारी है। इसलिए, लोगों के खरीदने की क्षमता में काफी गिरावट आई है। स्वाभाविक रूप से, इसका भारतीय स्टॉक मार्केट पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके साथ ही, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध वैश्विक स्टॉक मार्केट के लिए खराब रहा है। फलस्वरूप, भारतीय स्टॉक मार्केट भी इससे प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। युद्ध ने भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना बहुत कठिन बना दिया है।
भविष्य में क्या उम्मीद करें
इस तरह की अस्थिरता और मुद्रास्फीति अगले कुछ हफ्तों में बने रहने की संभावना है। आने वाले हफ्तों में भी सुधार की उम्मीद बहुत कम है। ऐसा अर्थशास्त्री दिलीप भट्ट का मानना है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड अगले दो से तीन तिमाहियों तक जारी रहने की संभावना है।
अर्थशास्त्री अमनीश अग्रवाल के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियां भविष्य में भी मजबूती से प्रदर्शन करती रहेंगी। उनका सुझाव स्टॉक में निवेश के लिए मिडकैप से लार्ज स्केल आईटी कंपनियों को लक्षित करने का है। क्योंकि, यह स्टॉक मार्केट में आने वाले हफ्तों में निवेश करने लायक एक क्षेत्र है। अमनीश अग्रवाल की सलाह है की उन संस्थाओं में निवेश करने की सोचें जिनके स्टॉक पहले से ही महत्वपूर्ण सुधार के दौर से गुजर रहे हैं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य वित्तीय उद्देश्यों के लिए है। आपको इसे किसी भी कानूनी या कर निर्धारण या निवेश या बीमा सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। वित्तीय निर्णय लेने की स्थिति में आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए।