- Date : 31/05/2020
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आर.बी.आई. ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए कुछ उपाय किए हैं। यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि आप आम त्रुटियों के लिए आयकर विभाग सहित अन्य वित्तीय सेवा प्रदाताओं से मुआवजे का दावा कैसे कर सकते हैं।

जैसा कि आर.बी.आई. ने नई उपभोक्ता-अनुकूल नीतियां प्रारम्भ की है, वित्तीय सेवा प्रदाताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अधिक पारदर्शी और जवाबदेह हों। चाहे वह बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड, बैंक / एन.बी.एफ.सी. या आयकर विभाग हों, अब आप भी किसी मामले को आगे बढ़ा सकते है और खराब सेवा के लिए मुआवजे का दावा कर सकते हैं।
एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है,ताकि आप गुमराह न हो या कोई आपका फायदा न उठाये खासकर जब बात वित्तीय सेवाओं की हो । यह विशेष रूप से हाल की घटनाओं के सन्दर्भ में है जिसमें फ़र्ज़ी बैंक कर्मचारी बनकर लोग ग्राहकों को धोखा दे रहे हैं।
आर.बी.आई. द्वारा आवश्यक किया गया है कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपनी तरफ से देरी या त्रुटियों के लिए ग्राहकों को मुआवजा प्रदान करना होगा । यह पहल देश के वित्तीय संस्थानों में जनता के विश्वास को बेहतर बनाने और अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए की गई है।
यहां उन स्थितियों की एक सूची दी गई है जिनमें बैंक, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड और कर विभाग मुआवजा प्रदान करने के लिए उत्तरदायी हैं:
1. बैंक
- खाता डेबिट हो गया, ए.टी.एम. से नकदी नहीं निकली
आर.बी.आई. ने बैंकों को आदेश दिया है कि ए.टी.एम. लेनदेन विफल होने पर प्रभावित ग्राहकों के बचत खातों में सात दिनों के भीतर वह राशि क्रेडिट कर दी जाए। यदि जारीकर्ता बैंक ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे प्रति दिन 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए, आर.बी.आई. ने मुआवजे के भुगतान के लिए ग्राहक द्वारा औपचारिक शिकायत की कोई आवश्यकता नहीं जताई है।
- खाता से डेबिट हो गया, कार्ड-से-कार्ड ट्रांसफर विफल हो गया
ऐसी स्थिति में, जारी करने वाले बैंक को लेन-देन की तारीख से लेकर दो दिनों के भीतर डेबिट शुल्क को वापस लौटाना आवश्यक है। दो दिन की समय सीमा के बाद 100 रुपये प्रतिदिन का दंड लागू है।
- कार्ड से डेबिट हो गया , भुगतान रसीद उत्पन्न नहीं हुई
जब किसी व्यापारी के पॉइंट-ऑफ-सेल (पी.ओ.एस.) टर्मिनल पर कार्ड स्वाइप किया जाता है, और लेन-देन स्वीकृत हो जाती है, लेकिन भुगतान रसीद उत्पन्न नहीं होती है, तो मूल लेनदेन की तारीख सहित छह दिनों के भीतर यह राशि क्रेडिट किया जाना होता है। यदि प्रक्रिया में अधिक समय लगता है, तो जारीकर्ता बैंक द्वारा प्रति दिन 100 रुपये की दर से मुआवजा देय है।
- कार्ड से डेबिट हो गया,परन्तु ऑनलाइन लेनदेन विफल हो गया
यदि कार्ड से ऑनलाइन लेन-देन अस्वीकृत हो जाता है, लेकिन राशि डेबिट हो जाती है, तो लेन-देन के छह दिनों के भीतर यदि खाते में पैसे वापस नहीं आते,तो उसके बाद प्रतिदिन 100 रुपये का जुर्माना लागू होता है।
- आइ.एम.पी.एस. / यु.पी.आइ. भुगतान से डेबिट हो जाए ,पर लाभार्थी को प्राप्त नहीं होता
यदि एक आइ.एम.पी.एस. / यु.पी.आइ. भुगतान लाभार्थी के खाते में दो दिनों के भीतर वापस नहीं किया जाता है , तो दावा का फैसला होने तक प्रति दिन 100 रुपये का मुआवजा देय होगा।
2. जीवन बीमा कंपनियाँ
यदि कोई जीवन बीमा कंपनी दावा दस्तावेजों को प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर किसी मौत के दावे को मंजूरी या अस्वीकार नहीं करती है,या 15 दिनों के भीतर कोई प्रश्न नहीं उठाती है तो प्रचलित बैंक दर से 2% की अधिक ब्याज दर से दावा राशि, जुर्माने के रूप में दस्तावेजों को जमा करने की तारीख से देय होगी।
यदि दावे को और समीक्षा की आवश्यकता है, तो दावे पर कोई भी प्रश्न ,दावे के दाखिल होने की तारीख के 15 दिनों के भीतर उठाया जाना चाहिए। किसी भी बीमाकर्ता को समीक्षा के लिए 90 दिनों से अधिक समय नहीं लेना चाहिए।
पॉलिसीधारकों को दस्तावेज़ जमा करने के 30 दिनों के भीतर बीमाकर्ता के अंतिम निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। 30 दिनों से अधिक की देरी के मामले में, दावा राशि के 2% की दर से जुर्माना ब्याज पॉलिसीधारक को दिया जाता है, जिसकी गणना अंतिम दस्तावेज जमा करने की तारीख से की जाती है।
- उत्तरजीविता लाभ, परिपक्वता या वार्षिकी दावों का निपटान
यदि निपटान में देरी होती है, तो जीवन बीमा पॉलिसीधारक को बीमाकर्ता द्वारा नियत तारीख से पहले सूचित किया जाना चाहिए। परिपक्वता की तारीख पर बैंक ट्रांसफर या पोस्ट-डेटेड चेक द्वारा भुगतान करने की व्यवस्था भी करनी चाहिए। ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप बैंक दर से 2% अधिक ब्याज का जुर्माना हो सकता है, जो दस्तावेजों को जमा करने की अंतिम तारीख से गणना की जाती है।
- रिफंड में देरी
नियमों के अनुसार, एक पॉलिसीधारक जो निःशुल्क परिक्षण अवधि के बाद इसे छोड़ने का निर्णय लेता है, प्रस्ताव जमा को वापस करने, सरेंडर करने या इसे वापस मांगताहै, जिसे इस प्रकार मुआवजा दिया जाना चाहिए: अंतिम दस्तावेज प्रस्तुत करने की तारीख या सरेंडर / छोड़ने के अनुरोध दस्तावेज प्रस्तुत करने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किये जाने पर ब्याज मौजूदा बैंक दर से 2% अधिक लागु होगा ।
3. म्यूचुअल फंड्स
यदि रिडेम्पशन या डिविडेंड की घोषणा के लिए 10 दिनों से अधिक की देरी होती है, तो हर अतिरिक्त दिन के लिए 15% की दर से ब्याज जुर्माना लागू होता है।
4. सामान्य बीमा
यदि बीमाकर्ता अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट और दावा दस्तावेजों को प्राप्त करने की तारीख से एक दावे का निपटान करने के लिए 30 दिनों से अधिक समय लेता है, तो अंतिम दावा दस्तावेज़ जमा करने की तारीख से निपटान की तारीख तक बैंक दर से 2% की अधिक दर से गणना की गई ब्याज का जुर्माना लागू होगा।
5. स्वास्थ्य बीमा
आइ.आर.डी.ए.आइ. के दिशानिर्देशों के अनुसार, आपका स्वास्थ्य बीमाकर्ता सभी ज़रूरी दस्तावेजों को प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर दावा निपटान अनुरोध को संसाधित करने के लिए उत्तरदायी होता है। दस्तावेजों की अंतिम जमा के तीन दिनों के समय सीमा के भीतर ही कोई भी समीक्षा पूरी की जानी चाहिए। यदि दावा प्रस्तुत किए जाने के 45 दिनों के भीतर कोई निपटान नहीं किया जाता है, तो अंतिम दस्तावेज जमा करने की तारीख से निपटान की तिथि तक बाजार दर से 2% अधिक दर पर ब्याज का भुगतान जुर्माने के रूप में किया जाना होगा ।
6. आयकर
यदि एक आयकर रिफंड में देरी होती है, तो करदाता मुआवज़ा प्राप्त करने का हकदार है:
- अग्रिम कर या टी.डी.एस. में अतिरिक्त राशि शामिल होने पर रिफंड लागू:
आयकर दंड के रूप में प्रति माह 0.5% की दर से गणना की गई ब्याज देय है।31 जुलाई से पहले रिटर्न दाखिल किया गया था या नहीं, इस आधार पर ब्याज की अवधि चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल से उस तारीख तक ली जाती है जब तक कि कर क्रेडिट की प्रतिपूर्ति नहीं कर दी जाती। यदि 31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल किया जाता है, तो उस समय से ब्याज की गणना की जाती है।
- अधिक स्व-मूल्यांकन किए गए कर का भुगतान किए जाने पर लागू रिफंड
कर भुगतान या रिटर्न जमा करने की तारीख से प्रति माह 0.5% का दंड ब्याज देय है। यदि रिफंड राशि बकाया कर के 10% से कम है, तो ब्याज लागू नहीं होता है।
ध्यान दें:
नामित शिकायत समाधान अधिकारियों या विभागों के लिए संपर्क जानकारी:
आइ.आर.डी.ए.आइ. शिकायत निवारण सेल, उपभोक्ता मामले विभाग:
दूरभाष: 155255 या (1800) 4254 732
ईमेल: : complaints@irda.gov.in
बैंकिंग लोकपाल
आर.बी.आई. के शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सी.एम.एस.) पोर्टल पर ऑनलाइन जाएं और निर्धारित आवेदन पत्र भरें।
उपभोक्ता न्यायालय
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, उपभोक्ता मामले विभाग
दूरभाष: 1800114000 या 14404
ईमेल: nch-ca@gov.in
निष्कर्ष
बैंकों और अन्य वित्तीय सेवाओं से मुआवजे का दावा करते समय उचित चैनलों का पालन करना आवश्यक है। आइ.आर.डी.ए.आइ. या बैंकिंग लोकपाल जैसे नियामकों से संपर्क करने से पहले, आपको पहले किसी भी त्रुटियों के बारे में सीधे संबंधित संस्थान से संपर्क करना चाहिए। यदि संतोषजनक समाधान प्राप्त नहीं हो, तो आप सहायता के लिए नियामक एजेंसियों या उपभोक्ता अदालत से संपर्क कर सकते हैं।
जैसा कि आर.बी.आई. ने नई उपभोक्ता-अनुकूल नीतियां प्रारम्भ की है, वित्तीय सेवा प्रदाताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अधिक पारदर्शी और जवाबदेह हों। चाहे वह बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड, बैंक / एन.बी.एफ.सी. या आयकर विभाग हों, अब आप भी किसी मामले को आगे बढ़ा सकते है और खराब सेवा के लिए मुआवजे का दावा कर सकते हैं।
एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है,ताकि आप गुमराह न हो या कोई आपका फायदा न उठाये खासकर जब बात वित्तीय सेवाओं की हो । यह विशेष रूप से हाल की घटनाओं के सन्दर्भ में है जिसमें फ़र्ज़ी बैंक कर्मचारी बनकर लोग ग्राहकों को धोखा दे रहे हैं।
आर.बी.आई. द्वारा आवश्यक किया गया है कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपनी तरफ से देरी या त्रुटियों के लिए ग्राहकों को मुआवजा प्रदान करना होगा । यह पहल देश के वित्तीय संस्थानों में जनता के विश्वास को बेहतर बनाने और अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए की गई है।
यहां उन स्थितियों की एक सूची दी गई है जिनमें बैंक, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड और कर विभाग मुआवजा प्रदान करने के लिए उत्तरदायी हैं:
1. बैंक
- खाता डेबिट हो गया, ए.टी.एम. से नकदी नहीं निकली
आर.बी.आई. ने बैंकों को आदेश दिया है कि ए.टी.एम. लेनदेन विफल होने पर प्रभावित ग्राहकों के बचत खातों में सात दिनों के भीतर वह राशि क्रेडिट कर दी जाए। यदि जारीकर्ता बैंक ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे प्रति दिन 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए, आर.बी.आई. ने मुआवजे के भुगतान के लिए ग्राहक द्वारा औपचारिक शिकायत की कोई आवश्यकता नहीं जताई है।
- खाता से डेबिट हो गया, कार्ड-से-कार्ड ट्रांसफर विफल हो गया
ऐसी स्थिति में, जारी करने वाले बैंक को लेन-देन की तारीख से लेकर दो दिनों के भीतर डेबिट शुल्क को वापस लौटाना आवश्यक है। दो दिन की समय सीमा के बाद 100 रुपये प्रतिदिन का दंड लागू है।
- कार्ड से डेबिट हो गया , भुगतान रसीद उत्पन्न नहीं हुई
जब किसी व्यापारी के पॉइंट-ऑफ-सेल (पी.ओ.एस.) टर्मिनल पर कार्ड स्वाइप किया जाता है, और लेन-देन स्वीकृत हो जाती है, लेकिन भुगतान रसीद उत्पन्न नहीं होती है, तो मूल लेनदेन की तारीख सहित छह दिनों के भीतर यह राशि क्रेडिट किया जाना होता है। यदि प्रक्रिया में अधिक समय लगता है, तो जारीकर्ता बैंक द्वारा प्रति दिन 100 रुपये की दर से मुआवजा देय है।
- कार्ड से डेबिट हो गया,परन्तु ऑनलाइन लेनदेन विफल हो गया
यदि कार्ड से ऑनलाइन लेन-देन अस्वीकृत हो जाता है, लेकिन राशि डेबिट हो जाती है, तो लेन-देन के छह दिनों के भीतर यदि खाते में पैसे वापस नहीं आते,तो उसके बाद प्रतिदिन 100 रुपये का जुर्माना लागू होता है।
- आइ.एम.पी.एस. / यु.पी.आइ. भुगतान से डेबिट हो जाए ,पर लाभार्थी को प्राप्त नहीं होता
यदि एक आइ.एम.पी.एस. / यु.पी.आइ. भुगतान लाभार्थी के खाते में दो दिनों के भीतर वापस नहीं किया जाता है , तो दावा का फैसला होने तक प्रति दिन 100 रुपये का मुआवजा देय होगा।
2. जीवन बीमा कंपनियाँ
यदि कोई जीवन बीमा कंपनी दावा दस्तावेजों को प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर किसी मौत के दावे को मंजूरी या अस्वीकार नहीं करती है,या 15 दिनों के भीतर कोई प्रश्न नहीं उठाती है तो प्रचलित बैंक दर से 2% की अधिक ब्याज दर से दावा राशि, जुर्माने के रूप में दस्तावेजों को जमा करने की तारीख से देय होगी।
यदि दावे को और समीक्षा की आवश्यकता है, तो दावे पर कोई भी प्रश्न ,दावे के दाखिल होने की तारीख के 15 दिनों के भीतर उठाया जाना चाहिए। किसी भी बीमाकर्ता को समीक्षा के लिए 90 दिनों से अधिक समय नहीं लेना चाहिए।
पॉलिसीधारकों को दस्तावेज़ जमा करने के 30 दिनों के भीतर बीमाकर्ता के अंतिम निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। 30 दिनों से अधिक की देरी के मामले में, दावा राशि के 2% की दर से जुर्माना ब्याज पॉलिसीधारक को दिया जाता है, जिसकी गणना अंतिम दस्तावेज जमा करने की तारीख से की जाती है।
- उत्तरजीविता लाभ, परिपक्वता या वार्षिकी दावों का निपटान
यदि निपटान में देरी होती है, तो जीवन बीमा पॉलिसीधारक को बीमाकर्ता द्वारा नियत तारीख से पहले सूचित किया जाना चाहिए। परिपक्वता की तारीख पर बैंक ट्रांसफर या पोस्ट-डेटेड चेक द्वारा भुगतान करने की व्यवस्था भी करनी चाहिए। ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप बैंक दर से 2% अधिक ब्याज का जुर्माना हो सकता है, जो दस्तावेजों को जमा करने की अंतिम तारीख से गणना की जाती है।
- रिफंड में देरी
नियमों के अनुसार, एक पॉलिसीधारक जो निःशुल्क परिक्षण अवधि के बाद इसे छोड़ने का निर्णय लेता है, प्रस्ताव जमा को वापस करने, सरेंडर करने या इसे वापस मांगताहै, जिसे इस प्रकार मुआवजा दिया जाना चाहिए: अंतिम दस्तावेज प्रस्तुत करने की तारीख या सरेंडर / छोड़ने के अनुरोध दस्तावेज प्रस्तुत करने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किये जाने पर ब्याज मौजूदा बैंक दर से 2% अधिक लागु होगा ।
3. म्यूचुअल फंड्स
यदि रिडेम्पशन या डिविडेंड की घोषणा के लिए 10 दिनों से अधिक की देरी होती है, तो हर अतिरिक्त दिन के लिए 15% की दर से ब्याज जुर्माना लागू होता है।
4. सामान्य बीमा
यदि बीमाकर्ता अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट और दावा दस्तावेजों को प्राप्त करने की तारीख से एक दावे का निपटान करने के लिए 30 दिनों से अधिक समय लेता है, तो अंतिम दावा दस्तावेज़ जमा करने की तारीख से निपटान की तारीख तक बैंक दर से 2% की अधिक दर से गणना की गई ब्याज का जुर्माना लागू होगा।
5. स्वास्थ्य बीमा
आइ.आर.डी.ए.आइ. के दिशानिर्देशों के अनुसार, आपका स्वास्थ्य बीमाकर्ता सभी ज़रूरी दस्तावेजों को प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर दावा निपटान अनुरोध को संसाधित करने के लिए उत्तरदायी होता है। दस्तावेजों की अंतिम जमा के तीन दिनों के समय सीमा के भीतर ही कोई भी समीक्षा पूरी की जानी चाहिए। यदि दावा प्रस्तुत किए जाने के 45 दिनों के भीतर कोई निपटान नहीं किया जाता है, तो अंतिम दस्तावेज जमा करने की तारीख से निपटान की तिथि तक बाजार दर से 2% अधिक दर पर ब्याज का भुगतान जुर्माने के रूप में किया जाना होगा ।
6. आयकर
यदि एक आयकर रिफंड में देरी होती है, तो करदाता मुआवज़ा प्राप्त करने का हकदार है:
- अग्रिम कर या टी.डी.एस. में अतिरिक्त राशि शामिल होने पर रिफंड लागू:
आयकर दंड के रूप में प्रति माह 0.5% की दर से गणना की गई ब्याज देय है।31 जुलाई से पहले रिटर्न दाखिल किया गया था या नहीं, इस आधार पर ब्याज की अवधि चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल से उस तारीख तक ली जाती है जब तक कि कर क्रेडिट की प्रतिपूर्ति नहीं कर दी जाती। यदि 31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल किया जाता है, तो उस समय से ब्याज की गणना की जाती है।
- अधिक स्व-मूल्यांकन किए गए कर का भुगतान किए जाने पर लागू रिफंड
कर भुगतान या रिटर्न जमा करने की तारीख से प्रति माह 0.5% का दंड ब्याज देय है। यदि रिफंड राशि बकाया कर के 10% से कम है, तो ब्याज लागू नहीं होता है।
ध्यान दें:
नामित शिकायत समाधान अधिकारियों या विभागों के लिए संपर्क जानकारी:
आइ.आर.डी.ए.आइ. शिकायत निवारण सेल, उपभोक्ता मामले विभाग:
दूरभाष: 155255 या (1800) 4254 732
ईमेल: : complaints@irda.gov.in
बैंकिंग लोकपाल
आर.बी.आई. के शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सी.एम.एस.) पोर्टल पर ऑनलाइन जाएं और निर्धारित आवेदन पत्र भरें।
उपभोक्ता न्यायालय
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, उपभोक्ता मामले विभाग
दूरभाष: 1800114000 या 14404
ईमेल: nch-ca@gov.in
निष्कर्ष
बैंकों और अन्य वित्तीय सेवाओं से मुआवजे का दावा करते समय उचित चैनलों का पालन करना आवश्यक है। आइ.आर.डी.ए.आइ. या बैंकिंग लोकपाल जैसे नियामकों से संपर्क करने से पहले, आपको पहले किसी भी त्रुटियों के बारे में सीधे संबंधित संस्थान से संपर्क करना चाहिए। यदि संतोषजनक समाधान प्राप्त नहीं हो, तो आप सहायता के लिए नियामक एजेंसियों या उपभोक्ता अदालत से संपर्क कर सकते हैं।