Higher pension for EPFO subscribers: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों को अधिक पेंशन।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईपीएफओ ने क्षेत्रीय कार्यालयों को पेंशन पर आदेश जारी किए।

ईपीएफओ

EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों द्वारा लंबे समय से एक उच्च पेंशन स्कीम की मांग की जा रही थी, क्योंकि अच्छा–खासा वेतन पाने वाले गैर-सरकारी कर्मचारियों को भी सेवानिवृत्ति के बाद जो पेंशन मिलती है वह केवल नाममात्र की एक राशि होती है, जिससे वे गुजारा नहीं कर सकते। 

सर्वोच्च न्यायालय ने इसके संबंध में एक आदेश जारी किया है, जिसके बाद ईपीएफओ ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को इस संबंध में निर्देश जारी किये हैं कि कर्मचारियों को उच्च पेंशन के लिए किस तरीके से आवेदन करना चाहिए और किन बातों पर विचार करना चाहिए। 

अब कर्मचारियों के पास अपने पीएफ से पेंशन के लिए अधिक योगदान का विकल्प होगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के जिन सदस्यों ने पहले यह विकल्प नहीं चुना था, उन्हें भी एक और विकल्प दिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के 4 नवंबर, 2022 के आदेश का अनुपालन करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सोमवार को अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश जारी किया कि कर्मचारियों को उच्च पेंशन के लिए कैसे आवेदन करना चाहिए। अब सदस्यों के पेंशन योग्य मासिक वेतन की सीमा 15,000 रुपये से अधिक करने की अनुमति है, जिस पर ईपीएस के अनुसार पेंशन के लिए ‘वास्तविक मूल वेतन’ के 8.33 प्रतिशत के बराबर राशि काटी जाती है। पहले इसकी अधिकतम सीमा 6500 रुपये थी।

यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम

क्या कहता है नया सर्कुलर?

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नए सर्कुलर में उन कर्मचारियों के बकाया वर्ग को आवृत किया गया है, जो 1 सितंबर, 2014 को या उसके बाद सेवारत रहेंगे। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 20 फरवरी को एक नया सर्कुलर जारी कर, कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों और नियोक्ताओं के लिए उस प्रक्रिया को सार्वजनिक किया है, जिसके अंतर्गत कर्मचारियों के पास अधिक पेंशन पाने का विकल्प मिल सकता है। संगठन के अनुसार इस संयुक्त विकल्प का अपयोग तीन तरह से किया जा सकता है। पहले विकल्प में वे कर्मचारी और नियोक्ता होंगे, जिन्होंने 5,000 रुपये या 6,500 रुपये की वेतन सीमा से अधिक के अंतर्गत योगदान किया था, दूसरे विकल्प में वो कर्मचारी होंगे, जिन्होंने पेंशन योजना (ईपीएस) का सदस्य बनने के दौरान संयुक्त विकल्प को नहीं चुना था और तीसरा विकल्प उनके लिए है, जो 1 सितंबर, 2014 से पहले सदस्य थे और उस तारीख को या उसके बाद भी इस योजना के सदस्य बने रहे हैं। सोमवार को जारी किए गये सर्कुलर में कहा गया है कि जो कर्मचारी 1 सितंबर 2014 को या उससे पहले ईपीएस के सदस्य बने रहे उनके लिए एक ऑनलाइन सुविधा प्रदान की जाएगी और जल्द ही इसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी दी जाएगी।

कर्मचारी पेंशन योजना या ईपीएस क्या है?

आइए, कर्मचारी पेंशन योजना या ईपीएस को समझने की कोशिश करते हैं। कर्मचारी पेंशन योजना को ईपीएफओ द्वारा संचालित किया जाता है, जो 58 वर्ष की आयु के बाद कर्मचारियों के लिए पेंशन की व्यवस्था करता है।  ईपीएस की गणना करने के लिए कंपनी के लाभ को उसके सामान्य स्टॉक के बकाया शेयरों से विभाजित किया जाता है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए ईपीएफ में कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 12 प्रतिशत का योगदान करना आवश्यक है। कर्मचारी के योगदान की पूरी राशि ईपीएफ में जमा होती है, जबकि नियोक्ता के 12 प्रतिशत योगदान में से 3.67 प्रतिशत को ईपीएफ में जमा किया जाता है और 8.33 प्रतिशत योगदान को ईपीएस में डाला जाता है।

इसके अलावा, भारत सरकार भी कर्मचारी की पेंशन के लिए 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है। कर्मचारियों को अपनेप्राविडेंट फंड से पेंशन योजना में योगदान नहीं करना होता है अर्थात् उनके द्वारा किया गया योगदान उन्हें नौकरी की समाप्ति पर एकमुश्त वापस मिल जाता है। अब कर्मचारी पेंशन योजना में अधिक योगदान कर सकेंगे।

यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?

EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों द्वारा लंबे समय से एक उच्च पेंशन स्कीम की मांग की जा रही थी, क्योंकि अच्छा–खासा वेतन पाने वाले गैर-सरकारी कर्मचारियों को भी सेवानिवृत्ति के बाद जो पेंशन मिलती है वह केवल नाममात्र की एक राशि होती है, जिससे वे गुजारा नहीं कर सकते। 

सर्वोच्च न्यायालय ने इसके संबंध में एक आदेश जारी किया है, जिसके बाद ईपीएफओ ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को इस संबंध में निर्देश जारी किये हैं कि कर्मचारियों को उच्च पेंशन के लिए किस तरीके से आवेदन करना चाहिए और किन बातों पर विचार करना चाहिए। 

अब कर्मचारियों के पास अपने पीएफ से पेंशन के लिए अधिक योगदान का विकल्प होगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के जिन सदस्यों ने पहले यह विकल्प नहीं चुना था, उन्हें भी एक और विकल्प दिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के 4 नवंबर, 2022 के आदेश का अनुपालन करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सोमवार को अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश जारी किया कि कर्मचारियों को उच्च पेंशन के लिए कैसे आवेदन करना चाहिए। अब सदस्यों के पेंशन योग्य मासिक वेतन की सीमा 15,000 रुपये से अधिक करने की अनुमति है, जिस पर ईपीएस के अनुसार पेंशन के लिए ‘वास्तविक मूल वेतन’ के 8.33 प्रतिशत के बराबर राशि काटी जाती है। पहले इसकी अधिकतम सीमा 6500 रुपये थी।

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क्या कहता है नया सर्कुलर?

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नए सर्कुलर में उन कर्मचारियों के बकाया वर्ग को आवृत किया गया है, जो 1 सितंबर, 2014 को या उसके बाद सेवारत रहेंगे। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 20 फरवरी को एक नया सर्कुलर जारी कर, कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों और नियोक्ताओं के लिए उस प्रक्रिया को सार्वजनिक किया है, जिसके अंतर्गत कर्मचारियों के पास अधिक पेंशन पाने का विकल्प मिल सकता है। संगठन के अनुसार इस संयुक्त विकल्प का अपयोग तीन तरह से किया जा सकता है। पहले विकल्प में वे कर्मचारी और नियोक्ता होंगे, जिन्होंने 5,000 रुपये या 6,500 रुपये की वेतन सीमा से अधिक के अंतर्गत योगदान किया था, दूसरे विकल्प में वो कर्मचारी होंगे, जिन्होंने पेंशन योजना (ईपीएस) का सदस्य बनने के दौरान संयुक्त विकल्प को नहीं चुना था और तीसरा विकल्प उनके लिए है, जो 1 सितंबर, 2014 से पहले सदस्य थे और उस तारीख को या उसके बाद भी इस योजना के सदस्य बने रहे हैं। सोमवार को जारी किए गये सर्कुलर में कहा गया है कि जो कर्मचारी 1 सितंबर 2014 को या उससे पहले ईपीएस के सदस्य बने रहे उनके लिए एक ऑनलाइन सुविधा प्रदान की जाएगी और जल्द ही इसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी दी जाएगी।

कर्मचारी पेंशन योजना या ईपीएस क्या है?

आइए, कर्मचारी पेंशन योजना या ईपीएस को समझने की कोशिश करते हैं। कर्मचारी पेंशन योजना को ईपीएफओ द्वारा संचालित किया जाता है, जो 58 वर्ष की आयु के बाद कर्मचारियों के लिए पेंशन की व्यवस्था करता है।  ईपीएस की गणना करने के लिए कंपनी के लाभ को उसके सामान्य स्टॉक के बकाया शेयरों से विभाजित किया जाता है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए ईपीएफ में कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 12 प्रतिशत का योगदान करना आवश्यक है। कर्मचारी के योगदान की पूरी राशि ईपीएफ में जमा होती है, जबकि नियोक्ता के 12 प्रतिशत योगदान में से 3.67 प्रतिशत को ईपीएफ में जमा किया जाता है और 8.33 प्रतिशत योगदान को ईपीएस में डाला जाता है।

इसके अलावा, भारत सरकार भी कर्मचारी की पेंशन के लिए 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है। कर्मचारियों को अपनेप्राविडेंट फंड से पेंशन योजना में योगदान नहीं करना होता है अर्थात् उनके द्वारा किया गया योगदान उन्हें नौकरी की समाप्ति पर एकमुश्त वापस मिल जाता है। अब कर्मचारी पेंशन योजना में अधिक योगदान कर सकेंगे।

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