- Date : 15/09/2022
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अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट को और बढ़ा सकता है।

RBI repo rate hike: मई, 2022 से लेकर सितंबर 2022 के बीच रिजर्व बैंक रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1.4% आधार अंकों की वृद्धि कर चुका है। पिछले महीने, यानी अगस्त में ही 50 बेसिस प्वाइंट्स (0.5%) का वृद्धि की गई है।
अगस्त में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के 7 प्रतिशत बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य मुद्रास्फीति यानी खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने को माना जा रहा है। वजह चाहे जो भी रही हो, इस बात से चिंता बढ़ रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक लगातार 8 महीने से महंगाई दर में 6 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर पर काबू पाने के लिए नीतिगत ब्याज दर या रेपो रेट में लगातार वृद्धि की है। इसे देखते हुए अब यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या रिजर्व बैंक रेपो रेट में आगे और बढ़ोतरी कर सकता है? महंगाई की दर के नए आंकड़ों के आने के बाद कई विशेषज्ञों ने इसके बारे में अपने विचार रखे हैं।
यह भी पढ़ें: क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट पर नए टीडीएस नियम
रेपो रेट बढ़ने के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एचडीएफसी बैंक की प्रमुख इकॉनमिस्ट साक्षी गुप्ता का मानना है कि महंगाई दर की मौजूदा स्थिति बता रही है कि मुद्रास्फीति का दबाव लगातार बना हुआ है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक अगली नीतिगत समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में और 50 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि कर सकता है। उनकी राय है कि रिजर्व बैंक मुख्य रूप से घरेलू हालात पर ध्यान देगा, मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिक्विडिटी या तरलता को कम करने की कोशिशों को देखते हुए उसे रुपए को संभालने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखनी पड़ सकती है।
सोसाइटी जनरल के इंडिया के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू यह अनुमान लगाते हैं कि महंगाई दर के ताजा रुझान को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने के क्रम को और आगे ले जा सकता है। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में अभी और 60 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। लेकिन उसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज की दरों को बढ़ाना रोक कर फिर से विकास पर ध्यान देना होगा क्योंकि फिलहाल रोजगार के मामले में वर्तमान स्थिति अच्छी नहीं है।
एलारा कैपिटल की अर्थशास्त्री गरिमा कपूर ने सामने आए महंगाई दर के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगस्त के खुदरा महंगाई दर में तेजी का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना है। मौसम की अनिश्चितता और आने वाले दिनों में धान जैसी कुछ उपभोग्य वस्तुओं की किल्लत होने की आशंका ने कीमतों को और बढ़ा दिया है। हालांकि ईंधन की कीमत में नरमी से खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई इस तेजी में कुछ हद तक राहत हुई है।
गरिमा कपूर के अनुसार कुछ दिनों में उपभोग्य वस्तुओं की कीमत में कुछ सुधार देखने को मिला है, जो अब खुदरा कीमतों में भी दिखाई देने लगा है। इसका असर आनेवाले समय में देखने को मिलेगा, इसलिए चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत से कम होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) अगली समीक्षा में रेपो रेट में 25 से 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकती है।
लगभग सभी विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में आगे और वृद्धि हो सकती है।
यह भी पढ़ें: RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा FD निवेशकोंको कैसे प्रभावित करती है?
All Govt Banks FD interest rates 2022
RBI repo rate hike: मई, 2022 से लेकर सितंबर 2022 के बीच रिजर्व बैंक रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1.4% आधार अंकों की वृद्धि कर चुका है। पिछले महीने, यानी अगस्त में ही 50 बेसिस प्वाइंट्स (0.5%) का वृद्धि की गई है।
अगस्त में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के 7 प्रतिशत बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य मुद्रास्फीति यानी खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने को माना जा रहा है। वजह चाहे जो भी रही हो, इस बात से चिंता बढ़ रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक लगातार 8 महीने से महंगाई दर में 6 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर पर काबू पाने के लिए नीतिगत ब्याज दर या रेपो रेट में लगातार वृद्धि की है। इसे देखते हुए अब यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या रिजर्व बैंक रेपो रेट में आगे और बढ़ोतरी कर सकता है? महंगाई की दर के नए आंकड़ों के आने के बाद कई विशेषज्ञों ने इसके बारे में अपने विचार रखे हैं।
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रेपो रेट बढ़ने के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एचडीएफसी बैंक की प्रमुख इकॉनमिस्ट साक्षी गुप्ता का मानना है कि महंगाई दर की मौजूदा स्थिति बता रही है कि मुद्रास्फीति का दबाव लगातार बना हुआ है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक अगली नीतिगत समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में और 50 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि कर सकता है। उनकी राय है कि रिजर्व बैंक मुख्य रूप से घरेलू हालात पर ध्यान देगा, मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिक्विडिटी या तरलता को कम करने की कोशिशों को देखते हुए उसे रुपए को संभालने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखनी पड़ सकती है।
सोसाइटी जनरल के इंडिया के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू यह अनुमान लगाते हैं कि महंगाई दर के ताजा रुझान को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने के क्रम को और आगे ले जा सकता है। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में अभी और 60 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। लेकिन उसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज की दरों को बढ़ाना रोक कर फिर से विकास पर ध्यान देना होगा क्योंकि फिलहाल रोजगार के मामले में वर्तमान स्थिति अच्छी नहीं है।
एलारा कैपिटल की अर्थशास्त्री गरिमा कपूर ने सामने आए महंगाई दर के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगस्त के खुदरा महंगाई दर में तेजी का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना है। मौसम की अनिश्चितता और आने वाले दिनों में धान जैसी कुछ उपभोग्य वस्तुओं की किल्लत होने की आशंका ने कीमतों को और बढ़ा दिया है। हालांकि ईंधन की कीमत में नरमी से खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई इस तेजी में कुछ हद तक राहत हुई है।
गरिमा कपूर के अनुसार कुछ दिनों में उपभोग्य वस्तुओं की कीमत में कुछ सुधार देखने को मिला है, जो अब खुदरा कीमतों में भी दिखाई देने लगा है। इसका असर आनेवाले समय में देखने को मिलेगा, इसलिए चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत से कम होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) अगली समीक्षा में रेपो रेट में 25 से 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकती है।
लगभग सभी विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में आगे और वृद्धि हो सकती है।
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