- Date : 17/11/2022
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भारत सरकार ने संशोधन करते हुए कच्चे तेल पर लगाया जाने वाला विंडफॉल टैक्स बढ़ा दिया है।

Windfall Tax on crude oil: बुधवार को केंद्र सरकार ने समय-समय पर किए जाने वाले संशोधन के अंतर्गत कच्चे तेल पर लगाए जाने वाले विंडफॉल टैक्स में वृद्धि की है। विंडफॉल टैक्स की संशोधित दर 17 नवंबर से लागू कर दी गई है। इसके पहले कच्चे तेल के प्रति टन पर ₹9,500 का विंडफॉल टैक्स लागू था। इसे अब बढ़ाकर प्रति टन ₹10,200 कर दिया गया है। तेल उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियाँ जैसे सरकार के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी/ONGC) आदि कंपनियों पर यह कर लगाया गया था।
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
खास परिस्थितियों में जब कंपनियाँ असामान्य रूप से लाभ अर्जित करती हैं तब सरकारें विंडफॉल टैक्स लगाती हैं। केंद्र सरकार ने भारत में रूस-यूक्रेन के युद्ध के बाद जब कच्चे तेल की कीमत में असामान्य वृद्धि हुई तब तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया था। बढ़ी हुई कीमतों के चलते कंपनियाँ बहुत भारी संख्या में मुनाफा कमा रही थीं। ओएनजीसी कंपनी द्वारा मार्च की तिमाही में कई गुना अधिक लाभ कमाया था। सरकारें अक्सर ऐसी स्थितियों में जनता की भागीदारी के रूप में अतिरिक्त कर लगाती हैं। यह कर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के तौर पर लगाया गया है। अतिरिक्त राजस्व इकट्ठा करने के लिए यह एक कारगार कदम साबित होता है। साथ ही कीमतों पर नियंत्रण बनाने में भी उपयोगी सिद्ध होता है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
क्या निर्यात कम होगा?
गौरतलब है कि सरकार द्वारा विंडफॉल टैक्स बढ़ाया गया है लेकिन ईंधन या एटीएफ पर लगाए गए निर्यात कर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 1 नवंबर को हुई समीक्षा के अंत के बाद प्रति लीटर ₹5 का निर्यात कर तय किया गया था। इससे पहले 1 जुलाई को एटीएफ और पेट्रोल, ईंधन पर ₹6 प्रति लीटर निर्यात कर लगाया गया था।
ध्यान देने की बात है कि विंडफॉल टैक्स पर हर 15 दिन में समीक्षा की जाती है और संशोधन किए जाते हैं। इसके तहत 1 जुलाई को पेट्रोल पर प्रति लीटर ₹13 की निर्यात कर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी। उस समय घरेलू उत्पादन से प्राप्त कच्चे तेल पर ₹23,250 प्रति टन की दर से विंडफॉल टैक्स लगाया गया था।
यह भी पढ़ें: निफ़्टी ५० से रिटर्न
Windfall Tax on crude oil: बुधवार को केंद्र सरकार ने समय-समय पर किए जाने वाले संशोधन के अंतर्गत कच्चे तेल पर लगाए जाने वाले विंडफॉल टैक्स में वृद्धि की है। विंडफॉल टैक्स की संशोधित दर 17 नवंबर से लागू कर दी गई है। इसके पहले कच्चे तेल के प्रति टन पर ₹9,500 का विंडफॉल टैक्स लागू था। इसे अब बढ़ाकर प्रति टन ₹10,200 कर दिया गया है। तेल उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियाँ जैसे सरकार के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी/ONGC) आदि कंपनियों पर यह कर लगाया गया था।
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
खास परिस्थितियों में जब कंपनियाँ असामान्य रूप से लाभ अर्जित करती हैं तब सरकारें विंडफॉल टैक्स लगाती हैं। केंद्र सरकार ने भारत में रूस-यूक्रेन के युद्ध के बाद जब कच्चे तेल की कीमत में असामान्य वृद्धि हुई तब तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया था। बढ़ी हुई कीमतों के चलते कंपनियाँ बहुत भारी संख्या में मुनाफा कमा रही थीं। ओएनजीसी कंपनी द्वारा मार्च की तिमाही में कई गुना अधिक लाभ कमाया था। सरकारें अक्सर ऐसी स्थितियों में जनता की भागीदारी के रूप में अतिरिक्त कर लगाती हैं। यह कर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के तौर पर लगाया गया है। अतिरिक्त राजस्व इकट्ठा करने के लिए यह एक कारगार कदम साबित होता है। साथ ही कीमतों पर नियंत्रण बनाने में भी उपयोगी सिद्ध होता है।
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क्या निर्यात कम होगा?
गौरतलब है कि सरकार द्वारा विंडफॉल टैक्स बढ़ाया गया है लेकिन ईंधन या एटीएफ पर लगाए गए निर्यात कर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 1 नवंबर को हुई समीक्षा के अंत के बाद प्रति लीटर ₹5 का निर्यात कर तय किया गया था। इससे पहले 1 जुलाई को एटीएफ और पेट्रोल, ईंधन पर ₹6 प्रति लीटर निर्यात कर लगाया गया था।
ध्यान देने की बात है कि विंडफॉल टैक्स पर हर 15 दिन में समीक्षा की जाती है और संशोधन किए जाते हैं। इसके तहत 1 जुलाई को पेट्रोल पर प्रति लीटर ₹13 की निर्यात कर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी। उस समय घरेलू उत्पादन से प्राप्त कच्चे तेल पर ₹23,250 प्रति टन की दर से विंडफॉल टैक्स लगाया गया था।
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