- Date : 08/09/2021
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- Read in English: 7 Government subsidies offered to small businesses (MSME)
6.50 करोड़ से अधिक एमएसएमई को आगे बढ़ाने और समृद्ध बनाने के लिए भारत सरकार की कई योजनाएं हैं। इसके जरिये उनको आर्थिक मदद दी जाती है।

एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे देश के विनिर्माण उत्पादन में 33 फीसदी और कुल निर्यात में 45 फीसदी का योगदान देते हैं। इतना ही नहीं, वे पूरे देश में लोगों को आजीविका प्रदान करते हुए 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजी-रोटी देने में मदद करते हैं। हालांकि, एमएसएमई को शुरू करने, दिन-प्रतिदिन सुचारू रूप से चलाने और आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। देश में लाखों एमएसएमई को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की है जो उन्हें ऋण सुविधाएं प्रदान करती है।
आइए 2020 की कुछ महत्वपूर्ण एमएसएमई ऋण योजनाओं पर एक नजर डालते हैं, जिसने कोविड-19 के कारण दिक्कतों को सामना करने वाले कारोबारियों की मदद की है।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)
पीएमएमवाई योजना छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। ये विशेष रूप से गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि संस्थाओं के लिए है। पीएमएमवाई के तहत तीन योजनाएं हैं: शिशु (50,000 रुपये तक ऋण मिलता है), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक ऋण मिलता है), और तरुण (5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक ऋण मिलता है)। यह विकास के चरण और उद्यम की वित्त पोषण की जरूरत के आधार पर दिया जाता है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
यह योजना देश के बेरोजगार युवाओं और पारंपरिक कारीगरों के बीच स्वरोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करती है। 18 वर्ष और उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इसका फायदा उठा सकता है। आवेदक कम से कम 8 वीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। परियोजना की अधिकतम लागत व्यावसायिक क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपये और विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये स्वीकृत है।
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सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटी एमएसई)
यह योजना एसएमई को ऋण देकर वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए व्यक्तियों को तीसरे पक्ष की गारंटी देने या कुछ गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है। यह नए और मौजूदा दोनों उद्यमों के लिए उपलब्ध है। ट्रस्ट स्वीकृत राशि के एक खास प्रतिशत तक लिए गए ऋण के लिए गारंटर के रूप में कार्य करता है। पात्रता के आधार पर गारंटी 50 फीसदी, 75 फीसदी, 80 फीसदी से 85 फीसदी तक होती है।
खादी और कॉयर उद्योग का विकास
यह खादी क्षेत्र और अन्य पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पारंपरिक उद्योगों और कॉयर विकास योजना के पुनर्जनन के लिए निधि की पुर्नोत्थान योजना जैसी योजनाओं का समेकन है। इसका उद्देश्य कारीगरों की मदद करना, कौशल विकास को सक्षम बनाना, उन्हें स्थायी रोजगार प्रदान करना और उन्हें अपने उत्पादों के विपणन में मदद करना है। यह उन्हें नई इकाइयां स्थापित करने, मौजूदा इकाइयों को अपग्रेड करने और निर्यात बाजार का लाभ उठाने में भी मदद करता है।
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प्रौद्योगिकी जागरूकता, समर्थन और नवाचार
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम (एनएमसीपी) के तहत सरकार विभिन्न कार्यों में एमएसएमई की मदद करती है। यह प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी प्रदान करता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है। यह विनिर्माण क्षेत्र को डिजिटल परिवर्तन करने, लचीली क्षमताओं का निर्माण करने और डिजाइन विशेषज्ञता हासिल करने में भी मदद करता है।
एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे देश के विनिर्माण उत्पादन में 33 फीसदी और कुल निर्यात में 45 फीसदी का योगदान देते हैं। इतना ही नहीं, वे पूरे देश में लोगों को आजीविका प्रदान करते हुए 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजी-रोटी देने में मदद करते हैं। हालांकि, एमएसएमई को शुरू करने, दिन-प्रतिदिन सुचारू रूप से चलाने और आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। देश में लाखों एमएसएमई को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की है जो उन्हें ऋण सुविधाएं प्रदान करती है।
आइए 2020 की कुछ महत्वपूर्ण एमएसएमई ऋण योजनाओं पर एक नजर डालते हैं, जिसने कोविड-19 के कारण दिक्कतों को सामना करने वाले कारोबारियों की मदद की है।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)
पीएमएमवाई योजना छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। ये विशेष रूप से गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि संस्थाओं के लिए है। पीएमएमवाई के तहत तीन योजनाएं हैं: शिशु (50,000 रुपये तक ऋण मिलता है), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक ऋण मिलता है), और तरुण (5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक ऋण मिलता है)। यह विकास के चरण और उद्यम की वित्त पोषण की जरूरत के आधार पर दिया जाता है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
यह योजना देश के बेरोजगार युवाओं और पारंपरिक कारीगरों के बीच स्वरोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करती है। 18 वर्ष और उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इसका फायदा उठा सकता है। आवेदक कम से कम 8 वीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। परियोजना की अधिकतम लागत व्यावसायिक क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपये और विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये स्वीकृत है।
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सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटी एमएसई)
यह योजना एसएमई को ऋण देकर वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए व्यक्तियों को तीसरे पक्ष की गारंटी देने या कुछ गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है। यह नए और मौजूदा दोनों उद्यमों के लिए उपलब्ध है। ट्रस्ट स्वीकृत राशि के एक खास प्रतिशत तक लिए गए ऋण के लिए गारंटर के रूप में कार्य करता है। पात्रता के आधार पर गारंटी 50 फीसदी, 75 फीसदी, 80 फीसदी से 85 फीसदी तक होती है।
खादी और कॉयर उद्योग का विकास
यह खादी क्षेत्र और अन्य पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पारंपरिक उद्योगों और कॉयर विकास योजना के पुनर्जनन के लिए निधि की पुर्नोत्थान योजना जैसी योजनाओं का समेकन है। इसका उद्देश्य कारीगरों की मदद करना, कौशल विकास को सक्षम बनाना, उन्हें स्थायी रोजगार प्रदान करना और उन्हें अपने उत्पादों के विपणन में मदद करना है। यह उन्हें नई इकाइयां स्थापित करने, मौजूदा इकाइयों को अपग्रेड करने और निर्यात बाजार का लाभ उठाने में भी मदद करता है।
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प्रौद्योगिकी जागरूकता, समर्थन और नवाचार
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम (एनएमसीपी) के तहत सरकार विभिन्न कार्यों में एमएसएमई की मदद करती है। यह प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी प्रदान करता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है। यह विनिर्माण क्षेत्र को डिजिटल परिवर्तन करने, लचीली क्षमताओं का निर्माण करने और डिजाइन विशेषज्ञता हासिल करने में भी मदद करता है।