- Date : 23/12/2022
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यदि किसी कारणवश बड़ी रकम की जरूरत हो तो पैसे जुटाने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?

Money during an Emergency: पैसों की इमरजेन्सी मे अक्सर लोग संपत्ति बेचते हैं या क़र्ज़ लेते हैं। कभी भी ऐसे सवालों का एक तय जवाब नहीं होता। मगर की बार इस तरह की स्थिति मे लोग जल्दबाजी मे गलत निर्णय ले लेते हैं। हमेशा मौजूदा विकल्पों और इससे होने वाले नुकसान की तुलना करने और समझने के बाद ही विकल्प चुनना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसे विकल्प जो आपातकालीन स्थितियों में रकम जुटाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
क़र्ज़ कब लें और कब नहीं
मान लीजिए आपने फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड पर निवेश किया हो और अब बड़ी रकम की जरूरत आन पड़ी है। ऐसे में क्या फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड से निवेश बाहर निकालकर रकम जुटाई जाए या फिर क़र्ज़ लेना अक्लमंदी होगी?
इस प्रश्न को सुलझाने के लिए रिटर्न की दर और लोन पर लगने वाले ब्याज की दर की तुलना करनी चाहिए। यदि रिटर्न की दर लोन पर लगे ब्याज की दर से कम है तो क़र्ज़ लेना समझदारी का काम नहीं होगा। ऐसे में एफडी तोड़ना या निवेश बाहर निकालना ही सही फैसला हो सकता है।
लेकिन यदि ऐसी संपत्ति में निवेश किया हो जहाँ रिटर्न की संभावित दर बहुत ही अच्छी है मसलन 12% की दर से रिटर्न देने वाले इक्विटी फंड तब एक बार यह सोचना चाहिए कि क्या इक्विटी पर रिटर्न फिक्स है? यदि नहीं तो आगे चलकर इस रिटर्न में गिरावट भी हो सकती है। कहीं रिटर्न के भरोसे लोन लेने के फैसले पर पछताना न पड़े!
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
पैसों की जरूरत पड़ने पर क्या करें?
यदि रकम इतनी बड़ी है कि निवेश को बाहर निकालने पर भी पूरी न हो तब लोन के अलावा कोई उपाय नहीं हो सकता। ऐसे में पैसों की आवश्यकता के कारणों पर एक बार गौर करना चाहिए कि क्या इतनी बड़ी रकम जुटाना किसी इमरजेंसी के लिए है? यदि हाँ तो फ़ौरन ऑनलाइन पर्सनल लोन सुविधा का लाभ ले सकते हैं। जिस बैंक में पहले से खाता हो उस बैंक द्वारा दिए गए पर्सनल लोन के प्रस्ताव को समझकर चुनाव किया जा सकता है।
क्या क़र्ज़ लेना सही होगा?
यदि निवेश किसी संपत्ति या एसेट में किया गया है लेकिन जिसे बेचने पर भी तुरंत रकम नहीं जुटती हो तब पहले क़र्ज़ लेकर बाद में संपत्ति बेचकर क़र्ज़ अदा किया जा सकता है।
वहीं ₹5 लाख की आवश्यकता के लिए $50 लाख की संपत्ति को बेचने से बेहतर उपाय लोन लेना या एफडी तोड़ना हो सकता है।
टैक्स का रखें ध्यान
पैसो की अर्जेंट जरूरत होने पर यदि इक्विटी फंड या संपत्ति बेचने की सोच रहे हैं तो जरूर ध्यान दें कि क्या निवेश टैक्स की रियायत पाने के लिए किया गया था या कोई लॉक इन पीरियड की शर्त है? इन दोनों ही स्थितियों में टैक्स बेनिफिट या टैक्स की छूट से मिलने वाले लाभ को लौटाना होगा। साथ ही संपत्ति के बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स भी देय हो सकता है।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
Emergency Funds Explained By CA Rachana Ranade
Money during an Emergency: पैसों की इमरजेन्सी मे अक्सर लोग संपत्ति बेचते हैं या क़र्ज़ लेते हैं। कभी भी ऐसे सवालों का एक तय जवाब नहीं होता। मगर की बार इस तरह की स्थिति मे लोग जल्दबाजी मे गलत निर्णय ले लेते हैं। हमेशा मौजूदा विकल्पों और इससे होने वाले नुकसान की तुलना करने और समझने के बाद ही विकल्प चुनना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसे विकल्प जो आपातकालीन स्थितियों में रकम जुटाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
क़र्ज़ कब लें और कब नहीं
मान लीजिए आपने फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड पर निवेश किया हो और अब बड़ी रकम की जरूरत आन पड़ी है। ऐसे में क्या फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड से निवेश बाहर निकालकर रकम जुटाई जाए या फिर क़र्ज़ लेना अक्लमंदी होगी?
इस प्रश्न को सुलझाने के लिए रिटर्न की दर और लोन पर लगने वाले ब्याज की दर की तुलना करनी चाहिए। यदि रिटर्न की दर लोन पर लगे ब्याज की दर से कम है तो क़र्ज़ लेना समझदारी का काम नहीं होगा। ऐसे में एफडी तोड़ना या निवेश बाहर निकालना ही सही फैसला हो सकता है।
लेकिन यदि ऐसी संपत्ति में निवेश किया हो जहाँ रिटर्न की संभावित दर बहुत ही अच्छी है मसलन 12% की दर से रिटर्न देने वाले इक्विटी फंड तब एक बार यह सोचना चाहिए कि क्या इक्विटी पर रिटर्न फिक्स है? यदि नहीं तो आगे चलकर इस रिटर्न में गिरावट भी हो सकती है। कहीं रिटर्न के भरोसे लोन लेने के फैसले पर पछताना न पड़े!
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पैसों की जरूरत पड़ने पर क्या करें?
यदि रकम इतनी बड़ी है कि निवेश को बाहर निकालने पर भी पूरी न हो तब लोन के अलावा कोई उपाय नहीं हो सकता। ऐसे में पैसों की आवश्यकता के कारणों पर एक बार गौर करना चाहिए कि क्या इतनी बड़ी रकम जुटाना किसी इमरजेंसी के लिए है? यदि हाँ तो फ़ौरन ऑनलाइन पर्सनल लोन सुविधा का लाभ ले सकते हैं। जिस बैंक में पहले से खाता हो उस बैंक द्वारा दिए गए पर्सनल लोन के प्रस्ताव को समझकर चुनाव किया जा सकता है।
क्या क़र्ज़ लेना सही होगा?
यदि निवेश किसी संपत्ति या एसेट में किया गया है लेकिन जिसे बेचने पर भी तुरंत रकम नहीं जुटती हो तब पहले क़र्ज़ लेकर बाद में संपत्ति बेचकर क़र्ज़ अदा किया जा सकता है।
वहीं ₹5 लाख की आवश्यकता के लिए $50 लाख की संपत्ति को बेचने से बेहतर उपाय लोन लेना या एफडी तोड़ना हो सकता है।
टैक्स का रखें ध्यान
पैसो की अर्जेंट जरूरत होने पर यदि इक्विटी फंड या संपत्ति बेचने की सोच रहे हैं तो जरूर ध्यान दें कि क्या निवेश टैक्स की रियायत पाने के लिए किया गया था या कोई लॉक इन पीरियड की शर्त है? इन दोनों ही स्थितियों में टैक्स बेनिफिट या टैक्स की छूट से मिलने वाले लाभ को लौटाना होगा। साथ ही संपत्ति के बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स भी देय हो सकता है।
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