Impact of US recession on Indian IT services Company

अंतर्राष्ट्रीय ब्रोकरेज और अनुसंधान फर्म जेपी मॉर्गन के सर्वेक्षण के अनुसार आईटी सेक्टर में खतरा वास्तविक।

अमरीकी मंदी का भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रभाव

Impact of US recession on Indian IT sector: ग्लोबल ब्रोकरेज और अनुसंधान फर्म जेपी मॉर्गन ने हाल ही में अपनीसर्वेक्षण(CIOs survey) रिपोर्ट जारी की है। यह सर्वेक्षण अमरीका की एक तकनीकी टीम द्वारा किया गया था जो सॉफ़्ट्वेयर कपनियों (software companies) के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस सर्वेक्षण के अनुसार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय आईटी कंपनियों (Indian IT companies) के लिए बजट 1-2 प्रतिशत तक संकुचित होने का अंदेशा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविकता में वृद्धि मात्र 5-6% के मामूली आंकड़ों में रहने की संभावना है। वहीं महंगाई की दर 6-8% तक बढ़ेगी।

अमरीका की मंदी का अंदेशा अब बहुत हद तक सही साबित होता जा रहा है और तेजी से महंगाई की दर बढ़ने के ही आसार हैं। महंगाई के बढ़ते दबाव के चलते उससे निपटने के लिए दुनिया भर की सेंट्रल बैंक उस पर लगाम कसने के लिए आक्रामक रणनीतियाँ अपना रही हैं। 

उपरोक्त सर्वेक्षण 142 सीईओ द्वारा अगले 12 से 18 महीनों में 30%-31% की मंदी/संकुचन की संभावना दर्शाई गई है जो कि अमरीका/यूरोप के संदर्भ में 35-38% की दर से आईटी क्षेत्र में विकास की मंदी दिखाती है। 

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भारतीय आईटी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों पर असर 

अमेरिकी मंदी के समाचारों के अनुसार यह बताया जा रहा है कि CIOs कम्पनी द्वारा भारतीय आईटी कम्पनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज TCS, इंफोसिस Infosys, विप्रो Wipro आदि का विक्रेता के रूप में उपयोग किया जाता है। मंदी के समय इन सभी विक्रेता कंपनियों के साथ CIOs अपने खर्च में कटौती करेगी। अनुबंध करने में दिलचस्पी रखने वाली अन्य वैश्विक कंपनियों आईबीएम 24%, एक्सचेंर 34% और डेलॉइट 40% से CIOs का अनुपात कहीं अधिक है। यह निवेशकों की उस धारणा के उलट है जिसमें सुदूर प्रांत के विक्रेताओं को हिस्सेदारी मिलने की संभावना बताई जाती है; वो भी तब जब उद्योग जगत मैक्रो मंदी से गुजर रहा हो। ऐसे में प्रधानता लागत बचाने पर केंद्रित होती है। 

कंपनी द्वारा जारी इस नोट में कहा गया है कि “यूएस रिसेशन के दौरान CIOs द्वारा के लगभग TCS, Infosys, Wipro और Congnizant के इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी बजट में क्रमशः 26%, 43%, 47%, और 50% कटौती की जाएगी। हालांकि यह कटौती एक छोटे सबसेट (14-19) में की जाएगी।” 

वैसे यह सूचना आईटी क्षेत्र में सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती क्योंकि इसके सर्वेक्षण के लिए सैंपल साइज सिर्फ 14 से 19 के बीच है; जबकि सर्वेक्षण के लिए सैंपल की कुल संख्या थी 1000 से अधिक और इसमें ऐसे उद्यम शामिल थे जिनका बजट $1bn से अधिक है। यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन यहाँ गौर करने लायक बात है कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि विकास की दिशा विस्तार से हटकर धीमी गति की ओर बढ़ चली है। 

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Can US recession slam the brakes on Indian IT sector’s dream run?

संवादपत्र

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