- Date : 22/10/2021
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- Read in English: IPOs or stocks – Which one is better for you?
आईपीओ और शेयरों में निवेश के बारे में विस्तार से जानें। खुद से पता करें कि आपके वित्तीय लक्ष्यों के लिए कौन सबसे सही है।

किसी भी इक्विटी निवेशक के पास कारोबार करने के लिए दो विकल्प मौजूद हैं- आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) और शेयर बाजार। यदि कोई आईपीओ के जरिये शेयर खरीदना चाहता है तो उसे आईपीओ आवंटन की लंबी प्रक्रिया का पालन करना होता है। शेयर बाजार तुलनात्मक रूप से सरल है, क्योंकि इसमें शेयर आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
आईपीओ
निजी कंपनियां नया स्टॉक जारी करते समय पहली बार जनता के लिए अपने शेयर सार्वजनिक करती हैं। इस प्रक्रिया को आईपीओ कहते हैं। ये कंपनियां, चाहे पुरानी हो या नई, इसके जरिये स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का विकल्प चुनती हैं। आईपीओ के साथ कोई भी निजी कंपनी सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी बन जाती है। आईपीओ से पहले किसी भी निजी कंपनी में आमतौर पर सीमित संख्या में शेयरधारक और शुरुआती निवेशक होते हैं, जैसे परिवार, दोस्त और संस्थापक।
आईपीओ शेयरों को तीन श्रेणियों में आवंटित किया जाता है:
- योग्य संस्थागत खरीदार
- गैर-संस्थागत निवेशक
- खुदरा व्यक्तिगत निवेशक
शेयर
शेयर्स, जिसे इक्विटी के रूप में भी जाना जाता है, किसी कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी की पेशकश करते हैं। एक शेयर किसी कंपनी की आंशिक इकाई के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है। खुदरा और साथ ही संस्थागत निवेशकों के लिए सही राशि में शेयर खरीदना निवेश का एक सुविधाजनक और लोकप्रिय तरीका है।
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प्राथमिक और द्वितीयक बाजार
भारत में शेयर बाजार दो प्रकार के होते हैं: प्राथमिक और द्वितीयक। आईपीओ के मामले में, शेयर सीधे निजी कंपनियों से खरीदे जा सकते हैं जो इसके माध्यम से अपनी पूंजी जुटाते हैं। स्टॉक के मामले में, प्राथमिक बाजार यानी आईपीओ में बेची जाने वाली प्रतिभूतियों का स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार होता है। कोई भी सार्वजनिक एक्सचेंजों पर स्टॉक खरीद या बेच सकता है। यह द्वितीयक बाजार स्टॉक के खरीदारों और विक्रेताओं का मिलन स्थल है।
आवंटन
किसी भी व्यक्तिगत निवेशक को आईपीओ में अधिकतम 2 लाख रुपये तक निवेश करने की अनुमति है। शेयरों की कुल मांग का अनुमान प्राप्त आवेदनों की संख्या से लगाया जाता है। उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्ति, कंपनियां, ट्रस्ट आदि इस 2 लाख रुपये की सीमा से अधिक शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं। मांग शेयरों की संख्या से कम या उसके बराबर होने पर शेयरों का पूर्ण आवंटन किया जाता है। स्टॉक ट्रेडिंग में, खरीदार को शेयर बेचे जाते हैं यदि उद्धृत मूल्य इच्छुक खरीदारों द्वारा दी गई कीमत से मिलता है। खरीद की राशि खरीदार के लिए उपलब्ध राशि पर आधारित है।
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ओवरसब्सक्रिप्शन
ओवरसब्सक्रिप्शन के मामले में, शेयरों की मांग आवंटन के लिए उपलब्ध शेयरों से अधिक होती है। यहां, किसी भी आवेदन को एक से अधिक लॉट आवंटित नहीं किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक आवेदक के पास आवंटन का उचित मौका है। इन मामलों में अनुपात के हिसाब से आवंटन लागू हो जाता है। यदि खुदरा निवेशकों की संख्या उपलब्ध शेयरों की संख्या से अधिक है, तो आवंटन एक स्वचालित लॉटरी के आधार पर किया जाता है। द्वितीयक बाजार में ओवरसब्सक्रिप्शन की कोई अवधारणा नहीं है।
रिटर्न
किसी आईपीओ में शेयरों को पहले प्राथमिक बाजार के निवेशकों को गिरवी रखा जाता है और फिर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है, जिससे द्वितीयक बाजार में उसकी खरीद-बिक्री होती है। आईपीओ शेयरों की लिस्टिंग मूल्य वह है जहां आवेदक नफा या नुकसान उठा सकते हैं। अलॉट किए गए शेयर भी लंबी अवधि के लिए निरंतर रिटर्न को ध्यान में रखते हुए रखे जा सकते हैं।
दूसरी ओर, स्टॉक पहले से ही सूचीबद्ध होते हैं। जैसे ही आप कंपनी से स्टॉक खरीदते हैं, और यह मुनाफा कमाता है, आपको इसका एक हिस्सा मिलता है। इसके विपरीत, यदि कंपनी खराब प्रदर्शन करती है तो आपका रिटर्न दांव पर लग जाता है। सबसे बुरी बात यह है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो आपके शेयर बेकार हो सकते हैं।
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जोखिम
जब कंपनी को विस्तार के दौरान पैसों की जरूरत पड़ती है, तो वह आईपीओ पेश करती है। इसलिए जब आप निवेश करेंगे तो कंपनी को फंडिंग मिलेगी। हालांकि, यहां कुछ जोखिम शामिल है। अगर कंपनी सुचारू रूप से नहीं चली, तो निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
स्टॉक उन कंपनियों के होते हैं जो पहले से ही स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं। आप शेयर बाजार में उनके पिछले प्रदर्शन को देख सकते हैं, जो नफा-नुकसान का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक अच्छी बात होती है। इसके अलावा, आप रीयल-टाइम में अपने शेयरों के प्रदर्शन की निगरानी कर सकते हैं। निवेशकों को कंपनी के कारोबार और प्रबंधन योजनाओं या अन्य रणनीतियों के बारे में पर्याप्त जानकारी होती है, इसलिए आईपीओ की तुलना में कम जोखिम रहता है।
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आखिरी शब्द
व्यक्तिगत निवेशक और नए निवेशक अपने विशिष्ट लाभों के लिए स्टॉक और आईपीओ का उपयोग कर सकते हैं। आईपीओ एक नियमित घटना नहीं है, जबकि शेयरों का कारोबार हर कार्य दिवस में किया जा सकता है। लिस्टिंग लाभ कमाने या नई सूचीबद्ध कंपनी के दीर्घकालिक वादे में निवेश करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, आईपीओ एक अच्छा विकल्प है, हालांकि इसमें जोखिम भी रहता है।
दूसरी ओर, आपके स्टॉक पोर्टफोलियो की निगरानी और दैनिक समायोजन किया जा सकता है और आप शेयरों के माध्यम से लंबी अवधि के विकास के साथ-साथ इंट्राडे लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। दोनों विकल्पों में, यह अनुशंसा की जाती है कि आप कंपनी, उद्योग, बाजार की स्थितियों और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था की समझ हासिल करने के लिए विस्तार से शोध करें।
किसी भी इक्विटी निवेशक के पास कारोबार करने के लिए दो विकल्प मौजूद हैं- आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) और शेयर बाजार। यदि कोई आईपीओ के जरिये शेयर खरीदना चाहता है तो उसे आईपीओ आवंटन की लंबी प्रक्रिया का पालन करना होता है। शेयर बाजार तुलनात्मक रूप से सरल है, क्योंकि इसमें शेयर आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
आईपीओ
निजी कंपनियां नया स्टॉक जारी करते समय पहली बार जनता के लिए अपने शेयर सार्वजनिक करती हैं। इस प्रक्रिया को आईपीओ कहते हैं। ये कंपनियां, चाहे पुरानी हो या नई, इसके जरिये स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का विकल्प चुनती हैं। आईपीओ के साथ कोई भी निजी कंपनी सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी बन जाती है। आईपीओ से पहले किसी भी निजी कंपनी में आमतौर पर सीमित संख्या में शेयरधारक और शुरुआती निवेशक होते हैं, जैसे परिवार, दोस्त और संस्थापक।
आईपीओ शेयरों को तीन श्रेणियों में आवंटित किया जाता है:
- योग्य संस्थागत खरीदार
- गैर-संस्थागत निवेशक
- खुदरा व्यक्तिगत निवेशक
शेयर
शेयर्स, जिसे इक्विटी के रूप में भी जाना जाता है, किसी कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी की पेशकश करते हैं। एक शेयर किसी कंपनी की आंशिक इकाई के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है। खुदरा और साथ ही संस्थागत निवेशकों के लिए सही राशि में शेयर खरीदना निवेश का एक सुविधाजनक और लोकप्रिय तरीका है।
संबंधित: स्टॉक ऑप्शन ट्रेडिंग: प्रत्येक स्टॉक निवेशक को क्या पता होना चाहिए?
प्राथमिक और द्वितीयक बाजार
भारत में शेयर बाजार दो प्रकार के होते हैं: प्राथमिक और द्वितीयक। आईपीओ के मामले में, शेयर सीधे निजी कंपनियों से खरीदे जा सकते हैं जो इसके माध्यम से अपनी पूंजी जुटाते हैं। स्टॉक के मामले में, प्राथमिक बाजार यानी आईपीओ में बेची जाने वाली प्रतिभूतियों का स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार होता है। कोई भी सार्वजनिक एक्सचेंजों पर स्टॉक खरीद या बेच सकता है। यह द्वितीयक बाजार स्टॉक के खरीदारों और विक्रेताओं का मिलन स्थल है।
आवंटन
किसी भी व्यक्तिगत निवेशक को आईपीओ में अधिकतम 2 लाख रुपये तक निवेश करने की अनुमति है। शेयरों की कुल मांग का अनुमान प्राप्त आवेदनों की संख्या से लगाया जाता है। उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्ति, कंपनियां, ट्रस्ट आदि इस 2 लाख रुपये की सीमा से अधिक शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं। मांग शेयरों की संख्या से कम या उसके बराबर होने पर शेयरों का पूर्ण आवंटन किया जाता है। स्टॉक ट्रेडिंग में, खरीदार को शेयर बेचे जाते हैं यदि उद्धृत मूल्य इच्छुक खरीदारों द्वारा दी गई कीमत से मिलता है। खरीद की राशि खरीदार के लिए उपलब्ध राशि पर आधारित है।
संबंधित: एएसबीए और आईपीओ: वह सबकुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है
ओवरसब्सक्रिप्शन
ओवरसब्सक्रिप्शन के मामले में, शेयरों की मांग आवंटन के लिए उपलब्ध शेयरों से अधिक होती है। यहां, किसी भी आवेदन को एक से अधिक लॉट आवंटित नहीं किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक आवेदक के पास आवंटन का उचित मौका है। इन मामलों में अनुपात के हिसाब से आवंटन लागू हो जाता है। यदि खुदरा निवेशकों की संख्या उपलब्ध शेयरों की संख्या से अधिक है, तो आवंटन एक स्वचालित लॉटरी के आधार पर किया जाता है। द्वितीयक बाजार में ओवरसब्सक्रिप्शन की कोई अवधारणा नहीं है।
रिटर्न
किसी आईपीओ में शेयरों को पहले प्राथमिक बाजार के निवेशकों को गिरवी रखा जाता है और फिर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है, जिससे द्वितीयक बाजार में उसकी खरीद-बिक्री होती है। आईपीओ शेयरों की लिस्टिंग मूल्य वह है जहां आवेदक नफा या नुकसान उठा सकते हैं। अलॉट किए गए शेयर भी लंबी अवधि के लिए निरंतर रिटर्न को ध्यान में रखते हुए रखे जा सकते हैं।
दूसरी ओर, स्टॉक पहले से ही सूचीबद्ध होते हैं। जैसे ही आप कंपनी से स्टॉक खरीदते हैं, और यह मुनाफा कमाता है, आपको इसका एक हिस्सा मिलता है। इसके विपरीत, यदि कंपनी खराब प्रदर्शन करती है तो आपका रिटर्न दांव पर लग जाता है। सबसे बुरी बात यह है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो आपके शेयर बेकार हो सकते हैं।
संबंधित: आईपीओ में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जोखिम
जब कंपनी को विस्तार के दौरान पैसों की जरूरत पड़ती है, तो वह आईपीओ पेश करती है। इसलिए जब आप निवेश करेंगे तो कंपनी को फंडिंग मिलेगी। हालांकि, यहां कुछ जोखिम शामिल है। अगर कंपनी सुचारू रूप से नहीं चली, तो निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
स्टॉक उन कंपनियों के होते हैं जो पहले से ही स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं। आप शेयर बाजार में उनके पिछले प्रदर्शन को देख सकते हैं, जो नफा-नुकसान का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक अच्छी बात होती है। इसके अलावा, आप रीयल-टाइम में अपने शेयरों के प्रदर्शन की निगरानी कर सकते हैं। निवेशकों को कंपनी के कारोबार और प्रबंधन योजनाओं या अन्य रणनीतियों के बारे में पर्याप्त जानकारी होती है, इसलिए आईपीओ की तुलना में कम जोखिम रहता है।
संबंधित: बाजार की आकर्षक परिस्थितियों ने 20 वर्षों में आईपीओ की सबसे अच्छी शुरुआत कैसे की?
आखिरी शब्द
व्यक्तिगत निवेशक और नए निवेशक अपने विशिष्ट लाभों के लिए स्टॉक और आईपीओ का उपयोग कर सकते हैं। आईपीओ एक नियमित घटना नहीं है, जबकि शेयरों का कारोबार हर कार्य दिवस में किया जा सकता है। लिस्टिंग लाभ कमाने या नई सूचीबद्ध कंपनी के दीर्घकालिक वादे में निवेश करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, आईपीओ एक अच्छा विकल्प है, हालांकि इसमें जोखिम भी रहता है।
दूसरी ओर, आपके स्टॉक पोर्टफोलियो की निगरानी और दैनिक समायोजन किया जा सकता है और आप शेयरों के माध्यम से लंबी अवधि के विकास के साथ-साथ इंट्राडे लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। दोनों विकल्पों में, यह अनुशंसा की जाती है कि आप कंपनी, उद्योग, बाजार की स्थितियों और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था की समझ हासिल करने के लिए विस्तार से शोध करें।