Checking credit score frequently can jeopardize Loan: क्रेडिट स्कोर बार-बार चेक करने की आदत से लोन में दिक्कत

यदि आप भी उन लोगों में से है जो बार-बार अपना क्रेडिट स्कोर देखते रहते हैं तो कहीं आपके लोन में दिक्कत ना हो।

Checking Credit score frequently can troublesome

Credit score: लोन लेने की प्रक्रिया में क्रेडिट स्कोर काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। आजकल कंपनियाँ मुफ्त में ही क्रेडिट स्कोर उपलब्ध करवाती हैं। इसलिए ग्राहक बार-बार अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने के आदी हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रखें कहीं यह आदत आपके लोन लेने की प्रक्रिया को ही मुश्किल में न डाल दे।

इस विषय में जानकारी देते हुए कैनरा बैंक के ब्रांच मैनेजर विशाल रूंगटा ने बताया कि जब क्रेडिट स्कोर 700 या उससे ऊपर हो जाता है तो बैंक द्वारा ग्राहकों को लोन उपलब्ध कराया जा सकता है। लेकिन आवेदनकर्ता द्वारा बार-बार अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने के परिणामस्वरूप क्रेडिट स्कोर से कुछ अंक काटे भी जा सकते हैं। रूंगटा ने क्रेडिट स्कोर के आधार पर लोन लेनेवाले आवेदनकर्ताओं के लिए क्रेडिट स्कोर में सुधार लाने के कुछ उपाय भी बताए हैं। 

यह भी पढ़ेंलोन अगेस्न्ट प्रॉपर्टी

क्रेडिट रिपोर्ट पर ध्यान रखें 

क्रेडिट स्कोर बैंक से चेक करने पर जो रिपोर्ट प्राप्त होती है उसे अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। यदि कहीं सुधार की संभावना दिखती है तो तुरंत वह सुधार किया जाना चाहिए। कई बार देखा जाता है कि क्रेडिट कार्ड पर किसी दूसरे द्वारा फर्जी रूप से लोन लिया जाता है। इस तरह के धोखाधड़ी की शिकायत तुरंत दर्ज करानी चाहिए। कई बार यह समस्या बैंक कर्मचारियों द्वारा डेटा एंट्री में गलती होने से भी खड़ी हो सकती है। 

लोन का आवेदन ध्यानपूर्वक करें 

आवेदनकर्ता को लोन के लिए बार-बार आवेदन नहीं करना चाहिए। जब भी लोन के लिए आवेदन किया जाता है तो बैंक आवेदनकर्ता का क्रेडिट स्कोर जाँचती है। यदि आवेदन ही बार-बार किया जाए तो क्रेडिट स्कोर में यह दर्ज हो जाता है जिससे क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो जाता है। इससे बैंक को यह भी अंदेशा होता है कि जल्दी-जल्दी आवेदन करने के पीछे किसी वित्तीय संकट का कारण तो नहीं।

पुराने रिकॉर्ड का हिसाब रखें 

कोई भी क्रेडिट स्कोर तब तक सुधारा नहीं जा सकता जब तक पिछला रिकॉर्ड सही न हो। अपने सभी पुराने रिकॉर्ड को अच्छी तरह से जाँच-परख लें। यदि आवेदनकर्ता द्वारा पहले भी लोन लिया गया है और उसे चुका दिया गया हो तो खाता बंद कर देना चाहिए। खाता बंद न होने की स्थिति में बैंक को सूचित करें जरूरत पड़ने पर शिकायत भी कराएँ। ऐसा करने से क्रेडिट स्कोर में सुधार लाया जा सकता है। 

क्रेडिट का उचित उपयोग करें 

आवेदनकर्ता या ग्राहक चाहें तो ट्रांसयूनियन के सिबिल रिपोर्ट के मार्फत अपना क्रेडिट यूटिलाइजेशन यानी इस्तेमाल जाँच सकते हैं। क्रेडिट कार्ड लिमिट का 30-35% तक इस्तेमाल ही आदर्श उपयोग माना जाता है। यदि ज्यादा इस्तेमाल करना पड़े तो भी यूटिलाइजेशन को 50% से नीचे रखने का प्रयत्न करना चाहिए। 

यह भी पढ़ें: ७ सुनहरे वित्तीय नियम

Would checking my CIBIL score cause it to decrease?

Credit score: लोन लेने की प्रक्रिया में क्रेडिट स्कोर काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। आजकल कंपनियाँ मुफ्त में ही क्रेडिट स्कोर उपलब्ध करवाती हैं। इसलिए ग्राहक बार-बार अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने के आदी हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रखें कहीं यह आदत आपके लोन लेने की प्रक्रिया को ही मुश्किल में न डाल दे।

इस विषय में जानकारी देते हुए कैनरा बैंक के ब्रांच मैनेजर विशाल रूंगटा ने बताया कि जब क्रेडिट स्कोर 700 या उससे ऊपर हो जाता है तो बैंक द्वारा ग्राहकों को लोन उपलब्ध कराया जा सकता है। लेकिन आवेदनकर्ता द्वारा बार-बार अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने के परिणामस्वरूप क्रेडिट स्कोर से कुछ अंक काटे भी जा सकते हैं। रूंगटा ने क्रेडिट स्कोर के आधार पर लोन लेनेवाले आवेदनकर्ताओं के लिए क्रेडिट स्कोर में सुधार लाने के कुछ उपाय भी बताए हैं। 

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क्रेडिट रिपोर्ट पर ध्यान रखें 

क्रेडिट स्कोर बैंक से चेक करने पर जो रिपोर्ट प्राप्त होती है उसे अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। यदि कहीं सुधार की संभावना दिखती है तो तुरंत वह सुधार किया जाना चाहिए। कई बार देखा जाता है कि क्रेडिट कार्ड पर किसी दूसरे द्वारा फर्जी रूप से लोन लिया जाता है। इस तरह के धोखाधड़ी की शिकायत तुरंत दर्ज करानी चाहिए। कई बार यह समस्या बैंक कर्मचारियों द्वारा डेटा एंट्री में गलती होने से भी खड़ी हो सकती है। 

लोन का आवेदन ध्यानपूर्वक करें 

आवेदनकर्ता को लोन के लिए बार-बार आवेदन नहीं करना चाहिए। जब भी लोन के लिए आवेदन किया जाता है तो बैंक आवेदनकर्ता का क्रेडिट स्कोर जाँचती है। यदि आवेदन ही बार-बार किया जाए तो क्रेडिट स्कोर में यह दर्ज हो जाता है जिससे क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो जाता है। इससे बैंक को यह भी अंदेशा होता है कि जल्दी-जल्दी आवेदन करने के पीछे किसी वित्तीय संकट का कारण तो नहीं।

पुराने रिकॉर्ड का हिसाब रखें 

कोई भी क्रेडिट स्कोर तब तक सुधारा नहीं जा सकता जब तक पिछला रिकॉर्ड सही न हो। अपने सभी पुराने रिकॉर्ड को अच्छी तरह से जाँच-परख लें। यदि आवेदनकर्ता द्वारा पहले भी लोन लिया गया है और उसे चुका दिया गया हो तो खाता बंद कर देना चाहिए। खाता बंद न होने की स्थिति में बैंक को सूचित करें जरूरत पड़ने पर शिकायत भी कराएँ। ऐसा करने से क्रेडिट स्कोर में सुधार लाया जा सकता है। 

क्रेडिट का उचित उपयोग करें 

आवेदनकर्ता या ग्राहक चाहें तो ट्रांसयूनियन के सिबिल रिपोर्ट के मार्फत अपना क्रेडिट यूटिलाइजेशन यानी इस्तेमाल जाँच सकते हैं। क्रेडिट कार्ड लिमिट का 30-35% तक इस्तेमाल ही आदर्श उपयोग माना जाता है। यदि ज्यादा इस्तेमाल करना पड़े तो भी यूटिलाइजेशन को 50% से नीचे रखने का प्रयत्न करना चाहिए। 

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