Foreign Education& Parents

उच्च शिक्षा के लिए अपने बच्चे को विदेशों की यूनिवर्सिटी में भेजना हर माता-पिता का सपना होता है। लेकिन क्या यही वास्तविकता है?

Foreign Education& Parents

HSBC के एक सर्वे से पता चलता है कि भारतीय माता-पिता में अपने बच्चों को विदेशी यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा के लिए भेजने की गजब ललक रहती है। अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए वो कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। इस सूची में पहले पायदान पर UAE और दूसरे पायदान पर भारत है। सर्वे में दुनिया के 15 देशों के अभिभावकों को शामिल किया गया। HSBC के सर्वे में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, हॉन्ग-कॉन्ग, ताइवान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, इजिप्ट, मैक्सिको, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका को भी शामिल किया गया। 15 देशों और क्षेत्रों के कुल 8,481 अभिभावकों से इस 'हाइअर एंड हाइअर रिपोर्ट' के लिए सवाल पूछे गए।

नीचे दी गई तालिका में बताया गया है कि अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई में कितना खर्च करते हैं।

Foreign Education

*स्रोत: HSBC की 'हाइअर एंड हाइअर' रिपोर्ट


रिपोर्ट क्या कहती है?

  • 41% अभिभावक अपने बच्चों के लिए विदेशी यूनिवर्सिटी पर विचार करते हैं।
  • विदेशी यूनिवर्सिटी में अपने बच्चों को भेजने के लिए अभिभावकों के बीच सबसे लोकप्रिय जगह अमेरिका है।
  • 87% भारतीय अभिभावक सोचते हैं कि अगर उनके बच्चे विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ेंगे तो उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा।
  • 85% को पूरा भरोसा होता है कि उनके बच्चे को अच्छी नौकरी मिलेगी।

‘वैल्यू ऑफ एजुकेशन, हाइअर एंड हाइअर’ नामक इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में भारतीय माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे विदेशों में पढ़ाई करें। साल 2017 में ये आंकड़ा 47% था जो 2017 में बढ़कर 62% हो गया। एक मत से ज्यादातर अभिभावकों का मानना है कि विदेशी यूनिवर्सिटी में बच्चों को शिक्षा के लिए भेजने से काफी फायदे होंगे। जैसे:

  • विदेशी भाषा की जानकारी
  • आत्मविश्वास में बढ़ोतरी
  • अंतर्राष्ट्रीय कार्य अनुभव
  • आत्मनिर्भर होना
  • नए विचार, अनुभव और संस्कृति को जानने और समझने का मौका

विदेशी भाषा की जानकारी हासिल करने और नई योग्यता सीखने जैसे पहलूओं से विदेशों में पढ़ाई से छात्रों को काफी फायदा होता है। जब पूछा गया कि विदेशों में पढ़ाई के क्या फायदे हैं, तो सर्वे में 49% अभिभावकों ने कहा कि विदेशी भाषा सीखने को मिलती है। 49% फीसदी ने कहा कि विदेशों में काम करने का अनुभव मिलता है, 48% ने कहा कि विदेशों में पढ़ाई करने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि बच्चों को नए अनुभव, नए विचार और नई संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। जबकि 44% और 43% माता-पिता सोचते हैं कि विदेशों में यूनिवर्सिटी शिक्षा से बच्चों में आत्मविश्वास आता है और उन्हें आत्मनिर्भर होने में मदद मिलती है।

हालांकि, सपने और फायदे तो कई सारे हैं, लेकिन कई माता-पिता बताते हैं कि अपने बच्चों को विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए भेजने में काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। जैसे:

  • उच्च शिक्षा खर्च
  • सुरक्षा की कमी
  • बच्चों को घर से बाहर रहने में मुश्किलें
  • माता-पिता को अपने बच्चे की याद आती है

हालांकि ज्यादातर माता-पिता यह मानते हैं कि विभिन्न भावनात्मक कारण, जैसे बच्चों का घर से लगाव, माता-पिता का बच्चों को याद करना, सुरक्षा को लेकर चिंता जैसी कुछ दिक्कतें विदेशों में पढ़ाई के लिए बच्चों को भेजने के रास्ते में आती है। इसके अलावा उच्च शिक्षा की पढ़ाई के खर्च के साथ वीजा, ट्रैवलिंग, खाने-पीने और रहने के खर्च की वजह से भी काफी मुश्किलें पेश आती है।

आप अपने बच्चे का शिक्षा खर्च उठा सकते हैं या नहीं, और उन्हें उचित शिक्षा दिला सकेंगे या नहीं, इसका अंदाज़ा आप इस एजुकेशन कैलकुलेटर के जरिए लगा सकते हैं।

विदेशी यूनिवर्सिटी में अपने बच्चे को भेजने का वास्तिवक खर्च क्या है?

रिपोर्ट के मुताबिक माता-पिता अपने बच्चे की प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा एजुकेशन पर औसतन $44,221 (करीब 28 लाख रुपए) खर्च करते हैं। यह तो सिर्फ बच्चों को विदेशी शिक्षा दिलाने का आर्थिक मूल्य हुआ। इसके अलावा, व्यक्तिगत स्तर पर भी माता-पिता को काफी कुछ त्याग करना पड़ता है।

  • 31% माता-पिता को खुद के लिए बचा कर रखा गया समय भूल जाना पड़ता है। अपने शौक और निजी खर्चों में भी कटौती करनी पड़ती है ताकि बच्चे को बेहतर शिक्षा मिल सके।
  • 25% अभिभावक घूमने-फिरने जैसी चीज़ें और छुट्टियों को पूरी तरह बंद या काफी हद तक कम कर देते हैं।
  • 23% माता-पिता अपनी कार्यशैली में बदलाव कर 24x7 काम के तरीके अपना लेते हैं, ताकि विदेशी यूनिवर्सिटी में बच्चे की पढ़ाई के लिए जरूरी रकम जुटाई जा सके।

अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में त्याग किये बिना आप कैसे इस बड़े खर्च की मुश्किल हल कर सकते हैं?

74% माता-पिता कहते हैं कि वे अपनी मासिक आमदनी से बच्चों की पढ़ाई का खर्च देते हैं। सिर्फ 21% का कहना है कि वे अपने निवेश या एजुकेशन सेविंग्स प्लान के पैसों का इसके लिए खर्च करते हैं।

ये समझना जरूरी है कि अगर बच्चे की ऊंची शिक्षा के लिए आप चाइल्ड प्लान या एजुकेशन फंड्स का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो इससे रोजमर्रा की जरूरतों पर असर पड़ सकता है। विदेशों में पढ़ाई के खर्च काफी ज्यादा हैं, और खर्च लगातार बढ़ते भी रहते हैं। लेकिन कुछ तरीके हैं जिससे आप महंगाई का मुकाबला करते हुए इन खर्चों को पूरा कर सकते हैं। साथ ही आपकी जीवनशैली पर भी कोई असर नहीं होगा। बच्चे की शिक्षा का खर्च तय करने के लिए एजुकेशन कैलकुलेटर का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं। एक बार खर्चों के बारे में पता चल जाए, फिर जितनी जल्दी हो सके योजना बनाना शुरू करें दें। अपने बच्चे के सपने को हकीकत में बदलने के लिए अलग-अलग निवेश के साधनों का इस्तेमाल करें।

संवादपत्र

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