- Date : 27/01/2021
- Read: 5 mins
क्रेडिट कार्ड कई तरह से पैसे कमाता है. यहां बताया गया है कि आप खुद को इनसे कैसे बचा सकते हैं.

क्रेडिट कार्ड कंपनियां उन चीज़ों को खरीदने के लिए पैसा देती हैं, जिन्हें सिर्फ़ अपनी नौकरी से होने वाली कमाई से खरीदना संभव नहीं है. एक क्रेडिट कार्ड आपको कई चीज़ों और सेवाओं को खरीदने में मदद कर सकता है - जैसे कि फोन, कपड़े, फर्नीचर, हवाई टिकट, ट्रेन टिकट, आदि - और वो भी आराम से, तुरंत इसके लिए क्रेडिट कार्ड कंपनी को भुगतान करने की चिंता किए बिना. क्रेडिट कार्ड देने वाली कंपनी चाहे तो आपको अतिरिक्त लाभ जैसे एयर माइल्स, कैशबैक विकल्प, छूट, रिवॉर्ड, जैसी बहुत सी चीज़ें ऑफर कर सकती है.
हालांकि, आपने कभी सोचा है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको वित्तीय सहायता देने वाली ये क्रेडिट कार्ड कंपनियां खुद पैसे कैसे कमाती हैं? यह आर्टिकल आपको उन अलग-अलग तरीकों के बारे में बताता है जिनके ज़रिए कोई क्रेडिट कार्ड कंपनी मुनाफ़ा कमा सकती है.
- ज्वाइनिंग और सालाना फ़ीस: जब आप क्रेडिट कार्ड खरीदते हैं, तो कंपनी आपसे ज्वाइनिंग फीस लेती है. यह एक बार ली जाने वाली फ़ीस है जिसे खरीदते समय लिया जाता है. इसके बाद, आपसे हर साल रिन्यूवल फ़ीस ली जाएगी. ये फ़ीस हर कंपनी के लिए अलग-अलग हो सकती हैं और उस कार्ड या सुविधाओं पर निर्भर करती है जिन्हें आप चुनते हैं.
- ब्याज दरें: क्रेडिट कार्ड कंपनी आपको जो पैसा उधार देती है उस पर आपसे ब्याज लिया जाता है. क्रेडिट कार्ड में, इसे वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) के रूप में सालाना लिया जाता है. इसे तब लिया जाता है जब आप पर कोई रकम बकाया हो. हालांकि, ज्यादातर मामलों में, आप इस राशि का भुगतान करने से तब बच सकते हैं जब आपने अपने क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम का पूरा भुगतान किया हो.
- लेट पेमेंट फ़ीस: अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड का बिल तय तारीख पर भरने से चूक जाते हैं, तो बैंक आपसे लेट पेमेंट फ़ीस चार्ज करेगा. यह फ़ीस क्रेडिट कार्ड कंपनी और बकाया रकम के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. कभी-कभी, इस फ़ीस को नियमित ग्राहकों के लिए माफ़ कर दिया जाता है या उतना पैसा लिया जाता है जो इस फ़ीस की तुलना में काफी कम हो.
- फॉरेन करेंसी मार्क-अप फ़ीस: यह फ़ीस तब ली जाती है जब आप किसी फॉरेन करेंसी के साथ ट्रांसेक्शन करने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, या आपका ट्रांसेक्शन किसी फॉरेन बैंक से होकर जाता है. हर ट्रांसेक्शन पर लिया गया प्रतिशत 2.5% से 3% के बीच हो सकता है. यह अन्य बातों पर भी निर्भर करता है, जैसे कि ट्रांसेक्शन की तारीख पर करेंसी एक्सचेंज रेट क्या था.
- कैश विदड्राल चार्ज: अगर आपका क्रेडिट कार्ड आपको एटीएम से कैश निकालने की सुविधा देता है, तो आप अतिरिक्त शुल्क देकर इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं. आमतौर पर, क्रेडिट कार्ड कंपनियां, विदड्राल चार्ज पर 2.5% से 3% के बीच तक का शुल्क लेती हैं.
- ओवर-लिमिट यूसेज फ़ीस: यह फ़ीस तब ली जाती है जब आप अपने क्रेडिट कार्ड की सेट लिमिट को पार कर जाते हैं. हर कार्ड से खर्च करने की एक तय लिमिट होती हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपका कार्ड 1,00,000 रुपये की लिमिट देता है, तो आपको इस लिमिट से ज़्यादा खर्च करने पर फ़ीस देनी होगी.
- स्टेटमेंट रिक्वेस्ट फ़ीस: हालांकि आपके क्रेडिट कार्ड का विवरण ऑफ़लाइन या बैंक के नेटबैंकिंग ऐप पर मिल जाता है, लेकिन फिर भी कुछ लोग प्रिंट किया बिल पसंद करते हैं.) क्रेडिट कंपनियां आपके पते पर बिल भेजने के लिए अतिरिक्त शुल्क ले सकती हैं. इसके अलावा, अगर आप एक डुप्लीकेट बिल का अनुरोध करते हैं, तो कंपनी आपको दूसरी हार्ड कॉपी भेजने के लिए अलग से शुल्क ले सकती है.
- ट्रांसेक्शन चार्ज: यह फ़ीस आपके कार्ड पर किए गए लेनदेन पर ली जाती है. वे फ्यूल बिल, बिजली के बिल का भुगतान, या किसी निश्चित सीमा से ऊपर या नीचे किए गए भुगतान शामिल होते हैं. हर ट्रांसेक्शन पर लगने वाला शुल्क ही कार्ड देने वाली कंपनी की कमाई है.
- बैलेंस ट्रांसफर फ़ीस: एक कार्ड के बैलेंस को दूसरे में ट्रांसफर करने के लिए अतिरिक्त फ़ीस चुकानी पड़ सकती है. यह कार्ड के प्रकार, ट्रांसफ़र किए गए बैलेंस अमाउंट और कंपनी की प्रक्रिया और नीति के हिसाब से हो सकता है.
- कार्ड रीइशू फ़ीस: अगर आपका क्रेडिट कार्ड डैमेज हो जाता है या आप इसे खो देते हैं और आपको एक नया कार्ड चाहिए, तो आपको पैसे लेकर नया कार्ड दिया जाएगा.
- मर्चेंट फ़ीस: यह वो फ़ीस है जिसे क्रेडिट कार्ड देने वाला बैंक उस कार्ड के हर इस्तेमाल पर आपसे लेता है. ये खरीदे सामान का कुछ प्रतिशत या फिक्स्ड रेट हो सकता है.
क्रेडिट कार्ड के लिए साइन अप करते समय जानने के लिए ज़रूरी फ़ीस और रेट्स
हालांकि क्रेडिट कार्ड हमें बहुत आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन वे एक महँगा फाइनेंशियल प्रॉडक्ट साबित हो सकते हैं. बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां लेनदेन के लिए आपसे गुपचुप कुछ रकम वसूल करती हैं. कार्ड खरीदने से पहले आपको इन सभी फीसों के बारे में पता होना चाहिए. हालांकि क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ ऊपर बताए गए कुछ अवसरों पर शुल्क लगाती हैं, लेकिन तब भी क्रेडिट कार्ड होने के फ़ायदे ज़्यादा हैं.
अलग-अलग क्रेडिट कार्डों की तुलना करें और इनसे जुड़ी फ़ीस, जैसे जॉइनिंग फ़ीस, रीइशू फ़ीस, ओवर-लिमिट चार्ज, सालाना फ़ीस जैसी चीज़ों पर एक नज़र डालें, ताकि आप यह पक्का कर सकें कि आप अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पेमेंट नहीं कर रहे हैं. हरेक कार्ड द्वारा दी गई सुविधाओं का मूल्यांकन करें और देखें कि एक वर्ष में कार्ड पर आपके कितने पैसे खर्च होने की संभावना है. अगर फ़ीस ज़्यादा लगे, तो उस छूट या कैशबैक की जाँच करें जिसे कंपनी चुनिंदा ब्रैंड्स और ट्रांसेक्शन पर देती है. देखें कि क्या यह आपके काम के हैं.
हरेक क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किसी ख़ास उद्देश्य के लिए किया जा सकता है - कपड़े, किराने का सामान वगैरह खरीदने के लिए. इसलिए, ऐसा कार्ड चुनें जो आपकी ज़रूरतों को पूरा करता हो.
क्रेडिट कार्ड के कई फ़ायदे हैं और आज यह सबकी ज़रूरत बन गया है. कार्डों पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए, कंपनियों और भी बेहतर ऑफर और फ़ायदे देने की कोशिश कर रही हैं. जहाँ एक ओर क्रेडिट कार्ड कंपनियां हरेक कार्ड पर मार्जिन कमाने के लिए कुछ चार्ज लगाती हैं, वहीं आपको ग्राहक के रूप में इन बातों के बारे में पता होना चाहिए.