- Date : 11/02/2021
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जिन महिलाओं के नाम पर घर है उन्हें आर्थिक लाभ से जुड़ी जानकारी.

आज के ज़माने में, किसी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदना बहुत फ़ायदे का सौदा साबित हो सकता है. भारत सरकार, कुछ राज्यों, और बैंकों ने महिलाओं को समाज में बराबरी का अधिकार दिलाने में मदद करने के लिए 'महिला सशक्तिकरण' को आगे बढ़ाने के लिए हाथ मिलाया है. ये लाभ हर राज्य और बैंक के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, या तो सो ओनर या जॉइंट ओनर के रूप में. जब दी गई छूट और लाभों को जोड़ा जाता है, तो महिला के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर करना आर्थिक रूप से फ़ायदे का सौदा साबित होता है.
आइए इन फ़ायदों के बारे में और जानें:
1. स्टैम्प ड्यूटी पर छूट
कई राज्यों में, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में स्टैम्प ड्यूटी पर ज़्यादा छूट का लाभ मिलता है, लेकिन यह सीमा हर राज्य के लिए अलग-अलग होती है. यहाँ नीचे कुछ राज्यों में पुरुषों और महिलाओं के लिए स्टैंप ड्यूटी शुल्क से जुड़ी जानकारी दी गई है:
राज्य |
पुरुषों के लिए |
महिलाओं के लिए |
झारखंड |
7% |
सिर्फ़ 1 रुपया |
दिल्ली |
6% |
4% |
हरियाणा |
6% (ग्रामीण); 8% (शहर) |
4% (ग्रामीण); 6% (शहर) |
उत्तर प्रदेश |
7% |
कुल शुल्क पर 10,000 रुपये की छूट |
राजस्थान |
5% |
4% |
पंजाब |
6% |
4% |
ध्यान दें: यह पूरी लिस्ट नहीं है; शुल्क भी सिर्फ़ सांकेतिक हैं और बदले गए हो सकते हैं.
2. होम लोन के फ़ायदे
प्राइवेट और नेशनलाइज्ड, दोनों तरह के बैंक किसी भी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी लेने पर कम ब्याज दर का ऑफर देते हैं. ब्याज दरें सभी बैंकों के लिए अलग-अलग होती हैं, लेकिन जो महिलाएं अपने नाम पर घर खरीद रही हैं उन्हें लगभग 1% ज़्यादा की छूट मिलती है.
बैंक |
महिला उधारकर्ताओं के लिए ब्याज दर (सालाना) |
बाकी लोगों के लिए ब्याज दर (सालाना) |
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया |
8.7-9.25% |
8.75-9.35% |
एचडीएफसी लिमिटेड |
8.7- 9.3% |
8.75- 9.35% |
पीएनबी |
8.65-8.7% |
8.7-8.75% |
ध्यान दें: 27 मार्च 2019 तक की दरें (1 करोड़ रूपये से ज़्यादा के लोन के लिए)
3. टैक्स में फ़ायदे
अगर प्रॉपर्टी पर पूरी तरह से महिला का हक़ है और वह उसमें खुद भी रह रही हो है तो हर वित्तीय वर्ष में टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. एक महिला अपनी खुद की कमाई से (जिसकी जानकारी मौजूद हो) इस खरीदी गई प्रॉपर्टी पर टैक्स में छूट का दावा कर सकती है. अगर प्रॉपर्टी मिलकर (जॉइंट ओनरशिप) ली गई है और उसे लेने वाले दोनों लोगों कमाते हैं (जिसकी जानकारी मौजूद हो) है, तो पति और पत्नी दोनों अलग-अलग टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं. ऐसे में, टैक्स में कितना फ़ायदा मिलेगा यह इस पर निर्भर होगा कि प्रॉपर्टी पर किसका कितना हिस्सा है.
ज़रूरी बातें
- जॉइंट ओनरशिप के मामले में, पति को यह जानना ज़रूरी है कि तलाक होने पर प्रॉपर्टी को इस आधार पर बांटा जाएगा कि सेल डीड में क्या जानकारी दी गई थी. अगर पत्नी ने प्रॉपर्टी खरीदते समय उसमें कुछ खर्च नहीं किया है, तो भी उसे सोल ओनर माना जाएगा. हालांकि, पति उसमें हिस्से का दावा कर सकता है, बशर्ते प्रॉपर्टी खरीदने के समय उसके लिए दिए गए पैसों के स्त्रोत की जानकारी मौजूद हो और इसे कानूनी तरीके से खरीदा गया हो.
- नौकरी में 3 साल या उससे ज़्यादा समय के अनुभव वाली कोई भी महिला 30 लाख से 3.5 करोड़ तक का होम लोन ले सकती है. उसे 23 से 58 वर्ष की आयु के बीच की एक भारतीय नागरिक होना चाहिए. महिला को रिपेमेंट के लिए 30 साल तक का समय दिया जा सकता है.
- अगर पत्नी एक गृहिणी है और प्रॉपर्टी सिर्फ़ उसके नाम पर रजिस्टर्ड है, तो उसे संपत्ति माना जाएगा. बेनामी संपत्ति घोषित होने की मुश्किलों से बचने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि पति-पत्नी प्रॉपर्टी को मिलकर खरीदें. हालांकि, अगर महिला कानूनी ज़रियों से पैसे कमाती है, तो उसे सभी फ़ायदे मिलते हैं.
- अगर महिला एक गृहिणी है तो बैंक होम लोन नहीं देंगे. होम लोन सिर्फ़ तभी मंजूर किए जाते हैं जब आय का स्रोत मौजूद हो.
- अगर प्रॉपर्टी मिलकर ली गई है, तो किराए से हुई कमाई के लिए पति और पत्नी को अलग से टैक्स चुकाना होगा. अगर पत्नी गृहिणी है, तो सिर्फ़ पति की आय पर ही स्टैंडर्ड टैक्स लागू होंगे.
- अगर प्रॉपर्टी से जुड़ी कोई कानूनी समस्याएं आती है जहाँ सिर्फ़ पत्नी सोल ओनर है, तब पति की भी बराबर ज़िम्मेदारी होगी.
और आखिर में
अगर महिला के नाम पर प्रॉपर्टी है तो इसके बहुत से वित्तीय लाभ मिलते हैं, चाहे वह महिला विवाहित हो या अविवाहित. अगर महिला घर की कमाऊ सदस्य है, तो उन्हें सभी लाभों का फ़ायदा मिलता है; लेकिन अगर ऐसा नहीं है, तो वह खरीद के समय कुछ फ़ायदों पर दावा कर सकती है, जैसे कि स्टैंप ड्यूटी पर दी जाने वाली छूट. एक समाज के रूप में, हमें महिलाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर देना चाहिए, यह ख़ुशी की बात है कि सरकार और बैंक इसके लिए ज़रूरी कदम उठा रहे हैं.
आज के ज़माने में, किसी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदना बहुत फ़ायदे का सौदा साबित हो सकता है. भारत सरकार, कुछ राज्यों, और बैंकों ने महिलाओं को समाज में बराबरी का अधिकार दिलाने में मदद करने के लिए 'महिला सशक्तिकरण' को आगे बढ़ाने के लिए हाथ मिलाया है. ये लाभ हर राज्य और बैंक के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, या तो सो ओनर या जॉइंट ओनर के रूप में. जब दी गई छूट और लाभों को जोड़ा जाता है, तो महिला के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर करना आर्थिक रूप से फ़ायदे का सौदा साबित होता है.
आइए इन फ़ायदों के बारे में और जानें:
1. स्टैम्प ड्यूटी पर छूट
कई राज्यों में, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में स्टैम्प ड्यूटी पर ज़्यादा छूट का लाभ मिलता है, लेकिन यह सीमा हर राज्य के लिए अलग-अलग होती है. यहाँ नीचे कुछ राज्यों में पुरुषों और महिलाओं के लिए स्टैंप ड्यूटी शुल्क से जुड़ी जानकारी दी गई है:
राज्य |
पुरुषों के लिए |
महिलाओं के लिए |
झारखंड |
7% |
सिर्फ़ 1 रुपया |
दिल्ली |
6% |
4% |
हरियाणा |
6% (ग्रामीण); 8% (शहर) |
4% (ग्रामीण); 6% (शहर) |
उत्तर प्रदेश |
7% |
कुल शुल्क पर 10,000 रुपये की छूट |
राजस्थान |
5% |
4% |
पंजाब |
6% |
4% |
ध्यान दें: यह पूरी लिस्ट नहीं है; शुल्क भी सिर्फ़ सांकेतिक हैं और बदले गए हो सकते हैं.
2. होम लोन के फ़ायदे
प्राइवेट और नेशनलाइज्ड, दोनों तरह के बैंक किसी भी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी लेने पर कम ब्याज दर का ऑफर देते हैं. ब्याज दरें सभी बैंकों के लिए अलग-अलग होती हैं, लेकिन जो महिलाएं अपने नाम पर घर खरीद रही हैं उन्हें लगभग 1% ज़्यादा की छूट मिलती है.
बैंक |
महिला उधारकर्ताओं के लिए ब्याज दर (सालाना) |
बाकी लोगों के लिए ब्याज दर (सालाना) |
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया |
8.7-9.25% |
8.75-9.35% |
एचडीएफसी लिमिटेड |
8.7- 9.3% |
8.75- 9.35% |
पीएनबी |
8.65-8.7% |
8.7-8.75% |
ध्यान दें: 27 मार्च 2019 तक की दरें (1 करोड़ रूपये से ज़्यादा के लोन के लिए)
3. टैक्स में फ़ायदे
अगर प्रॉपर्टी पर पूरी तरह से महिला का हक़ है और वह उसमें खुद भी रह रही हो है तो हर वित्तीय वर्ष में टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. एक महिला अपनी खुद की कमाई से (जिसकी जानकारी मौजूद हो) इस खरीदी गई प्रॉपर्टी पर टैक्स में छूट का दावा कर सकती है. अगर प्रॉपर्टी मिलकर (जॉइंट ओनरशिप) ली गई है और उसे लेने वाले दोनों लोगों कमाते हैं (जिसकी जानकारी मौजूद हो) है, तो पति और पत्नी दोनों अलग-अलग टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं. ऐसे में, टैक्स में कितना फ़ायदा मिलेगा यह इस पर निर्भर होगा कि प्रॉपर्टी पर किसका कितना हिस्सा है.
ज़रूरी बातें
- जॉइंट ओनरशिप के मामले में, पति को यह जानना ज़रूरी है कि तलाक होने पर प्रॉपर्टी को इस आधार पर बांटा जाएगा कि सेल डीड में क्या जानकारी दी गई थी. अगर पत्नी ने प्रॉपर्टी खरीदते समय उसमें कुछ खर्च नहीं किया है, तो भी उसे सोल ओनर माना जाएगा. हालांकि, पति उसमें हिस्से का दावा कर सकता है, बशर्ते प्रॉपर्टी खरीदने के समय उसके लिए दिए गए पैसों के स्त्रोत की जानकारी मौजूद हो और इसे कानूनी तरीके से खरीदा गया हो.
- नौकरी में 3 साल या उससे ज़्यादा समय के अनुभव वाली कोई भी महिला 30 लाख से 3.5 करोड़ तक का होम लोन ले सकती है. उसे 23 से 58 वर्ष की आयु के बीच की एक भारतीय नागरिक होना चाहिए. महिला को रिपेमेंट के लिए 30 साल तक का समय दिया जा सकता है.
- अगर पत्नी एक गृहिणी है और प्रॉपर्टी सिर्फ़ उसके नाम पर रजिस्टर्ड है, तो उसे संपत्ति माना जाएगा. बेनामी संपत्ति घोषित होने की मुश्किलों से बचने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि पति-पत्नी प्रॉपर्टी को मिलकर खरीदें. हालांकि, अगर महिला कानूनी ज़रियों से पैसे कमाती है, तो उसे सभी फ़ायदे मिलते हैं.
- अगर महिला एक गृहिणी है तो बैंक होम लोन नहीं देंगे. होम लोन सिर्फ़ तभी मंजूर किए जाते हैं जब आय का स्रोत मौजूद हो.
- अगर प्रॉपर्टी मिलकर ली गई है, तो किराए से हुई कमाई के लिए पति और पत्नी को अलग से टैक्स चुकाना होगा. अगर पत्नी गृहिणी है, तो सिर्फ़ पति की आय पर ही स्टैंडर्ड टैक्स लागू होंगे.
- अगर प्रॉपर्टी से जुड़ी कोई कानूनी समस्याएं आती है जहाँ सिर्फ़ पत्नी सोल ओनर है, तब पति की भी बराबर ज़िम्मेदारी होगी.
और आखिर में
अगर महिला के नाम पर प्रॉपर्टी है तो इसके बहुत से वित्तीय लाभ मिलते हैं, चाहे वह महिला विवाहित हो या अविवाहित. अगर महिला घर की कमाऊ सदस्य है, तो उन्हें सभी लाभों का फ़ायदा मिलता है; लेकिन अगर ऐसा नहीं है, तो वह खरीद के समय कुछ फ़ायदों पर दावा कर सकती है, जैसे कि स्टैंप ड्यूटी पर दी जाने वाली छूट. एक समाज के रूप में, हमें महिलाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर देना चाहिए, यह ख़ुशी की बात है कि सरकार और बैंक इसके लिए ज़रूरी कदम उठा रहे हैं.