पहली बार माँ बनने के साथ जुड़े खर्च जिन्हें आप अनदेखा कर देती हैं

अगर आपने यह हिसाब लगाया हो कि बच्चा पैदा होने के साथ ही नए खर्च भी जुड़ जाते हैं, तो इसके बाद भी आपको उन चीज़ों पर खर्च करना पड़ सकता है जिन्हें आपने सोचा भी नहीं था.

पहली बार माँ बनने के साथ जुड़े खर्च जिन्हें आप अनदेखा कर देती हैं

आपने बच्चों की देख-रेख पर बहुत सारी किताबें और ब्लॉग पढ़े होंगे और एक नए माता-पिता के रूप में बच्चे के जन्म से लेकर आगे तक का प्लान करने के लिए सभी अतिरिक्त खर्चों का हिसाब लगाने के लिए अपना होमवर्क ज़रूर किया होगा. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप खुद को कितना तैयार समझते हैं क्योंकि अपने बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती हफ्तों में आप निश्चित तौर पर कुछ ऐसे खर्चों का सामना करेंगे जिनकी आपने उम्मीद भी नहीं की होगी. इन अचानक होने वाले खर्चों को कवर करने के लिए पैसा अलग से निकालकर रखना ज़रूरी है.

बेशक, हर किसी का अनुभव एक जैसा नहीं हो सकता. लेकिन अगर आप पहली बार माँ बनने वाली हैं, तो कुछ ऐसे खर्च आपको परेशान कर सकते हैं जिनके लिए आपने प्लान नहीं किया था. आइए देखें कि ये क्या हैं. 

बच्चों के डॉक्टर के पास जाना

बच्चों के स्वस्थ दिखने पर भी उनकी डॉक्टर से जांच करवानी ज़रूरी हो सकती है. डॉक्टर से अचानक मिलने की ज़रूरत पड़ने से नए माता-पिता की जेब पर असर पड़ सकता है. अगर आप इन ख़र्चों के लिए खुद को पहले से तैयार रखते हैं तो आप इन इन मेडिकल बिलों से होने वाले खर्च को कंट्रोल कर सकते हैं. इससे आपके बजट पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा.

बच्चे के लिए दूध से जुड़े ख़र्च 

हालांकि स्तनपान कराना एक स्वाभाविक कार्य है, लेकिन इसे संभव और सुविधाजनक बनाने के लिए ज़रूरी चीज़ें खरीदने के लिए पैसा खर्च होता है. अगर आप स्तनपान करा रही हैं, तो आपको दूध टपकने पर उसको पोंछने के लिए दिन में कई नर्सिंग पैड बदलने पड़ सकते हैं - जिसका ख़र्च जल्दी से महीने भर में बढ़ जाता है. आप सोच रही होंगी कि स्तनपान कराने से आप डिब्बे के दूध का पैसा बचा रही हैं, लेकिन नर्सिंग सप्लाई जैसे कि पैड, नर्सिंग ब्रा, ब्रेस्ट पंप, महंगी बोतलें, ट्यूब कुछ ऐसे खर्चे हैं जिन्हें आपको अपने बजट में शामिल करना चाहिए. और अगर आपको किसी स्तनपान विशेषज्ञ (या महिलाओं की डॉक्टर) से परामर्श करने की ज़रूरत पड़ती है, तो यह एक अतिरिक्त खर्च है. 

कपड़े बदलने की ज़रूरत 

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि बच्चों के कपड़े जल्दी खराब होते हैं इसलिए उन्हें बार-बार बदलने की ज़रूरत पड़ती है. हो सकता है आपने कुछ हफ्तों बाद नए कपड़े खरीदने के लिए बजट बना रखा हो. लेकिन ज़्यादातर नई माँएँ यह भूल जाती हैं कि उन्हें अपने लिए भी कपड़े बदलने की ज़रूरत पड़ती है. जब आप अपने नियमित कपड़ों के बजाय मैटरनिटी वियर पहनती हैं और फिर बच्चे के जन्म के बाद के लिए अलग कपड़े, तो आपको आरामदायक कपड़ों के लिए कुछ पैसे अलग से निकालने पड़ते है जो एक माँ के रूप में आपकी नई भूमिका के लिए ज़रूरी है. यह ख़ास तौर पर उन माँओं के लिए महंगा हो सकता है जिन्हें काम पर वापस लौटना है, क्योंकि आपके बच्चे के जन्म से पहले आप ऑफिस के लिए जो कपड़े पहनती थीं हो सकता है कि वो आपको तुरंत फिट नहीं आएं. 

एक्स्ट्रा लॉन्ड्री डिटर्जेंट

आपको हैरान होने के लिए इतना जानना काफी है कि बच्चे के जन्म के बाद आपको कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट की ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी. बच्चे के कपड़े, नैपकिन, कंबल और बेडशीट हर दिन गंदे होंगे, और आप जितनी बार दुकान से सामान लेने जाएंगे, डिटर्जेंट का ख़र्चा आपके बजट पर सीधा असर करेगा. और तो और, नवजात शिशुओं को त्वचा के लिए सुरक्षित डिटर्जेंट की आवश्यकता होती है जो ज़्यादा महंगा आता है. इसके अलावा, थूक-खखार, दूध टपकना, और बच्चे के कपड़े मैले होने का मतलब है कि वॉशिंग मशीन को कई बार लोड करना, और कई बार कपड़े धुलेंगे तो बिजली का बिल भी बढ़ेगा. 

आराम की ज़रूरतों से जुड़े ख़र्चे

माँ बनने का अनुभव सुखद होने के साथ-साथ थकान भरा भी होता है. और जब आप थकी हुई होती हैं और नींद भी पूरी नहीं होती, तो आराम और बाकी सुविधाओं की ज़रूरत आपके बजट पर असर डालती है क्योंकि यह आपकी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़रूरी होता है. ऐसे में, बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करने पर पैसे बचाने की जगह आप चाहेंगी कि सब काम तुरंत और आसानी से हो जाएं. मिसाल के तौर पर, जब आप थकी हुई हों तो आप एक्सप्रेस डिलीवरी से डायपर ऑनलाइन ऑर्डर करना चुन सकती हैं. साथ ही, उन परिवारों के लिए जहां दोनों माता-पिता काम कर रहे हैं, आप अक्सर बाहर से खाना मंगवाना चुन सकती हैं, खासकर जब ऐसा लगे कि घर पर डिनर बनाना बहुत थकाने और समय लेने वाला अनुभव होगा. 

बच्चे की देख-रेख से जुड़े ख़र्च

बच्चे की देख-रेख कोई अचानक से आने वाला ख़र्च नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा ख़र्च है जो अगर सही से प्लान न किया जाए तो आपके बजट को बिगाड़ सकता है. बच्चे की देख-रेख से जुड़े ख़र्च जैसे डे केयर, बेबी नर्स, नैनी, बेबी-सिटर... और भी कई ख़र्च मिलकर आपको सिरदर्द दे सकते हैं. बच्चे की देखभाल के लिए आपने किसी को फुल-टाइम या पार्ट-टाइम काम पे रखा हो, तब भी ये आपके बिल में एक बड़ा इज़ाफा कर सकता है. ख़ास तौर पर ऐसे परिवारों के मामले में जहां दोनों माता-पिता काम कर रहे हों, बच्चे की देख-रेख के लिए पैसे देना एक ऐसा खर्च बन जाता है जिस पर आपका कंट्रोल नहीं हो पाता.

कमाई न होना

दोहरी आय वाले परिवारों में, माता-पिता में से किसी एक को बच्चे की देख-रेक के लिए नौकरी छोड़नी पड़ सकती है, ताकि बच्चे की देख-रेख के ख़र्चों को कम किया जा सके. लेकिन जिन परिवारों में माता-पिता दोनों फुल-टाइम काम करने का प्लान करते हैं, वहाँ भी कमाई घट सकती है. हो सकता है कि माता-पिता को अपने काम के घंटे कम करने पड़ें या ओवरटाइम छोड़ना पड़ सकता है. एक साथ दोनों जगह समय देना मुश्किल हो सकता है. अगर बच्चा बीमार है, तो उन्हें बिना तनख्वाह के छुट्टी लेनी पड़ सकती है.

और आखिर में

अपने खर्चों की प्लानिंग पहले से करके चलें और अचानक आने वाले खर्चों के लिए अपने बजट में कुछ जगह ज़रूर छोड़ें. इस तरह से, आप यह पक्का कर पाते हैं कि आपका बच्चा आपके जीवन में केवल खुशी और उमंग बढ़ाएगा - न कि आपके क्रेडिट कार्ड का बिल!

आपने बच्चों की देख-रेख पर बहुत सारी किताबें और ब्लॉग पढ़े होंगे और एक नए माता-पिता के रूप में बच्चे के जन्म से लेकर आगे तक का प्लान करने के लिए सभी अतिरिक्त खर्चों का हिसाब लगाने के लिए अपना होमवर्क ज़रूर किया होगा. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप खुद को कितना तैयार समझते हैं क्योंकि अपने बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती हफ्तों में आप निश्चित तौर पर कुछ ऐसे खर्चों का सामना करेंगे जिनकी आपने उम्मीद भी नहीं की होगी. इन अचानक होने वाले खर्चों को कवर करने के लिए पैसा अलग से निकालकर रखना ज़रूरी है.

बेशक, हर किसी का अनुभव एक जैसा नहीं हो सकता. लेकिन अगर आप पहली बार माँ बनने वाली हैं, तो कुछ ऐसे खर्च आपको परेशान कर सकते हैं जिनके लिए आपने प्लान नहीं किया था. आइए देखें कि ये क्या हैं. 

बच्चों के डॉक्टर के पास जाना

बच्चों के स्वस्थ दिखने पर भी उनकी डॉक्टर से जांच करवानी ज़रूरी हो सकती है. डॉक्टर से अचानक मिलने की ज़रूरत पड़ने से नए माता-पिता की जेब पर असर पड़ सकता है. अगर आप इन ख़र्चों के लिए खुद को पहले से तैयार रखते हैं तो आप इन इन मेडिकल बिलों से होने वाले खर्च को कंट्रोल कर सकते हैं. इससे आपके बजट पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा.

बच्चे के लिए दूध से जुड़े ख़र्च 

हालांकि स्तनपान कराना एक स्वाभाविक कार्य है, लेकिन इसे संभव और सुविधाजनक बनाने के लिए ज़रूरी चीज़ें खरीदने के लिए पैसा खर्च होता है. अगर आप स्तनपान करा रही हैं, तो आपको दूध टपकने पर उसको पोंछने के लिए दिन में कई नर्सिंग पैड बदलने पड़ सकते हैं - जिसका ख़र्च जल्दी से महीने भर में बढ़ जाता है. आप सोच रही होंगी कि स्तनपान कराने से आप डिब्बे के दूध का पैसा बचा रही हैं, लेकिन नर्सिंग सप्लाई जैसे कि पैड, नर्सिंग ब्रा, ब्रेस्ट पंप, महंगी बोतलें, ट्यूब कुछ ऐसे खर्चे हैं जिन्हें आपको अपने बजट में शामिल करना चाहिए. और अगर आपको किसी स्तनपान विशेषज्ञ (या महिलाओं की डॉक्टर) से परामर्श करने की ज़रूरत पड़ती है, तो यह एक अतिरिक्त खर्च है. 

कपड़े बदलने की ज़रूरत 

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि बच्चों के कपड़े जल्दी खराब होते हैं इसलिए उन्हें बार-बार बदलने की ज़रूरत पड़ती है. हो सकता है आपने कुछ हफ्तों बाद नए कपड़े खरीदने के लिए बजट बना रखा हो. लेकिन ज़्यादातर नई माँएँ यह भूल जाती हैं कि उन्हें अपने लिए भी कपड़े बदलने की ज़रूरत पड़ती है. जब आप अपने नियमित कपड़ों के बजाय मैटरनिटी वियर पहनती हैं और फिर बच्चे के जन्म के बाद के लिए अलग कपड़े, तो आपको आरामदायक कपड़ों के लिए कुछ पैसे अलग से निकालने पड़ते है जो एक माँ के रूप में आपकी नई भूमिका के लिए ज़रूरी है. यह ख़ास तौर पर उन माँओं के लिए महंगा हो सकता है जिन्हें काम पर वापस लौटना है, क्योंकि आपके बच्चे के जन्म से पहले आप ऑफिस के लिए जो कपड़े पहनती थीं हो सकता है कि वो आपको तुरंत फिट नहीं आएं. 

एक्स्ट्रा लॉन्ड्री डिटर्जेंट

आपको हैरान होने के लिए इतना जानना काफी है कि बच्चे के जन्म के बाद आपको कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट की ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी. बच्चे के कपड़े, नैपकिन, कंबल और बेडशीट हर दिन गंदे होंगे, और आप जितनी बार दुकान से सामान लेने जाएंगे, डिटर्जेंट का ख़र्चा आपके बजट पर सीधा असर करेगा. और तो और, नवजात शिशुओं को त्वचा के लिए सुरक्षित डिटर्जेंट की आवश्यकता होती है जो ज़्यादा महंगा आता है. इसके अलावा, थूक-खखार, दूध टपकना, और बच्चे के कपड़े मैले होने का मतलब है कि वॉशिंग मशीन को कई बार लोड करना, और कई बार कपड़े धुलेंगे तो बिजली का बिल भी बढ़ेगा. 

आराम की ज़रूरतों से जुड़े ख़र्चे

माँ बनने का अनुभव सुखद होने के साथ-साथ थकान भरा भी होता है. और जब आप थकी हुई होती हैं और नींद भी पूरी नहीं होती, तो आराम और बाकी सुविधाओं की ज़रूरत आपके बजट पर असर डालती है क्योंकि यह आपकी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़रूरी होता है. ऐसे में, बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करने पर पैसे बचाने की जगह आप चाहेंगी कि सब काम तुरंत और आसानी से हो जाएं. मिसाल के तौर पर, जब आप थकी हुई हों तो आप एक्सप्रेस डिलीवरी से डायपर ऑनलाइन ऑर्डर करना चुन सकती हैं. साथ ही, उन परिवारों के लिए जहां दोनों माता-पिता काम कर रहे हैं, आप अक्सर बाहर से खाना मंगवाना चुन सकती हैं, खासकर जब ऐसा लगे कि घर पर डिनर बनाना बहुत थकाने और समय लेने वाला अनुभव होगा. 

बच्चे की देख-रेख से जुड़े ख़र्च

बच्चे की देख-रेख कोई अचानक से आने वाला ख़र्च नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा ख़र्च है जो अगर सही से प्लान न किया जाए तो आपके बजट को बिगाड़ सकता है. बच्चे की देख-रेख से जुड़े ख़र्च जैसे डे केयर, बेबी नर्स, नैनी, बेबी-सिटर... और भी कई ख़र्च मिलकर आपको सिरदर्द दे सकते हैं. बच्चे की देखभाल के लिए आपने किसी को फुल-टाइम या पार्ट-टाइम काम पे रखा हो, तब भी ये आपके बिल में एक बड़ा इज़ाफा कर सकता है. ख़ास तौर पर ऐसे परिवारों के मामले में जहां दोनों माता-पिता काम कर रहे हों, बच्चे की देख-रेख के लिए पैसे देना एक ऐसा खर्च बन जाता है जिस पर आपका कंट्रोल नहीं हो पाता.

कमाई न होना

दोहरी आय वाले परिवारों में, माता-पिता में से किसी एक को बच्चे की देख-रेक के लिए नौकरी छोड़नी पड़ सकती है, ताकि बच्चे की देख-रेख के ख़र्चों को कम किया जा सके. लेकिन जिन परिवारों में माता-पिता दोनों फुल-टाइम काम करने का प्लान करते हैं, वहाँ भी कमाई घट सकती है. हो सकता है कि माता-पिता को अपने काम के घंटे कम करने पड़ें या ओवरटाइम छोड़ना पड़ सकता है. एक साथ दोनों जगह समय देना मुश्किल हो सकता है. अगर बच्चा बीमार है, तो उन्हें बिना तनख्वाह के छुट्टी लेनी पड़ सकती है.

और आखिर में

अपने खर्चों की प्लानिंग पहले से करके चलें और अचानक आने वाले खर्चों के लिए अपने बजट में कुछ जगह ज़रूर छोड़ें. इस तरह से, आप यह पक्का कर पाते हैं कि आपका बच्चा आपके जीवन में केवल खुशी और उमंग बढ़ाएगा - न कि आपके क्रेडिट कार्ड का बिल!

संवादपत्र

Union Budget