Pilot of RBI Digital Currency on 1st November

आरबीआई 1 नवंबर से डिजिटल करंसी सीबीडीसी का पायलट शुरू करने जा रहा है।

डिजिटल करंसी का पायलट

Digita Currency Pilot: केंद्रीय बैंक द्वारा सूचना दी गई है कि भारतीय रिज़र्व बैंक 1 नवंबर, 2022 से थोक क्षेत्र में डिजिटल करंसी के पायलट कार्यक्रम की शुरुआत करेगा। इस पायलट कार्यक्रम के लिए नौ बैंको की पहचान कर ली गई है जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फ़र्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल होंगे।

रिज़र्व बैंक द्वारा 31 अक्टूबर, 2022 को जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि “इस पायलट का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों के द्वितीयक (सेकेंडरी) बाजार के लेन देन के मामलों को निपटाने के लिए किया जाएगा”।

उम्मीद की जा रही है कि ई-W के उपयोग से बैंको के आंतरिक व्यवहार बाजार को और अधिक सक्षम बनाएँगे। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि केंद्रीय बैंक के पैसे के निपटान से कुल मिलाकर सेटलमेंट गारंटी के बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को कम किया जा सकेगा और निपटान के मामलों में जोखिम को भी कम किया जा सकता है, जिससे लेन देन की लागत कम हो जाएगी।

आरबीआई के अनुसार डिजिटल रुपए का पहला पायलट रीटेल सेगमेंट ई-आर, एक महीने के भीतर ही सीमित उपभोक्ता समूह के लिए कई चुनिंदा स्थानों पर लागू करने की योजना है। इसमें ग्राहक और व्यापारी दोनों शामिल होंगे।

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क्या है डिजिटल रुपया

डिजिटल रुपए को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वैधानिक निविदा के रूप में जाना जाता है। इससे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी कहा जाता है। आरबीआई द्वारा 7 अक्टूबर, 2022 को प्रस्तुत अवधारणा नोट में डिजिटल रुपए के दो संस्करण या ई-रूपए जारी करने के प्रस्ताव हैं। आरबीआई का सीबीडीसी एक संप्रभु मुद्रा के समान होगा जो वैधानिक मुद्रा के तहत ही लेन देन या विनिमय के योग्य होगा।

आरबीआई द्वारा डिजिटल रुपए के दो संस्करण जारी करने के प्रस्ताव में पहला सामान्य प्रयोजन या खुदरा सीबीडीसी-आर और थोक सीबीडीसी-डब्ल्यू शामिल होंगे। रिटेल या खुदरा सीबीडीसी का प्रयोग निजी क्षेत्र और गैर वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों सभी द्वारा किया जा सकता है। वहीं थोक सीबीडीसी को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक ही सीमित प्रयोग के लिए बनाया गया है। मोटे तौर पर देखें तो खुदरा

सीबीडीसी प्रमुख रूप से खुदरा लेन देन का नकदी की जगह इलेक्ट्रॉनिक विकल्प है। थोक सीबीडीसी को बैंकों के आपसी हस्तांतरण और संबंधित थोक लेन देन के सेटलमेंट के लिए बनाया गया है।

नियामक ने जानकारी देते हुए कहा, “इस पायलट के अनुभव के आधार पर भविष्य में सीबीडीसी का क्रमिक उपयोग करते हुए यह अन्य थोक लेन देन और सीमा पार भुगतान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।”

सीबीडीसी और पैसे के डिजिटल रूप में अंतर बताते हुए आरबीआई ने स्पष्ट किया कि, “सीबीडीसी मौजूदा डिजिटल पैसे से अलग है क्योंकि सीबीडीसी रिज़र्व बैंक की देनदारी होगी न की वाणिज्यिक बैंक की”।

गंगेश वर्मा का कहना है, “सीबीडीसी को अपनाना और उसका विकास आरबीआई द्वारा अनुसंधान और पायलट कार्यक्रमों के आधार पर तय होगा। सीबीडीसी के लिए बुनियादी ढाँचे को बनाने और लागू करने के लिए अच्छा खासा निवेश होगा वही अवधारणा नोट में इन्सेंटिव की बात नहीं की गई है इसलिए हम कह सकते हैं कि कुछ नीतिगत दुविधाओं का सामना हो सकता है। हाँ इतना जरूर कहा जा सकता है कि भारत ऐसा अकेला देश नहीं है और न ही यह किसी मामले में अन्य देशों से पीछे है। सावधानीपूर्वक समझ बूझ और समन्वित रोडमैप के साथ आगे बढ़ना अच्छा होगा।

डिजिटल रुपया भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत करेगा

आरबीआई का मानना है कि डिजिटल रुपए की प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी वित्तीय समावेशन (इन्क्लूजन) बढ़ाएगी ओर मौद्रिक और भुगतान प्रणाली को अधिक कुशल बनाएगी। नियामक ने आगे बताया कि सीबीडीसी का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों को बदलने का नहीं बल्कि पूरक प्रस्तुत करने का है ताकि उपभोक्ताओं को अतिरिक्त भुगतान का मार्ग (ऐवेन्यू) उपलब्ध कराया जा सके न कि मौजूदा भुगतान पद्धतियों को बदला जाए।

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RBI Launches First Pilot

संवादपत्र

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