- Date : 07/10/2022
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मेक इन इंडिया के मद्देनज़र केंद्र सरकार द्वारा कई उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन पीएलआई घोषित किए गए हैं।

PLI scheme: प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI पीएलआई) , अर्थात विनिर्माण और उत्पादन से जुड़े क्षेत्रों में प्रोत्साहन देने की योजना। मेक इन इंडिया के लिहाज से केंद्र सरकार ने उत्पादन से जुड़ी कई प्रोत्साहन योजनाएँ घोषित की हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को बताया कि केंद्र सरकार पीएलआई स्कीम्स को और अधिक व्यापक बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए कई और प्रोत्साहन दिए जाएँगे और पीएलआई लागू करने के लिए क्षेत्र भी बढ़ाए जाएँगे। इसी दिशा में बजट प्रस्तुत करते समय अपने भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 14 क्षेत्रों के पीएलआई स्कीम्स के लिए ₹1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय (आउटले) का प्रावधान घोषित किया था। पीएलआई की इन स्कीम्स द्वारा अगले पाँच सालों में 60 लाख नए रोजगार उत्पन्न करने की योजना है। सरकार की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएलआई के द्वारा इस अवधि में 30 लाख करोड़ के अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य भी रखा गया है।
पीएलआई द्वारा देश को विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में एक शक्ति केंद्र बनाने की योजना है। आइए जानते हैं यह स्कीम्स क्या है और इससे क्या फायदे हैं!
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पीएलआई स्कीम का क्या अर्थ है?
पीएलआई स्कीम सरकार द्वारा घोषित की गई योजना है जिसके अंतर्गत विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी हुई कंपनियों को उत्पादन करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। यह स्कीम संगठनों के प्रदर्शन पर आधारित होती है। इसका मतलब है कि सरकार वृद्धिशील बिक्री करनेवाले संगठनों को प्रोत्साहन देने के लिए कर में रियायत या इंपोर्ट ड्यूटी में रियायत की सुविधाएँ देती है।
फार्मास्युटिकल क्षेत्र की ही बात की जाए तो चीन से फार्मास्यूटिकल्स सामग्री का आयात कम करने की दृष्टि से सरकार इस क्षेत्र में सक्रिय दवा सामग्री बनाने को बढ़ावा दे रही है। इस क्षेत्र में केंद्र सरकार ने फार्मास्यूटिकल निर्माण के लिए 15,000 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान किया है। साथ ही थोक दवाओं के निर्माण के लिए ₹6940 करोड़ की अन्य योजनाओं में परिव्यय की घोषणा भी की है।
पीएलआई स्कीम के लाभ
पीएलआई स्कीम का उद्देश्य सिर्फ उत्पादन को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि आयात में होनेवाले खर्च को भी कम करना है। इसके द्वारा भारत में विदेशी निवेश को भी बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर विमानन (एवीएशन) क्षेत्र की बात करें तो केंद्र सरकार ने द्रोन और द्रोन के पुर्जे बनाने के नियमों में रियायत देने के बाद इस क्षेत्र में भी उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए योजनाएँ बनाई हैं। स्कीम के चलते द्रोन निर्माण करनेवाली कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा और विदेशों से भारत में निवेश या कंपनियों के साथ साझेदारी के रास्ते भी खुलेंगे।
पीएलआई स्कीम मेक इन इंडिया की आधारशिला है जिसका उद्देश्य भारत की निर्यात पर निर्भरता कम करना और भारत को विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। यह स्कीम निर्यात को बढ़ावा देने का काम भी कर सकती है जिसके फलस्वरूप कई देशों के साथ व्यापार का संतुलन अनुकूल बन सकता है। इतना ही नहीं, पीएलआई स्कीम्स द्वारा नए रोजगार उत्पन्न होंगे और भारत में विनिर्माण की क्षमता भी बढ़ जाएगी।
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