- Date : 16/01/2023
- Read: 3 mins
केवाईसी कब करानी पड़ती है और उस संबंध में आरबीआई के नियम क्या कहते हैं?

Video KYC: बैंक में नया खाता खोलते समय सभी ग्राहकों को अनिवार्य रूप से केवाईसी करवाना पड़ता है। लेकिन क्या इसके बाद भी कभी भविष्य में केवाईसी लिया जा सकता है? जानते हैं इस बारे में आरबीआई के क्या दिशानिर्देश हैं?
केवाईसी डिटेल
खाता खुलवाते समय ग्राहक को पहचान प्रमाणपत्र, पते के कागजात बैंक में जमा करने होते हैं। इसी के साथ पैन कार्ड, आधार कार्ड वोटर आईकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज़ों की प्रति जमा करवानी होती है। इन सारे दस्तावेज़ों के माध्यम से बैंक ग्राहक का केवाईसी दर्ज कर लेती है। लेकिन क्या दोबारा इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है ?
आरबीआई के दिशानिर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार यदि केवाईसी में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है और सभी विवरण जस के तस हैं तो दोबारा दस्तावेज देने की जगह सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन करना काफी होगा। इस स्थिति में ग्राहकों को दस्तावेज़ों के वैध होने पर उन्हें जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। ग्राहक किसी भी रजिस्टर्ड ईमेल, मोबाइल नंबर, फिर एटीएम या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से सेल्फ डिक्लेरेशन दर्ज करा सकते हैं।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
केवाईसी अपडेट
यदि खाताधारक के पते में बदलाव हुआ है तो पते के प्रमाण के कागजात फिर से बैंक को देने पड़ेंगे। लेकिन अन्य विवरण एक समान हैं तो केवल केवाईसी अपडेट किया जा सकता है। ऊपर दिए गए किसी भी एक माध्यम से नए पते का प्रमाण बैंक को भेजा जा सकता है। बैंक को दो महीने के भीतर इस पते का वेरिफिकेशन कर लेना होगा।
इसी के साथ बैंक द्वारा सलाह दी जाती है कि खाताधारक या ग्राहक अपना केवाईसी समय-समय पर अवश्य अपडेट कर लें। अपने निवेश और खाते की सुरक्षा के लिए सही जानकारी बैंक के पास होना आवश्यक है।
नए (फ़्रेश) केवाईसी की जरूरत कब?
निम्नलिखित परिस्थितियों में बैंक द्वारा ग्राहक से नए केवाईसी के लिए कागजात मांगे जाते हैं;
बैंक के पास जमा किए गए दस्तावेज़ों में वैध दस्तावेज न होने पर बैंक दोबारा केवाईसी के लिए कागजात मांग सकता है।
बैंक में पेश किए गए दस्तावेजों की वैधता समाप्त होने पर यानी यदि ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट की वैध अवधि समाप्त होने पर दोबारा इन कागजातों को जमा करने के लिए कहा जाता है।
\वीडियो द्वारा केवाईसी
केवाईसी अपडेट करने के लिए अब आरबीआई द्वारा एक नया माध्यम प्रस्तुत किया गया है जिससे यह प्रक्रिया अब बहुत सरल हो जाएगी। अब ग्राहक को बैंक में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। ग्राहक वीडियो आधारित कस्टमर आइडेंटिफिकेशन प्रोसेसेस (V-CIP) का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान रहे यह सुविधा बैंक द्वारा उपलब्ध कराने पर ही इस्तेमाल की जा सकती है।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
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केवाईसी डिटेल
खाता खुलवाते समय ग्राहक को पहचान प्रमाणपत्र, पते के कागजात बैंक में जमा करने होते हैं। इसी के साथ पैन कार्ड, आधार कार्ड वोटर आईकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज़ों की प्रति जमा करवानी होती है। इन सारे दस्तावेज़ों के माध्यम से बैंक ग्राहक का केवाईसी दर्ज कर लेती है। लेकिन क्या दोबारा इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है ?
आरबीआई के दिशानिर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार यदि केवाईसी में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है और सभी विवरण जस के तस हैं तो दोबारा दस्तावेज देने की जगह सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन करना काफी होगा। इस स्थिति में ग्राहकों को दस्तावेज़ों के वैध होने पर उन्हें जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। ग्राहक किसी भी रजिस्टर्ड ईमेल, मोबाइल नंबर, फिर एटीएम या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से सेल्फ डिक्लेरेशन दर्ज करा सकते हैं।
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केवाईसी अपडेट
यदि खाताधारक के पते में बदलाव हुआ है तो पते के प्रमाण के कागजात फिर से बैंक को देने पड़ेंगे। लेकिन अन्य विवरण एक समान हैं तो केवल केवाईसी अपडेट किया जा सकता है। ऊपर दिए गए किसी भी एक माध्यम से नए पते का प्रमाण बैंक को भेजा जा सकता है। बैंक को दो महीने के भीतर इस पते का वेरिफिकेशन कर लेना होगा।
इसी के साथ बैंक द्वारा सलाह दी जाती है कि खाताधारक या ग्राहक अपना केवाईसी समय-समय पर अवश्य अपडेट कर लें। अपने निवेश और खाते की सुरक्षा के लिए सही जानकारी बैंक के पास होना आवश्यक है।
नए (फ़्रेश) केवाईसी की जरूरत कब?
निम्नलिखित परिस्थितियों में बैंक द्वारा ग्राहक से नए केवाईसी के लिए कागजात मांगे जाते हैं;
बैंक के पास जमा किए गए दस्तावेज़ों में वैध दस्तावेज न होने पर बैंक दोबारा केवाईसी के लिए कागजात मांग सकता है।
बैंक में पेश किए गए दस्तावेजों की वैधता समाप्त होने पर यानी यदि ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट की वैध अवधि समाप्त होने पर दोबारा इन कागजातों को जमा करने के लिए कहा जाता है।
\वीडियो द्वारा केवाईसी
केवाईसी अपडेट करने के लिए अब आरबीआई द्वारा एक नया माध्यम प्रस्तुत किया गया है जिससे यह प्रक्रिया अब बहुत सरल हो जाएगी। अब ग्राहक को बैंक में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। ग्राहक वीडियो आधारित कस्टमर आइडेंटिफिकेशन प्रोसेसेस (V-CIP) का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान रहे यह सुविधा बैंक द्वारा उपलब्ध कराने पर ही इस्तेमाल की जा सकती है।
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