- Date : 05/08/2022
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नया अपडेट: भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दरों में 50 आधार अंक (बीपीएस) बढ़ाकर उसे 5.40 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई के इस कदम से रुपए की स्थिति में मज़बूती आई है।

RBI repo rates: शुक्रवार, 5 अगस्त, 2022, आज सुबह भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति के बयान में 50 आधार अंकों की वृद्धि करने की घोषणा की, जिससे रेपो दर 5.40 प्रतिशत हो गई है। 2019 के बाद से रेपो दरों में की जानेवाली यह सबसे बड़ी वृद्धि है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक बैठक पिछले बुधवार यानी 3 अगस्त को आरंभ हुई थी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज सुबह यह जानकारी दी कि मौद्रिक नीति समिति में नीतिगत दर में वृद्धि करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है।
श्री दास ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि, "मौद्रिक नीति समिति ने विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्षित सीमा के भीतर रखने के लिए इस सुविधा का समापन करने की ओर ध्यान देने का फैसला किया"। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दरों को संशोधित कर इसे 5.15 प्रतिशत से 5.65 प्रतिशत कर दिया है।
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सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान व अन्य उपाय
गवर्नर श्री दास ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के 7.2 के होने के अनुमान को यथावत रखा गया है। साथ ही, जोखिमों को ध्यान में रखते हुए और उन्हें समन्वित करने के साथ इसे Q1 पर 16.2 प्रतिशत, Q2 पर 6.2 प्रतिशत, Q3 पर 4.1 प्रतिशत और Q4 पर 4 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। श्री दास ने आगे कहा कि उपभोक्ता मूल्यों में बहुत अधिक मुद्रास्फीति है जो स्थिति को असहज बना रही है और फिलहाल मुद्रास्फीति के 6 प्रतिशत से ऊपर ही बने रहने की आशा की जा रही है। उन्होंने चालू वित्तीय वर्ष मे सीपीआई मुद्रास्फीति के 6.7 प्रतिशत होने और वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसके 5 प्रतिशत होने की संभावना व्यक्त की है।
केंद्रीय बैंक द्वारा, चालू वित्तीय वर्ष में रेपो दरों में तीसरी बार वृद्धि की गई है, जिसका उद्देश्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम करना और रुपये को और अधिक मूल्यह्रास से बचाने की कोशिश करना है। पिछली मई में अपनी मौद्रिक नीति की अनौपचारिक (ऑफ-साइकिल) समीक्षा में, रिजर्व बैंक ने नीतिगत रेपो दर को 40 आधार अंकों या 0.40 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। इसके बाद अगले ही महीने, यानी जून में, रिजर्व बैंक ने 50 आधार अंकों की वृद्धि के साथ इसे 4.90 प्रतिशत कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत से अपनी राजकोषीय और मौद्रिक नीति प्रोत्साहन को धीरे-धीरे वापस लेने और निर्यात के बुनियादी ढांचे का विकास करने तथा प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत करने की सिफारिश की है, जिससे मध्यम अवधि में बाह्य क्षेत्र के संतुलन को एक सहज स्तर पर रखने के लिए निर्यात को एक स्थायी प्रोत्साहन मिल सके।
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