Better return from Recuring Deposit: रिकरिंग डिपॉजिट से अधिक फायदा

रेकरिंग डिपॉजिट खाते से अधिक फायदा लेने के लिए ये तरीके जरूर फायदेमंद साबित होंगे।

Recuring Deposit Benefits

जब बड़ी रकम का निवेश किए बगैर ही अधिक मुनाफा चाहिए होता है तो निवेशक रेकरिंग डिपॉजिट खातों का चुनाव करते हैं। यह निवेश टर्म डिपॉजिट का ही एक रूप माना जाता है। रेकरिंग डिपॉजिट में तय समय के अंतराल में एक निश्चित राशि का निवेश आवश्यक होता है। इस तरह के निवेश में रिस्क का खतरा कम होता है। इस लेख के जरिए कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जिससे रेकरिंग डिपॉजिट से और अधिक फायदे प्राप्त किए जा सकें। 

अधिक ब्याज के लिए विश्वसनीय बैंक को चुनें

रेकरिंग डिपॉजिट का विकल्प चुनते ही निवेशक को हर माह एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। एक बार स्वीकृति देने के बाद ग्राहक के जमा खाते से हर महीने वह निश्चित राशि काट ली जाती है और रेकरिंग डिपॉजिट खाते में जमा कर दी जाती है। 

ऐसे में बैंक का चुनाव निश्चित ही एक महत्त्वपूर्ण बिंदु होता है। ऐसे बैंक को चुनना चाहिए जिसकी विश्वसनीयता अधिक हो और जो अधिक ब्याज देती हो। इतना ही नहीं उससे मिलने वाली सुविधाएँ भी अच्छी होनी चाहिए।

वर्तमान में रेकरिंग डिपॉजिट खाते यानी आरडी अकाउंट्स के लिए विभिन्न बैंको द्वारा 5.5% से लेकर 7.5% के बीच ब्याज दिया जा रहा है। 

आरडी खातों का टेन्योर कितना हो? 

आम तौर पर बैंको द्वारा रेकरिंग डिपॉजिट के खातों के लिए छह महीने से लेकर 12 महीने तक की अवधि या टेन्योर दिया जाता है। लेकिन यदि निवेशकों के लक्ष्य अलग हैं तो वे इस टेन्योर को 10 वर्षों तक भी बढ़ा सकते हैं। अपने निवेश के लक्ष्यों के आधार पर निवेशक को अवधि या टेन्योर तय करना चाहिए। 

यदि आपके रेकरिंग डिपॉजिट करने का उद्देश्य भविष्य की आवश्यकता के लिए है तो लंबी अवधि का निवेश बेहतर हो सकता है। वहीं यदि साल भर में ही आपको इस रकम की आवश्यकता है तो आप 12 महीनों का टेन्योर निश्चित कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम

प्रतिमाह कटौती पर पूरा ध्यान दें 

जैसा कि बताया गया है कि आरडी स्कीम के अंतर्गत रेग्युलर डिडक्शन के आधार पर निश्चित राशि तय समय पर ग्राहक के जमा खाते से काट ली जाती है। इसलिए यह राशि निश्चित करते समय बेहद सावधानी बरतें। राशि का निर्धारण करते समय यह जरूर ध्यान रखें कि पूरे टेन्योर के लिए इस राशि को भरने की आपकी क्षमता है या नहीं। अनुमान और हिसाब गलत हो जाए तो इससे आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।  

स्कीम मैच्योर होने से पहले निकासी न करें 

कई बार आपदा की स्थिति में अधिक पैसों की आवश्यकता पड़ सकती है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में आरडी खातों से रकम जुटाने से बचना अच्छा होगा। समय से पहले आरडी खातों से निकासी करने पर जुर्माना भी भरना पड़ सकता है जिससे कि अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा। इसलिए आरडी खाते में जमा होने वाली राशि के रिटर्न का पूरा हिसाब रखें और उस आधार पर अपने लक्ष्यों की पूर्ति के हिसाब से अवधि तय करें। जिससे असमय निकासी नहीं करनी पड़ेगी। 

बैंक बाजार डॉटकॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि रिकरिंग डिपॉजिट पर ग्राहकों को मिलने वाले रिटर्न की गारंटी होती है। इसके लिए एक से तीन वर्ष तक का समय एक अच्छा विकल्प है जिससे बेहतर रिटर्न मिल सकेंगे। कई मामलों मे यह एफडी से बेहतर है। एफडी में जहाँ एक मुश्त बड़ी राशि का निवेश करना पड़ता है, वहीं आरडी में क्रमिक रूप से थोड़ा-थोड़ा निवेश किया जा सकता है। हालांकि, रिकरिंग डिपॉजिट में भी एफडी खातों की तरह ही रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?

जब बड़ी रकम का निवेश किए बगैर ही अधिक मुनाफा चाहिए होता है तो निवेशक रेकरिंग डिपॉजिट खातों का चुनाव करते हैं। यह निवेश टर्म डिपॉजिट का ही एक रूप माना जाता है। रेकरिंग डिपॉजिट में तय समय के अंतराल में एक निश्चित राशि का निवेश आवश्यक होता है। इस तरह के निवेश में रिस्क का खतरा कम होता है। इस लेख के जरिए कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जिससे रेकरिंग डिपॉजिट से और अधिक फायदे प्राप्त किए जा सकें। 

अधिक ब्याज के लिए विश्वसनीय बैंक को चुनें

रेकरिंग डिपॉजिट का विकल्प चुनते ही निवेशक को हर माह एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। एक बार स्वीकृति देने के बाद ग्राहक के जमा खाते से हर महीने वह निश्चित राशि काट ली जाती है और रेकरिंग डिपॉजिट खाते में जमा कर दी जाती है। 

ऐसे में बैंक का चुनाव निश्चित ही एक महत्त्वपूर्ण बिंदु होता है। ऐसे बैंक को चुनना चाहिए जिसकी विश्वसनीयता अधिक हो और जो अधिक ब्याज देती हो। इतना ही नहीं उससे मिलने वाली सुविधाएँ भी अच्छी होनी चाहिए।

वर्तमान में रेकरिंग डिपॉजिट खाते यानी आरडी अकाउंट्स के लिए विभिन्न बैंको द्वारा 5.5% से लेकर 7.5% के बीच ब्याज दिया जा रहा है। 

आरडी खातों का टेन्योर कितना हो? 

आम तौर पर बैंको द्वारा रेकरिंग डिपॉजिट के खातों के लिए छह महीने से लेकर 12 महीने तक की अवधि या टेन्योर दिया जाता है। लेकिन यदि निवेशकों के लक्ष्य अलग हैं तो वे इस टेन्योर को 10 वर्षों तक भी बढ़ा सकते हैं। अपने निवेश के लक्ष्यों के आधार पर निवेशक को अवधि या टेन्योर तय करना चाहिए। 

यदि आपके रेकरिंग डिपॉजिट करने का उद्देश्य भविष्य की आवश्यकता के लिए है तो लंबी अवधि का निवेश बेहतर हो सकता है। वहीं यदि साल भर में ही आपको इस रकम की आवश्यकता है तो आप 12 महीनों का टेन्योर निश्चित कर सकते हैं। 

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प्रतिमाह कटौती पर पूरा ध्यान दें 

जैसा कि बताया गया है कि आरडी स्कीम के अंतर्गत रेग्युलर डिडक्शन के आधार पर निश्चित राशि तय समय पर ग्राहक के जमा खाते से काट ली जाती है। इसलिए यह राशि निश्चित करते समय बेहद सावधानी बरतें। राशि का निर्धारण करते समय यह जरूर ध्यान रखें कि पूरे टेन्योर के लिए इस राशि को भरने की आपकी क्षमता है या नहीं। अनुमान और हिसाब गलत हो जाए तो इससे आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।  

स्कीम मैच्योर होने से पहले निकासी न करें 

कई बार आपदा की स्थिति में अधिक पैसों की आवश्यकता पड़ सकती है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में आरडी खातों से रकम जुटाने से बचना अच्छा होगा। समय से पहले आरडी खातों से निकासी करने पर जुर्माना भी भरना पड़ सकता है जिससे कि अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा। इसलिए आरडी खाते में जमा होने वाली राशि के रिटर्न का पूरा हिसाब रखें और उस आधार पर अपने लक्ष्यों की पूर्ति के हिसाब से अवधि तय करें। जिससे असमय निकासी नहीं करनी पड़ेगी। 

बैंक बाजार डॉटकॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि रिकरिंग डिपॉजिट पर ग्राहकों को मिलने वाले रिटर्न की गारंटी होती है। इसके लिए एक से तीन वर्ष तक का समय एक अच्छा विकल्प है जिससे बेहतर रिटर्न मिल सकेंगे। कई मामलों मे यह एफडी से बेहतर है। एफडी में जहाँ एक मुश्त बड़ी राशि का निवेश करना पड़ता है, वहीं आरडी में क्रमिक रूप से थोड़ा-थोड़ा निवेश किया जा सकता है। हालांकि, रिकरिंग डिपॉजिट में भी एफडी खातों की तरह ही रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।

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संवादपत्र

Union Budget