- Date : 28/03/2023
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फाइनेंस बिल में हुए संशोधन के बाद 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड पर अधिक टैक्स भरना होगा।

Debt Mutual Fund: आगामी वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में, फाइनेंस बिल में प्रस्तावित संशोधन लागू हो जाएँगे। इसके अनुसार म्यूचुअल फंड पर लगने वाले करों के नियमों में भी बदलाव लागू हो जाएँगे। म्यूचुअल फंड के निवेशक इस बात पर ध्यान दें कि 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड पर अधिक टैक्स भरना होगा।
डेट म्यूचुअल फंड पर कैपिटल गेन्स का लाभ नहीं
फाइनेंस बिल में किए गए संशोधन के अनुसार 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड पर लॉंग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) का लाभ नहीं मिलेगा।
यदि आप डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो 31 मार्च 2023 तक का कैपिटल गेन्स बेनिफिट आपको प्राप्त होगा। इस संशोधन के बाद डेट फंड भी अन्य एफडी या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसे लंबी अवधि के निवेशों जैसा हो जाएगा।
डेट फंड और हाइब्रिड फंड या एफडी में क्या अंतर है?
सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड से होने वाले पूंजीगत लाभ को अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में गिना जाएगा। इसका मतलब है कि इस निवेश से मिलने वाले लाभ पर निवेशक के लिए निश्चित टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।
इस संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड एवं अन्य हाइब्रिड म्यूचुअल फंड और एफडी आदि में अंतर नहीं रह जाता। अब इन सभी के लिए एक समान टैक्सेशन या कर व्यवस्था लागू होगी।
उम्मीद की जा रही है कि यह संशोधन मौजूदा बजट सत्र में पारित हो प्रभावी हो जाएगा।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
बाजार में असर
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर ए के निगम ने बताया कि इस संशोधन का असर शॉर्ट टर्म पैनिक के रूप में देखा जा सकता है। हो सकता है कि निवेशक डेट म्यूचुअल फंड से निकलकर तयशुदा आमदनी वाले विकल्प जैसे कि एफडी आदि में निवेश करें। लेकिन एक बात ध्यान रखनी जरूरी है कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त सुविधा मिलती है। यह योजना आपको कभी भी निवेश से निकासी करने का विकल्प देती है।
निवेशकों पर प्रभाव
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार डेट फंड पर यदि इंडेक्सेशन का फायदा उठाया जाए तो 20% एलटीसीजी लागू होता है। वहीं इंडेक्सेशन न होने पर 10% कर देय है।
यदि कैपिटल गेन का लाभ हटा लिया जाता है तो निवेशक को अपने टैक्स स्लैब के अनुसार इस पर टैक्स भरना होगा ।
निवेशक को टैक्स बचाना संभव नहीं
इसका मतलब है जिन निवेशकों ने टैक्स बचाने के लिए इस योजना में निवेश किया होगा उन्हें नुकसान पहुँचेगा। लेकिन उनका निवेश अभी भी जोखिम भरा नहीं कहा जा सकता।
सुरक्षित निवेश में कोई बदलाव नहीं
जिन निवेशकों ने एक सुरक्षित निवेश के आधार पर इस विकल्प को चुना होगा उनकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। वे चाहें तो निवेश में बने रह सकते हैं।
इस पूरे संशोधन का परिणाम यह हो सकता है कि नए वित्त वर्ष में लोक डेट फंड से संबंधित यूनिट्स की बिकवाली करें।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
Debt Mutual Fund: आगामी वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में, फाइनेंस बिल में प्रस्तावित संशोधन लागू हो जाएँगे। इसके अनुसार म्यूचुअल फंड पर लगने वाले करों के नियमों में भी बदलाव लागू हो जाएँगे। म्यूचुअल फंड के निवेशक इस बात पर ध्यान दें कि 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड पर अधिक टैक्स भरना होगा।
डेट म्यूचुअल फंड पर कैपिटल गेन्स का लाभ नहीं
फाइनेंस बिल में किए गए संशोधन के अनुसार 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड पर लॉंग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) का लाभ नहीं मिलेगा।
यदि आप डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो 31 मार्च 2023 तक का कैपिटल गेन्स बेनिफिट आपको प्राप्त होगा। इस संशोधन के बाद डेट फंड भी अन्य एफडी या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसे लंबी अवधि के निवेशों जैसा हो जाएगा।
डेट फंड और हाइब्रिड फंड या एफडी में क्या अंतर है?
सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड से होने वाले पूंजीगत लाभ को अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में गिना जाएगा। इसका मतलब है कि इस निवेश से मिलने वाले लाभ पर निवेशक के लिए निश्चित टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।
इस संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड एवं अन्य हाइब्रिड म्यूचुअल फंड और एफडी आदि में अंतर नहीं रह जाता। अब इन सभी के लिए एक समान टैक्सेशन या कर व्यवस्था लागू होगी।
उम्मीद की जा रही है कि यह संशोधन मौजूदा बजट सत्र में पारित हो प्रभावी हो जाएगा।
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बाजार में असर
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर ए के निगम ने बताया कि इस संशोधन का असर शॉर्ट टर्म पैनिक के रूप में देखा जा सकता है। हो सकता है कि निवेशक डेट म्यूचुअल फंड से निकलकर तयशुदा आमदनी वाले विकल्प जैसे कि एफडी आदि में निवेश करें। लेकिन एक बात ध्यान रखनी जरूरी है कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त सुविधा मिलती है। यह योजना आपको कभी भी निवेश से निकासी करने का विकल्प देती है।
निवेशकों पर प्रभाव
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार डेट फंड पर यदि इंडेक्सेशन का फायदा उठाया जाए तो 20% एलटीसीजी लागू होता है। वहीं इंडेक्सेशन न होने पर 10% कर देय है।
यदि कैपिटल गेन का लाभ हटा लिया जाता है तो निवेशक को अपने टैक्स स्लैब के अनुसार इस पर टैक्स भरना होगा ।
निवेशक को टैक्स बचाना संभव नहीं
इसका मतलब है जिन निवेशकों ने टैक्स बचाने के लिए इस योजना में निवेश किया होगा उन्हें नुकसान पहुँचेगा। लेकिन उनका निवेश अभी भी जोखिम भरा नहीं कहा जा सकता।
सुरक्षित निवेश में कोई बदलाव नहीं
जिन निवेशकों ने एक सुरक्षित निवेश के आधार पर इस विकल्प को चुना होगा उनकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। वे चाहें तो निवेश में बने रह सकते हैं।
इस पूरे संशोधन का परिणाम यह हो सकता है कि नए वित्त वर्ष में लोक डेट फंड से संबंधित यूनिट्स की बिकवाली करें।
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