उम्र के हर दौर की महिलाओं के लिए पैसे के प्रबंध से जुड़ी सलाह

इस लेख से आपको जानकारी मिलेगी कि उम्र के हर पड़ाव पर पैसे का अलग प्रबंध करने से क्या अंतर आता है और कैसे महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है।

उम्र के हर दौर की महिलाओं के लिए पैसे के प्रबंध से जुड़ी सलाह

कई उद्योगों में भारतीय महिलाएं परम्पराओं को तोड़ कर काफी आगे आ रही हैं। अब वे घर संभालने की जगह बड़े व्यापार संभाल रही हैं। हालांकि वित्त और निवेश एक ऐसा इलाका है जहां अभी भी पुरूषों का वर्चस्व है। 

आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए ज़रूरी है कि महिलाएं निवेश को लेकर ज़्यादा आत्मविश्वासी बनें। आत्मविश्वास की कमी के कारण महिलाएं अपने ही पैसे को गंवा देती हैं। दूसरी तरफ यह बात भी सही है कि महिलाएं वित्त और निवेश के जानकार लोगों से सलाह लेकर ही निर्णय लेती हैं। इस कारण वे पैसे का सही इस्तेमाल कर पाती हैं। 

महिलाएं अक्सर अपने परिवार या बुजुर्गों की देखभाल के लिए अपने करियर के बीच में कुछ समय का ब्रेक लेती हैं। ऐसे में वित्त की पूरी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है।  

हर महिला के लिए निवेश का मतलब अलग होता है। अगर कोई महिला अकेली अभिभावक है तो उसे एक अकेली महिला की तरह निवेश नहीं करना चाहिए। उम्र के तीसरे दशक में चल रही महिला निवेश को लेकर कुछ जोखिम उठा सकती है लेकिन उम्र के पांचवे दशक में चल रही महिला उतना जोखिम नहीं ले सकती। क्या कोई ऐसी उम्र है जिसमें महिलाओं को निवेश की शुरूआत करनी चाहिए? सही कहें तो नहीं! जितना जल्दी करें उतना ही बेहतर है। यह बात हर किसी के लिए सही है। 

युवा और सिंगल

उम्र के तीसरे दशक में अकेले होना उम्र के पांचवें दशक में अकेले रहने से काफी अलग है। छोटी उम्र में आपके पास जोखिम उठाने की आज़ादी होती है - और अगर आपने हाल ही में करियर कि शुरूआत की है तो ज़रूरी है कि आप तुरंत नियमित रूप से निवेश करना शुरू करें। अपने शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म लक्ष्यों के हिसाब से निवेश कीजिए। आपको ऐसे साधनों में निवेश करना होगा जो आपके दोनों लक्ष्यों को पूरा कर सकें, जिससे भविष्य में घर खरीदने जैसी ज़रूरत पड़ने पर आपको ज़्यादा पैसा  उधार ना लेना पड़े। 

हालांकि इक्विटी में निवेश एक अच्छा विकल्प है लेकिन बेहतर होगा कि आप लांग टर्म लक्ष्यों, जैसे रिटायरमेंट प्लान आदि के लिए सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान ( एसआईपी) के ज़रिए निवेश करें। इसके साथ ही आपके पास पर्याप्त राशि का स्वास्थ्य बीमा भी होना चाहिए। भले ही आप अभी युवा हों लेकिन सेहत कभी भी ख़राब हो सकती है। आपको किसी आपात स्थिति के लिए लिक्विड फंड में भी पैसा रखना चाहिए। 

शार्ट टर्म लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश के पारम्परिक साधनों जैसे एफडी, पोस्ट ऑफिस डिपोजिट, डेट फंड और फिक्सड मचुरटी प्लान ( एफएमपी) में निवेश करें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि आपके बचत खाते में निर्धारित सीमा से ज़्यादा पैसा होने पर उसे एफडी या रिकरिंग डिपोजिट में ट्रांसफर करती रहें। इनके कारण आपके पैसे कि लिक्विडिटी भी बनी रहेगी और आपको बचत पर बेहतर रिटर्न भी मिलेगा। 

हो सकता है कि अकेले रहते हुए कुछ समय के बाद आप अपना खुद का घर खरीदना चाहें। उस समय आपका ध्यान रिटायरमेंट के लिए बचत करने, पेंशन प्लान में पैसा बढ़ाने और स्वास्थ्य बीमा कवर को बढ़ाने पर होना चाहिए। 

विवाहित और कामकाजी

हो सकता है कि आपको नौकरी या व्यापार के साथ ही घर और बच्चों को भी संभालना पड़े। आपके पास समय की कमी होगी जिसके कारण सोच समझकर वित्तीय निर्णय लेने में परेशानी होगी। 

भले ही मुख्य रूप से आपके पति निवेश करते हों लेकिन आप के घर पर दो लोग कमाने वाले हैं। आप को अपने बच्चों की शिक्षा, शादी, खुद का रिटायरमेंट और खुद के लिए घर खरीदने जैसी चीज़ों के लिए योजना बनानी होगी।

इस उम्र में बेहतर होगा कि आप अपने लिए एक उपयुक्त टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनें और बेहतर प्रदर्शन कर रहे म्यूचूअल फंड्स में निवेश करती रहें। महिलाएं पारम्परिक तौर से सोने में निवेश करती रही हैं। अगर आप गहनों की जगह गोल्ड बुलियन , गोल्ड फंड या गोल्ड ईटीएफ में निवेश करती हैं तो सोने के निवेश में कोई ख़राबी नहीं है। 

चालीस की उम्र के बाद आप को रिटायरमेंट के लिए निवेश शुरू कर देना चाहिए। पब्लिक प्रोविडेंट फंड ( पीपीएफ) और नेशनल सेविंग्स स्कीम           ( एनपीएस) दोनों ही टैक्स बचाने वाले साधन हैं लेकिन इनके साथ ही पेंशन फंड्स पर नज़र डाल लेना भी सही रहेगा। इस उम्र में आप को अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सफाइ करते हुए अलग-अलग ऐसेट क्लास में निवेश करना चाहिए, जिससे आपका जोखिम कम हो सके। आप किन ऐसेट्स में निवेश करें यह आपके लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। 

निवेश पूरी उम्र चलने वाली प्रक्रिया है। अपने निवेश पर निगाह रखना सही निवेश साधन चुनने जितना ही ज़रूरी है। इसलिए नियमित तौर से अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। 

गृहणी

अगर आप एक गृहणी हैं और आपकी खुद की कोई कमाई नहीं है तो आप घर के मासिक बजट में से ज़रूर कुछ पैसे बचाना चाहेंगी। आप जो भी बचत करें उसे अलग रखें। यह पुरानी कहावत कि “पैसे से ही पैसा बनता है” आपके मामले बिल्कुल सही  है।

आप हाइब्रिड बैंक अकाउंट्स ,आरडी और एफडी में भी निवेश कर सकती हैं। पोस्ट ऑफिस में मासिक रिकरिंग डिपोजिट स्कीम होती है जिस पर अच्छा रिटर्न मिलता है। अगर आप सोने में निवेश करना चाहती हैं तो गोल्ड म्यूचूअल फंड या एसआईपी के ज़रिए ईटीएफ में निवेश करें। 

एकल अभिभावक 

भले ही आप विधवा हों या आपका तलाक हो चुका हो, अगर बच्चे आपके साथ हैं तो उनकी आर्थिक और भावनात्मक ज़िम्मेदारी आप पर ही है। उनकी पढ़ाई और शादी के साथ आपको अपने रिटायरमेंट के लिए भी योजना बनानी होगी। इस समय आपको बिना जोखिम वाले सुरक्षित साधनों में निवेश करना चाहिए। 

अगर आप अभी युवा हैं और भावनात्मक और निजी त्रासदी से गुज़र चुकी हैं तो आपके पास रिटायरमेंट के लिए सोचने का पर्याप्त समय है। हो सकता है कि आपके जीवनसाथी के पास कोई अच्छा टर्म इंश्योरेंस प्लान रह हो जिसका फायदा आपको मिले। अगर आप पर कोई घर कर्ज़ है तो इस पैसे से कर्ज़ को चुका दें, परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लें, उनकी शिक्षा की योजना बनाएं और अपने लिए टर्म इंश्योरेंस लेने का सोचें।

आपके पास जो भी पैसा बचे उसमें अपनी मासिक कमाई में से कुछ पैसे जोड़ें और इस पैसे को पीपीएफ, एनपीएस और बैलेंसड म्यूचूअल फंड में निवेश कर दें। 

अगर आपका तलाक हो चुका है और आपको खुद की देखभाल के लिए नियमित पैसा / या ऐलमोनी मिला है तो भी मानदंड बहुत अलग नहीं होने चाहिए। हो सकता है कि आप एक साथ कहीं निवेश ना कर पाएं तो एसआईपी के ज़रिए ही निवेश करें। एसआईपी के कारण आप नियमित रूप से अपनी मासिक कमाई से कुछ पैसा अलग करते जमा करती रहेंगी।

दोनों ही मामलों में अपने इमरजेंसी फंड के तौर पर खुद के छ: महीने के खर्च के बराबर पैसा रखना ज़रूरी है। अगर आप कोई किश्त भर रही हैं तो वह भी इसमें शामिल होनी चाहिए। 

निष्कर्ष 

समय के साथ आपकी कमाई बढ़ने पर आपका लक्ष्य परिवार से ज़्यादा खुद को सुरक्षित करने पर होना चाहिए। अपने पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के साथ ही कम जोखिम वाले साधनों में निवेश करने का नियम बनाएं। साथ ही जोखिम को कम करने लिए हर महीने अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। 

डिस्क्लेमर : यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे निवेश, बीमा, टैक्स या कानूनी सलाह के तौर पर ना लें। इन क्षेत्रों से जुड़े निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। 

कई उद्योगों में भारतीय महिलाएं परम्पराओं को तोड़ कर काफी आगे आ रही हैं। अब वे घर संभालने की जगह बड़े व्यापार संभाल रही हैं। हालांकि वित्त और निवेश एक ऐसा इलाका है जहां अभी भी पुरूषों का वर्चस्व है। 

आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए ज़रूरी है कि महिलाएं निवेश को लेकर ज़्यादा आत्मविश्वासी बनें। आत्मविश्वास की कमी के कारण महिलाएं अपने ही पैसे को गंवा देती हैं। दूसरी तरफ यह बात भी सही है कि महिलाएं वित्त और निवेश के जानकार लोगों से सलाह लेकर ही निर्णय लेती हैं। इस कारण वे पैसे का सही इस्तेमाल कर पाती हैं। 

महिलाएं अक्सर अपने परिवार या बुजुर्गों की देखभाल के लिए अपने करियर के बीच में कुछ समय का ब्रेक लेती हैं। ऐसे में वित्त की पूरी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है।  

हर महिला के लिए निवेश का मतलब अलग होता है। अगर कोई महिला अकेली अभिभावक है तो उसे एक अकेली महिला की तरह निवेश नहीं करना चाहिए। उम्र के तीसरे दशक में चल रही महिला निवेश को लेकर कुछ जोखिम उठा सकती है लेकिन उम्र के पांचवे दशक में चल रही महिला उतना जोखिम नहीं ले सकती। क्या कोई ऐसी उम्र है जिसमें महिलाओं को निवेश की शुरूआत करनी चाहिए? सही कहें तो नहीं! जितना जल्दी करें उतना ही बेहतर है। यह बात हर किसी के लिए सही है। 

युवा और सिंगल

उम्र के तीसरे दशक में अकेले होना उम्र के पांचवें दशक में अकेले रहने से काफी अलग है। छोटी उम्र में आपके पास जोखिम उठाने की आज़ादी होती है - और अगर आपने हाल ही में करियर कि शुरूआत की है तो ज़रूरी है कि आप तुरंत नियमित रूप से निवेश करना शुरू करें। अपने शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म लक्ष्यों के हिसाब से निवेश कीजिए। आपको ऐसे साधनों में निवेश करना होगा जो आपके दोनों लक्ष्यों को पूरा कर सकें, जिससे भविष्य में घर खरीदने जैसी ज़रूरत पड़ने पर आपको ज़्यादा पैसा  उधार ना लेना पड़े। 

हालांकि इक्विटी में निवेश एक अच्छा विकल्प है लेकिन बेहतर होगा कि आप लांग टर्म लक्ष्यों, जैसे रिटायरमेंट प्लान आदि के लिए सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान ( एसआईपी) के ज़रिए निवेश करें। इसके साथ ही आपके पास पर्याप्त राशि का स्वास्थ्य बीमा भी होना चाहिए। भले ही आप अभी युवा हों लेकिन सेहत कभी भी ख़राब हो सकती है। आपको किसी आपात स्थिति के लिए लिक्विड फंड में भी पैसा रखना चाहिए। 

शार्ट टर्म लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश के पारम्परिक साधनों जैसे एफडी, पोस्ट ऑफिस डिपोजिट, डेट फंड और फिक्सड मचुरटी प्लान ( एफएमपी) में निवेश करें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि आपके बचत खाते में निर्धारित सीमा से ज़्यादा पैसा होने पर उसे एफडी या रिकरिंग डिपोजिट में ट्रांसफर करती रहें। इनके कारण आपके पैसे कि लिक्विडिटी भी बनी रहेगी और आपको बचत पर बेहतर रिटर्न भी मिलेगा। 

हो सकता है कि अकेले रहते हुए कुछ समय के बाद आप अपना खुद का घर खरीदना चाहें। उस समय आपका ध्यान रिटायरमेंट के लिए बचत करने, पेंशन प्लान में पैसा बढ़ाने और स्वास्थ्य बीमा कवर को बढ़ाने पर होना चाहिए। 

विवाहित और कामकाजी

हो सकता है कि आपको नौकरी या व्यापार के साथ ही घर और बच्चों को भी संभालना पड़े। आपके पास समय की कमी होगी जिसके कारण सोच समझकर वित्तीय निर्णय लेने में परेशानी होगी। 

भले ही मुख्य रूप से आपके पति निवेश करते हों लेकिन आप के घर पर दो लोग कमाने वाले हैं। आप को अपने बच्चों की शिक्षा, शादी, खुद का रिटायरमेंट और खुद के लिए घर खरीदने जैसी चीज़ों के लिए योजना बनानी होगी।

इस उम्र में बेहतर होगा कि आप अपने लिए एक उपयुक्त टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनें और बेहतर प्रदर्शन कर रहे म्यूचूअल फंड्स में निवेश करती रहें। महिलाएं पारम्परिक तौर से सोने में निवेश करती रही हैं। अगर आप गहनों की जगह गोल्ड बुलियन , गोल्ड फंड या गोल्ड ईटीएफ में निवेश करती हैं तो सोने के निवेश में कोई ख़राबी नहीं है। 

चालीस की उम्र के बाद आप को रिटायरमेंट के लिए निवेश शुरू कर देना चाहिए। पब्लिक प्रोविडेंट फंड ( पीपीएफ) और नेशनल सेविंग्स स्कीम           ( एनपीएस) दोनों ही टैक्स बचाने वाले साधन हैं लेकिन इनके साथ ही पेंशन फंड्स पर नज़र डाल लेना भी सही रहेगा। इस उम्र में आप को अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सफाइ करते हुए अलग-अलग ऐसेट क्लास में निवेश करना चाहिए, जिससे आपका जोखिम कम हो सके। आप किन ऐसेट्स में निवेश करें यह आपके लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। 

निवेश पूरी उम्र चलने वाली प्रक्रिया है। अपने निवेश पर निगाह रखना सही निवेश साधन चुनने जितना ही ज़रूरी है। इसलिए नियमित तौर से अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। 

गृहणी

अगर आप एक गृहणी हैं और आपकी खुद की कोई कमाई नहीं है तो आप घर के मासिक बजट में से ज़रूर कुछ पैसे बचाना चाहेंगी। आप जो भी बचत करें उसे अलग रखें। यह पुरानी कहावत कि “पैसे से ही पैसा बनता है” आपके मामले बिल्कुल सही  है।

आप हाइब्रिड बैंक अकाउंट्स ,आरडी और एफडी में भी निवेश कर सकती हैं। पोस्ट ऑफिस में मासिक रिकरिंग डिपोजिट स्कीम होती है जिस पर अच्छा रिटर्न मिलता है। अगर आप सोने में निवेश करना चाहती हैं तो गोल्ड म्यूचूअल फंड या एसआईपी के ज़रिए ईटीएफ में निवेश करें। 

एकल अभिभावक 

भले ही आप विधवा हों या आपका तलाक हो चुका हो, अगर बच्चे आपके साथ हैं तो उनकी आर्थिक और भावनात्मक ज़िम्मेदारी आप पर ही है। उनकी पढ़ाई और शादी के साथ आपको अपने रिटायरमेंट के लिए भी योजना बनानी होगी। इस समय आपको बिना जोखिम वाले सुरक्षित साधनों में निवेश करना चाहिए। 

अगर आप अभी युवा हैं और भावनात्मक और निजी त्रासदी से गुज़र चुकी हैं तो आपके पास रिटायरमेंट के लिए सोचने का पर्याप्त समय है। हो सकता है कि आपके जीवनसाथी के पास कोई अच्छा टर्म इंश्योरेंस प्लान रह हो जिसका फायदा आपको मिले। अगर आप पर कोई घर कर्ज़ है तो इस पैसे से कर्ज़ को चुका दें, परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लें, उनकी शिक्षा की योजना बनाएं और अपने लिए टर्म इंश्योरेंस लेने का सोचें।

आपके पास जो भी पैसा बचे उसमें अपनी मासिक कमाई में से कुछ पैसे जोड़ें और इस पैसे को पीपीएफ, एनपीएस और बैलेंसड म्यूचूअल फंड में निवेश कर दें। 

अगर आपका तलाक हो चुका है और आपको खुद की देखभाल के लिए नियमित पैसा / या ऐलमोनी मिला है तो भी मानदंड बहुत अलग नहीं होने चाहिए। हो सकता है कि आप एक साथ कहीं निवेश ना कर पाएं तो एसआईपी के ज़रिए ही निवेश करें। एसआईपी के कारण आप नियमित रूप से अपनी मासिक कमाई से कुछ पैसा अलग करते जमा करती रहेंगी।

दोनों ही मामलों में अपने इमरजेंसी फंड के तौर पर खुद के छ: महीने के खर्च के बराबर पैसा रखना ज़रूरी है। अगर आप कोई किश्त भर रही हैं तो वह भी इसमें शामिल होनी चाहिए। 

निष्कर्ष 

समय के साथ आपकी कमाई बढ़ने पर आपका लक्ष्य परिवार से ज़्यादा खुद को सुरक्षित करने पर होना चाहिए। अपने पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के साथ ही कम जोखिम वाले साधनों में निवेश करने का नियम बनाएं। साथ ही जोखिम को कम करने लिए हर महीने अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। 

डिस्क्लेमर : यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे निवेश, बीमा, टैक्स या कानूनी सलाह के तौर पर ना लें। इन क्षेत्रों से जुड़े निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। 

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