How to start saving when you're a wage earner

किसी वेतनभोगी कर्मचारी को अपनी आय का कम से कम 20% बचत करना चाहिए | यह बचत आपको किसी भी चिकित्सीय या आपातकालीन स्थिति में वित्तीय भार को संभालने में मदद करेगा | बचत से आप अपने रिटायरमेंट योजना ,बच्चों की शिक्षा योजना या अन्य दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को लेकर बेफिक्र हो सकते हैं |

वेतन अर्जित करने वाले कर्मचारियों के लिए बचत करने के सुझाव

वेतन पाने वाले लोग निम्न माध्यमों से बचत की शुरुआत कर सकते हैं :

  1. कर-बचत फिक्स्ड डिपाजिट: कर बचत वाले फिक्स्ड डिपाजिट में पैसे जमा करना दीर्घकालिक रूप में बचत करने के लिए एक सुरक्षित और गारंटीकृत माध्यम है | इस डिपॉज़िट में आयकर धारा 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक कर कटौती की छूट दी गई है |
  2. बचत खाता : आप अपने पैसो को यदि बचत खाते में भी रखेंगे तो बैंक जमा राशि पर आपको निश्चित ब्याज देती है |
  3. डिजिटल स्वर्ण: भारत में पारम्परिक रूप से ही सोने को अच्छे निवेश के रूप में देखा गया है| हालांकि भौतिक स्वर्ण को निवेश के रूप में रखना असुरक्षित है ,आजकल आप इसकी जगह पर डिजिटल स्वर्ण खरीद सकते हैं| ऑनलाइन कई बैंक,वित्तीय संस्थानें इ.टी.एफ.,सॉवरेन बांड ,स्वर्ण फंड्स आदि के रूप में डिजिटल स्वर्ण प्रदान करते हैं| डिजिटल स्वर्ण खरीदने के लिए आपको अपने एजेंट को स्वर्ण की खरीदी राशि जमा करनी होगी और उससे उस दिन के मूल्य के हिसाब से आपके नाम पर डिजिटल स्वर्ण खरीद लिया जाएगा जिसका विवरण आपको आपके खाते में दिखेगा|आप किसी भी स्थिति में डिजिटल सोने के बदले भौतिक सोना नहीं ले सकेंगे | जब भी आप उस डिजिटल स्वर्ण को बेचेंगे तो बिक्री वाले दिन के स्वर्ण मूल्य के हिसाब से आपके खाते में पैसे जमा कर दिए जाएंगे | यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है |
  4. एस.आई.पी. (नियमित निवेश योजना ) : एस.आई.पी., म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने की एक नियमित योजना है | इस योजना द्वारा निवेशक एक म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन करके नियमित अंतराल में एक निश्चित राशि निवेश करता है जो उसके बैंक खाते से स्वचालित रूप से डेबिट होती जाती है | यह निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है |
  5. इ.एल.एस.एस. : यह भी एक प्रकार की म्यूच्यूअल फंड योजना है जिसकी न्यूनतम लॉक-इन अवधि 3 वर्ष है | इस योजना में कम से कम 80% राशि इक्विटी (स्टॉक्स) में निवेश की जाती है जिससे अन्य कर-बचत योजनाओं की तुलना में लम्बे समय में ज्यादा कम्पाउंडिंग की क्षमता होती है |

इन व्यक्तिगत विकल्पों के अलावा, वेतन पाने वाले लोग कुछ सरकारी योजनाओं में भी निवेश करके बचत कर सकते हैं | सरकार ने वेतनभोगी कर्मचारियों के बचत सम्बन्धी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई बचत योजना बनाई है | आइये,इनमे से कुछ प्रमुख योजनाओं के बारे में जानें :

  1. इ.पी.एफ. : कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (इ.पी.एफ.), इ.पी.एफ.ओ. दिशानिर्देश के अनुसार संचालित एक बचत योजना है | इस योजना के तहत कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों को वेतनभोगी कर्मचारी के इ.पी.एफ. खाते में अनिवार्य रूप से मासिक वेतन के एक निश्चित प्रतिशत का योगदान देना होता है | यह खाता कर्मचारी की दूसरी नौकरी लगने पर दूसरे नियोक्ता की कंपनी में हस्तांतरित किया जा सकता है | इस खाते में जमा की गई राशि आयकर धारा 80C के अंतर्गत कर-छूट के लिए पात्र है | वर्तमान में, नियोक्ता और कर्मचारी इ.पी.एफ. खाते में मासिक वेतन का 12% योगदान करते हैं |
  2. पी.पी.एफ.: पब्लिक प्रोविडेंट फंड(पी.पी.एफ.) सरकार द्वारा समर्थित कर-मुक्त दीर्घकालिक बचत योजना है | पी.पी.एफ. खाता किसी भी बैंक या पोस्ट-ऑफिस में खोला जा सकता है | इसमें जमा राशि की न्यूनतम लॉक-इन अवधि 15 वर्ष है| जमा राशि और उस पर अर्जित ब्याज पर धारा 80C के अंतर्गत कर-छूट दी गई है | रिटर्न को 7.1% प्रतिवर्ष के दर से चक्रवृद्धि ब्याज के आधार पर हिसाब लगाया जाएगा |
  3. एन.पी.एस.: राष्ट्रीय पेंशन योजना (एन.पी.एस.),वेतनभोगी कर्मचायरियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित मासिक आय प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई बचत योजना है | इसमें कर्मचारी कार्यरत रहते हुए अपने वेतन अनुसार एन.पी.एस. खाते में निवेश करते हैं और कर्मचारियों को जमा राशि को रिटर्न के साथ ,रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में दिया जाता है |

निष्कर्ष: निश्चित आय वाले वेतन-भोगी लोगों के लिए बचत योजना तैयार करना बेहद आवश्यक है | इससे आपके जीवन की गुणवत्ता और आपकी रिटायरमेंट योजना में सुधार हो सकता है और आप भविष्य को लेकर बेफिक्र रह सकते हैं | अपनी मेहनत की कमाई को स्मार्ट बचत विकल्पों में निवेश करने के लिए सभी उपलब्ध विकल्पों पर ध्यान दे और हर वेतन-वृद्धि के बाद निवेश योजनाओं में बदलाव करें |

संवादपत्र

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