- Date : 11/04/2021
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- Read in English: 5 Personal finance news that made headlines in 2020
वर्ष 2020 के बड़े व्यक्तिगत वित्तीय घटनाओं और आपके भविष्य पर उनके असर को समझना।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 2020 घटनाओं से भरा साल रहा। कोविड-19 किसी सदमादायी घटना से कम नहीं था। इस वैश्विक महामारी ने न केवल जीवन जीने के तरीके को बदल दिया, बल्कि इसने हमें 'नवीन सामान्य' जीवनशैली अपनाने के लिए भी मजबूर कर दिया। व्यक्तिगत वित्त और समग्र धन प्रबंधन के ऊपर इस महामारी का काफी असर दिखाई पड़ा है।
यहां वे टॉप 5 व्यक्तिगत वित्तीय घटनाएं हैं, जिन्होंने वर्ष 2020 की हमारी जिंदगी को पुनर्परिभाषित की थी।
1. आरबीआइ की ओर से लोन मोरैटोरियम राहत
आवश्यक सेवाओं के अलावा, मार्च 2020 में कोविड-19 के प्रकोप के बाद समूचे देश में लॉकडाउन कगने से देश की सभी आर्थिक गतिविधियों पर विराम लग गया था। तरलता एक समस्या बन गई थी क्योंकि ज्यादातर ऋणकर्ताओं को फंडों की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के ऊपर भारी दबाव था कि वह इस नई परिस्थिति के कारण तरलता के साथ संघर्ष करने वाले लोगों को राहत प्रदान करे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने प्रक्रियाओं और समग्र स्थिति की समीक्षा की और 27 मार्च 2020 को टर्म लोन के ऊपर मोरैटोरियम की अवधि की घोषणा की। आरंभ में यह तीन महीने के लिए ही लागू किया गया था, पर बाद में लोन मोरैटोरियम की अवधि को बढ़ाकर छह महीना कर दिया गया।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
ऋण लेने वाले लोगों को इस राहत से सीधा फ़ायदा पहुंचा, क्योंकि इसने उन्हें छह महीनों की अवधि तक ईएमआइ रोकने की छूट दी। केंद्र सरकार ने इस योजना के एक अंग के रूप में रु. 2 करोड़ तक के लोन की अदायगी पर चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंड इंटरेस्ट) से छूट दी।
इससे जुड़ी बातें: कोविड-19 महामारी के दौर में खुदरा ऋण लेने के दौरान क्या जानना चाहिए?
2. बैंक जमा बीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव
मौजूदा आरबीआइ दिशा-निर्देश कहते हैं कि जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआइसीजीसी) भारत के सभी सहकारी और वाणिज्यिक बैंकों में की जाने वाली जमाओं के बीमा के लिए जिम्मेदार है। इसका अर्थ है कि हर जमाकर्ता चालू और बचत खातों और साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिटों के लिए किसी विशेष बैंक के खाता धारकों द्वारा की गई जमाओं पर मूलधन तथा ब्याज राशि पर रु. 1 लाख का बीमा करवाने के लिए योग्य है।
बैंक यदि दिवालियापन की घोषणा करता है, तो खाताधारक केवल रु. 1 लाख बीमा में प्राप्त करने के लिए योग्य होगा - और वह भी यदि खातों में कुल बचत राशि रु. 1 लाख या अधिक हो। वर्ष 2020-21 के बजट अभिभाषण में, केंद्रीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बैंक जमा बीमा को रु. 1 लाख से बढ़ाकर रु. 5 लाख प्रति जमाकर्ता करने का प्रस्ताव दिया।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
यह मौजूदा आरबीआइ दिशा-निर्देशों में एक अहम संशोधन साबित हुआ, क्योंकि इसने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में ग्राहक के भरोसे, विश्वास और ट्रस्ट को बढ़ाया। बचत के महत्व को जोर डालने से, खाता धारकों द्वारा भारत के निजी और पब्लिक सेक्टर बैंकों में बचत करने और निवेश करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
इससे जुड़ी बातें: 5 बैंक जो सर्वोत्तम फिक्स्ड डिपोजिट दर देते हैं
3. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के नए नियम
जालसाजी के खतरे को कम करने के लिए, आरबीआइ ने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की सुरक्षा के लिए और अधिक ट्रांजैक्शन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए। नवीनतम दिशा-निर्देश कार्डधारकों को अंतर्राष्ट्रीय ट्रांजैक्शन, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और कॉन्टैक्टलेस कार्ड ट्रांजैक्शनों से जुड़ी सेवाओं, खर्च सीमा इत्यादि को अपनाने या न अपनाने का विकल्प रजिस्टर करने की सुविधा देगा।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
उपभोक्ता अब क्रेडिट या डेबिट कार्ड की सुविधाओं - एटीएम, एनएफसी, पीओएस या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को स्विच ऑन/ऑफ़ कर पाएंगे - जिससे ऑफलाइन या ऑनलाइन फ्रॉड की संभावना को कम किया जा सकेगा।
इससे जुड़ी बातें: आपके क्रेडिट स्कोर का चार्ज लेना [प्रीमियम]
4. भारतीय बीमा उद्योग में हुई अहम प्रगति
कोविड-19 रोगों की सूची में एक नई बीमारी है, इसलिए यह जेनरल या स्वास्थ्य बीमा के तहत शामिल नहीं था। वायरस जब अपना विस्तार जारी रखा, तो भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) ने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस के कारण अस्पताल में भर्ती को क्लेम प्रॉसेस या मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलीसियों के तहत मिलने वाले कैश लाभों के तहत क्लेम करने के लिए स्वीकार किया जाएगा। कोविड-19 के कारण होने वाली मृत्यु को 'सामान्य मृत्यु’ माना जाएगा। इसलिए, लाभार्थी नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप दावे क्लेम कर पाएंगे।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
स्वास्थ्य बीमा के ऊपर आइआरडीएआइ के नए दिशा-निर्देशों ने सुनिश्चित किया कि पॉलिसीधारकों को कोविड-19 उपचार के लिए लगने वाले मेडिकल लागतों पर रीइम्बर्समेंट प्राप्त हो सकेगा। जेनरल लाइफ़ इंश्योरेंस की गाइडलाइंस में बदलाव भी अहम था, क्योंकि लाभार्थी कोरोनावायर्स के कारण होने वाली मृत्यु में लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलीसियों देय राशि पाने में सक्षम बनेंगे।
इससे जुड़ी बातें: भारत में COVID-19 के लिए इंश्योरेंस कवर
5. म्यूचुअल फंड अधिक निवेशक-हितैषी बन गए
पब्लिक व्यय को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कई नए नियमों और विनियमों की घोषणा की, जैसे कि मल्टी-कैप फंडों के इंवेस्टमेंट मैंडेट में एक संशोधन और फ्लेक्सी कैटगरी की शुरुआत। इसके बाद इंटर-स्कीम ट्रांसफर नियमों, एनएवी कैल्कुलेशन में बदलाव को कड़ा बनाया गया और म्यूचुअल फंड निवेशों के लिए जोखिम मूल्यांकन के नए स्तर शुरु किए गए।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य लोगों में बचत किए गए पैसों को म्यूचुअल फंडों में निवेश करने की आदत डालता था। म्यूचुअल फंड को अधिक पारदर्शक बनाने और निवेशक-हितैषी बनाने से आम उपभोक्ताओं के लिए एक निवेश स्थान के रूप में स्वाभाविक रूप से वे अधिक आकर्षक बनेंगे।
इससे जुड़ी बातें: आपके म्यूचुअल फंड निवेश पर कोविड-19 का असर
अंतिम शब्द
इस कोविड दौर में, आरबीआइ और केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर, अर्थव्यवस्था को सही दिशा में बढ़ाने के लिए नए उपाय करने के लिए सहयोग किया है। राहत उपायों पर सरकारी व्यय का बढ़ना व्यक्तिगत वित्त की दुनिया को एक नए सकारात्मक दिशा में बढ़ाने के कई कदमों में पहला है।बजट 2020 की इन मुख्य बातों को देखें।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 2020 घटनाओं से भरा साल रहा। कोविड-19 किसी सदमादायी घटना से कम नहीं था। इस वैश्विक महामारी ने न केवल जीवन जीने के तरीके को बदल दिया, बल्कि इसने हमें 'नवीन सामान्य' जीवनशैली अपनाने के लिए भी मजबूर कर दिया। व्यक्तिगत वित्त और समग्र धन प्रबंधन के ऊपर इस महामारी का काफी असर दिखाई पड़ा है।
यहां वे टॉप 5 व्यक्तिगत वित्तीय घटनाएं हैं, जिन्होंने वर्ष 2020 की हमारी जिंदगी को पुनर्परिभाषित की थी।
1. आरबीआइ की ओर से लोन मोरैटोरियम राहत
आवश्यक सेवाओं के अलावा, मार्च 2020 में कोविड-19 के प्रकोप के बाद समूचे देश में लॉकडाउन कगने से देश की सभी आर्थिक गतिविधियों पर विराम लग गया था। तरलता एक समस्या बन गई थी क्योंकि ज्यादातर ऋणकर्ताओं को फंडों की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के ऊपर भारी दबाव था कि वह इस नई परिस्थिति के कारण तरलता के साथ संघर्ष करने वाले लोगों को राहत प्रदान करे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने प्रक्रियाओं और समग्र स्थिति की समीक्षा की और 27 मार्च 2020 को टर्म लोन के ऊपर मोरैटोरियम की अवधि की घोषणा की। आरंभ में यह तीन महीने के लिए ही लागू किया गया था, पर बाद में लोन मोरैटोरियम की अवधि को बढ़ाकर छह महीना कर दिया गया।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
ऋण लेने वाले लोगों को इस राहत से सीधा फ़ायदा पहुंचा, क्योंकि इसने उन्हें छह महीनों की अवधि तक ईएमआइ रोकने की छूट दी। केंद्र सरकार ने इस योजना के एक अंग के रूप में रु. 2 करोड़ तक के लोन की अदायगी पर चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंड इंटरेस्ट) से छूट दी।
इससे जुड़ी बातें: कोविड-19 महामारी के दौर में खुदरा ऋण लेने के दौरान क्या जानना चाहिए?
2. बैंक जमा बीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव
मौजूदा आरबीआइ दिशा-निर्देश कहते हैं कि जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआइसीजीसी) भारत के सभी सहकारी और वाणिज्यिक बैंकों में की जाने वाली जमाओं के बीमा के लिए जिम्मेदार है। इसका अर्थ है कि हर जमाकर्ता चालू और बचत खातों और साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिटों के लिए किसी विशेष बैंक के खाता धारकों द्वारा की गई जमाओं पर मूलधन तथा ब्याज राशि पर रु. 1 लाख का बीमा करवाने के लिए योग्य है।
बैंक यदि दिवालियापन की घोषणा करता है, तो खाताधारक केवल रु. 1 लाख बीमा में प्राप्त करने के लिए योग्य होगा - और वह भी यदि खातों में कुल बचत राशि रु. 1 लाख या अधिक हो। वर्ष 2020-21 के बजट अभिभाषण में, केंद्रीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बैंक जमा बीमा को रु. 1 लाख से बढ़ाकर रु. 5 लाख प्रति जमाकर्ता करने का प्रस्ताव दिया।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
यह मौजूदा आरबीआइ दिशा-निर्देशों में एक अहम संशोधन साबित हुआ, क्योंकि इसने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में ग्राहक के भरोसे, विश्वास और ट्रस्ट को बढ़ाया। बचत के महत्व को जोर डालने से, खाता धारकों द्वारा भारत के निजी और पब्लिक सेक्टर बैंकों में बचत करने और निवेश करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
इससे जुड़ी बातें: 5 बैंक जो सर्वोत्तम फिक्स्ड डिपोजिट दर देते हैं
3. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के नए नियम
जालसाजी के खतरे को कम करने के लिए, आरबीआइ ने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की सुरक्षा के लिए और अधिक ट्रांजैक्शन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए। नवीनतम दिशा-निर्देश कार्डधारकों को अंतर्राष्ट्रीय ट्रांजैक्शन, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और कॉन्टैक्टलेस कार्ड ट्रांजैक्शनों से जुड़ी सेवाओं, खर्च सीमा इत्यादि को अपनाने या न अपनाने का विकल्प रजिस्टर करने की सुविधा देगा।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
उपभोक्ता अब क्रेडिट या डेबिट कार्ड की सुविधाओं - एटीएम, एनएफसी, पीओएस या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को स्विच ऑन/ऑफ़ कर पाएंगे - जिससे ऑफलाइन या ऑनलाइन फ्रॉड की संभावना को कम किया जा सकेगा।
इससे जुड़ी बातें: आपके क्रेडिट स्कोर का चार्ज लेना [प्रीमियम]
4. भारतीय बीमा उद्योग में हुई अहम प्रगति
कोविड-19 रोगों की सूची में एक नई बीमारी है, इसलिए यह जेनरल या स्वास्थ्य बीमा के तहत शामिल नहीं था। वायरस जब अपना विस्तार जारी रखा, तो भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) ने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस के कारण अस्पताल में भर्ती को क्लेम प्रॉसेस या मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलीसियों के तहत मिलने वाले कैश लाभों के तहत क्लेम करने के लिए स्वीकार किया जाएगा। कोविड-19 के कारण होने वाली मृत्यु को 'सामान्य मृत्यु’ माना जाएगा। इसलिए, लाभार्थी नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप दावे क्लेम कर पाएंगे।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
स्वास्थ्य बीमा के ऊपर आइआरडीएआइ के नए दिशा-निर्देशों ने सुनिश्चित किया कि पॉलिसीधारकों को कोविड-19 उपचार के लिए लगने वाले मेडिकल लागतों पर रीइम्बर्समेंट प्राप्त हो सकेगा। जेनरल लाइफ़ इंश्योरेंस की गाइडलाइंस में बदलाव भी अहम था, क्योंकि लाभार्थी कोरोनावायर्स के कारण होने वाली मृत्यु में लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलीसियों देय राशि पाने में सक्षम बनेंगे।
इससे जुड़ी बातें: भारत में COVID-19 के लिए इंश्योरेंस कवर
5. म्यूचुअल फंड अधिक निवेशक-हितैषी बन गए
पब्लिक व्यय को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कई नए नियमों और विनियमों की घोषणा की, जैसे कि मल्टी-कैप फंडों के इंवेस्टमेंट मैंडेट में एक संशोधन और फ्लेक्सी कैटगरी की शुरुआत। इसके बाद इंटर-स्कीम ट्रांसफर नियमों, एनएवी कैल्कुलेशन में बदलाव को कड़ा बनाया गया और म्यूचुअल फंड निवेशों के लिए जोखिम मूल्यांकन के नए स्तर शुरु किए गए।
इसने कैसे उपभोक्ताओं को प्रभावित किया?
इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य लोगों में बचत किए गए पैसों को म्यूचुअल फंडों में निवेश करने की आदत डालता था। म्यूचुअल फंड को अधिक पारदर्शक बनाने और निवेशक-हितैषी बनाने से आम उपभोक्ताओं के लिए एक निवेश स्थान के रूप में स्वाभाविक रूप से वे अधिक आकर्षक बनेंगे।
इससे जुड़ी बातें: आपके म्यूचुअल फंड निवेश पर कोविड-19 का असर
अंतिम शब्द
इस कोविड दौर में, आरबीआइ और केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर, अर्थव्यवस्था को सही दिशा में बढ़ाने के लिए नए उपाय करने के लिए सहयोग किया है। राहत उपायों पर सरकारी व्यय का बढ़ना व्यक्तिगत वित्त की दुनिया को एक नए सकारात्मक दिशा में बढ़ाने के कई कदमों में पहला है।बजट 2020 की इन मुख्य बातों को देखें।