अपने निवेश पोर्टफोलियो को साफ सुथरा कैसे रखें?

पोर्टफोलियो मैनजमेंट सुनने में थोड़ा मुश्किल काम लगता है, लेकिन इसके जरिये आप निवेश पर बेहतर रिटर्न कमा सकते हैं। यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल करके आप रिटर्न ना देने वाले निवेश को हटा कर अपने पोर्टफोलियो को ज्यादा बेहतर और संतुलित बना सकते हैं।

Ways to clean up your investment Portfolio

आप ने साल के आखिर में आने वाली सेल के बड़े-बड़े विज्ञापन जरूर देखे होंगे। सेल के जरिए दुकानदार ऐसी चीजों को हटा देना चाहते हैं जिनकी आने वाले कुछ महीनों में बिक्री की उम्मीद नहीं है- जैसे सर्दियों में एसी और रेफ्रिजरेटर और गर्मियों में ऊनी कपड़ों की बिक्री नहीं होती। 

यही काम आपको निवेश पोर्टफोलियो के साथ भी करना है: साल में कम से कम एक बार पूरे पोर्टफोलियो निवेश की जांच पड़ताल करें और गेहूं से भूसे को अलग कर दें। यहां भूसे का मतलब उन शेयरों या निवेश से है जिनमे आपको बेहतर रिटर्न नहीं मिल रहा है। इस तरह के निवेश से आपके पैसे का सही इस्तेमाल नहीं होता और अगर आप को लग रहा है कि भविष्य में भी उसके बेहतर होने की कोई संभावना नहीं है तो उसे पोर्टफोलियो से बाहर कर दें। पोर्टफोलियो की सफाई के लिए इस तरह के निवेश को हटाना जरूरी है। 

समस्या यह है कि यह काम उतना आसान है नहीं जितना कहने में लगता है। हर कोई निवेश मामलों का जानकार नहीं हो सकता। हालांकि सिर्फ इस वजह से कोई निवेश ना करे या अपने पोर्टफोलियो को बेहतर ना बनाए ऐसा भी नहीं होना चाहिए। 

प्रोफेशनल की सलाह 

ऐसी कोई वजह नहीं है कि आप अपने पोर्टफोलियो की देखभाल खुद ना कर सकें लेकिन अगर आपको लगता है कि आपके पास उसके लिए पर्याप्त समय या समझ का अभाव है, तो पोर्टफोलियो को संभालने के लिए एक प्रोफेशनल पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाएं ली जा सकती है। 

फंड मैनेजर कई तरह से आपकी सहायता करता है जैसे: 

  • आपके निवेश करने की क्षमता और बाजार की मौजूदा स्थिति के आधार पर वह यह बता सकता है कि आपके पैसे से क्या किया जा सकता है। इसके साथ ही वह फंड से हासिल होने लायक सही लक्ष्य तय करने में मदद कर सकता है। 
  • आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से रणनीति बनाकर निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए योजना बनाकर उसे लागू कर सकता है।
  • खराब निवेश की पहचान करने में आपकी सहायता कर सकता है; (शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता ही है, लेकिन नुकसान होने के बावजूद आप अपने लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं। फंड मैनेजर इस काम में सहायता करता है और नुकसान पहुंचाने सकने वाले निवेश को पहले ही पहचान सकता है) 
  • साथ ही वह ऐसी रणनीति बनाने में भी मदद कर सकता है जिससे नुकसान को कम किया जा सके।
  • वह पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ करने में मदद करता है (ऐसा हो सकता है कि जब बाजार बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो तब आपका फंड नीचे जा रहा हो, जबकि उसके जैसे दूसरे फंड बेहतर प्रदर्शन कर रहे हों: पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ करने से फंड के खराब प्रदर्शन करने का खतरा कम हो जाता है)।

व्यक्तिगत उपाय

बेहतर यही है कि निवेश के बारे में पहले खुद थोड़ा समझें और उसके बाद ही निवेश शुरू करें। शुरू करने से पहले निवेश का एक बजट निर्धारित करें, जैसे कि कितना पैसा आपको निवेश करना है और कितने पैसे से ट्रेडिग करना है आदि। 
उसके बाद निम्मलिखित चीजें करें: 

  • अपने फंड मैनेजर से लगातार संपर्क में रहें

महीने में कम से कम एक बार अपने फंड मैनेजर से बात करने की कोशिश करें। अगर आपके पास समय की कमी है तो कम से कम तीन महीने में एक बार तो जरूर बात करें। इससे आप को पता चलता रहेगा कि आपका निवेश लक्ष्य के हिसाब से रिटर्न दे रहा है या नहीं और उसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत तो नहीं है। 

  • बाजार की ताज़ा स्थिति पर नजर रखें:

फंड मैनेजर से बात करते समय इस बात की जानकारी लें कि बाजार किस तरह का व्यवहार कर रहा है और भविष्य को लेकर क्या संभावनाएं हैं। बाजार की मौजूदा स्थिति में किस तरह के जोखिम हो सकते हैं और उनसे बचने के लिए क्या किया जा सकता है इसे भी पता करने की कोशिश करें (ध्यान रखें कि धन के प्रबंध से आप जोखिम उठाने में सक्षम बनते हैं) 

  • बाजार की चाल पर नजर रखें

बाजार की चाल पर नजर रखने के साथ ही देश और दुनिया में हो रही उन घटनाओं पर नजर रखें  जिनसे आपके शेयरों की कीमतों पर असर पड़ सकता है। अगर बाजार में गिरावट आई तो आपके फंड की कीमत भी बहुत नीचे जा सकती है।  

  • ध्यान रखें कि सूचना का स्रोत सही हो: 

इस बात का ध्यान रखें कि आपकी सूचना का स्रोत सही हो। इस बात की पड़ताल करें कि आपने जो निवेश चुना है वह आपकी जरूरतों को पूरा कर रहा है या नहीं, जैसे की डिवेडेंड या कैपिटल ग्रोथ के मामले में उसकी स्थिति पर नजर रखें। अगर आपके पास निर्धारित लक्ष्य होगा तो उसके हिसाब से सूचना जमा करने में आसानी होगी। 

Ways to clean up your investment

पोर्टफोलियो की सफाई: 

असल में पैसे से पैसा बनाने की कला ही निवेश है। जिस निवेश से पैसा नहीं बनता वह निवेश पैसे के खराब इस्तेमाल करने जैसा है। तो आप जब भी अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें इस बात का पर जरूर ध्यान दें कि किसी खास निवेश में फायदा क्यों नहीं हो रहा। इसके पीछे कुछ प्रतिकूल बाहरी कारणों (जो शायद अस्थाई हों) से लेकर निवेश की कोई बुनियादी समस्या तक, कई वजहें हो सकती हैं। अगर कोई बुनियादी समस्या है तो निवेश से बाहर निकल जाएं। 

#जांच नंबर 1: अगर आपके पास किसी ऐसी कंपनी के शेयर हैं जो बाजार के रूझानों के खिलाफ जा रहे हैं तो सलाह है कि कंपनी के पिछले रिकॉर्ड की जांच जरूर करें। यह मान सकते हैं कि आपने कमाई की संभावना देखने के बाद ही इस शेयर को खरीदा था। खुद को कंपनी का एक हिस्सेदार मानते हुए खुद से सवाल करें: क्या आपने इसे उस समय खरीदा जब शेयर अचानक ऊंचाईयां छूने लगा था और इसे देखकर आपमें लालच आ गया था? क्या आपको पक्का यकीन है कि शेयर की कीमत बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका बाजार की नहीं है। अगर ऐसा है तो कीमत नीचे गिरने से पहले ही उससे निकल जाना बेहतर है। अगर आपके पास कोई फंड मैनेजर है तो उससे भी सलाह लें। आपके पास कंपनी के बारे में जो भी जानकारी है या सामग्री है उसे फिर से पढ़े।

#जांच नंबर 2: जब आपने शेयर खरीदा था अगर उस समय अटकलों के आधार पर कीमतें नहीं बढ़ी थी तो आप उस शेयर के ट्रैक रिकॉर्ड की दोबारा जांच करें: 

(a) क्या इसने अपनी क्षमता के हिसाब से सही प्रदर्शन किया?

(b) आपके शेयर खरीदने के बाद क्या इसने फायदा कमाया, और

(c) क्या कंपनी ने अच्छी कमाई का ट्रैक रिकॉर्ड दिखाया, जैसे क्या शेयर की रिटर्न ऑन अर्निंगज (आरओई) अच्छी है?

(d) अगर हां, तो फिर स्थिति में बदलाव कैसे आया?

(e) क्या यह किसी नए बाहरी बदलाव की वजह से हुआ? उदाहरण के लिए, केन्या में चाय का उत्पादन बढ़ने से नीलगिरी की चाय कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ सकता है: क्या ऐसा कुछ हुआ है? 

(f) अगर ऐसा कुछ है तो संभावना है कि शेयर में आ रही गिरावट अस्थायी है। अगर लग रहा है कि ऐसा प्रंबधन की कमी या उत्पाद के चलन से बाहर होने के कारण हुआ है तो समझ लीजिए की समस्या यही है और अब शेयरों को बचने का समय आ गया है। 

#जांच नंबर 3: जैसे-जैसे व्यक्ति बूढ़ा होता है उसकी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। ऐसा ही वित्तीय लक्ष्यों के साथ भी होता है। इसलिए आवश्यक है कि बदलती जरूरतों के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो की जांच करके उसमें बदलाव करते रहें। उसमें इक्विटी और डेट के बीच संतुलन रखें (जैसे कि वे म्यूचूअल फंड जो फिक्सड इंकम सिक्योरिटीज जैसे बॉन्ड और ट्रेजरी बिल्स में निवेश करते हैं) 

निवेश का आदर्श यह माना जाता है कि 100 में से आपकी उम्र घटाने पर जो संख्या आती है, आपका इक्विटी निवेश भी कुल निवेश का उतना फीसदी ही होना चाहिए। जैसे कि अगर आप की उम्र 27 वर्ष है तो 100 में से 27 घटाने पर 73 आता है तो आपका इक्विटी निवेश भी कुल निवेश का 73% होना चाहिए। इसका मतलब है कि जब आप युवा होते हैं तो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा होती है जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है निवेश के अनुपात को बदलने की जरूरत होगी। 

#जांच नंबर 4: 

ऐसा हो सकता है कि जब आप किसी कंपनी का शेयर लें तो उसकी बैलेंस शीट में कर्ज़ और इक्विटी का अनुपात सही हो। लेकिन हो सकता है कि कंपनी का प्रबंधन बाद में कर्ज़ की मात्रा बढ़ा ले। ऐसा होने पर आपके शेयर पर भी भार बढ़ेगा। बहुत ज्यादा कर्ज़ में डूबी कंपनी में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। याद रखें कि अगर कर्ज़ और इक्विटी का अनुपात 50% से ज्यादा होने का मतलब है कंपनी की संपत्ति में शेयर धारकों की तुलना में कंपनी को कर्ज़ देने वाले की हिस्सेदारी ज्यादा है। इस तरह की कंपनियों के शेयर से बाहर निकलने में ही समझदारी है। 

अंतिम बात

अपने पोर्टफोलियो के देखभाल की प्रमुख जिम्मेदारी आपकी ही है। यह काम मुश्किल लगता है लेकिन उतना मुश्किल है नहीं। बाजार में निवेश से जुड़े कुछ शब्दों के बारे में अच्छी तरह से समझ लें - जैसे पूंजी या कैपिटल (खर्च के बाद बचा नकद पैसा), पूंजीगत संपत्ति या कैपिटल ऐसेट (वास्तविक संपत्तियां जिसमें स्टॉक या बांड भी शामिल हैं), पूंजीगत लाभ या कैपिटल गेन (कैपिटल ऐसेट के मूल्य में हुई वृद्धि), प्रॉफिट या लाभ (कंपनी का मौद्रिक लाभ)। इन शब्दों को सही तरह से समझने के बाद आप एक ट्रेडर की तरह सोचना शुरू कर देंगे। उसके बाद आप एक ट्रेडर की तरह जिम्मेदारी भी उठा सकेंगे। इस तरह शेयर बेचने के लिए सही समय चुनना आसान हो जाएगा। 

डिस्‍क्‍लेमर:: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे निवेश, टैक्स या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

आप ने साल के आखिर में आने वाली सेल के बड़े-बड़े विज्ञापन जरूर देखे होंगे। सेल के जरिए दुकानदार ऐसी चीजों को हटा देना चाहते हैं जिनकी आने वाले कुछ महीनों में बिक्री की उम्मीद नहीं है- जैसे सर्दियों में एसी और रेफ्रिजरेटर और गर्मियों में ऊनी कपड़ों की बिक्री नहीं होती। 

यही काम आपको निवेश पोर्टफोलियो के साथ भी करना है: साल में कम से कम एक बार पूरे पोर्टफोलियो निवेश की जांच पड़ताल करें और गेहूं से भूसे को अलग कर दें। यहां भूसे का मतलब उन शेयरों या निवेश से है जिनमे आपको बेहतर रिटर्न नहीं मिल रहा है। इस तरह के निवेश से आपके पैसे का सही इस्तेमाल नहीं होता और अगर आप को लग रहा है कि भविष्य में भी उसके बेहतर होने की कोई संभावना नहीं है तो उसे पोर्टफोलियो से बाहर कर दें। पोर्टफोलियो की सफाई के लिए इस तरह के निवेश को हटाना जरूरी है। 

समस्या यह है कि यह काम उतना आसान है नहीं जितना कहने में लगता है। हर कोई निवेश मामलों का जानकार नहीं हो सकता। हालांकि सिर्फ इस वजह से कोई निवेश ना करे या अपने पोर्टफोलियो को बेहतर ना बनाए ऐसा भी नहीं होना चाहिए। 

प्रोफेशनल की सलाह 

ऐसी कोई वजह नहीं है कि आप अपने पोर्टफोलियो की देखभाल खुद ना कर सकें लेकिन अगर आपको लगता है कि आपके पास उसके लिए पर्याप्त समय या समझ का अभाव है, तो पोर्टफोलियो को संभालने के लिए एक प्रोफेशनल पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाएं ली जा सकती है। 

फंड मैनेजर कई तरह से आपकी सहायता करता है जैसे: 

  • आपके निवेश करने की क्षमता और बाजार की मौजूदा स्थिति के आधार पर वह यह बता सकता है कि आपके पैसे से क्या किया जा सकता है। इसके साथ ही वह फंड से हासिल होने लायक सही लक्ष्य तय करने में मदद कर सकता है। 
  • आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से रणनीति बनाकर निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए योजना बनाकर उसे लागू कर सकता है।
  • खराब निवेश की पहचान करने में आपकी सहायता कर सकता है; (शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता ही है, लेकिन नुकसान होने के बावजूद आप अपने लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं। फंड मैनेजर इस काम में सहायता करता है और नुकसान पहुंचाने सकने वाले निवेश को पहले ही पहचान सकता है) 
  • साथ ही वह ऐसी रणनीति बनाने में भी मदद कर सकता है जिससे नुकसान को कम किया जा सके।
  • वह पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ करने में मदद करता है (ऐसा हो सकता है कि जब बाजार बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो तब आपका फंड नीचे जा रहा हो, जबकि उसके जैसे दूसरे फंड बेहतर प्रदर्शन कर रहे हों: पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ करने से फंड के खराब प्रदर्शन करने का खतरा कम हो जाता है)।

व्यक्तिगत उपाय

बेहतर यही है कि निवेश के बारे में पहले खुद थोड़ा समझें और उसके बाद ही निवेश शुरू करें। शुरू करने से पहले निवेश का एक बजट निर्धारित करें, जैसे कि कितना पैसा आपको निवेश करना है और कितने पैसे से ट्रेडिग करना है आदि। 
उसके बाद निम्मलिखित चीजें करें: 

  • अपने फंड मैनेजर से लगातार संपर्क में रहें

महीने में कम से कम एक बार अपने फंड मैनेजर से बात करने की कोशिश करें। अगर आपके पास समय की कमी है तो कम से कम तीन महीने में एक बार तो जरूर बात करें। इससे आप को पता चलता रहेगा कि आपका निवेश लक्ष्य के हिसाब से रिटर्न दे रहा है या नहीं और उसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत तो नहीं है। 

  • बाजार की ताज़ा स्थिति पर नजर रखें:

फंड मैनेजर से बात करते समय इस बात की जानकारी लें कि बाजार किस तरह का व्यवहार कर रहा है और भविष्य को लेकर क्या संभावनाएं हैं। बाजार की मौजूदा स्थिति में किस तरह के जोखिम हो सकते हैं और उनसे बचने के लिए क्या किया जा सकता है इसे भी पता करने की कोशिश करें (ध्यान रखें कि धन के प्रबंध से आप जोखिम उठाने में सक्षम बनते हैं) 

  • बाजार की चाल पर नजर रखें

बाजार की चाल पर नजर रखने के साथ ही देश और दुनिया में हो रही उन घटनाओं पर नजर रखें  जिनसे आपके शेयरों की कीमतों पर असर पड़ सकता है। अगर बाजार में गिरावट आई तो आपके फंड की कीमत भी बहुत नीचे जा सकती है।  

  • ध्यान रखें कि सूचना का स्रोत सही हो: 

इस बात का ध्यान रखें कि आपकी सूचना का स्रोत सही हो। इस बात की पड़ताल करें कि आपने जो निवेश चुना है वह आपकी जरूरतों को पूरा कर रहा है या नहीं, जैसे की डिवेडेंड या कैपिटल ग्रोथ के मामले में उसकी स्थिति पर नजर रखें। अगर आपके पास निर्धारित लक्ष्य होगा तो उसके हिसाब से सूचना जमा करने में आसानी होगी। 

Ways to clean up your investment

पोर्टफोलियो की सफाई: 

असल में पैसे से पैसा बनाने की कला ही निवेश है। जिस निवेश से पैसा नहीं बनता वह निवेश पैसे के खराब इस्तेमाल करने जैसा है। तो आप जब भी अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें इस बात का पर जरूर ध्यान दें कि किसी खास निवेश में फायदा क्यों नहीं हो रहा। इसके पीछे कुछ प्रतिकूल बाहरी कारणों (जो शायद अस्थाई हों) से लेकर निवेश की कोई बुनियादी समस्या तक, कई वजहें हो सकती हैं। अगर कोई बुनियादी समस्या है तो निवेश से बाहर निकल जाएं। 

#जांच नंबर 1: अगर आपके पास किसी ऐसी कंपनी के शेयर हैं जो बाजार के रूझानों के खिलाफ जा रहे हैं तो सलाह है कि कंपनी के पिछले रिकॉर्ड की जांच जरूर करें। यह मान सकते हैं कि आपने कमाई की संभावना देखने के बाद ही इस शेयर को खरीदा था। खुद को कंपनी का एक हिस्सेदार मानते हुए खुद से सवाल करें: क्या आपने इसे उस समय खरीदा जब शेयर अचानक ऊंचाईयां छूने लगा था और इसे देखकर आपमें लालच आ गया था? क्या आपको पक्का यकीन है कि शेयर की कीमत बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका बाजार की नहीं है। अगर ऐसा है तो कीमत नीचे गिरने से पहले ही उससे निकल जाना बेहतर है। अगर आपके पास कोई फंड मैनेजर है तो उससे भी सलाह लें। आपके पास कंपनी के बारे में जो भी जानकारी है या सामग्री है उसे फिर से पढ़े।

#जांच नंबर 2: जब आपने शेयर खरीदा था अगर उस समय अटकलों के आधार पर कीमतें नहीं बढ़ी थी तो आप उस शेयर के ट्रैक रिकॉर्ड की दोबारा जांच करें: 

(a) क्या इसने अपनी क्षमता के हिसाब से सही प्रदर्शन किया?

(b) आपके शेयर खरीदने के बाद क्या इसने फायदा कमाया, और

(c) क्या कंपनी ने अच्छी कमाई का ट्रैक रिकॉर्ड दिखाया, जैसे क्या शेयर की रिटर्न ऑन अर्निंगज (आरओई) अच्छी है?

(d) अगर हां, तो फिर स्थिति में बदलाव कैसे आया?

(e) क्या यह किसी नए बाहरी बदलाव की वजह से हुआ? उदाहरण के लिए, केन्या में चाय का उत्पादन बढ़ने से नीलगिरी की चाय कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ सकता है: क्या ऐसा कुछ हुआ है? 

(f) अगर ऐसा कुछ है तो संभावना है कि शेयर में आ रही गिरावट अस्थायी है। अगर लग रहा है कि ऐसा प्रंबधन की कमी या उत्पाद के चलन से बाहर होने के कारण हुआ है तो समझ लीजिए की समस्या यही है और अब शेयरों को बचने का समय आ गया है। 

#जांच नंबर 3: जैसे-जैसे व्यक्ति बूढ़ा होता है उसकी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। ऐसा ही वित्तीय लक्ष्यों के साथ भी होता है। इसलिए आवश्यक है कि बदलती जरूरतों के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो की जांच करके उसमें बदलाव करते रहें। उसमें इक्विटी और डेट के बीच संतुलन रखें (जैसे कि वे म्यूचूअल फंड जो फिक्सड इंकम सिक्योरिटीज जैसे बॉन्ड और ट्रेजरी बिल्स में निवेश करते हैं) 

निवेश का आदर्श यह माना जाता है कि 100 में से आपकी उम्र घटाने पर जो संख्या आती है, आपका इक्विटी निवेश भी कुल निवेश का उतना फीसदी ही होना चाहिए। जैसे कि अगर आप की उम्र 27 वर्ष है तो 100 में से 27 घटाने पर 73 आता है तो आपका इक्विटी निवेश भी कुल निवेश का 73% होना चाहिए। इसका मतलब है कि जब आप युवा होते हैं तो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा होती है जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है निवेश के अनुपात को बदलने की जरूरत होगी। 

#जांच नंबर 4: 

ऐसा हो सकता है कि जब आप किसी कंपनी का शेयर लें तो उसकी बैलेंस शीट में कर्ज़ और इक्विटी का अनुपात सही हो। लेकिन हो सकता है कि कंपनी का प्रबंधन बाद में कर्ज़ की मात्रा बढ़ा ले। ऐसा होने पर आपके शेयर पर भी भार बढ़ेगा। बहुत ज्यादा कर्ज़ में डूबी कंपनी में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। याद रखें कि अगर कर्ज़ और इक्विटी का अनुपात 50% से ज्यादा होने का मतलब है कंपनी की संपत्ति में शेयर धारकों की तुलना में कंपनी को कर्ज़ देने वाले की हिस्सेदारी ज्यादा है। इस तरह की कंपनियों के शेयर से बाहर निकलने में ही समझदारी है। 

अंतिम बात

अपने पोर्टफोलियो के देखभाल की प्रमुख जिम्मेदारी आपकी ही है। यह काम मुश्किल लगता है लेकिन उतना मुश्किल है नहीं। बाजार में निवेश से जुड़े कुछ शब्दों के बारे में अच्छी तरह से समझ लें - जैसे पूंजी या कैपिटल (खर्च के बाद बचा नकद पैसा), पूंजीगत संपत्ति या कैपिटल ऐसेट (वास्तविक संपत्तियां जिसमें स्टॉक या बांड भी शामिल हैं), पूंजीगत लाभ या कैपिटल गेन (कैपिटल ऐसेट के मूल्य में हुई वृद्धि), प्रॉफिट या लाभ (कंपनी का मौद्रिक लाभ)। इन शब्दों को सही तरह से समझने के बाद आप एक ट्रेडर की तरह सोचना शुरू कर देंगे। उसके बाद आप एक ट्रेडर की तरह जिम्मेदारी भी उठा सकेंगे। इस तरह शेयर बेचने के लिए सही समय चुनना आसान हो जाएगा। 

डिस्‍क्‍लेमर:: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे निवेश, टैक्स या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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