आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा प्रस्तावित बीमा रंगीन कोड का क्या मतलब होता है ?

आई.आर.डी.ए.आई. , भारत की बीमा नियामक प्राधिकारी ने रंगीन कोड बीमा पॉलिसियों का प्रस्ताव रखा है | इससे आपको अपने लिए सही पालिसी चुनने में मदद मिलेगी |

आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा प्रस्तावित बीमा रंगीन कोड का क्या मतलब होता है

बीमा खरीदना चुनौतीपूर्ण हो सकता है ,खासकर तब जब आप पॉलिसी की शर्तों से वाकिफ न हो | इससे आपको,खासतौर पर, दावा करते वक़्त काफी निराशा हो सकती है | इसके कारण, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आई.आर.डी.ए.आई.) ने सभी बीमा कंपनियों के सामने ये प्रस्ताव रखा है कि वे अपनी पॉलिसियों को 3 अलग-अलग रंगीन कोड में वर्गीकृत करें जिससे उपभोक्ताओं को यह पॉलिसी कितनी सरल या कठिन है, यह पता लग सके|

बीमा पॉलिसी की रंगीन कोड प्रणाली क्या है ?

आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा प्रस्तावित रंगीन कोडिंग प्रणाली आसानी से पहचान के लिए ट्रैफिक सिग्नल जैसे ही तीन साधारण रंग का उपयोग करती है: लाल,नारंगी और हरा | हर बीमा पॉलिसी का कई मापदंडों द्वारा मूल्यांकन किया जाता है ,जिसके आधार पर उन्हें एक स्कोर दिया जाता है जो तीन में से एक रंगीन कोड के लिए उपयुक्त होता है | एक हरे रंग के कोड का मतलब होता है कि पॉलिसी समझने में आसान है, एक नारंगी रंग के कोड का मतलब है कि वह थोड़ी जटिल है ,और एक लाल रंग के कोड का मतलब है कि इसमें बहुत सरे अपवाद और शर्तें हैं ,और आपको इस पॉलिसी को चुनने से पहले इसके दस्तावेज़ सावधानी से पढ़ना चाहिए |

बीमा कंपनियां अपने बीमा पॉलिसियों का,वास्तव में किस प्रकार श्रेणीकरण करेंगे ?

बीमा पॉलिसियां 8 अलग-अलग पहलुओं पर वर्गीकृत की जाएंगी- स्थायी अपवादों की संख्या ,सह-भुगतान का प्रतिशत, ऐड-ऑन की संख्या,कटौतियां, महीनो में प्रतीक्षा अवधि, कवर की जाने वाले उपचारों की श्रेणी, प्रक्रियाएं या बीमारियां -जिनके लिए उप-सीमाएं लागू होती हैं,और आखिर में,नियम एवं शर्तों की सरलता | पुरे स्कोर में हर पहलु को 14.28% का समान महत्त्व दिया गया है |

यहां एक उदाहरण से बताया गया है कि स्कोर कैसे दिया जाता है: हर महीने प्रतीक्षा अवधि के लिए आपके स्कोर में 0.15 पॉइंट जोड़ दिए जाते हैं,जिसमे अधिकतम 6 पॉइंट तक जोड़ा जा सकता है | यदि किसी पॉलिसी में विभिन्न बीमारियों के लिए विभिन्न प्रतीक्षा अवधि होती है ,तो स्कोर के लिए सबसे लम्बी प्रतीक्षा अवधि मान्य होती है | फिर सभी पहलुओं के भारित औसत स्कोर को ध्यान में रखा जाता है और यह उस बीमा पॉलिसी का कुल स्कोर होता है | 0-2 के कुल स्कोर से हरे रंग के कोड होता है,2-4 से नारंगी कोड होता है और 4-6 से पॉलिसी को लाल रंग के कोड आवंटित किया जाता है |

एक बात जो रंगीन कोडिंग पर लागू होती है ,वह यह है कि यह कोड केवल एकल पॉलिसियों पर लागू होती है और सामूहिक पॉलिसियों पर नहीं , इसलिए यदि आप अपने परिवार के लिए अम्ब्रेला बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते हैं तो आप इस रंगीन कोडिंग से लाभान्वित नहीं हो पाएंगे |

अंतिम पंक्तियाँ

चूँकि यह केवल एक प्रस्तावित पहल है,ये अभी तक कानूनन लागू नहीं हुआ है | यह आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा भारत की बीमा कंपनियों में विश्वास और समझ के स्तर को बढ़ाने की अनेकों पहल में से एक है| रंगीन-कोडिंग अभी भी प्रारूप चरण में है और इसे पूर्णतः लागू करने में अभी समय लग सकता है- परन्तु यह उस क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम है जहां पर लोग बीमा दस्तावेज़ों में शामिल तकनिकी भाषा से काफी भयभीत हो जाते हैं |

बीमा खरीदना चुनौतीपूर्ण हो सकता है ,खासकर तब जब आप पॉलिसी की शर्तों से वाकिफ न हो | इससे आपको,खासतौर पर, दावा करते वक़्त काफी निराशा हो सकती है | इसके कारण, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आई.आर.डी.ए.आई.) ने सभी बीमा कंपनियों के सामने ये प्रस्ताव रखा है कि वे अपनी पॉलिसियों को 3 अलग-अलग रंगीन कोड में वर्गीकृत करें जिससे उपभोक्ताओं को यह पॉलिसी कितनी सरल या कठिन है, यह पता लग सके|

बीमा पॉलिसी की रंगीन कोड प्रणाली क्या है ?

आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा प्रस्तावित रंगीन कोडिंग प्रणाली आसानी से पहचान के लिए ट्रैफिक सिग्नल जैसे ही तीन साधारण रंग का उपयोग करती है: लाल,नारंगी और हरा | हर बीमा पॉलिसी का कई मापदंडों द्वारा मूल्यांकन किया जाता है ,जिसके आधार पर उन्हें एक स्कोर दिया जाता है जो तीन में से एक रंगीन कोड के लिए उपयुक्त होता है | एक हरे रंग के कोड का मतलब होता है कि पॉलिसी समझने में आसान है, एक नारंगी रंग के कोड का मतलब है कि वह थोड़ी जटिल है ,और एक लाल रंग के कोड का मतलब है कि इसमें बहुत सरे अपवाद और शर्तें हैं ,और आपको इस पॉलिसी को चुनने से पहले इसके दस्तावेज़ सावधानी से पढ़ना चाहिए |

बीमा कंपनियां अपने बीमा पॉलिसियों का,वास्तव में किस प्रकार श्रेणीकरण करेंगे ?

बीमा पॉलिसियां 8 अलग-अलग पहलुओं पर वर्गीकृत की जाएंगी- स्थायी अपवादों की संख्या ,सह-भुगतान का प्रतिशत, ऐड-ऑन की संख्या,कटौतियां, महीनो में प्रतीक्षा अवधि, कवर की जाने वाले उपचारों की श्रेणी, प्रक्रियाएं या बीमारियां -जिनके लिए उप-सीमाएं लागू होती हैं,और आखिर में,नियम एवं शर्तों की सरलता | पुरे स्कोर में हर पहलु को 14.28% का समान महत्त्व दिया गया है |

यहां एक उदाहरण से बताया गया है कि स्कोर कैसे दिया जाता है: हर महीने प्रतीक्षा अवधि के लिए आपके स्कोर में 0.15 पॉइंट जोड़ दिए जाते हैं,जिसमे अधिकतम 6 पॉइंट तक जोड़ा जा सकता है | यदि किसी पॉलिसी में विभिन्न बीमारियों के लिए विभिन्न प्रतीक्षा अवधि होती है ,तो स्कोर के लिए सबसे लम्बी प्रतीक्षा अवधि मान्य होती है | फिर सभी पहलुओं के भारित औसत स्कोर को ध्यान में रखा जाता है और यह उस बीमा पॉलिसी का कुल स्कोर होता है | 0-2 के कुल स्कोर से हरे रंग के कोड होता है,2-4 से नारंगी कोड होता है और 4-6 से पॉलिसी को लाल रंग के कोड आवंटित किया जाता है |

एक बात जो रंगीन कोडिंग पर लागू होती है ,वह यह है कि यह कोड केवल एकल पॉलिसियों पर लागू होती है और सामूहिक पॉलिसियों पर नहीं , इसलिए यदि आप अपने परिवार के लिए अम्ब्रेला बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते हैं तो आप इस रंगीन कोडिंग से लाभान्वित नहीं हो पाएंगे |

अंतिम पंक्तियाँ

चूँकि यह केवल एक प्रस्तावित पहल है,ये अभी तक कानूनन लागू नहीं हुआ है | यह आई.आर.डी.ए.आई. द्वारा भारत की बीमा कंपनियों में विश्वास और समझ के स्तर को बढ़ाने की अनेकों पहल में से एक है| रंगीन-कोडिंग अभी भी प्रारूप चरण में है और इसे पूर्णतः लागू करने में अभी समय लग सकता है- परन्तु यह उस क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम है जहां पर लोग बीमा दस्तावेज़ों में शामिल तकनिकी भाषा से काफी भयभीत हो जाते हैं |

संवादपत्र

Union Budget