- Date : 20/12/2022
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गिग वर्क ने पार्ट टाइम और फ्रीलांस रोजगार के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत की, तो क्या अब वो समय आ चुका है जिसमें इन नई पीढ़ी के Platform Workers को कानूनी दायरे में लाया जाए।

New regulatory framework for Gig Workers: भारत में डीमोनेटाईजेशन और कोरोना महामारी के बाद के समय में जहाँ हमारी अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान उठाने पड़े हैं वहीँ कुछ फायदे भी हुए हैं जैसे बैंकिंग सिस्टम का डिजिटाईजेशन और कई फिन-टेक और ई-कॉमर्स स्टार्ट अप्स की शुरुआत होना। इस बदलती हुई इकॉनोमिक कंडीशन में एक नये युग की वर्कफ़ोर्स (Work force of the New era) अस्तित्व में आई है जिसे गिग वर्कर्स (Gig Workers) नाम से संबोधित किया जा रहा है।
गिग वर्कर का अर्थ क्या है और ये क्या काम करते हैं?
Gig Workers वो कामगार हैं जो Digital Platforms जैसे कि Food Delivery Companies, KPO, मेंटेनेंस, सर्विस, ट्रांसपोर्ट और कुकिंग आदि सर्विस कंपनियों में पार्ट टाइम, फुल टाइम और Freelance basis पर काम करते हैं। इसके ज्यादातर कामगार वे लोग हैं जो कि पूरे दिन काम करने के बजाय कुछ घंटे या सप्ताह में कुछ दिन काम करके अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान भी दे रहे हैं।
वर्क फ्रॉम होम, पार्ट टाइम गिग्स आदि कुछ ऐसे कांसेप्ट हैं जो भारत में अभी तक बहुत ज्यादा सुनाई नहीं देते थे, लेकिन अब ये एक सामान्य बात है। Online orders, Online payment, Online Work Streams और Online gigs ने श्रम बाज़ार के सम्पूर्ण परिदृश्य को बदल कर रख दिया है। आइये जानते हैं कि Gig workers से संबधित ऐसे कौन से मुद्दे हैं जिनके बारे में विस्तृत चर्चा हो रही है-
गिग वर्क से क्या फायदे हैं?
यदि बात फायदों की हो, तो वर्कर्स के लिए दबाव रहित वातावरण, काम के घंटों का लचीलापन, कहीं भी और किसी भी के लिए काम करने की स्वतंत्रता आदि कुछ ऐसे फायदे हैं जिनकी वजह से नई पीढ़ी प्लेटफार्म वर्कर्स के तौर पर काम करना चाह रही है। कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जहाँ पर कंपनियाँ गिग वर्कर्स को मेडिकल, दुर्घटना, या जीवन बीमा और ट्रेनिंग लोन, स्कालरशिप, इसोप आदि सुविधाएँ दे रहीं हैं, लेकिन ऐसे मामले बहुत ही सीमित हैं। कंपनियाँ अपनी ऑपरेशंस लागत में कमी के कारण फायदे की स्थिति में हैं।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
अभी गिग वर्क सेक्टर की स्थिति क्या है?
सामान्य सरकारी, अर्ध सरकारी या निजी क्षेत्र में काम करने वाले किसी व्यक्ति की तुलना में गिग वर्कर्स को प्रॉविडेन्ट फण्ड, पेंशन, बीमा आदि न मिलना कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो इसे एक लाभदायक पेशा नहीं बनाती हैं। कंपनियों द्वारा सबसे कम कीमत वाले गिग वर्कर की सेवाएँ तो ली जाती हैं लेकिन अक्सर उनको पैसा बहुत देर से मिलता है या कभी- कभी मिलता ही नहीं है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक ऐसे बहुत कम लोग हैं जो इस पेशे से अपने परिवार का सम्पूर्ण खर्च उठा पा रहे हैं।
नीति आयोग के सुझाव
एक अनुमान के अनुसार भविष्य में अधिक से अधिक युवाओं द्वारा इस पेशे को अपनाए जाने के कारण इस वर्क फ़ोर्स का अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने वाला है इसलिए नीति आयोग (Niti Aayog) ने इन्हें सामाजिक सुरक्षा (Social security) के दायरे में लाने हेतु सुझाव दिये हैं और आशा की जा रही है कि सरकार जल्द ही इस सम्बन्ध में कोई मजबूत कानून लेकर आएगी।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
What is a Gig Economy?
New regulatory framework for Gig Workers: भारत में डीमोनेटाईजेशन और कोरोना महामारी के बाद के समय में जहाँ हमारी अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान उठाने पड़े हैं वहीँ कुछ फायदे भी हुए हैं जैसे बैंकिंग सिस्टम का डिजिटाईजेशन और कई फिन-टेक और ई-कॉमर्स स्टार्ट अप्स की शुरुआत होना। इस बदलती हुई इकॉनोमिक कंडीशन में एक नये युग की वर्कफ़ोर्स (Work force of the New era) अस्तित्व में आई है जिसे गिग वर्कर्स (Gig Workers) नाम से संबोधित किया जा रहा है।
गिग वर्कर का अर्थ क्या है और ये क्या काम करते हैं?
Gig Workers वो कामगार हैं जो Digital Platforms जैसे कि Food Delivery Companies, KPO, मेंटेनेंस, सर्विस, ट्रांसपोर्ट और कुकिंग आदि सर्विस कंपनियों में पार्ट टाइम, फुल टाइम और Freelance basis पर काम करते हैं। इसके ज्यादातर कामगार वे लोग हैं जो कि पूरे दिन काम करने के बजाय कुछ घंटे या सप्ताह में कुछ दिन काम करके अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान भी दे रहे हैं।
वर्क फ्रॉम होम, पार्ट टाइम गिग्स आदि कुछ ऐसे कांसेप्ट हैं जो भारत में अभी तक बहुत ज्यादा सुनाई नहीं देते थे, लेकिन अब ये एक सामान्य बात है। Online orders, Online payment, Online Work Streams और Online gigs ने श्रम बाज़ार के सम्पूर्ण परिदृश्य को बदल कर रख दिया है। आइये जानते हैं कि Gig workers से संबधित ऐसे कौन से मुद्दे हैं जिनके बारे में विस्तृत चर्चा हो रही है-
गिग वर्क से क्या फायदे हैं?
यदि बात फायदों की हो, तो वर्कर्स के लिए दबाव रहित वातावरण, काम के घंटों का लचीलापन, कहीं भी और किसी भी के लिए काम करने की स्वतंत्रता आदि कुछ ऐसे फायदे हैं जिनकी वजह से नई पीढ़ी प्लेटफार्म वर्कर्स के तौर पर काम करना चाह रही है। कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जहाँ पर कंपनियाँ गिग वर्कर्स को मेडिकल, दुर्घटना, या जीवन बीमा और ट्रेनिंग लोन, स्कालरशिप, इसोप आदि सुविधाएँ दे रहीं हैं, लेकिन ऐसे मामले बहुत ही सीमित हैं। कंपनियाँ अपनी ऑपरेशंस लागत में कमी के कारण फायदे की स्थिति में हैं।
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अभी गिग वर्क सेक्टर की स्थिति क्या है?
सामान्य सरकारी, अर्ध सरकारी या निजी क्षेत्र में काम करने वाले किसी व्यक्ति की तुलना में गिग वर्कर्स को प्रॉविडेन्ट फण्ड, पेंशन, बीमा आदि न मिलना कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो इसे एक लाभदायक पेशा नहीं बनाती हैं। कंपनियों द्वारा सबसे कम कीमत वाले गिग वर्कर की सेवाएँ तो ली जाती हैं लेकिन अक्सर उनको पैसा बहुत देर से मिलता है या कभी- कभी मिलता ही नहीं है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक ऐसे बहुत कम लोग हैं जो इस पेशे से अपने परिवार का सम्पूर्ण खर्च उठा पा रहे हैं।
नीति आयोग के सुझाव
एक अनुमान के अनुसार भविष्य में अधिक से अधिक युवाओं द्वारा इस पेशे को अपनाए जाने के कारण इस वर्क फ़ोर्स का अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने वाला है इसलिए नीति आयोग (Niti Aayog) ने इन्हें सामाजिक सुरक्षा (Social security) के दायरे में लाने हेतु सुझाव दिये हैं और आशा की जा रही है कि सरकार जल्द ही इस सम्बन्ध में कोई मजबूत कानून लेकर आएगी।
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