- Date : 02/10/2022
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- Read in English: Your guide to understanding capital gains in India [Part 1]
यदि आप उस पुराने घर को बेचने की योजना बना रहे हैं जो आपके माता-पिता ने आपके लिए छोड़ दिया, तो आप पर कर लगाया जाएगा।
![भारत में पूंजीगत लाभ को समझने के लिए आपकी मार्गदर्शिका [भाग 1] भारत में पूंजीगत लाभ को समझने के लिए आपकी मार्गदर्शिका [भाग 1]](/sites/default/files/2019-11/capital%20gains.jpg)
Capital gains tax India: पूंजीगत लाभ या कैपिटल गेन्स ऐसे लाभ के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी पूंजीगत संपत्ति की बिक्री के माध्यम से प्राप्त होता है। पूंजीगत संपत्ति से होने वाले लाभ को कर योग्य माना जाता है और इसलिए, प्राप्त होने वाली आय पर कर चुकाने की आवश्यकता होती है। इसके अंतर्गत जो कर चुकाया जाता है उसे कैपिटल गेन टैक्स (capital gains tax) कहा जाता है। यह कर अल्पकालिक (शॉर्ट टर्म) या दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) हो सकता है। देय कर अल्पकालिक लाभ पर 10%, जबकि दीर्घकालिक लाभ पर 15% से शुरू होता है।
पूंजीगत संपत्ति के प्रकार
पूंजीगत संपत्ति को दो प्रकार से उल्लेखित किया गया है:
1. अल्पकालिक पूंजीगत संपत्ति (शॉर्ट टर्म कैपिटल एसेट): यदि संपत्ति 36 महीने या उससे कम की अवधि के लिए रखी जाती है, तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल एसेट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। हालांकि, अचल संपत्ति जैसे गृह संपत्ति, भवन और भूमि के लिए, अवधि 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दी गई है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति 24 महीने की अवधि के लिए जमीन या घर को रखने के बाद बेचना चाहता है, तो वह व्यक्ति इससे जो लाभ कमाता है वह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के अंतर्गत आता है। यदि संपत्ति विरासत में मिली है या उपहार के रूप में दी गई है, तो संपत्ति के पिछले मालिक द्वारा रखे गए समय को भी ध्यान में रख कर शॉर्ट टर्म कैपिटल एसेट या लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट के रूप में देखा जाता है।
2. दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति (लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट): यदि किसी व्यक्ति के पास 36 महीने से अधिक की अवधि के लिए एसेट है, तो संपत्ति लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट है। ऋण-उन्मुख म्यूचुअल फंड, आभूषण, आदि, जो 36 महीने से अधिक की अवधि के लिए किसी व्यक्ति के पास हैं, इस श्रेणी के अंतर्गत आएंगे। हालांकि कुछ ऐसे टर्म एसेट्स जो 12 महीने से अधिक की अवधि के लिए रखे गए हैं, वे भी लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट में गिने जाते हैं; इनमें शामिल है: शून्य कूपन बांड, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) इकाइयाँ, इक्विटी आधारित म्युचुअल फंड इकाइयाँ, और प्रतिभूतियां जो भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। ऐसी प्रतिभूतियों के उदाहरण सरकारी प्रतिभूतियां, बांड और डिबेंचर हैं। इसके अंतर्गत भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध वरीयता शेयर या इक्विटी भी आते हैं।
पूंजीगत लाभ की गणना कैसे करें?
परिसंपत्ति को कितने समय तक रखा गया है, इस पर निर्भर करते हुए, पूंजीगत लाभ की गणना अलग-अलग होगी। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जो व्यक्तियों को पूंजीगत लाभ की गणना करते समय पता होना चाहिए, नीचे दिए गए हैं:
- सुधार की लागत: यदि संपत्ति में किए गए किसी भी परिवर्तन या परिवर्धन के कारण विक्रेता द्वारा कोई खर्च किया गया है। हालाँकि, 1 अप्रैल 2001 से पहले किए गए किसी भी सुधार पर विचार नहीं किया जा सकता है।
- अधिग्रहण की लागत: संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए विक्रेता द्वारा भुगतान की गई राशि।
- पूर्ण मूल्य प्रतिफल: संपत्ति हस्तांतरण के कारण विक्रेता को प्राप्त होने वाली राशि। पूंजीगत लाभ उस वर्ष से लिया जाता है जिस वर्ष लेन-देन किया गया था, भले ही उस विशेष वर्ष में धन प्राप्त नहीं हुआ हो।
कुछ मामलों में जहां पूंजीगत संपत्ति भी करदाता की संपत्ति है, अधिग्रहण लागत और पिछले मालिक की सुधार लागत को भी शामिल किया जाता है।
दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति लाभ की गणना कैसे करें?
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की गणना करने की प्रक्रिया नीचे दी गई है:
- सबसे पहले, व्यक्ति को संपत्ति के पूर्ण मूल्य पर विचार करना चाहिए।
- इसके बाद, व्यक्ति को नीचे दी गई कटौती करनी चाहिए:
- स्थानांतरण के कारण जो लागतें आई हैं।
- अधिग्रहण पर खर्च की गई राशि।
- वह राशि जो सुधार पर खर्च की गई है।
- उपरोक्त चरणों का पालन करके गणना की गई संख्या से, व्यक्ति को धारा 54बी, धारा 54एफ, धारा 54ईसी और धारा 54 के तहत प्रदान की जाने वाली किसी भी छूट को घटाना चाहिए।
अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की गणना कैसे करें?
अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की गणना करने की प्रक्रिया नीचे दी गई है:
- सबसे पहले, व्यक्ति को संपत्ति के पूर्ण मूल्य पर विचार करना चाहिए।
- फिर, नीचे दिए गए चीजों को घटाना चाहिए:
- संपत्ति के सुधार के लिए किए गए खर्च।
- संपत्ति प्राप्त करने के लिए किए गए खर्च।
- कोई भी खर्च जो संपत्ति के हस्तांतरण के लिए किया गया है।
कटौती के बाद गणना की जाने वाली राशि अल्पकालिक पूंजीगत लाभ यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन है।
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के लिए कर की दरें

कुछ प्रमुख संपत्तियों का अल्पकालीन और दीर्घकालीन संपत्तियों के रूप में आकलन
अलग-अलग संपत्तियों में शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कहे जाने वाले होल्डिंग की अलग-अलग अवधि होती है। यहां एक तालिका है जो अल्पकालिक या दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पूंजीगत संपत्ति के विभिन्न वर्गों के लिए होल्डिंग की अवधि को परिभाषित करती है।

विरासत में मिली संपत्ति पर पूंजीगत लाभ का नियम
यदि व्यक्ति को संपत्ति विरासत में मिलती है और कोई बिक्री नहीं होती है यो आयकर अधिनियम के तहत भारत में पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अगर जिस व्यक्ति को संपत्ति विरासत में मिली है, वह इसे बेचने का फैसला करता है, तो बिक्री से होने वाली आय पर कर का भुगतान करना होगा।
कृषि भूमि संपत्ति पर पूंजीगत लाभ का नियम
कुछ मामलों में, कृषि भूमि की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ को पूरी तरह से आयकर से मुक्त किया जा सकता है या इस पर पूंजीगत लाभ के तहत कर नहीं लगाया जा सकता है। भारत में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि को पूंजीगत संपत्ति नहीं माना जाता है और इसलिए इसकी बिक्री से होने वाले किसी भी लाभ पर कर नहीं लगता है। लेकिन यदि कोई नियमित रूप से या अपने व्यवसाय के दौरान जमीन की खरीद-बिक्री कर रहा है, तो ऐसे मामले में इसकी बिक्री से होने वाला लाभ कर योग्य है। शहरी कृषि भूमि के अनिवार्य अधिग्रहण के लिए प्राप्त मुआवजे पर पूंजीगत लाभ आयकर अधिनियम की धारा 10(37) के तहत कर मुक्त है। इसके अलावा यदि कोई कृषि भूमि उपरोक्त में से किसी भी मामले में नहीं बेची गई है, तो धारा 54बी के तहत छूट प्राप्त की जा सकती है।
कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम
भारत सरकार, वित्त मंत्रालय ने "पूंजीगत लाभ खाता योजना 1988" यानी कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम (सीजीएएस) नामक एक योजना तैयार की है जिसके तहत करदाता पूंजीगत लाभ से छूट का लाभ उठा सकते हैं। सरकार उन व्यक्तियों को कर राहत प्रदान करती है जो एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर संपत्ति बेचकर अर्जित अपने पूंजीगत लाभ का पुनर्निवेश करते हैं। कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम के तहत, करदाता अपने पूंजीगत लाभ को तब तक रख सकते हैं जब तक कि उनका पुनर्निवेश नहीं हो जाता।
आप कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम में कब निवेश कर सकते हैं?
एक उपयुक्त विक्रेता ढूंढना, आवश्यक धन की व्यवस्था करना और एक नई संपत्ति के लिए कागजी कार्रवाई करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। सौभाग्य से, आयकर विभाग इन सीमाओं से सहमत है। यदि उस वित्तीय वर्ष की रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख (आमतौर पर 31 जुलाई) तक पूंजीगत लाभ का निवेश नहीं किया गया है, जिसमें संपत्ति बेची जाती है, तो पूंजीगत लाभ खाता योजना 1988 के अनुसार पीएसयू बैंक या अन्य बैंकों में लाभ जमा किया जा सकता है। इस जमा राशि को पूंजीगत लाभ से छूट के रूप में दावा किया जा सकता है, और इस पर कोई कर नहीं देना पड़ता है। हालांकि, अगर पैसा निवेश नहीं किया जाता है, तो जमा राशि को उस वर्ष में अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाएगा जिसमें निर्दिष्ट अवधि समाप्त हो जाती है।