- Date : 24/04/2017
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- Read in English: 5 New-age features of health insurance plans to know
कोई व्यक्ति अगर वित्तीय योजना बनाता है तो सबसे पहले उसके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा जरूर होना चाहिए।

कोई व्यक्ति अगर वित्तीय योजना बनाता है तो सबसे पहले उसके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा जरूर होना चाहिए। ज्यादातर वित्तीय योजनाकारों का तो ऐसा ही मानना है। उनका तो यहां तक कहना है कि हर व्यक्ति को वित्तीय लक्ष्य के लिए बचत करने से पहले खुद और खुद के परिवार के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा कवर जरूर लेना चाहिए। इसका एक फायदा और है कि स्वास्थ्य बीमा का आप जो प्रीमियम भुगतान करते हैं, उसे करयोग्य आय में से घटाकर आपको कर लाभ दिया जाता है यानी आपकी कर देनदारी कम हो जाती है।
वित्त वर्ष 2015-16 के आयकर कानूनों के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर मिलने वाले कर लाभ के बारे में जाननेयोग्य पांच महत्वपूर्ण बातें:
माता-पिता: अगर कोई शख्स अपने माता-पिता की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम भरता है तो उसे आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। किसी भी व्यक्ति को यह लाभ उसके खुद के, उसके जीवनसाथी के, उसके बच्चों के और उसके माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा कवर के प्रीमियम भुगतान पर मिलता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके बच्चे या माता-पिता उस पर निर्भर हैं या नहीं।
हालांकि कर लाभ की मात्रा उस व्यक्ति की आयु पर जरूर निर्भर करती है जिसने चिकित्सकीय बीमा ले रखा है। स्वयं, जीवनसाथी, बच्चे और माता-पिता के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर हर साल 25,000 रुपये की अधिकतम कर कटौती का लाभ लिया जा सकता है, बशर्ते व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक नहीं हो। अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता, जो वरिष्ठ नागरिक हैं या जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान करता है, तो उसे अधिकतम सालाना 30,000 रुपये तक कर छूट का लाभ मिलेगा। इस प्रकार आयकर की धारा 80 डी के तहत किसी भी आयकरदाता को साल में अधिकतम कुल 55,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा यदि उसकी आयु 60 वर्ष से कम हो और उसके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से अधिक हो। लेकिन आयकर धारा 80 डी के मुताबिक, उन करदाताओं के लिए जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है और वे अपने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के साथ-साथ अपने माता-पिता के प्रीमियम का भी भुगतान कर रहे हैं, तो साल में अधिकतम 60,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा।
जीवन बीमा कंपनियों के राइडर्स: आयकर कानून की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर कर लाभ मिलता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से ही खरीदी गई पॉलिसी तक यह लाभ सीमित है। जीवन बीमा पॉलिसी के तहत गंभीर बीमारी या मेडिकल इंश्योरेंस राइडर्स के लिए भी किया गया भुगतान उसी धारा के तहत कर लाभ के योग्य है। इसके अलावा, जीवन बीमा कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम भी उसी कर लाभ के लिए पात्र है।
स्वास्थ्य जांच: 25,000 रुपये या 30,000 रुपये की अधिकतम कर छूट सीमा के भीतर निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए 5000 रुपये तक का लाभ मिलता है। इसका मतलब हुआ कि अगर आप मेडिक्लेम पर 20,000 रुपये प्रीमियम भरते हैं और 5,000 रुपये की लागत वाली स्वास्थ्य जांच करवाते हैं, तो धारा 80 डी के तहत कुल 25,000 रुपये का फायदा उठाया जा सकता है। बड़े-बड़े अस्पताल निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए पैकेज प्रदान करते हैं। जीवनशैली संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, ऐसे में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।
दोनों प्रकार के स्वास्थ्य बीमा पर कर लाभ मौजूद : स्वास्थ्य बीमा योजना के दोनों प्रकार 'क्षतिपूर्ति' और 'परिभाषित लाभ' कर लाभ के लिए योग्य हैं। ने केवल क्षतिपूर्ति की योजनाएं जैसे कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजना, जो मेडिक्लेम और फैमिली फ्लोटर योजना के नाम से लोकप्रिय है, बल्कि परिभाषित लाभ योजनाएं जैसे कि किसी भी स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा कंपनी की दैनिक अस्पताल नकद योजना और क्रिटिकल इलनेस प्लान कर लाभ के योग्य हैं।
नकद भुगतान: आप नकदी में प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन आयकर कानून कर लाभ के लिए नकदी में प्रीमियम भुगतान की अनुमति नहीं देता है यानी नकद में प्रीमियम भुगतान पर आप कर लाभ के हकदार नहीं होंगे। प्रीमियम पर कर लाभ लेने के लिए आपको इंटरनेट बैंकिंग, चेक, ड्राफ्ट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करना पड़ेगा। दूसरी ओर, निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए नकद भुगतान करने पर भी धारा 80 डी के तहत आपको कर लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष: यह अक्सर कहा जाता है कि किसी को केवल कर बचाने के लिए निवेश नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य बीमा के मामले में, जो किसी भी तरह से निवेश नहीं है, प्रीमियम का भुगतान कर व्यक्ति न केवल स्वास्थ्य कवर खरीदता है, बल्कि इससे कर बचाने में भी मदद मिलती है। अस्पताल की बढ़ती लागत को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा खरीदना निश्चित रूप से फायदेमंद है।
स्रोत:इकोनॉमिक टाइम्स
कोई व्यक्ति अगर वित्तीय योजना बनाता है तो सबसे पहले उसके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा जरूर होना चाहिए। ज्यादातर वित्तीय योजनाकारों का तो ऐसा ही मानना है। उनका तो यहां तक कहना है कि हर व्यक्ति को वित्तीय लक्ष्य के लिए बचत करने से पहले खुद और खुद के परिवार के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा कवर जरूर लेना चाहिए। इसका एक फायदा और है कि स्वास्थ्य बीमा का आप जो प्रीमियम भुगतान करते हैं, उसे करयोग्य आय में से घटाकर आपको कर लाभ दिया जाता है यानी आपकी कर देनदारी कम हो जाती है।
वित्त वर्ष 2015-16 के आयकर कानूनों के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर मिलने वाले कर लाभ के बारे में जाननेयोग्य पांच महत्वपूर्ण बातें:
माता-पिता: अगर कोई शख्स अपने माता-पिता की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम भरता है तो उसे आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। किसी भी व्यक्ति को यह लाभ उसके खुद के, उसके जीवनसाथी के, उसके बच्चों के और उसके माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा कवर के प्रीमियम भुगतान पर मिलता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके बच्चे या माता-पिता उस पर निर्भर हैं या नहीं।
हालांकि कर लाभ की मात्रा उस व्यक्ति की आयु पर जरूर निर्भर करती है जिसने चिकित्सकीय बीमा ले रखा है। स्वयं, जीवनसाथी, बच्चे और माता-पिता के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर हर साल 25,000 रुपये की अधिकतम कर कटौती का लाभ लिया जा सकता है, बशर्ते व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक नहीं हो। अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता, जो वरिष्ठ नागरिक हैं या जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान करता है, तो उसे अधिकतम सालाना 30,000 रुपये तक कर छूट का लाभ मिलेगा। इस प्रकार आयकर की धारा 80 डी के तहत किसी भी आयकरदाता को साल में अधिकतम कुल 55,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा यदि उसकी आयु 60 वर्ष से कम हो और उसके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से अधिक हो। लेकिन आयकर धारा 80 डी के मुताबिक, उन करदाताओं के लिए जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है और वे अपने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के साथ-साथ अपने माता-पिता के प्रीमियम का भी भुगतान कर रहे हैं, तो साल में अधिकतम 60,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा।
जीवन बीमा कंपनियों के राइडर्स: आयकर कानून की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर कर लाभ मिलता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से ही खरीदी गई पॉलिसी तक यह लाभ सीमित है। जीवन बीमा पॉलिसी के तहत गंभीर बीमारी या मेडिकल इंश्योरेंस राइडर्स के लिए भी किया गया भुगतान उसी धारा के तहत कर लाभ के योग्य है। इसके अलावा, जीवन बीमा कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम भी उसी कर लाभ के लिए पात्र है।
स्वास्थ्य जांच: 25,000 रुपये या 30,000 रुपये की अधिकतम कर छूट सीमा के भीतर निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए 5000 रुपये तक का लाभ मिलता है। इसका मतलब हुआ कि अगर आप मेडिक्लेम पर 20,000 रुपये प्रीमियम भरते हैं और 5,000 रुपये की लागत वाली स्वास्थ्य जांच करवाते हैं, तो धारा 80 डी के तहत कुल 25,000 रुपये का फायदा उठाया जा सकता है। बड़े-बड़े अस्पताल निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए पैकेज प्रदान करते हैं। जीवनशैली संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, ऐसे में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।
दोनों प्रकार के स्वास्थ्य बीमा पर कर लाभ मौजूद : स्वास्थ्य बीमा योजना के दोनों प्रकार 'क्षतिपूर्ति' और 'परिभाषित लाभ' कर लाभ के लिए योग्य हैं। ने केवल क्षतिपूर्ति की योजनाएं जैसे कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजना, जो मेडिक्लेम और फैमिली फ्लोटर योजना के नाम से लोकप्रिय है, बल्कि परिभाषित लाभ योजनाएं जैसे कि किसी भी स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा कंपनी की दैनिक अस्पताल नकद योजना और क्रिटिकल इलनेस प्लान कर लाभ के योग्य हैं।
नकद भुगतान: आप नकदी में प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन आयकर कानून कर लाभ के लिए नकदी में प्रीमियम भुगतान की अनुमति नहीं देता है यानी नकद में प्रीमियम भुगतान पर आप कर लाभ के हकदार नहीं होंगे। प्रीमियम पर कर लाभ लेने के लिए आपको इंटरनेट बैंकिंग, चेक, ड्राफ्ट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करना पड़ेगा। दूसरी ओर, निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए नकद भुगतान करने पर भी धारा 80 डी के तहत आपको कर लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष: यह अक्सर कहा जाता है कि किसी को केवल कर बचाने के लिए निवेश नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य बीमा के मामले में, जो किसी भी तरह से निवेश नहीं है, प्रीमियम का भुगतान कर व्यक्ति न केवल स्वास्थ्य कवर खरीदता है, बल्कि इससे कर बचाने में भी मदद मिलती है। अस्पताल की बढ़ती लागत को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा खरीदना निश्चित रूप से फायदेमंद है।
स्रोत:इकोनॉमिक टाइम्स