- Date : 04/12/2020
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जैसे आप अपने बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में बहुत ध्यान देते हैं -उन्हें पौष्टिक खाना देने से लेकर उनके बीमार होने पर डॉक्टर के पास ले जाने तक- उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दें |

अच्छा मानसिक स्वास्थ्य,बच्चों और वयस्कों के लिए समान रूप से उनकी पूर्ण कुशलता के लिए आवश्यक है| परन्तु महामारी और भविष्य की अनिश्चितता,मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है| तनाव और चिंता सम्बन्धी विकार बच्चों में ज्यादा तेज़ी से बढ़ रहें हैं | हालांकि आपको यह कठिन लगता होगा, परन्तु आपके बच्चे के विकास के लिए उनके मानसिक और भावनात्मक संघर्षों के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है |
माँ-बाप के रूप में, यहां जानिये कि आप अपने बच्चे के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कैसे रास्ता बना सकते हैं |
1. खतरे की निशानियों को समझें
हालंकि कभी-कभार उदासीन महसूस करना सामान्य है ,परन्तु लगातार आ रहे नकारात्मक भाव को यदि अनदेखा किया जाये तो वह डिप्रेशन,चिंता या मादक द्रव्यों के सेवन जैसे इससे निपटने के तंत्रों में तब्दील हो सकता है | अपने बच्चों के व्यवहार में हल्के बदलाव को देखने के लिए अपनी आँखें खुली रखें ,जैसे निम्न:
- बहुत जल्द मिजाज में बदलाव होना
- जिन गतिविधियों में कभी उनको मज़ा आता था,उनमे अचानक रूचि खो देना
- कई देर अकेले समय बिताना
- सोने के पैटर्न में बदलाव देखना
- खाने-पीने में विकार
- ध्यान की कमी से उत्पन्न हाइपर-एक्टिव विकार
2. उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाना
बच्चों को उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाने में मदद करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बढ़ावा मिल सकता है | बच्चों को मान्यता की आवश्यकता होती है | उनके प्रयासों के लिए वास्तविक और यथार्थवादी तारीफ़ से उनमे आत्मविश्वास पैदा हो सकता है | बच्चें जब स्वयं से चीज़ें कर पाते हैं तो उनमे उपलब्धि की भावना आती है |इसलिए उन्हें स्वतंत्र रहने के ज्यादा अवसर दें - चाहे एक सैंडविच बनाने जितना साधारण काम हो या स्वयं से अपना असाइनमेंट पूरा करना | उन्हें मिलनसार होने और दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करें | यदि महामारी के दौरान, दोस्तों से मिलना संभव नहीं है ,तो उनसे संपर्क करने के लिए वीडियो कॉल करें |
3. स्वस्थ आदतें डालें
एक अच्छा आहार ,रात की अच्छी नींद और शारीरिक गतिविधियां केवल शारीरिक स्वास्थ के लिए ही लाभकारी नहीं होती, परन्तु यह आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ के लिए भी ज़रूरी होता है | सुनिश्चित करें कि आपके बच्चों के पास खेलने का, रचनात्मक चीज़ें करने का और सिर्फ मौज-मस्ती करने का भी समय हो | इसके अलावा,उन्हें एक कृतज्ञता पत्रिका बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करें | शोध से पता चलता है कि सचेतन और कृतज्ञता का अभ्यास करते रहने से आप में आनंद का एहसास बढ़ता है और वह आपके मानसिक स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव डालता है |
4. उन्हें तनाव को संभालना सीखाएं
हालांकि आप तनाव पैदा करने वाले सभी कारकों जैसे कि बदमाशी या दुर्व्यवहार जैसे सबसे उनका बचाव नहीं कर सकते ,इसीलिए इससे कैसे निपटना है और कैसी प्रतिक्रिया देनी है ,यह सिखाना उनके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है | कुछ बच्चों को कोई खेल खेलने से या कुछ रचनात्मक काम करके या केवल किसी दोस्त से बात करके तनाव से मुक्ति मिल सकती है | उन्हें ये पहचानने में मदद करें कि उन्हें कब अच्छा नहीं लग रहा और उनके मन को शांत करने के तरीके सुझाएँ |
5. सकारात्मक उदाहरण स्थापित करें
बच्चे अत्याधिक प्रभावशाली होती है और आपके व्यवहार का अनुकरण करते हैं | उन्हें उदाहरण द्वारा भावनात्मक कल्याण के बारे में सीखाएं | अपनी खामियों को अपने बच्चो के साथ बांटें ताकि वे भी अपनी खामियों के बारे में चर्चा करने में संकोच न करें | यदि आप बच्चो के सामने अपना आपा खो देते हैं और आपका दिमाग फिर जाता है ,तो उनसे माफ़ी मांगें और उन्हें बताएं कि आपको भी निराशा होती है और आपका भी मूड बदलता है |मानसिक रूप से स्वस्थ आचरण दर्शाने से ,आप अपने बच्चों को एक फलने-फूलने का वातावरण प्रदान करते हैं और इससे वे लचीलेपन के गुण सीखेंगे |
6. अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना
आपके बच्चों के साथ आपके सम्बन्ध उनके मानसिक स्वास्थ में बड़ी भूमिका निभाते है और पालक-बच्चों के बीच मज़बूत सम्बन्ध विश्वास पर आधारित होते हैं | एक सुरक्षित और विश्वसनीय वातावरण यह सुनिश्चित करेगा कि आपके बच्चे आपसे बेझिझक अपने विचार बाँट सकें | इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उनके साथ अच्छा समय बिताने के तरीकें ढूंढें |
7. अक्सर बातचीत करते रहे
अपने रात के भोजन के वक़्त, मेज़ पर बातचीत के दौरान मानसिक स्वास्थ को भी हिस्सा बनाएं | जब वे बड़े होंगे तो यह उनके कलंक और धारणा को भी बदल देगा | उन्हें बताएं कि उदास होना, क्रोधित होना या बेचैन होना सामान्य बात है और जब आप भावनात्मक रूप से असहज महसूस करें तो किसी से मदद लेना,एक मजबूत इंसान की निशानी होती है | उनसे कम उम्र से ही ऐसे सवाल पूछना शुरू करें (जैसे कि ' स्कूल में आपका दिन कैसा था?' ) और जब वे जवाब दें तो उन्हें ध्यान से सुनें| बातचीत के लिए रास्ते खुले रखने से आपको बच्चों में लचीलापन डालने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें मुश्किल समय से निकलने में मदद मिलेगी |
जैसे-जैसे बच्चे वयस्कता की ओर कदम रखते हैं, वे एक अधिक जटिल भावनाओं के समूह का अनुभव करते हैं जैसे कि उदासीनता, बेचैन करने वाले विचार , आस-पास के लोगों का दबाव , शारीरिक मुद्दे ,क्रोध आदि | इसे 'विद्रोही किशोरावस्था' मानकर नकारने की बजाय,समय-समय पर जांचिए कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं| अपनी भाषा को लेकर सचेत रहे और 'पागल' या अजीबोगरीब जैसे नकारात्मक शब्दों का उपयोग करने से बचें |
8. पेशेवर से मदद लें
यदि आपको चीज़ें आपके आपे से बाहर लग रही है,तो किसी मानसिक स्वास्थ सलाहकार से मदद लेने से न हिचकिचाएं| याद रखें, यदि आपके बच्चे अपनी भावनाओं को लेकर संघर्ष कर रहे हैं तो एक विशेषज्ञ से परामर्श लेने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए |