- Date : 09/03/2017
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लंबी बीमारी या फिर अचानक घटा कोई हादसा आपकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए अपने और अपने परिवार को किसी भी अनियोजित त्रासदी से बचाने के लिए सही बीमा योजना को चुनाव कीजिए।

लंबी बीमारी या फिर अचानक घटा कोई हादसा आपकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए समय गंवाए बिना सही प्लान का चुनाव कीजिए और अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लीजिए।
भारत में इलाज़ के बढ़ते खर्चों को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा पर पैसे खर्च करना अब ज्यादा समझदारी का फैसला साबित हो रहा है। भारतीय उद्योगों पर इंडिया मिरर के एक सर्वे के मुताबिक 2014 में भारत में हेल्थकेयर पर 30 अरब डॉलर की रकम खर्च की गई। इसमें से बमुश्किल 10 फीसदी रकम का ही स्वास्थ बीमा था, ऐसा इसलिए था क्योंकि देश में हेल्थ इंश्योंरेंस की पहुंच 5% से भी कम लोगों तक है।
भारत में ढेरों स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी हैं। ऐसे में अपने और अपने परिवार के लिए सही पॉलिसी चुनने में कई बार काफी उलझन होती है। आपकी इसी उलझन को दूर करने के लिए हम स्वास्थ्य बीमा प्लान और उसके फायदों को कुल तीन हिस्सों में बांट रहे हैं। आप इसे पढ़िए, आंकिए और फिर चुनिए।
1. इनडेमनिटी आधारित हेल्थ कवर (मेडिक्लेम)
ऐसी पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने पर सम अश्योर्ड के एक हिस्से तक रकम की भरपाई हो जाती है। आप ऐसे प्लान को रीन्यू कर सकते हैं और अपने पूरे परिवार को एक सिंगल पॉलिसी में कवर कर सकते हैं। ऐसी पॉलिसी में उम्र बढ़ने के साथ पॉलिसी की प्रीमियम बढ़ती जाती है। मेडिक्लेम पॉलिसी में कुछ सीमाएं भी होती हैं। बीमा कंपनियां कुल खर्च के एक हिस्से के बराबर की रकम ही क्लेम में देती हैं। ऐसे प्लान जनरल इंश्योरेंस (साधारण बीमा) कंपनियां लाती हैं।
2.फिक्स्ड बेनिफिट स्वास्थ्य बीमा प्लान
ऐसे प्रोडक्ट्स में पहले से एक फिक्स्ड बेनिफिट तय होता है। जैसे अगर कोई बीमारी, सर्जरी या फिर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए तो बीमा कंपनी तय रकम दे देती है। ऐसी पॉलिसीज़ को आमतौर पर स्टैंडअलोन क्रिटिकल इलनेस कवर, हॉस्पिटल कैश पॉलिसी या पर्सनल एक्सीडेंट कवर के तौर पर बेचा जाता है। ऐसे प्रोडक्ट को मेडिक्लेम पॉलिसी के अतिरिक्त भी खरीदा जा सकता है।
अगर बीमित व्यक्ति को पॉलिसी में पहले से तय कोई भी गंभीर बीमारी हो जाए तो सम अश्योर्ड की पूरी रकम दे दी जाती है। भले ही उस गंभीर बीमारी के इलाज पर कितनी भी रकम खर्च की गई हो। खर्च कम आए या ज्यादा सम अश्योर्ड के बराबर की रकम बीमित व्यक्ति को मिल जाती है। इस रकम का इस्तेमाल पुनर्वास, स्वास्थ्य लाभ और रहन सहन के तरीके में समायोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। गंभीर बीमारी होने पर ढेरों ऐसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। जिनसे परिवार को काफी दिक्कत पैदा हो सकती है।
3.यूनिट लिंक्ड हेल्थ प्लान (मनी बैक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान)
ऐसे प्रोडक्ट को आमतौर पर यूलिप कहा जाता है। इसमें हेल्थ कवरेज के साथ साथ निवेश का भी फायदा मिलता है। ऐसे प्लान देश के सबसे एडवांस स्वास्थ्य बीमा प्लान में शुमार किए जाते हैं। यूलिप तमाम तरह के फंड ऑप्शन मुहैया कराते हैं। जिसमें अलग अलग मात्रा में शेयर बाजार में एक्सपोज़र होता है। ऐसे प्लान का फायदा ये होता है कि पॉलिसी की मियाद तक न केवल आपका हेल्थ कवर रहता है। बल्कि फंड के प्रदर्शन के आधार पर आपके निवेश पर कमाई भी होती है। निवेश की गई रकम का इस्तेमाल इलाज़ से जुड़े खर्चों की भरपाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जो अन्यथा पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता। पॉलिसी की मियाद खत्म होने पर मैच्योरिटी बेनिफिट के तौर पर फंड वैल्यू मिल जाती है।
जैसा कि हमने ऊपर समझाया, ढेरों तरह की स्थितियां हो सकती हैं और अलग अलग व्यक्तियों की ज़रूरत के हिसाब से प्लान देखे जा सकते हैं। बीमित व्यक्ति के तौर पर आपका कर्तव्य बनता है कि फैसला प्रभावपूर्ण और दक्ष तरीके से लें।
फायदे
-विभिन्न कंपनियां भारत में स्वास्थ्य बीमा के प्लान पेश करती हैं और उनके प्रोडक्ट में अलग अलग फायदे हैं। अपने और परिवार के लिए सही पॉलिसी की पहचान के लिए सबसे पहले अपनी ज़रूरत की पहचान करें। किसी प्रोडक्ट की पसंद आपकी सेहत, जीवनशैली, भविष्य में हेल्थकेयर की ज़रूरत, परिवार की मेडिकल हिस्ट्री जैसे अनुवांशिक बीमारियों को देखकर तय होनी चाहिए। इसके अलावा आपकी कमाई और अस्पतालों को तरजीह और लोकेशन जैसी बातों से तय होनी चाहिए। लोकेशन इसलिए ज़रूरी है क्योंकि महानगरों में इलाज़ कराना महंगा होता है।
एक बार जब आप आपकी ज़रूरतों की लिस्ट बन जाए तब प्रोडक्ट्स का आंकलन करना शुरू करें। प्रोडक्ट्स की तुलना करें और एक दूसरे के प्लान में फायदों को देखें। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय निम्नलिखित फायदों पर ज़रूर गौर करें:
कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन बेनिफिट
ज्यादातर बीमा कंपनियां अपने नेटवर्क हॉस्पिटल में कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा देती हैं। इसलिए सलाह रहेगी कि प्लान में देखें कि आपके इलाके के सबसे अच्छे हॉस्पिटल बीमा कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल में हैं या नहीं। ताकि ये सुनिश्चित हो पाए कि आप कैशलेस सुविधा का लाभ ले सकें।
हॉस्पिटल कैश बेनिफिट
कुछ बीमा कंपनियां हॉस्पिटल कैश बेनिफिट देती हैं। जिसके तहत अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान बीमा कंपनियां एक निश्चित रकम रोज़ाना नकद में देती हैं। भले ही इलाज में खर्च की गई वास्तविक रकम कुछ भी हो। आमतौर पर इसका लाभ साल भर में अधिकतम 60 दिनों के लिए ही मिलता है।
इंटेसिव केयर यूनिट बेनिफिट
इस सुविधा के तहत बीमित व्यक्ति के आईसीयू में भर्ती होने पर एक तय रकम रोज़ाना मिलती है। आमतौर पर इसमें हॉस्पिटलाइज़ेशन बेनिफिट के दोगुने के बराबर की रकम रोज़ाना दी जाती है।
सर्जिकल कैश बेनिफिट
इस सुविधा के तहत सर्जरी की लंबी लिस्ट कवर की जाती है। फिक्स्ड बेनिफिट वाले प्रोडक्ड में बीमित व्यक्ति की सर्जरी की हालत में एक तय रकम मिलती है। इसमें बीमा कराने वाले को साल में एक से ज्यादा सर्जरी के लिए क्लेम की छूट होती है। लेकिन क्लेम की अधिकतम रकम सम अश्योर्ड से ज्यादा नहीं हो सकती। कुछ प्लान में सर्जरी के बाद की देखभाल पर भी खर्च की गई रकम कवर की जाती है। हालांकि ये कवर सर्जरी के बाद कुछ तय दिनों तक ही होती है।
टैक्स बेनिफिट
हेल्थेयर पर अदा की गई प्रीमियम पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत टैक्स छूट मिलती है। बजट 2015 के प्रावधानों के मुताबिक सामान्य तौर पर 25,000 रुपये तक और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30,000 रुपये तक प्रीमियम भरने पर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है। अगर किसी साल में कोई क्लेम न हो तो नो क्लेम बोनस के तौर पर अतिरिक्त कवर भी मिलता है। जो आपके चालू कवर में जुड़ जाता है।
ऊपर बताए गए प्रोड्क्ट्स के अलग अलग मिश्रण और उनकी शर्तों को समझकर आप अपने और परिवार की सुरक्षा के लिए विस्तृत हेल्थ कवर सुनिश्चित कर सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय बंदिशों और शर्तों को ठीक से देखें और उसके बाद ही पॉलिसी का चुनाव करें। नेटवर्क हॉस्पिटल की पहचान करें, किन किन बीमारियों को कवर में शामिल नहीं किया जाएगा उसे समझें। पॉलिसी पर लागू क्लेम की लिमिट और सब लिमिट को भी जानें।
लंबी बीमारी या फिर अचानक घटा कोई हादसा आपकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए समय गंवाए बिना सही प्लान का चुनाव कीजिए और अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लीजिए।
भारत में इलाज़ के बढ़ते खर्चों को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा पर पैसे खर्च करना अब ज्यादा समझदारी का फैसला साबित हो रहा है। भारतीय उद्योगों पर इंडिया मिरर के एक सर्वे के मुताबिक 2014 में भारत में हेल्थकेयर पर 30 अरब डॉलर की रकम खर्च की गई। इसमें से बमुश्किल 10 फीसदी रकम का ही स्वास्थ बीमा था, ऐसा इसलिए था क्योंकि देश में हेल्थ इंश्योंरेंस की पहुंच 5% से भी कम लोगों तक है।
भारत में ढेरों स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी हैं। ऐसे में अपने और अपने परिवार के लिए सही पॉलिसी चुनने में कई बार काफी उलझन होती है। आपकी इसी उलझन को दूर करने के लिए हम स्वास्थ्य बीमा प्लान और उसके फायदों को कुल तीन हिस्सों में बांट रहे हैं। आप इसे पढ़िए, आंकिए और फिर चुनिए।
1. इनडेमनिटी आधारित हेल्थ कवर (मेडिक्लेम)
ऐसी पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने पर सम अश्योर्ड के एक हिस्से तक रकम की भरपाई हो जाती है। आप ऐसे प्लान को रीन्यू कर सकते हैं और अपने पूरे परिवार को एक सिंगल पॉलिसी में कवर कर सकते हैं। ऐसी पॉलिसी में उम्र बढ़ने के साथ पॉलिसी की प्रीमियम बढ़ती जाती है। मेडिक्लेम पॉलिसी में कुछ सीमाएं भी होती हैं। बीमा कंपनियां कुल खर्च के एक हिस्से के बराबर की रकम ही क्लेम में देती हैं। ऐसे प्लान जनरल इंश्योरेंस (साधारण बीमा) कंपनियां लाती हैं।
2.फिक्स्ड बेनिफिट स्वास्थ्य बीमा प्लान
ऐसे प्रोडक्ट्स में पहले से एक फिक्स्ड बेनिफिट तय होता है। जैसे अगर कोई बीमारी, सर्जरी या फिर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए तो बीमा कंपनी तय रकम दे देती है। ऐसी पॉलिसीज़ को आमतौर पर स्टैंडअलोन क्रिटिकल इलनेस कवर, हॉस्पिटल कैश पॉलिसी या पर्सनल एक्सीडेंट कवर के तौर पर बेचा जाता है। ऐसे प्रोडक्ट को मेडिक्लेम पॉलिसी के अतिरिक्त भी खरीदा जा सकता है।
अगर बीमित व्यक्ति को पॉलिसी में पहले से तय कोई भी गंभीर बीमारी हो जाए तो सम अश्योर्ड की पूरी रकम दे दी जाती है। भले ही उस गंभीर बीमारी के इलाज पर कितनी भी रकम खर्च की गई हो। खर्च कम आए या ज्यादा सम अश्योर्ड के बराबर की रकम बीमित व्यक्ति को मिल जाती है। इस रकम का इस्तेमाल पुनर्वास, स्वास्थ्य लाभ और रहन सहन के तरीके में समायोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। गंभीर बीमारी होने पर ढेरों ऐसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। जिनसे परिवार को काफी दिक्कत पैदा हो सकती है।
3.यूनिट लिंक्ड हेल्थ प्लान (मनी बैक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान)
ऐसे प्रोडक्ट को आमतौर पर यूलिप कहा जाता है। इसमें हेल्थ कवरेज के साथ साथ निवेश का भी फायदा मिलता है। ऐसे प्लान देश के सबसे एडवांस स्वास्थ्य बीमा प्लान में शुमार किए जाते हैं। यूलिप तमाम तरह के फंड ऑप्शन मुहैया कराते हैं। जिसमें अलग अलग मात्रा में शेयर बाजार में एक्सपोज़र होता है। ऐसे प्लान का फायदा ये होता है कि पॉलिसी की मियाद तक न केवल आपका हेल्थ कवर रहता है। बल्कि फंड के प्रदर्शन के आधार पर आपके निवेश पर कमाई भी होती है। निवेश की गई रकम का इस्तेमाल इलाज़ से जुड़े खर्चों की भरपाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जो अन्यथा पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता। पॉलिसी की मियाद खत्म होने पर मैच्योरिटी बेनिफिट के तौर पर फंड वैल्यू मिल जाती है।
जैसा कि हमने ऊपर समझाया, ढेरों तरह की स्थितियां हो सकती हैं और अलग अलग व्यक्तियों की ज़रूरत के हिसाब से प्लान देखे जा सकते हैं। बीमित व्यक्ति के तौर पर आपका कर्तव्य बनता है कि फैसला प्रभावपूर्ण और दक्ष तरीके से लें।
फायदे
-विभिन्न कंपनियां भारत में स्वास्थ्य बीमा के प्लान पेश करती हैं और उनके प्रोडक्ट में अलग अलग फायदे हैं। अपने और परिवार के लिए सही पॉलिसी की पहचान के लिए सबसे पहले अपनी ज़रूरत की पहचान करें। किसी प्रोडक्ट की पसंद आपकी सेहत, जीवनशैली, भविष्य में हेल्थकेयर की ज़रूरत, परिवार की मेडिकल हिस्ट्री जैसे अनुवांशिक बीमारियों को देखकर तय होनी चाहिए। इसके अलावा आपकी कमाई और अस्पतालों को तरजीह और लोकेशन जैसी बातों से तय होनी चाहिए। लोकेशन इसलिए ज़रूरी है क्योंकि महानगरों में इलाज़ कराना महंगा होता है।
एक बार जब आप आपकी ज़रूरतों की लिस्ट बन जाए तब प्रोडक्ट्स का आंकलन करना शुरू करें। प्रोडक्ट्स की तुलना करें और एक दूसरे के प्लान में फायदों को देखें। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय निम्नलिखित फायदों पर ज़रूर गौर करें:
कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन बेनिफिट
ज्यादातर बीमा कंपनियां अपने नेटवर्क हॉस्पिटल में कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा देती हैं। इसलिए सलाह रहेगी कि प्लान में देखें कि आपके इलाके के सबसे अच्छे हॉस्पिटल बीमा कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल में हैं या नहीं। ताकि ये सुनिश्चित हो पाए कि आप कैशलेस सुविधा का लाभ ले सकें।
हॉस्पिटल कैश बेनिफिट
कुछ बीमा कंपनियां हॉस्पिटल कैश बेनिफिट देती हैं। जिसके तहत अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान बीमा कंपनियां एक निश्चित रकम रोज़ाना नकद में देती हैं। भले ही इलाज में खर्च की गई वास्तविक रकम कुछ भी हो। आमतौर पर इसका लाभ साल भर में अधिकतम 60 दिनों के लिए ही मिलता है।
इंटेसिव केयर यूनिट बेनिफिट
इस सुविधा के तहत बीमित व्यक्ति के आईसीयू में भर्ती होने पर एक तय रकम रोज़ाना मिलती है। आमतौर पर इसमें हॉस्पिटलाइज़ेशन बेनिफिट के दोगुने के बराबर की रकम रोज़ाना दी जाती है।
सर्जिकल कैश बेनिफिट
इस सुविधा के तहत सर्जरी की लंबी लिस्ट कवर की जाती है। फिक्स्ड बेनिफिट वाले प्रोडक्ड में बीमित व्यक्ति की सर्जरी की हालत में एक तय रकम मिलती है। इसमें बीमा कराने वाले को साल में एक से ज्यादा सर्जरी के लिए क्लेम की छूट होती है। लेकिन क्लेम की अधिकतम रकम सम अश्योर्ड से ज्यादा नहीं हो सकती। कुछ प्लान में सर्जरी के बाद की देखभाल पर भी खर्च की गई रकम कवर की जाती है। हालांकि ये कवर सर्जरी के बाद कुछ तय दिनों तक ही होती है।
टैक्स बेनिफिट
हेल्थेयर पर अदा की गई प्रीमियम पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत टैक्स छूट मिलती है। बजट 2015 के प्रावधानों के मुताबिक सामान्य तौर पर 25,000 रुपये तक और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30,000 रुपये तक प्रीमियम भरने पर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है। अगर किसी साल में कोई क्लेम न हो तो नो क्लेम बोनस के तौर पर अतिरिक्त कवर भी मिलता है। जो आपके चालू कवर में जुड़ जाता है।
ऊपर बताए गए प्रोड्क्ट्स के अलग अलग मिश्रण और उनकी शर्तों को समझकर आप अपने और परिवार की सुरक्षा के लिए विस्तृत हेल्थ कवर सुनिश्चित कर सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय बंदिशों और शर्तों को ठीक से देखें और उसके बाद ही पॉलिसी का चुनाव करें। नेटवर्क हॉस्पिटल की पहचान करें, किन किन बीमारियों को कवर में शामिल नहीं किया जाएगा उसे समझें। पॉलिसी पर लागू क्लेम की लिमिट और सब लिमिट को भी जानें।