Understanding your Health Insurance policy

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में बीमा पर वर्ष 2013 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 3.9 प्रतिशत खर्च किया गया था। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं पर कर्मचारी द्वारा किया गया फुटकर खर्च अमेरिका में 20.9 प्रतिशत और ब्रिटेन में 53.9 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 86 प्रतिशत दर्ज की गई।

Understanding your Health Insurance policy

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में बीमा पर वर्ष 2013 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का  महज 3.9 प्रतिशत खर्च किया गया था। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं पर कर्मचारी द्वारा किया गया फुटकर खर्च अमेरिका में 20.9 प्रतिशत और ब्रिटेन में 53.9 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 86 प्रतिशत दर्ज की गई। इसलिए यह जरूरी है कि किसी चिकित्सकीय आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा कवर होना चाहिए। किसी स्वास्थ्य बीमा उत्पाद के प्रावधानों को समझना भी उतना ही जरूरी है ताकि जब आप दावा करें तो किसी तरह की देरी या दिक्कत का सामना ना करना पड़े।

याद रखने लायक बातें:

• पूर्व मौजूदा बीमारियों

पूर्व मौजूदा बीमारियों का मतलब हुआ पॉलिसी लेने से पहले की बीमारी। ज्यादातर बीमा कंपनियां या इंश्योरर पहली पॉलिसी के 4 साल के भीतर की बीमारियों को कवर नहीं करती है। केवल 4 साल लगातार बीमा कवरेज वाली बीमारियों के मामले में ही बीमा कंपनी पूर्व मौजूदा बीमारियों को कवर करने पर विचार कर सकती है।

•प्रतीक्षा अवधि

सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी एक प्रतीक्षा अवधि के साथ आती है। साधारण बीमा कंपनियों द्वारा पेशकश की जाने वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की  प्रतीक्षा अवधि आमतौर पर 30 दिनों की होती है। जीवन बीमा कंपनियों द्वारा गंभीर बीमारियों को कवर करने वाली पॉलिसी की प्रतीक्षा अवधि आमतौर पर 90 दिनों की होती है। प्रतीक्षा अवधि के दौरान  आप को कवर नहीं मिलेगा।

• उत्तरजीविता की अवधि:

गंभीर बीमारी कवरेज के मामले में लाभ का दावा करने के लिए बीमित व्यक्ति (इंश्योर्ड) को  कम से कम इलाज की तारीख के बाद 30 दिनों (या पॉलिसी की शर्तों के अनुसार) तक जीवित रहना होगा।

•     कम से कम भर्ती की अवधि:

हॉस्पिटलाइजेशन लाभ का दावा करने के लिए बीमित व्यक्ति (इंश्योर्ड) को कम से कम 24 घंटे (या पॉलिसी की शर्तों के अनुसार) अस्पताल में भर्ती रहना होगा। दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होने के मामले में यह शर्त लागू नहीं होती।

• नकदीरहित सुविधा:

नकदीरहित सुविधा वाली पॉलिसी मामले में जब आप अपनी बीमा कंपनी के नेटवर्क वाले अस्पताल में भर्ती होते हैं तब आपको भर्ती होते समय भुगतान नहीं करना पड़ता है।  नकदीरहित सुविधा देने के लिए बीमा कंपनियों ने देश में अनेक अस्पतालों से करार करके उन्हें अपने नेटवर्क में शामिल किया हुआ है।  थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) बीमा कंपनी की ओर से बिल का निपटारा करता है। यदि आप नेटवर्क के बाहर के किसी अस्पताल में इलाज कराते हैं तो आपको सीधे अस्पताल को भुगतान करना पड़ेगा और फिर बीमा कंपनी द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति के लिए दावा करना होगा।  

अस्पताल में नकदीरहित भर्ती होने के मामले में आपको अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर टीपीए को इसकी सूचना देनी पड़ेगी।

• बहिष्करण

पॉलिसी दस्तावेज पढ़ना आपके लिए बहुत जरूरी है। इससे पता चलता है कि आपकी पॉलिसी में क्या कवर नहीं है। आपके कवर में से पूर्व मौजूदा बीमारियों के अलावा कुछ निर्दिष्ट बीमारियों को पहले साल बाहर रखा जा सकता है। सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के कवर में से कुछ ना कुछ बाहर रखे ही जाते हैं। दंत चिकित्सा उपचार, यौन रोग, एड्स, जन्मजात रोगों, जानबूझकर खुद को चोट आदि की लागत आमतौर पर मानक बहिष्करण के अंतर्गत आते हैं।

• निर्दिष्ट बीमारियों और सर्जरी:

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के तहत पॉलिसी दस्तावेज में शामिल निर्दिष्ट बीमारियों को कवर किया जाता है। सर्जिकल नकदी लाभ में निर्दिष्ट सर्जरी शामिल हैं। पॉलिसी दस्तावेज आप जरूर पढ़ें और इस बात की जानकारी रखें कि आपको किन बीमारियों और सर्जरी को कवर मिला हुआ है।

• रियायती अवधि:

समाप्ति तिथि तक अगर आप प्रीमियम का भुगतान नहीं करते हैं तो रियायती अवधि आपको उसके बाद एक निश्चित अवधि के लिए प्रीमियम भुगतान करने की अनुमति देती है। साधारण बीमा कंपनियों द्वारा पेशकश किये जाने वाले स्वास्थ्य बीमा उत्पादों में 15 दिनों की रियायती अवधि की अनुमति है।

जीवन बीमा कंपनियों के स्वास्थ्य उत्पादों के मामले में प्रीमियम भुगतान के लिए 30 दिनों की रियायती अवधि की अनुमति है। आमतौर पर रियायती अवधि के दौरान भी कवरेज जारी रहेगा।

•     शिकायत निवारण

अगर आपको अपनी स्वास्थ्य पॉलिसी को लेकर कोई शिकायत है तो सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी या इंश्योरर से इस बारे में बात करें। आपकी शिकायत बीमा कंपनी द्वारा 3 दिनों के भीतर स्वीकार की जानी चाहिए। अगर आप अपनी शिकायत के समाधान से संतुष्ट नहीं हैं तो आईआरडीएआई की एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली पर अपनी शिकायत दर्ज करें। आईआरडीएआई की वेबसाइट पर जाकर आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

आप फोन (टोल फ्री नंबर 155255) पर या ई-मेल आईडी complaints@irda.gov.in  के जरिये भी आईआरडीएआई के पास सीधे शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आईआरडीएआई बीमा कंपनी के साथ पंजीकृत शिकायत के समाधान की पहल करती है। बीमा कंपनी को 15 दिनों के भीतर शिकायतों को हल करने की उम्मीद रहती है।

अपनी पॉलिसी को अच्छी तरह से समझें ताकि दावा करने के समय कोई देरी ना हो और किसी तरह की दिक्कत का भी सामना ना करना पड़ें।

संवादपत्र

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