- Date : 13/10/2022
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मानसिक स्वास्थ्य कवरेज में बगैर अतिरिक्त प्रीमियम के कई फ़ायदे मिलते हैं।

Mental Health Coverage in Health Insurance: डेलॉइट ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार विश्व में मेंटल हेल्थ से जुड़े मामलों का लगभग 15% भारत में मौजूद है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस विषय पर समाज और लोगों द्वारा उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना कि ज़रूरी है। बीते सालों में महामारी के चलते लोगों ने इस समस्या को पहचाना है। मानसिक स्वास्थ्य और उसके इलाज के प्रति लोग जागरुक हुए हैं। साथ ही अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज देने को भी बहुत महत्त्व दिया जा रहा है।
लेकिन अभी इस विषय में बहुत कुछ करना बाकी है। पाठकों की जानकारी के लिए हम मानसिक स्वास्थ्य कवरेज और उसके अंतर्गत कवर की जानेवाली बीमारियों, प्रीमियम आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
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कंप्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस प्लान
वर्तमान में बीमा कंपनियाँ कंप्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी देती हैं जो बीमाधारक के अस्पताल में भर्ती होने पर लगने वाले खर्च को कवर करती हैं। इसमें वे रोग और उपचार भी शामिल हैं जो मानसिक विकार के परिणामस्वरूप होते हैं। इस पॉलिसी के तहत मरीज के अस्पताल में होने वाले खर्च यानी कमरे का खर्च, दवाइयाँ, निदान के लिए किए गए टेस्ट, एंबुलेंस का खर्च और इलाज के खर्च कवर किए जाते हैं।
हालांकि, मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को बाहरी मरीज़ विभाग (ओपीडी) का भी खर्च आता है। इसे मद्देनजर रखते हुए बीमा कंपनियाँ ओपीडी के खर्च के लिए भी योजनाएँ बना रही हैं। ग्राहकों को इस तरह की पॉलिसी चुननी चाहिए जो न सिर्फ मानसिक बिमारी के समय अस्पताल के खर्च को कवर करती हो बल्कि ओपीडी का खर्च भी उसमें शामिल हो।
इन बीमा पॉलिसियों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर, बाइपोलर डिसॉर्डर, स्कीज़ोफ्रेनिया, मानसिक अशांति, सदमे (ट्रॉमा) के बाद स्ट्रेस डिसॉर्डर जैसी बीमारियों को तो कवर किया ही जाता है, साथ में अन्य बीमारियों जैसे घबराहट की बीमारियों, तीव्र डिप्रेशन, मूड अनरेस्ट और अटेंशन डेफिसिट/हाइपर एक्टिविटी कंडीशन आदि को भी शामिल किया जाता है।
यदि आप इस उलझन में हैं कि हेल्थ कवरेज पॉलिसी किसे खरीदनी चाहिए तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब किसी विशेष आयु या समूह तक ये बीमारियाँ सीमित नहीं रह गई हैं। देखा गया है कि युवा वर्ग में भी बड़ी संख्या में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या पाई जाती है। छात्र भी अब इससे अछूते नहीं रह गए हैं। लेकिन जिनके परिवार में इस तरह की समस्या पहले की पीढ़ियों में देखी गई हो तो उन व्यक्तियों को यह बीमा करवाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। आनुवंशिकता (हेरिडिटी) मानसिक विकारों का एक प्रमुख कारण माना जाता है इसलिए ऐसे व्यक्तियों के लिए मानसिक बीमारियों का अंदेशा बढ़ता है। ख़ास बात है कि बीमा कंपनियाँ अधिकांश मानसिक रोगों के लिए कवरेज देने की कोशिश कर रही हैं।
प्रीमियम कितना हो
मानसिक स्वास्थ्य को अभी सामान्य बीमा प्लान के एक अंश के रूप में मान्यता दी गई है इसलिए इस समय इसके लिए किसी अतिरिक्त प्रीमियम की आवश्यकता नहीं है। यह कवरेज स्वास्थ्य योजना यानी कंप्रिहेंसिव हेल्थ प्लान का ही एक हिस्सा माना जाता है।
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