Women specific health conditions that your insurance needs to cover

महिलाओं को कुछ ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है, जिनसे पुरुषों का कभी सामना नहीं होता। इसलिए सभी महिलाओं के पास सही सुरक्षा होना बेहद ज़रूरी है।

Women specific health conditions that your insurance needs to cover

महिलाओं को विशेष रूप से उनके लिए तैयार की गई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की ज़रूरत है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ बीमारियां केवल महिलाओं को ही होती हैं। फिर भी अधिकांश महिलाएं या तो पूरे परिवार के लिए खरीदे गए स्वास्थ्य बीमा प्लान का हिस्सा होती हैं या फिर ऑफिस द्वारा दिए गए ग्रुप कवर का।

 

अच्छा यही होगा कि आपके पास अपने लिए अलग बीमा योजना रहे। क्यों? क्योंकि इससे आपको वित्तीय सुरक्षा और उपचार के बेहतर विकल्पों की सुविधा मिलती है। इसके अलावा, अगर आपका हेल्थ प्लान कुछ गंभीर बीमारियों के लिए कवर नहीं देता तो उनके लिए अलग से विशेष प्लान लेना ज़रूरी है। यहां उन 7 स्वास्थ्य समस्याओं का ज़िक्र है, जिनका सामना बस महिलाओं को करना पड़ता है। इनके लिए आपके पास बीमा ज़रूर होना चाहिए।
 

 

स्तन कैंसर: 

हाल ही में हुए रिसर्च से पता चलता है कि कैंसर का सबसे आम रूप है स्तन कैंसर। हर 1 लाख में से 25.8 महिलाएं इसका शिकार होती हैं। इसकी मृत्यु दर है हर 1 लाख पर 12.7। एक गंभीर चिंता का विषय है।

 

ओवेरियन (अंडाशय) कैंसर: 

भारत में महिलाओं को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाले कैंसर के प्रकारों में आम है ओवेरियन कैंसर। आपके द्वारा गंभीर बीमारी या कैंसर के लिए खरीदे गए प्लान में इसके लिए कवर होना चाहिए। यह इलाज में तो सहायता करेगा ही बल्कि रोकथाम में भी मदद कर सकता है क्योंकि कई पॉलिसी ओवेरियन कैंसर के फ्री चैक-अप की सुविधा देती हैं। कुछ प्लान बीमारी की गंभीरता या स्टेज के आधार पर लाभ देते हैं तो कुछ प्रीमियम में छूट देते हैं। पॉलिसी खरीदने से पहले अपने बीमाकर्ता से इन सभी बातों के बारे में जानकारी लें।

 


वेजाइनल (योनि) कैंसर: 

प्राइमरी वेजाइनल कैंसर, सर्वाइकल कैंसर से अलग होता है । यह सर्विक्स के बाहरी हिस्से या वल्वा को प्रभावित नहीं करता। माना जाता है कि वेजाइनल कैंसर के कुल मामलों में से लगभग 80% मेटास्टैटिक (एक अंग से शुरू होकर दूसरे अंगों तक फैलने वाले) होते हैं। इसलिए इसके इलाज के खर्चों से निपटने के लिए एक ठोस स्वास्थ्य बीमा प्लान होना बेहद ज़रूरी है। 

 


सर्वायकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर: 

हर साल औसतन 1,22,844 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होने की पुष्टि होती है। नेशनल हेल्थ पोर्टल का अनुमान है कि यह 15 से 44 वर्ष तक की महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले कैंसर में दूसरे नंबर पर आता है। अपना बीमा करवा कर आप स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्चों को कम कर सकते हैं। इससे आपको सही समय पर ज़रूरी इलाज करवाने में भी मदद मिलेगी। 

 

मेटरनिटी (मातृत्व): 

गर्भावस्था एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। चूंकि यह एक बीमारी नहीं है इसलिए कई बीमाकर्ता इससे जुड़े खर्च को नियमित स्वास्थ्य प्लान में शामिल नहीं करते। कई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में मातृत्व से जुड़े खर्चों के लिए कवर मौजूद होता है, लेकिन यह कुल ज़रूरत की 5राशि जितना कम भी हो सकता है। कुछ मामलों में वेटिंग पीरियड (प्रतीक्षा अवधि) भी हो सकता है। एक उचित मेटरनिटी कवर में अस्पताल के खर्च शामिल होते हैं। कुछ पॉलिसी एक निश्चित समय के लिए आपके शिशु को भी कवर देती हैं।

 


जन्मजात अक्षमता: 

यह प्लान डाउन सिंड्रोम, क्लेफ्ट लिप और पैलेट (मुंह और होंठ की छत में छेद या खुली जगह) जैसी जन्मजात अक्षमताओं के साथ पैदा हुए बच्चों को कवर देते हैं। बीमा कंपनी बच्चे के इलाज के लिए बीमा की राशि का एक हिस्सा देती है।


दुर्घटनाओं के बाद कॉस्मेटिक सर्जरी: 

कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी दुर्घटना संबंधी लाभ और दुर्घटना के बाद इलाज के लिए अतिरिक्त कवर देती हैं। हालांकि, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके द्वारा खरीदे जा रहे प्लान में कॉस्मेटिक रीकंसट्रक्शन (अंगों या त्वचा को फिर से बनवाकर शरीर की दिखावट ठीक करने की प्रक्रिया) के लिए कवर शामिल है।

 


याद रखने योग्य बातें

  • हर बीमाकर्ता कम से कम कुछ गंभीर बीमारियों के लिए तो कवर देता ही है। ध्यान से जांचें कि आपकी पॉलिसी कौनसी बीमारियों के लिए और कितना कवर देती है। अपनी जेनेटिक हिस्ट्री (अनुवांशिक इतिहास) पर विचार करें और डॉक्टर से बात करें कि आपको किन बीमारियों का खतरा है।
  • वेटिंग पीरियड का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। कुछ पॉलिसियां आपको पहले दिन से ही कवर देती हैं जबकि कुछ में 6 महीने से 1 साल तक इंतज़ार करना पड़ सकता है। इसका असर उन बीमारियों की स्थिति में हो सकता है जिनके लिए आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
  • ध्यान देने लायक बातें और भी हैं जैसे कैशलेस हॉस्पिटलाइज़ेशन। इसके बाद आते हैं टैक्स से जुड़े लाभ। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर टैक्स में छूट मिलती है। कुछ पॉलिसियां गंभीर बीमारी के दौरान हुए नौकरी के नुकसान के लिए भी मुआवज़ा देती हैं।
  • अपने हकों के बारे में पूरी जानकारी लें। पता करें कि आपको डेली हॉस्पिटलाज़ेशन कैश लाभ मिलेगा या नहीं। बीमाकर्ता अस्पताल से निकलने के बाद के इलाज के लिए भरपाई और स्वास्थ्य चैक-अप में छूट जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।

 

कुल मिलाकर आपकी जेनेटिक हिस्ट्री और स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति से यह पता चलता है कि आपको कितने कवरेज की ज़रूरत है। लेकिन इसके कई और पहलू भी हैं। गंभीर बीमारियों का पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। सभी बातों को ध्यान से जांचें। लेकिन बिना देर किए अपने लिए बीमा ज़रूर खरीद लें। स्वास्थ्य देखभाल और इलाज के खर्च में हर साल हो रही 15 से 18% की बढ़त को देखते हुए, अपने लिए पहले से सुरक्षा का इंतज़ाम करना बेहतर है।

 

 

संवादपत्र

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