- Date : 13/07/2023
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ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को लेकर हंगामा मचा है और इस बीच रेवेन्यू सेक्रेटरी ने कहा है कि सरकार के इस कदम से हर साल 20 हजार करोड़ रुपये राजस्व आएगा।

GST On Online Gaming: इसी हफ्ते जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कैसीनो के लिए पूरे बेट वैल्यू पर 28 फीसदी टैक्स लागू करने का फैसला लिया गया। इस फैसले से सरकार को हर साल 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होने की संभावना है। भारतीय ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां फिलहाल केवल 2-3 पर्सेंट जीएसटी का भुगतान कर रही हैं। पिछले साल सरकार ने केवल 1,700 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह किया था, जो पूरे मूल्य पर टैक्स लगाने पर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये हो सकता था। हालांकि, इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है और सरकार टैक्स की वसूली के लिए सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में आगे बढ़ाएगी।
रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर फुल बेट वैल्यू पर 28 पर्सेंट टैक्स लगाने के जीएसटी काउंसिल के फैसले के बाद सरकारी खजाने को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने सर्वसम्मति से ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ आदि पर 28 पर्सेंट टैक्स लगाने का फैसला किया है। ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री फिलहाल केवल 2-3 फीसदी जीएसटी का भुगतान कर रहा है, जो कि आम आदमी द्वारा उपभोग की जाने वाली खाद्य वस्तुओं पर लागू 5 फीसदी टैक्स से भी कम है।
पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में सरकारी खजाने ने केवल 1,700 करोड़ रुपये जीएसटी इकट्ठा किया था, जो कि पूरे मूल्य पर टैक्स लगाए जाने पर 15,000-20,000 करोड़ रुपये हो सकता था। गेमिंग कंपनियों ने कौशल और अवसर के खेल के भेदभाव के तहत आश्रय लिया और केवल प्लैटफॉर्म फीस या ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू (जीजीआर) पर 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान किया। जीएसटी काउंसिल ने इस हफ्ते की शुरुआत में स्पष्ट किया था कि दांव के पूर्ण अंकित मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान किया जाना चाहिए। संजय मल्होत्रा ने कहा कि जहां भी टैक्स से बचाव या चोरी होगी, उन पहलुओं पर निश्चित रूप से गौर किया जाएगा और टैक्स की वसूली की जाएगी।