आयकर भरने से जुड़े मिथकों की पोलखो

इन मिथ्यों से आपको काफी नुकसान हो सकता है।

आयकर भरने से जुड़े मिथकों की पोलखो

आयकर विभाग ने टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है और पैन कार्ड और आधार कार्ड को जोड़ने के लिए मियाद भी बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।

लेकिन, टैक्स रिटर्न को भरने की जल्दबाजी करने से पहले ध्यान रखें कि ई-फाइलिंग, रिफंड और डिडक्शन को लेकर काफी गलतफहमी फैली हुई हैं और अगर आप इनसे वाकिफ नहीं है तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। हम टैक्स रिटर्न भरने को लेकर ऐसे 8 मिथकों की पड़ताल करने वाले हैं:

 

 मिथक 1 – मेरे लिए टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग जरूरी नहीं है। ये अनिवार्य नहीं है।

टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग नीचे दी गए तीन परिस्थितियों में अनिवार्य है।

  • उनके लिए जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये है या उससे ज्यादा है
  • उनके लिए जो रिफंड के लिए अर्जी देंगे
  • उनके लिए जिन्होंने आईटीआर फॉर्म – 2,4,4एस,5,6 और 7 भरा है

कुल आय वो रकम है जो आपको सकल आय में से उपयुक्त डिडक्शन घटाकर मिलती है। सिर्फ वो करदाता जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा है या जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है उन्हें ई-फाइलिंग करने की जरूरत नहीं है।


मिथक 2 – मुझे मौजूदा नियोक्ता को पहले के वेतन की जानकारी देना जरूरी नहीं है।

अगर आपने वित्त वर्ष के बीच में नौकरी बदली है और पहले के वेतन की जानकारी नए नियोक्ता को नहीं दी है तो मौजूदा वेतन के आधार पर आयकर काटा जाएगा। हालांकि, पिछले साल की कुल आय पर ही आयकर लगाया जाएगा। लेकिन जब इन दोनों वेतन को जोड़ा जाएगा, तब आप ऊंचे टैक्स श्रेणी में आ सकते हैं।

मिथक 3 – बैंक द्वारा टीडीएस के जरिए टैक्स काटने  की वजह से मुझे ब्याज पर टैक्स नहीं देना होगा।

आप किस टैक्स श्रेणी में आते हैं उसके आधार पर आपको फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खाते, रिकरिंग डिपॉजिट ये होने वाली आय पर टैक्स देना होगा।

जैसे

आपका वेतन – सालाना 6 लाख रुपये

फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिला ब्याज – 20,000 रुपये

बैंक द्वारा काटा गया टैक्स – 2,000 रुपये

अगर आप 20 फीसदी की टैक्स श्रेणी में आते हैं, तो आपको 4,000 रुपये टैक्स के बतौर भरने होंगे, जिसमें से बैंक ने सिर्फ 10 फीसदी ही भरा है।

मिथक 4 – मुझे मिले मौद्रिक उपहारों पर टैक्स नहीं लगेगा

सिर्फ शादी में परिवारजनों और रिश्तेदारों द्वारा दिए मौद्रिक उपहार या धर्मार्थ संगठन के मौद्रिक उपहार या विरासत में मिले मौद्रिक उपहार ही टैक्स मुक्त होते हैं। अगर इन स्रोतों से मौद्रिक उपहार नहीं मिला है और ये 50,000 रुपये से ज्यादा है तो आपको अतिरिक्त राशि पर टैक्स देना होगा।


मिथक 5 – मैं डिडक्शन नहीं ले सकता हूं क्योंकि मेरी कंपनी हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) नहीं देती है। 

अगर आपको कंपनी से एचआरए नहीं मिलता है, तब भी आप सेक्शन 80जीजी के तहत अपने घर के किराए पर टैक्स छूट पा सकते हैं अगर नीचे दी गई शर्तें पूरी करते हैं:

  • आपने डिक्लरेशन फॉर्म 10बीए के तहत भरा है
  • अगर आपका नियोक्ता एचआरए नहीं देता है, तो आप सेक्शन 10 (13ए) के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं
  • आपके पास कोई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं है जहां आप हिंदू अविभक्त परिवार के सदस्य है या जहां ऑफिस का काम करते हों या कारोबार करते हों
  • आपके पास कोई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं जिसकी कीमत सेक्शन 23(4)(ए) या सेक्शन 23(2)(ए) के तहत तय की गई हो

मिथक 6 – मैं घर के लोन के भुगतान पर टैक्स छूट नहीं पा सकता हूं।

अगर आपने घर के लिए लोन लिया है तो सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक मूल रकम के भुगतान पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। इसके अलावा लोन पर लगने वाले ब्याज पर भी 2 लाख रुपये तक छूट मिलेगी चाहे घर में आप रहते हों या फिर किराए पर दिया हो।


मिथक 7 – मेरे द्वारा एक ही बैंक खाते की जानकारी दिए जाना ठीक है।

चाहे टैक्स रिफंड के लिए एक ही बैंक खाते की जानकारी काफी है, लेकिन आपको अपने सभी बैंक खातों की जानकारी देना जरूरी है। निष्क्रिय खातों (जिनमें 3 साल या इससे ज्यादा लेनदेन न किया गया हो) की जानकारी देना जरूरी नहीं है। साथ ही, ध्यान रखें कि आपने सही बैंक खाता नंबर भरा हो, नहीं तो आपका टैक्स रिफंड किसी और खाते में चला जाएगा।

मिथक 8 – ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरने के बाद मेरी ई-फाइलिंग प्रक्रिया पूरी हो जाती है। 

ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरने के बाद आपको एक और कदम उठाना होता है। आपको अपने आधार कार्ड के जरिए रिटर्न की ई-वेरिफिकेशन करनी होती है। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है, तो आपको हस्ताक्षर की हुई आईटीआर-वी की कॉपी सीपीसी (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर) बंगलुरु को टैक्स रिटर्न के ई-फाइलिंग के 120 दिनों के अंदर भेजनी होगी। जब आप ये भेज देंगे तब आपको टैक्स रिटर्न भरने की रसीद मिलेगी।

आयकर विभाग ने टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है और पैन कार्ड और आधार कार्ड को जोड़ने के लिए मियाद भी बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।

लेकिन, टैक्स रिटर्न को भरने की जल्दबाजी करने से पहले ध्यान रखें कि ई-फाइलिंग, रिफंड और डिडक्शन को लेकर काफी गलतफहमी फैली हुई हैं और अगर आप इनसे वाकिफ नहीं है तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। हम टैक्स रिटर्न भरने को लेकर ऐसे 8 मिथकों की पड़ताल करने वाले हैं:

 

 मिथक 1 – मेरे लिए टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग जरूरी नहीं है। ये अनिवार्य नहीं है।

टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग नीचे दी गए तीन परिस्थितियों में अनिवार्य है।

  • उनके लिए जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये है या उससे ज्यादा है
  • उनके लिए जो रिफंड के लिए अर्जी देंगे
  • उनके लिए जिन्होंने आईटीआर फॉर्म – 2,4,4एस,5,6 और 7 भरा है

कुल आय वो रकम है जो आपको सकल आय में से उपयुक्त डिडक्शन घटाकर मिलती है। सिर्फ वो करदाता जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा है या जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है उन्हें ई-फाइलिंग करने की जरूरत नहीं है।


मिथक 2 – मुझे मौजूदा नियोक्ता को पहले के वेतन की जानकारी देना जरूरी नहीं है।

अगर आपने वित्त वर्ष के बीच में नौकरी बदली है और पहले के वेतन की जानकारी नए नियोक्ता को नहीं दी है तो मौजूदा वेतन के आधार पर आयकर काटा जाएगा। हालांकि, पिछले साल की कुल आय पर ही आयकर लगाया जाएगा। लेकिन जब इन दोनों वेतन को जोड़ा जाएगा, तब आप ऊंचे टैक्स श्रेणी में आ सकते हैं।

मिथक 3 – बैंक द्वारा टीडीएस के जरिए टैक्स काटने  की वजह से मुझे ब्याज पर टैक्स नहीं देना होगा।

आप किस टैक्स श्रेणी में आते हैं उसके आधार पर आपको फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खाते, रिकरिंग डिपॉजिट ये होने वाली आय पर टैक्स देना होगा।

जैसे

आपका वेतन – सालाना 6 लाख रुपये

फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिला ब्याज – 20,000 रुपये

बैंक द्वारा काटा गया टैक्स – 2,000 रुपये

अगर आप 20 फीसदी की टैक्स श्रेणी में आते हैं, तो आपको 4,000 रुपये टैक्स के बतौर भरने होंगे, जिसमें से बैंक ने सिर्फ 10 फीसदी ही भरा है।

मिथक 4 – मुझे मिले मौद्रिक उपहारों पर टैक्स नहीं लगेगा

सिर्फ शादी में परिवारजनों और रिश्तेदारों द्वारा दिए मौद्रिक उपहार या धर्मार्थ संगठन के मौद्रिक उपहार या विरासत में मिले मौद्रिक उपहार ही टैक्स मुक्त होते हैं। अगर इन स्रोतों से मौद्रिक उपहार नहीं मिला है और ये 50,000 रुपये से ज्यादा है तो आपको अतिरिक्त राशि पर टैक्स देना होगा।


मिथक 5 – मैं डिडक्शन नहीं ले सकता हूं क्योंकि मेरी कंपनी हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) नहीं देती है। 

अगर आपको कंपनी से एचआरए नहीं मिलता है, तब भी आप सेक्शन 80जीजी के तहत अपने घर के किराए पर टैक्स छूट पा सकते हैं अगर नीचे दी गई शर्तें पूरी करते हैं:

  • आपने डिक्लरेशन फॉर्म 10बीए के तहत भरा है
  • अगर आपका नियोक्ता एचआरए नहीं देता है, तो आप सेक्शन 10 (13ए) के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं
  • आपके पास कोई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं है जहां आप हिंदू अविभक्त परिवार के सदस्य है या जहां ऑफिस का काम करते हों या कारोबार करते हों
  • आपके पास कोई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं जिसकी कीमत सेक्शन 23(4)(ए) या सेक्शन 23(2)(ए) के तहत तय की गई हो

मिथक 6 – मैं घर के लोन के भुगतान पर टैक्स छूट नहीं पा सकता हूं।

अगर आपने घर के लिए लोन लिया है तो सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक मूल रकम के भुगतान पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। इसके अलावा लोन पर लगने वाले ब्याज पर भी 2 लाख रुपये तक छूट मिलेगी चाहे घर में आप रहते हों या फिर किराए पर दिया हो।


मिथक 7 – मेरे द्वारा एक ही बैंक खाते की जानकारी दिए जाना ठीक है।

चाहे टैक्स रिफंड के लिए एक ही बैंक खाते की जानकारी काफी है, लेकिन आपको अपने सभी बैंक खातों की जानकारी देना जरूरी है। निष्क्रिय खातों (जिनमें 3 साल या इससे ज्यादा लेनदेन न किया गया हो) की जानकारी देना जरूरी नहीं है। साथ ही, ध्यान रखें कि आपने सही बैंक खाता नंबर भरा हो, नहीं तो आपका टैक्स रिफंड किसी और खाते में चला जाएगा।

मिथक 8 – ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरने के बाद मेरी ई-फाइलिंग प्रक्रिया पूरी हो जाती है। 

ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भरने के बाद आपको एक और कदम उठाना होता है। आपको अपने आधार कार्ड के जरिए रिटर्न की ई-वेरिफिकेशन करनी होती है। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है, तो आपको हस्ताक्षर की हुई आईटीआर-वी की कॉपी सीपीसी (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर) बंगलुरु को टैक्स रिटर्न के ई-फाइलिंग के 120 दिनों के अंदर भेजनी होगी। जब आप ये भेज देंगे तब आपको टैक्स रिटर्न भरने की रसीद मिलेगी।

संवादपत्र

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