धूम्रपान करने और न करने वाले लोगों के जीवन बीमा प्रीमियम किस प्रकार भिन्‍न होते हैं

प्रतिष्ठित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में प्रकाशित एक अप्रैल 2017 स्‍टडीके मुताबिक, चीन को छोड़ दें तो भारत में धूम्रपान संबंधी रोगों से मरने वाले लोगों की संख्‍या दुनिया में सबसे अधिक है।

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‘ग्‍लोबल बर्डन ऑफ डिसीज़’ शीर्षक वाली इस स्‍टडी में कहा गया है, कि धूम्रपान के कारण अधिकांश मौतों के मामले में सूचीबद्ध शीर्ष चार देशों में भारत का दूसरा स्थान है। इन चारों में चीन पहले स्‍थान पर है, वहीं भारत के बाद अन्‍य दो देश अमेरिका और रूस हैं। संयोग से 195 देशों में की गई यह स्‍टडी दर्शाती है कि दुनिया भर में धूम्रपान के चलते होने वाली मौतों में आधी से अधिक इन्‍हीं चार देशों में होती हैं। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन और भारत में धूम्रपान करने वालों की वृद्धि दर कम हो रही थी, लेकिन इन देशों की बढ़ती आबादी के चलते इन दोनों देशों में धूम्रपान करने वालों की बड़ी संख्‍या अभी भी खतरनाक दर से बढ़ रही है। यद्यपि यह नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जीवन बीमा कंपनियां भी नई पॉलिसी बेचते समय इसे ध्यान में रखती हैं।

 यह बीमा को प्रभावित करता है 

इसका मतलब यह है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं और जीवन बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते हैं, तो आपको उसी पॉलिसी को खरीदते समय अपने समान आयु और समान पृष्‍ठभूमि वाले धूम्रपान न करने वाले व्‍यक्ति के मुकाबले अधिक प्रीमियम भुगतान के लिए तैयार रहना चाहिए। यह समझना मुश्किल भी नहीं है क्योंकि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों की मृत्यु दर अधिक है।

दूसरे शब्‍दों में, जीवन बीमा कंपनियां धूम्रपान करने वालों पर अधिक प्रीमियम लगाती हैं क्‍योंकि ऐसे लोगों को पॉलिसी प्रदान करना अधिक जोखिम भरा होता है। जैसा कि लांसेट रिपोर्ट - और डब्ल्यूएचओ अध्ययन से स्पष्ट है भारत में धूम्रपान से संबंधित कारणों से व्‍यापक पैमाने पर मौतें होती हैं। यही कारण है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं या फिर पिछले 12 महीने में आपने धूम्रपान किया है तो जीवन बीमा कंपनियां जीवन बीमा पॉलिसी के नए ग्राहकों से डिक्‍लेरेशन फॉर्म पर मौजूद एक खाली बॉक्‍स को टिक करने को कहती हैं। यदि आप ‘हां’ पर टिक करते हैं तो संभवत: आपको धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में माना जाएगा और आप पर अधिक प्रीमियम लगाया जाएगा। 

बीमा कंपनी की दृष्टि में, आवेदक को तभी धूम्रपान करने वाला माना जाएगा यदि उसने हाल ही में किसी भी रूप में धूम्रपान किया है या तंबाकू चबाया है। यहां तक कि निकोटीन पैच या      गम का उपयोग भी धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में माना जाएगा। बीमा कंपनियां अनिवार्य रूप से किसी भी रूप में निकोटीन के सेवन पर जरूर ध्‍यान देती हैं। 

धूम्रपान करने वालों की श्रेणियां

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ध्यान रखें कि चाहें आप नियमित रूप से धूम्रपान करने वाले हों या कभी-कभी या 'सामाजिक' रूप धूम्रपान करने वाले हों, बीमा कंपनी इसमें कोई अंतर नहीं मानती। यदि आपने यह आदत पिछले 12 महीनों से लगातार नहीं छोड़ी है तो आपको धूम्रपान करने वाला (किसी भी डिग्री का) ही माना जाएगा। 

अधिक जोखिम होने के कारण ये लोग सामान्‍यत: ज्‍यादा प्रीमियम के योग्‍य होते हैं। इन्‍हें 40 से 100% अधिक प्रीमियम के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि यह पूरी तरह से बीमा कंपनी के निर्णय पर निर्भर है और एक इंश्‍योरेंस कंपनी से दूसरी कंपनी के मामले में यह अलग-अलग हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि आप समान कवरेज राशि के प्रीमियम की तुलना के लिए किसी ऑनलाइन कैलकुलेटर या एक से अधिक कंपनियों के मूल्‍यजरूर पता करें।

संयोग से, टेबल रेटिंग सिर्फ धूम्रपान के लिए ही नहीं है; उन्हें जीवन बीमा कंपनियों द्वारा धूम्रपान से अलग डायबिटीज़, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास और यहां तक कि मोटापा जैसी अन्‍य स्वास्थ्य समस्याओं की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसमें गैर-चिकित्सीय स्थितियों को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे यदि किसी आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड हो तो वह भी शामिल किया जाता है। 

परीक्षण से गुजरना होगा 

बीमा कंपनियां एक निकोटीन उपयोगकर्ता की पहचान के लिए जानकारी के दो स्रोतों पर भरोसा करती हैं; पहली स्थिति में एप्‍लीकेशन फॉर्म पर सेल्‍फ डिक्‍लेरेशन कर पहले ही इस पर बात कर ली जाती है। लेकिन इसका दूसरा तरीका भी है, बीमा कंपनी मेडिकल टेस्‍ट करवा सकती है। विशेषरूप से, मेडिकल टेस्‍ट तब करवाए जाते हैं जब बीमा की राशि गैर-चिकित्‍सकीय तय सीमा से अधिक होती है, या फिर जब धूम्रपान करने वालों या न करने वालों की प्रीमियम दरें अलग-अलग होती हैं। इसमें आवेदकों से चिकित्सा जांच के लिए नेटवर्क अस्पतालों में से किसी एक में जाने के लिए कहा जाएगा, वहीं कभी कभी टेस्‍ट सैंपल घर से भी संकलित किए जा सकते हैं।

मेडिकल टेस्‍ट के तहत होने वाले विभिन्न टेस्‍टों में, कोटिनाइन मेडिकल टेस्‍ट शामिल है। जो आवेदक के शरीर में निकोटीन की उस मात्रा का पता लगाता है जो उसने पिछले तीन से चार दिनों में शायद ली है या नहीं ली है। कोटिनाइन तंबाकू में पाया जाने वाला एक एल्‍कलॉइड होता है, और यह निकोटीन का एक प्रमुख मेटाबोलाइट है। जिसका उपयोग तंबाकू से धुंआ निकालने के लिए एक बायोमार्कर के रूप में किया जाता है। यह टेस्‍ट पेशाब या खून जैसे बॉडी सैंपल का उपयोग कर किए जाते हैं। ये दोनों ही बीमा प्राप्त करने के लिए मेडिकल टेस्‍ट का नियमित हिस्सा हैं।

कभी-कभी, आवेदक एक हफ्ते तक धूम्रपान छोड़ देते हैं, और मानते हैं कि इससे उनके मूत्र और रक्त से कोटिनाइन 'साफ' हो जाएगा और इस प्रकार उनका प्रीमियम कम हो जाएगा। वे शायद यह बात नहीं समझते हैं कि मेटाबोलाइट कई दिनों तक शरीर के तरल पदार्थ में मौजूद रह सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आवेदक कितने लंबे समय से धूम्रपान कर रहा है। 
 
बेहतर है कि स्‍पष्‍टता रखें 

आपको यह बात समझनी चाहिए कि यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं या आवेदन के समय इस बारे में झूठ बोल रहे हैं, तो ऐसा करना बीमा धोखाधड़ी माना जा सकता है। गलत तथ्य बनाना सही बात नहीं है, क्योंकि बीमा कंपनियां इस तरह के आधार पर आपका क्‍लेम रद्द कर सकती हैं। उदाहरण स्‍वरूप, यदि कोई बीमा पॉलिसी धारक यह दावा करता है कि वह धूम्रपान नहीं करता है, और यदि धूम्रपान संबधी बीमारी के कारण उसकी मौत होती है, तो यह रिएंबर्समेंट के दावों को खारिज करने के लिए बीमा कंपनी के लिए कानूनी आधार होगा। 

इसके अलावा, यहां कई टेस्‍ट भी हैं। यदि कुछ संदिग्‍ध लगता है तो बीमा कंपनी आवेदकों से यह टेस्‍ट करवाने के लिए कह सकता है। या फिर यह बीमा कंपनी के नियम में भी शामिल हो सकता है कि सभी आवेदकों की मेडिकल जांच करवाई जाए। ऐसे में कोई भी पकड़ा जा सकता है। 

इसके अलावा, यदि कोई व्‍यक्ति विशेष मौकों पर धूम्रपान करता हो और आवेदन के समय खुद को धूम्रपान न करने वाला घोषित करे तो इस मामले में भी, यह घोषणा अवैध होगी। बीमा कंपनियां अपने नियमों के प्रति सख्‍त होती हैं और केवल उन आवेदकों को धूम्रपान न करने वालों की कम दर प्रदान करती हैं जो सिगरेट और निकोटीन-प्रतिस्थापन उत्पादों को पूरी तरह से बंद कर चुके होते हैं।

इस प्रकार, यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप आवेदन फॉर्म में इसकी पूरी तरह से घोषणा कर दें और इस तथ्य को स्वीकार करें कि यदि आप धूम्रपान करते हैं तो आपको अपनी आदत के लिए भुगतान करना होगा। सबसे बेहतर होगा कि आप पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ दें और 12 महीनों के बाद आवेदन करें। 


अस्‍पष्‍टता के क्षेत्र 

वैकल्पिक रूप से, हो सकता है कि बीमा के लिए आवेदन करते समय वह व्‍यक्ति धूम्रपान न करता हो, लेकिन बाद में धूम्रपान करने लगे। प्रश्‍न यह है, क्‍या उसे एक धूम्रपान करने वाला स्‍टेटस प्राप्‍त करना चाहिए, और अतिरिक्‍त प्रीमियम का भुगतान करना शुरू करना चाहिए?

यह कोई मुद्दा नहीं है; कोई भी व्‍यक्ति जीवन बीमा पॉलिसी में अनुबंध की शर्तों को नहीं बदल सकता है। यदि किसी व्‍यक्ति को धूम्रपान न करने वाला प्‍लान जारी किया जाता है, तो बीमा अनुबंध प्‍लान की अवधि पूरी होने तक एक समान रहते हैं। ऐसे में, जीवन के अंतिम पड़ाव पर, यदि कोई पॉलिसी धारक धूम्रपान करना शुरू कर देता है, तब भी मौजूदा अनुबंध अवैध नहीं माना जाएगा। 

बीमा कंपनियों को यह पता है कि कुछ मामलों में धूम्रपान न करने वाले कुछ लोग पॉलिसी लेने के कुछ वर्षों के बाद धूम्रपान या कुछ और शुरू कर सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता: जब तक सच्चाई छुपाई नहीं जाती है, तब तक प्रस्तावित फॉर्म में जो कुछ भी घोषित किया गया है, उसके आधार पर बीमा अनुबंध वैध रहता है। पॉलिसी नवीनीकरण के दौरान किसी भी बदलाव को कभी भी अपडेट किया जा सकता है। यदि संशोधान के बाद प्रीमियम को बढ़ाने की आवश्यकता होती है, तो यह अगले प्रीमियम चक्र से प्रभावी होगा।

‘ग्‍लोबल बर्डन ऑफ डिसीज़’ शीर्षक वाली इस स्‍टडी में कहा गया है, कि धूम्रपान के कारण अधिकांश मौतों के मामले में सूचीबद्ध शीर्ष चार देशों में भारत का दूसरा स्थान है। इन चारों में चीन पहले स्‍थान पर है, वहीं भारत के बाद अन्‍य दो देश अमेरिका और रूस हैं। संयोग से 195 देशों में की गई यह स्‍टडी दर्शाती है कि दुनिया भर में धूम्रपान के चलते होने वाली मौतों में आधी से अधिक इन्‍हीं चार देशों में होती हैं। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन और भारत में धूम्रपान करने वालों की वृद्धि दर कम हो रही थी, लेकिन इन देशों की बढ़ती आबादी के चलते इन दोनों देशों में धूम्रपान करने वालों की बड़ी संख्‍या अभी भी खतरनाक दर से बढ़ रही है। यद्यपि यह नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जीवन बीमा कंपनियां भी नई पॉलिसी बेचते समय इसे ध्यान में रखती हैं।

 यह बीमा को प्रभावित करता है 

इसका मतलब यह है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं और जीवन बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते हैं, तो आपको उसी पॉलिसी को खरीदते समय अपने समान आयु और समान पृष्‍ठभूमि वाले धूम्रपान न करने वाले व्‍यक्ति के मुकाबले अधिक प्रीमियम भुगतान के लिए तैयार रहना चाहिए। यह समझना मुश्किल भी नहीं है क्योंकि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों की मृत्यु दर अधिक है।

दूसरे शब्‍दों में, जीवन बीमा कंपनियां धूम्रपान करने वालों पर अधिक प्रीमियम लगाती हैं क्‍योंकि ऐसे लोगों को पॉलिसी प्रदान करना अधिक जोखिम भरा होता है। जैसा कि लांसेट रिपोर्ट - और डब्ल्यूएचओ अध्ययन से स्पष्ट है भारत में धूम्रपान से संबंधित कारणों से व्‍यापक पैमाने पर मौतें होती हैं। यही कारण है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं या फिर पिछले 12 महीने में आपने धूम्रपान किया है तो जीवन बीमा कंपनियां जीवन बीमा पॉलिसी के नए ग्राहकों से डिक्‍लेरेशन फॉर्म पर मौजूद एक खाली बॉक्‍स को टिक करने को कहती हैं। यदि आप ‘हां’ पर टिक करते हैं तो संभवत: आपको धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में माना जाएगा और आप पर अधिक प्रीमियम लगाया जाएगा। 

बीमा कंपनी की दृष्टि में, आवेदक को तभी धूम्रपान करने वाला माना जाएगा यदि उसने हाल ही में किसी भी रूप में धूम्रपान किया है या तंबाकू चबाया है। यहां तक कि निकोटीन पैच या      गम का उपयोग भी धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में माना जाएगा। बीमा कंपनियां अनिवार्य रूप से किसी भी रूप में निकोटीन के सेवन पर जरूर ध्‍यान देती हैं। 

धूम्रपान करने वालों की श्रेणियां

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ध्यान रखें कि चाहें आप नियमित रूप से धूम्रपान करने वाले हों या कभी-कभी या 'सामाजिक' रूप धूम्रपान करने वाले हों, बीमा कंपनी इसमें कोई अंतर नहीं मानती। यदि आपने यह आदत पिछले 12 महीनों से लगातार नहीं छोड़ी है तो आपको धूम्रपान करने वाला (किसी भी डिग्री का) ही माना जाएगा। 

अधिक जोखिम होने के कारण ये लोग सामान्‍यत: ज्‍यादा प्रीमियम के योग्‍य होते हैं। इन्‍हें 40 से 100% अधिक प्रीमियम के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि यह पूरी तरह से बीमा कंपनी के निर्णय पर निर्भर है और एक इंश्‍योरेंस कंपनी से दूसरी कंपनी के मामले में यह अलग-अलग हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि आप समान कवरेज राशि के प्रीमियम की तुलना के लिए किसी ऑनलाइन कैलकुलेटर या एक से अधिक कंपनियों के मूल्‍यजरूर पता करें।

संयोग से, टेबल रेटिंग सिर्फ धूम्रपान के लिए ही नहीं है; उन्हें जीवन बीमा कंपनियों द्वारा धूम्रपान से अलग डायबिटीज़, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास और यहां तक कि मोटापा जैसी अन्‍य स्वास्थ्य समस्याओं की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसमें गैर-चिकित्सीय स्थितियों को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे यदि किसी आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड हो तो वह भी शामिल किया जाता है। 

परीक्षण से गुजरना होगा 

बीमा कंपनियां एक निकोटीन उपयोगकर्ता की पहचान के लिए जानकारी के दो स्रोतों पर भरोसा करती हैं; पहली स्थिति में एप्‍लीकेशन फॉर्म पर सेल्‍फ डिक्‍लेरेशन कर पहले ही इस पर बात कर ली जाती है। लेकिन इसका दूसरा तरीका भी है, बीमा कंपनी मेडिकल टेस्‍ट करवा सकती है। विशेषरूप से, मेडिकल टेस्‍ट तब करवाए जाते हैं जब बीमा की राशि गैर-चिकित्‍सकीय तय सीमा से अधिक होती है, या फिर जब धूम्रपान करने वालों या न करने वालों की प्रीमियम दरें अलग-अलग होती हैं। इसमें आवेदकों से चिकित्सा जांच के लिए नेटवर्क अस्पतालों में से किसी एक में जाने के लिए कहा जाएगा, वहीं कभी कभी टेस्‍ट सैंपल घर से भी संकलित किए जा सकते हैं।

मेडिकल टेस्‍ट के तहत होने वाले विभिन्न टेस्‍टों में, कोटिनाइन मेडिकल टेस्‍ट शामिल है। जो आवेदक के शरीर में निकोटीन की उस मात्रा का पता लगाता है जो उसने पिछले तीन से चार दिनों में शायद ली है या नहीं ली है। कोटिनाइन तंबाकू में पाया जाने वाला एक एल्‍कलॉइड होता है, और यह निकोटीन का एक प्रमुख मेटाबोलाइट है। जिसका उपयोग तंबाकू से धुंआ निकालने के लिए एक बायोमार्कर के रूप में किया जाता है। यह टेस्‍ट पेशाब या खून जैसे बॉडी सैंपल का उपयोग कर किए जाते हैं। ये दोनों ही बीमा प्राप्त करने के लिए मेडिकल टेस्‍ट का नियमित हिस्सा हैं।

कभी-कभी, आवेदक एक हफ्ते तक धूम्रपान छोड़ देते हैं, और मानते हैं कि इससे उनके मूत्र और रक्त से कोटिनाइन 'साफ' हो जाएगा और इस प्रकार उनका प्रीमियम कम हो जाएगा। वे शायद यह बात नहीं समझते हैं कि मेटाबोलाइट कई दिनों तक शरीर के तरल पदार्थ में मौजूद रह सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आवेदक कितने लंबे समय से धूम्रपान कर रहा है। 
 
बेहतर है कि स्‍पष्‍टता रखें 

आपको यह बात समझनी चाहिए कि यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं या आवेदन के समय इस बारे में झूठ बोल रहे हैं, तो ऐसा करना बीमा धोखाधड़ी माना जा सकता है। गलत तथ्य बनाना सही बात नहीं है, क्योंकि बीमा कंपनियां इस तरह के आधार पर आपका क्‍लेम रद्द कर सकती हैं। उदाहरण स्‍वरूप, यदि कोई बीमा पॉलिसी धारक यह दावा करता है कि वह धूम्रपान नहीं करता है, और यदि धूम्रपान संबधी बीमारी के कारण उसकी मौत होती है, तो यह रिएंबर्समेंट के दावों को खारिज करने के लिए बीमा कंपनी के लिए कानूनी आधार होगा। 

इसके अलावा, यहां कई टेस्‍ट भी हैं। यदि कुछ संदिग्‍ध लगता है तो बीमा कंपनी आवेदकों से यह टेस्‍ट करवाने के लिए कह सकता है। या फिर यह बीमा कंपनी के नियम में भी शामिल हो सकता है कि सभी आवेदकों की मेडिकल जांच करवाई जाए। ऐसे में कोई भी पकड़ा जा सकता है। 

इसके अलावा, यदि कोई व्‍यक्ति विशेष मौकों पर धूम्रपान करता हो और आवेदन के समय खुद को धूम्रपान न करने वाला घोषित करे तो इस मामले में भी, यह घोषणा अवैध होगी। बीमा कंपनियां अपने नियमों के प्रति सख्‍त होती हैं और केवल उन आवेदकों को धूम्रपान न करने वालों की कम दर प्रदान करती हैं जो सिगरेट और निकोटीन-प्रतिस्थापन उत्पादों को पूरी तरह से बंद कर चुके होते हैं।

इस प्रकार, यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप आवेदन फॉर्म में इसकी पूरी तरह से घोषणा कर दें और इस तथ्य को स्वीकार करें कि यदि आप धूम्रपान करते हैं तो आपको अपनी आदत के लिए भुगतान करना होगा। सबसे बेहतर होगा कि आप पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ दें और 12 महीनों के बाद आवेदन करें। 


अस्‍पष्‍टता के क्षेत्र 

वैकल्पिक रूप से, हो सकता है कि बीमा के लिए आवेदन करते समय वह व्‍यक्ति धूम्रपान न करता हो, लेकिन बाद में धूम्रपान करने लगे। प्रश्‍न यह है, क्‍या उसे एक धूम्रपान करने वाला स्‍टेटस प्राप्‍त करना चाहिए, और अतिरिक्‍त प्रीमियम का भुगतान करना शुरू करना चाहिए?

यह कोई मुद्दा नहीं है; कोई भी व्‍यक्ति जीवन बीमा पॉलिसी में अनुबंध की शर्तों को नहीं बदल सकता है। यदि किसी व्‍यक्ति को धूम्रपान न करने वाला प्‍लान जारी किया जाता है, तो बीमा अनुबंध प्‍लान की अवधि पूरी होने तक एक समान रहते हैं। ऐसे में, जीवन के अंतिम पड़ाव पर, यदि कोई पॉलिसी धारक धूम्रपान करना शुरू कर देता है, तब भी मौजूदा अनुबंध अवैध नहीं माना जाएगा। 

बीमा कंपनियों को यह पता है कि कुछ मामलों में धूम्रपान न करने वाले कुछ लोग पॉलिसी लेने के कुछ वर्षों के बाद धूम्रपान या कुछ और शुरू कर सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता: जब तक सच्चाई छुपाई नहीं जाती है, तब तक प्रस्तावित फॉर्म में जो कुछ भी घोषित किया गया है, उसके आधार पर बीमा अनुबंध वैध रहता है। पॉलिसी नवीनीकरण के दौरान किसी भी बदलाव को कभी भी अपडेट किया जा सकता है। यदि संशोधान के बाद प्रीमियम को बढ़ाने की आवश्यकता होती है, तो यह अगले प्रीमियम चक्र से प्रभावी होगा।

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