- Date : 08/02/2023
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LIC के पास अडानी ग्रुप में कितनी हिस्सेदारी है? सरकार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि एलआईसी के पास अडानी ग्रुप में 1% से भी कम हिस्सेदारी है।

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप पर कई सवाल खड़े हो रहे थे। गौतम अडानी और सरकार के रिश्तों को लेकर कई तरह की बातें बनाई जा रही थी। इसमें एक अफवाह काफी तेजी से फैल रही थी कि अडानी ग्रुप में एलआईसी का काफी निवेश है। हालांकि, इस पर अब सरकार ने मुहर लगा दी है कि एलआईसी के पास अडानी ग्रुप में 1% से भी कम हिस्सेदारी है।
दरअसल, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप में भूचाल सा आ गया था और कंपनियों के शेयर लगातार गिरने लगे। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई अफवाहें फैलने लगीं। अडानी ग्रुप कर्जे में है और अडानी ग्रुप की कंपनियों में सरकार का भी पैसा लगा है, इस तरह की बातें होने लगीं। विपक्ष का कहना था कि अडानी ग्रुप में एलआईसी का पैसा भी लगा है। हालांकि, अब इस बात पर सरकार ने विपक्ष को कड़ा जवाब दिया है। सरकार ने मंगलवार को बताया कि सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय जीवन बीमा निगम एलआईसी के पास अडानी ग्रुप में 1 फीसदी से भी कम हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है?
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और अकाउंटिंग में फ्रॉड करने का आरोप लगाया था, जिसके चलते अडानी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया। देखते ही देखते अडानी ग्रुप दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट से बाहर हो गए। इस एकमात्र रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को करोड़ों का फटका लगा। विदेशी निवेशकों ने अडानी ग्रुप का साथ भी छोड़ दिया। इसके बाद अडानी ग्रुप पर आरोपों की झड़ी लग गई। यह बात धीरे-धीरे सदन तक पहुंची और फिर विपक्षी दलों ने भी अडानी ग्रुप पर कई आरोप लगाए, जिसमें से एलआईसी का अडानी ग्रुप में पैसा लगाना सबसे बड़ा आरोप था, जिस पर अब सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
कराड ने दिया जवाब
मंगलवार को एक लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि अडानी की कंपनियों के तहत इक्विटी का टोटल परचेज प्राइस 30,127 करोड़ था। 27 जनवरी को मार्केट बंद होने के समय LIC का मार्केट प्राइस 44,142 करोड़ था। कराड ने कहा कि आम लोगों द्वारा एलआईसी में लगाया गया एक-एक रुपया सेफ है।
नई दिल्ली। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप पर कई सवाल खड़े हो रहे थे। गौतम अडानी और सरकार के रिश्तों को लेकर कई तरह की बातें बनाई जा रही थी। इसमें एक अफवाह काफी तेजी से फैल रही थी कि अडानी ग्रुप में एलआईसी का काफी निवेश है। हालांकि, इस पर अब सरकार ने मुहर लगा दी है कि एलआईसी के पास अडानी ग्रुप में 1% से भी कम हिस्सेदारी है।
दरअसल, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप में भूचाल सा आ गया था और कंपनियों के शेयर लगातार गिरने लगे। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई अफवाहें फैलने लगीं। अडानी ग्रुप कर्जे में है और अडानी ग्रुप की कंपनियों में सरकार का भी पैसा लगा है, इस तरह की बातें होने लगीं। विपक्ष का कहना था कि अडानी ग्रुप में एलआईसी का पैसा भी लगा है। हालांकि, अब इस बात पर सरकार ने विपक्ष को कड़ा जवाब दिया है। सरकार ने मंगलवार को बताया कि सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय जीवन बीमा निगम एलआईसी के पास अडानी ग्रुप में 1 फीसदी से भी कम हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है?
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और अकाउंटिंग में फ्रॉड करने का आरोप लगाया था, जिसके चलते अडानी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया। देखते ही देखते अडानी ग्रुप दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट से बाहर हो गए। इस एकमात्र रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को करोड़ों का फटका लगा। विदेशी निवेशकों ने अडानी ग्रुप का साथ भी छोड़ दिया। इसके बाद अडानी ग्रुप पर आरोपों की झड़ी लग गई। यह बात धीरे-धीरे सदन तक पहुंची और फिर विपक्षी दलों ने भी अडानी ग्रुप पर कई आरोप लगाए, जिसमें से एलआईसी का अडानी ग्रुप में पैसा लगाना सबसे बड़ा आरोप था, जिस पर अब सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
कराड ने दिया जवाब
मंगलवार को एक लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि अडानी की कंपनियों के तहत इक्विटी का टोटल परचेज प्राइस 30,127 करोड़ था। 27 जनवरी को मार्केट बंद होने के समय LIC का मार्केट प्राइस 44,142 करोड़ था। कराड ने कहा कि आम लोगों द्वारा एलआईसी में लगाया गया एक-एक रुपया सेफ है।