TB Cases in India

भारत को कई मोर्चों पर, जैसे – मार्केट साइज़, आर्थिक विकास, सॉफ्टवेयर निर्यात, सैन्य संख्या, राजनयिक प्रभाव पर एक ताकत माना जाता है - लेकिन यहां ऐसे भी कुछ क्षेत्र हैं जहां देश की स्थिति खतरनाक है: उदाहरण के लिए, ट्यूबरक्युलोसिस (टीबी) के मरीजों की अत्यधिक बढ़ती हुई संख्या। वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत दुनिया में टीबी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।

TB Cases in India

डब्लूएचओ की भाषा में, विशेष रूप से प्रभावित देशों को एचबीसी (हाई बर्डन कंट्री - उच्च भार वाले देश) करार दिया जाता है, इसमें भारत अनुमानित 2.79 मिलियन केसेस के साथ सबसे ऊपर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इन आंकड़ों को बेहतर परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा जाए तो, भारत के सबसे बड़े शहरों में से सिर्फ दस शहरों की ही जनसंख्या टीबी से अधिक प्रभावित है। भारत में कई गैर-मेट्रो राज्य की राजधानियों जैसे पटना, भोपाल, या चंडीगढ़ में टीबी के मामलों की संख्या आबादी को पार कर गई है।

चिंता की बात यह है कि भारत की एक अरब से अधिक आबादी के 40% आबादी को टीबी का संक्रमण होने का डर है। वहीँ, इसमें इस बात की तसल्ली है कि, ब्रिटेन की चेरिटी ग्लोबल हेल्थ एजुकेशन के अनुसार, भारत की प्रभावित आबादी को केवल 'गुप्त टीबी(लेटेन्ट टीबी)' है - एक ऐसी स्थिति जिसमें पूर्ण विकसित रोग की तुलना में टीबी के बैक्टीरिया एक निष्क्रिय स्थिति में शरीर में मौजूद होते हैं और इनका कोई प्रभाव नहीं होता है।

TB cases in India

फिर भी, सवाल यह रहता है की : क्या आप टीबी होने से सुरक्षित हैं?  इसका जवाब देने के लिए, आपको भारतीय संदर्भ में इस बीमारी से जुड़े हुए कुछ (और प्राथमिक) मुद्दों को समझना होगा।

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टीबी क्या है?

टीबी एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती ही है, लेकिन साथ में किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। यदि टीबी के रोगी को सही उपचार नहीं दिया जाता है, तो यह घातक साबित हो सकती है। अक्सर किसी व्यक्ति को इसका संक्रमण हो सकता है, लेकिन यदि यह पूरी तरह से विकसित टीबी नहीं है तो ऐसी स्थिति में उन्हें भी भविष्य में इस बीमारी को विकसित होने से रोकने के लिए उचित उपचार की आवश्यकता जरुरी है।

टीबी के कारण क्या हैं ?

टीबी एक प्रकार के माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। यह स्थिति हवा के माध्यम से फैलती है, जब किसी व्यक्ति को उनके लंग्स (लंग्स टीबी) में 'एक्टिव टीबी संक्रमण’ होता है,  उस व्यक्ति की खांसी या छींक में से निकले हुए कण, जिनमें टीबी के जीवाणु होते हैं - नजदीकी अन्य व्यक्ति के शरीर में श्वास के जरिये प्रवेश करते हैं।

लंग्स टीबी संक्रामक होती है; यह तब भी फैल सकती है जब एक्टिव टीबी से ग्रसित  व्यक्ति उसकी थूक से,  हंसी से या बात करने के दौरान सांस हवा में छोड़ता है।

इस बिमारी के संक्रामक होने के बावजूद - आखिरकार, चूँकि यह एक हवा से होनेवाला रोग है – टीबी को पकड़ना आसान नहीं है। इसका मतलब यह है कि लोगों को यह समझना मुश्किल होता है कि वह जिस अजनबी से बातचीत कर रहें हैं उसे टीबी है और उसके साथ बातचीत कम करनी है। दूसरी ओर, जिस व्यक्ति को आप जानते हैं (लेकिन संक्रमित) – घर में, काम पर, या पड़ोस में उसे टीबी है इस बात को पकड़ने की संभावना बहुत अधिक होती है। क्योंकि वे लंबे समय तक साथ में समय बिताते हैं।

अधिकांश संक्रामक रोगों की तरह, टीबी का संक्रमण भी तब होता है जब परिस्थितियां अनुकूल होती हैं। उनमें सबसे आम - भीड़-भाड़ की स्थिति, शराब और तम्बाकू की लत शामिल हैं। इसलिए, निचले आर्थिक सामाजिक स्तर के लोग अपने कमजोर आहार, रहने की अस्वास्थ्यकर स्थिति,  और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणालियों की वजह से विशेष रूप से इस रोग से पीड़ित होते हैं।

जिन लोगों को एचआईवी संक्रमण है वे भी इस रोग के उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं। टीबी अक्सर एक ऐसे देश या शहर से लौटने वाले प्रवासियों द्वारा फैल जाती है, जहाँ इस रोग के मरीजों की संख्या के लोग बहुत ज्यादा होते हैं।


क्या इसे होने से रोका जा सकता है?


हां, टीबी को उचित देखभाल के साथ होने से रोका जा सकता है: अधिकांश लोग जिन्हें एक्टिव  टीबी है उन्हें कम से कम दो हफ्तों का उचित उपचार देने से, उन्हें आगे इस रोग का खतरा नहीं माना जाता है।

जिन लोगों ने साँस के जरिये टीबी के बैक्टीरिया को शरीर में लिया है, लेकिन उनमें यह रोग नियंत्रित है, उन्हें 'संक्रमित' कहा जाता है।  ऐसे लोगों में रोग 'नियंत्रण’ में होता है, कारण, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बाहर से ग्रहण किये गए पदार्थ को नष्ट करने में असमर्थ होती है, इसलिए उनमे टिश्युज की एक ढाल बन जाती है।

संक्रमित लोगों में कोई सामान्य लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, हालांकि वे इस बीमारी को दूसरों तक संक्रमित नहीं कर सकते हैं लेकिन अक्सर टीबी के लिए एक सकारात्मक त्वचा परीक्षण होता है। इसे गुप्त टीबी संक्रमण या एलटीबीआई के रूप में जाना जाता है।

लक्षण क्या हैं?

यह शरीर के जिस हिस्से में संक्रमण हुआ है उस पर निर्भर होता है। उदाहरण के लिए, लंग्स की  टीबी के मामले में, रोगी को दो सप्ताह से अधिक समय तक गंभीर खांसी हो सकती है और लंग्स के अंदर कफ से रक्त आ सकता है। छाती में भी दर्द हो सकता है।

जब टीबी लंग्स के बाहर होती है,  उस अवयव के अनुसार लक्षण अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, रीढ़ की हड्डी के टीबी से पीठ दर्द हो सकता है, और किडनी की टीबी से, मूत्र में रक्त आ सकता है।

एक्टिव टीबी के अन्य लक्षण और संकेत :

• अनियंत्रित वजन घटना

• थकान

• बुखार

• रात को पसीना आना

• ठंड लगना

• भूख में कमी आना

सही निदान के लिए एक योग्य चिकित्सक के पास जाना उचित है।

भारत में टीबी इतना क्यों बढ़ रहा है?

यदि आपको यह लगता है कि आपके लिए टीबी वाहक को पहचानना असंभव है,  तो सच्चाई यह है कि किसी को भी यह रोग हो सकता है - एक रेस्तरां में दरवाजे पर बैठा आदमी, आपके अपार्टमेंट परिसर में सुरक्षा गार्ड,  रेलवे स्टेशन के पोर्टर,  कैब का ड्राईवर  .....इस तरह यह सूची और लंबी हो सकती हैं।

भारतीय निम्नलिखित कारणों की वजह से इस बीमारी की चपेट में आते हैं :

जागरूकता का अभाव : भारत में, टीबी जिस तरीके से फैल रहा है, उसका मुख्य कारण जानकारी की कमी होना है। यहां तक कि शिक्षित लोग भी यह पूछ सकते हैं कि यह कैसे फैलता है, तो  आप लाखों अनपढ़ या कम शिक्षित लोगों की जागरूकता के स्तर का केवल अनुमान लगा सकते हैं।

अस्वास्थ्यकर आदतें : यह आश्चर्यजनक नहीं है कि देश की विशाल जनसंख्या की अपनी  अस्वच्छ व्यक्तिगत निजी आदतें हैं, जैसे कि वे कहीं भी जहाँ वे चाहें थूकते हैं (कॉरिडोर, सड़कों पर, सार्वजनिक कार्यालयों के सीढ़ियां इ.)। लोग बिना किसी की परवाह किये दूसरों के सामने खांसते और छींकते हैं, और टीबी के रोगाणु आसानी से हवा में फैलकर दूसरों के लंग्स में ‘प्रवेश करते’ हैं।

अधिक जनसंख्या :  इस स्थिति को अत्याधिक जनसंख्या का होना और अधिक बदतर बनाता है, जिससे लोगों को तंग और गंदे वातावरण में रहना पड़ता है। इन स्थितियों की वजह से बीमारी अन्य स्थितिओं की तुलना में और ज्यादा तेजी से फैलती है।

अपर्याप्त आहार: भारत की गरीबी की समस्या को देखते हुए, देश की आबादी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा न केवल स्वास्थ्य के आवश्यक मानक को बनाए रखने में असमर्थ है, बल्कि उचित पोषण से भी वंचित है, जो बैक्टीरिया का विरोध करने के लिए आवश्यक एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली तैयार करने में मदद कर सकता है।

तंबाकू की लत:  भारतीय तंबाकू का कई रूपों और अधिक मात्रा में उपभोग करते हैं - आमतौर पर सिगरेट और बीड़ी के रूप में धूम्रपान करते हैं, या खैनी या मसाला के रूप में चबाया जाता है। तम्बाकू नशेड़ी लोग इसका उपयोग न करनेवाले लोगों से अधिक इस बीमारी के चपेट में आते हैं।

क्या व्यक्तिगत स्वच्छता एक कारण हो सकता है?

टीबी व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी के कारण होती है, यह पता नहीं चला है, और दोनों के बीच कोई ज्ञात लिंक नहीं है;  टीबी का कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या किसी के परिवेश की वजह से रोग पकड़ने की अधिक संभावना है।

व्यक्तिगत स्वच्छता के अभाव से (नियमित रूप से हाथ धोने के साथ) संक्रमण का जोखिम और  बढ़ता है,  हालांकि इस अकेले कारण से एक्टिव टीबी नहीं हो सकता है।

टीबी के लिए बीमा

टीबी उपचार के लिए स्वास्थ्य बीमा के भुगतान के लिए पात्र होने के लिए, आपको कम से कम 24 घंटों के लिए अस्पताल में रहना होगा। हालांकि, ऐसी योजना द्वारा टीबी को कवर करने में समस्या यह है कि इस बीमारी का इलाज घर पर ही किया जा सकता है, जैसे कि बुखार, सर्दी या मलेरिया, और शायद ही कभी किसीको 24 घंटों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।  इसलिए, यदि टीबी के उपचार के लिए किसी को अस्पताल में रहने की इस अवधि की आवश्यकता होती है, तो अस्पताल के उपचार के दौरान किए गए खर्चों के लिए बीमा मुआवजा उपलब्ध होगा। लेकिन एक बार जब आप अस्पताल से घर लौटते हैं, तो आपका बीमा, दवा और डॉक्टरों की फीस को शामिल नहीं कर सकता है। और इसी कारण से, 'आउटडोर' परामर्श या अस्पतालों में उपचार भी इस बिमा में शामिल नहीं हैं।

कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों के विपरीत, कोई टीबी के लिए कोई विशेष बीमा उत्पाद नहीं है, और इसका मुख्य कारण है इसकी बीमा कवरेज के लिए "कम मांग"।  लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स यह कहती हैं की बीमा कंपनियां यह बता रहीं हैं कि यदि इसके लिए मांग की गई है तो विशेष कवर डिजाइन किए जा सकते हैं। यह बीमारी समाज के कम आर्थिक क्षेत्रों में प्रचलित है, जहां बीमा अंदर तक प्रवेश नहीं कर पाया है, और टीबी-नियंत्रण की पहल के बावजूद, न तो केंद्र सरकार और न ही राज्यों ने बीमा कंपनियों को इस बात के लिए मजबूर किया है की वे इन कमजोर तबकों के लिए बिमा करें। परिणामस्वरूप,  इस बारे में लोगों में जागरूकता कम है।

सरकार द्वारा किये गए उपाय

टीबी-नियंत्रण के लिए सरकार ने 2017-25 की अवधि के लिए एक अद्यतन योजना "टीबी के कारण होनेवाली मृत्यु, बीमारी और गरीबी से 2025 तक भारत मुक्त" एक राष्ट्रीय रणनीति योजना (एनएसपी) बनाई है। हालांकि, यह चुनौती "कठिन" है,  और यह भी स्वीकार किया गया है की "(टीबी) कम होने की दर बहुत धीमी थी"

सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों में से एक है, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से मुफ्त दवाएं वितरित करना। इसने अब उन मरीजों को ध्यान में रखते हुए, जिनकी पहुंच स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है, निजी स्वामित्व वाली फार्मेसियों का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है,  और आगे बढ़ने के लिए राज्यों के साथ बातचीत चल रही है।

आखिर में

यह देखते हुए कि टीबी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने पर होती है, स्वस्थ भोजन करना बहुत मत्वपूर्ण है। इसके अलावा, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बैक्टीरिया का विरोध करने के काबिल बनाने के लिए शराब और तम्बाकू की लत से बचें। भारत जैसे देश में, जहां टीबी व्यापक रूप से बढ़ रहा है, आप जिन सबसे कमजोर लोगों से मिलते हैं, उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, आप जिस वातावरण में रहते हैं वह साफ-सुथरा होना चाहिए। आप अन्य लोगों द्वारा जो सड़कों पर थूकते हैं उन्हें ऐसा करने से रोककर टीबी फैलना कम कर सकते हैं, क्योंकि उन लोगों में से कोई भी टीबी से संक्रमित हो सकता है। इसलिए, अज्ञात या संदिग्ध वातावरण से बचने की कोशिश करें,  और अंत में – किसी अजनबी के साथ कोई चुंबन नहीं!

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