इस बात के 5 कारण कि रिनुअल पर आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम क्यों बढ़ जाता है

क्या आपको पता है कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम हर साल क्यों बढ़ जाता है? आइए हम इनमें से प्रत्येक कारण को गहराई से देखें और देखें कि इसके बारे में आप क्या कर सकते हैं

इस बात के 5 कारण कि रिनुअल पर आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम क्यों बढ़ जाता है

यदि आपने कोई मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, तो आपने नोटिस किया होगा कि आपकी प्रीमियम राशि हर साल बढ़ जाती है। ऐसा अनेक करणों से होता है, जिन्हें हम विस्तार से देखेंगे।

1. हेल्थकेयर महंगाई

हेल्थकेयर महंगाई लगातार बढ़ रही है, और यह सालाना 12%-18% की दर से बढ़ रही है। बीमा कंपनियों को अपने क्लाइंट्स से बढ़ी हुई राशियों की क्षतिपूर्ति करनी होती है, और इसी कारण से साल दर साल उसी कवरेज के लिए अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।

2. क्लेम हिस्ट्री

कुछ बीमा पॉलिसी में ऐसे क्लॉज होते हैं जिनमें इस बात का प्रावधान होता है कि यदि आप क्लेम करते हैं तो आपका प्रीमियम बढ़ सकता है। यह पॉलिसी के नियम व शर्तों के नन्हें प्रिंट में होता है। अपनी पॉलिसी की शर्तों को अच्छी तरह से पढ़ें ताकि पता चले कि इंश्योरेंस प्रीमियम में कहीं ऐसी ही बात तो नहीं है। यदि ऐसा है और आप इसे बदलना चाहते हैं, तो आप अपनी पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं। लेकिन यह जान लें कि ऐसा आप केवल रिनुअल के दौरान ही कर सकते हैं। ‘पोर्टिंग’ का अर्थ है लाभों (मान लें कि, पहले से मौजूद कंडिशन की प्रतीक्षा अवधि) को नई पॉलिसी में हस्तांतरित करना।

इससे जुड़ी बातें: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम: इसे कैसे कैल्कुलेट किया जाता है?

3. पॉलिसीधरक की आयु

बढ़ती आयु का अर्थ है रोग का बढ़ा हुआ जोखिम और जिसके कारण क्लेम करने की आवश्यकता बढ़ जाती है, इसलिए बीमा कंपनियां बुजुर्ग लोगों के लिए उसी अनुपात में प्रीमियम बढ़ा देती है। यदि आपके माता-पिता 60 से अधिक वर्ष की आयु के हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं कि फैमिली फ्लोटर पॉलिसी खरीदें ताकि परिवार के मेडिकल इंश्योरेंस का कुल खर्च कम हो जाए। फ्लोटर पॉलिसी प्रत्येक पारिवारिक सदस्य के लिए व्यक्तिगत पॉलिसी की तुलना में लगभग हमेशा कम प्रीमियम वाला कुल बीमित राशि प्रदान करता है।

4. स्वास्थ्य की स्थिति

बीमा कंपनियां ऐसे स्वस्थ क्लाइंट को बिना क्लेम वाले हरेक वर्ष के लिए मूल बीमित राशि (सम ऐश्योर्ड) पर बोनस बीमित राशि प्रदान करके रिवार्ड देती हैं जिन्होंने कोई क्लेम नहीं करते हैं। ऐसा ही कार इंश्योरेंस में भी होता है जहां रिन्युल पर डिस्काउंट दिया जाता है यदि क्लेम नहीं हुआ है, अन्यथा प्रीमियम राशि कम नहीं होती; इसके बदले सम ऐश्योर्ड बढ़ जाता है।

इससे जुड़ी बातें: समूह स्वास्थ्य बीमा से व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा में कैसे स्विच करें?

5. कवरेज लाभों में बदलाव

यदि आप रिन्युअल के समय कुछ ऐड-ऑन लेना चाहते हैं, तो इससे प्रीमियम राशि बढ़ जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है, तो आप ऐसा ऐड-ऑन लेना चाह सकते हैं जिसमें हृदय से संबंधित की बीमारियों के लिए विशेष कवरेज मिले। ऐड-ऑन का अर्थ है अधिक कवरेज, इसलिए आपका प्रीमियम भी बढ़ जाएगा।

पिछले बिंदु के परिणाम के रूप में, आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के अंतर्गत व्यापक कवरेज प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है। इंश्योरेंस द्वारा प्रदान किए जाने वाले कवरेज में अब गैर-मानक उपचार शामिल हैं, और अब मानसिक बीमारी जैसे रोग भी शामिल हो चुके हैं। यह जानने के लिए अपना पॉलिसी दस्तावेज देखें कि वास्तव में कौन-कौन से उपचार शामिल हैं।

दूसरा कारक है कोविड और कोविड से संबंधित जटिलताओं के लिए दिया गया कवरेज। महामारी का हेल्थकेयर सिस्टम पर एक अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा है, और इससे मरीजों पर वायरल इंफेक्शन के प्रभावों के कारण प्रत्यक्ष रूप से या जटिलताओं के माध्यम से क्लेम में भारी वृद्धि हुई है।

इससे जुड़ी बातें: कोविड-19 महामारी के दुरान हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय ध्यान दी जाने वाले बातें

संक्षेप में, बढ़े हुए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम से आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि केवल महंगाई से ही आप प्रीमियम में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। हेल्थकेयर से संबंधित बढ़े हुए व्ययों से प्रीमियम में वृद्धि होगी ही।  भारत में कोविड-19 के लिए इंश्योरेंस कवर के बारे में सबकुछ जाने।

यदि आपने कोई मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, तो आपने नोटिस किया होगा कि आपकी प्रीमियम राशि हर साल बढ़ जाती है। ऐसा अनेक करणों से होता है, जिन्हें हम विस्तार से देखेंगे।

1. हेल्थकेयर महंगाई

हेल्थकेयर महंगाई लगातार बढ़ रही है, और यह सालाना 12%-18% की दर से बढ़ रही है। बीमा कंपनियों को अपने क्लाइंट्स से बढ़ी हुई राशियों की क्षतिपूर्ति करनी होती है, और इसी कारण से साल दर साल उसी कवरेज के लिए अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।

2. क्लेम हिस्ट्री

कुछ बीमा पॉलिसी में ऐसे क्लॉज होते हैं जिनमें इस बात का प्रावधान होता है कि यदि आप क्लेम करते हैं तो आपका प्रीमियम बढ़ सकता है। यह पॉलिसी के नियम व शर्तों के नन्हें प्रिंट में होता है। अपनी पॉलिसी की शर्तों को अच्छी तरह से पढ़ें ताकि पता चले कि इंश्योरेंस प्रीमियम में कहीं ऐसी ही बात तो नहीं है। यदि ऐसा है और आप इसे बदलना चाहते हैं, तो आप अपनी पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं। लेकिन यह जान लें कि ऐसा आप केवल रिनुअल के दौरान ही कर सकते हैं। ‘पोर्टिंग’ का अर्थ है लाभों (मान लें कि, पहले से मौजूद कंडिशन की प्रतीक्षा अवधि) को नई पॉलिसी में हस्तांतरित करना।

इससे जुड़ी बातें: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम: इसे कैसे कैल्कुलेट किया जाता है?

3. पॉलिसीधरक की आयु

बढ़ती आयु का अर्थ है रोग का बढ़ा हुआ जोखिम और जिसके कारण क्लेम करने की आवश्यकता बढ़ जाती है, इसलिए बीमा कंपनियां बुजुर्ग लोगों के लिए उसी अनुपात में प्रीमियम बढ़ा देती है। यदि आपके माता-पिता 60 से अधिक वर्ष की आयु के हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं कि फैमिली फ्लोटर पॉलिसी खरीदें ताकि परिवार के मेडिकल इंश्योरेंस का कुल खर्च कम हो जाए। फ्लोटर पॉलिसी प्रत्येक पारिवारिक सदस्य के लिए व्यक्तिगत पॉलिसी की तुलना में लगभग हमेशा कम प्रीमियम वाला कुल बीमित राशि प्रदान करता है।

4. स्वास्थ्य की स्थिति

बीमा कंपनियां ऐसे स्वस्थ क्लाइंट को बिना क्लेम वाले हरेक वर्ष के लिए मूल बीमित राशि (सम ऐश्योर्ड) पर बोनस बीमित राशि प्रदान करके रिवार्ड देती हैं जिन्होंने कोई क्लेम नहीं करते हैं। ऐसा ही कार इंश्योरेंस में भी होता है जहां रिन्युल पर डिस्काउंट दिया जाता है यदि क्लेम नहीं हुआ है, अन्यथा प्रीमियम राशि कम नहीं होती; इसके बदले सम ऐश्योर्ड बढ़ जाता है।

इससे जुड़ी बातें: समूह स्वास्थ्य बीमा से व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा में कैसे स्विच करें?

5. कवरेज लाभों में बदलाव

यदि आप रिन्युअल के समय कुछ ऐड-ऑन लेना चाहते हैं, तो इससे प्रीमियम राशि बढ़ जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है, तो आप ऐसा ऐड-ऑन लेना चाह सकते हैं जिसमें हृदय से संबंधित की बीमारियों के लिए विशेष कवरेज मिले। ऐड-ऑन का अर्थ है अधिक कवरेज, इसलिए आपका प्रीमियम भी बढ़ जाएगा।

पिछले बिंदु के परिणाम के रूप में, आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के अंतर्गत व्यापक कवरेज प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है। इंश्योरेंस द्वारा प्रदान किए जाने वाले कवरेज में अब गैर-मानक उपचार शामिल हैं, और अब मानसिक बीमारी जैसे रोग भी शामिल हो चुके हैं। यह जानने के लिए अपना पॉलिसी दस्तावेज देखें कि वास्तव में कौन-कौन से उपचार शामिल हैं।

दूसरा कारक है कोविड और कोविड से संबंधित जटिलताओं के लिए दिया गया कवरेज। महामारी का हेल्थकेयर सिस्टम पर एक अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा है, और इससे मरीजों पर वायरल इंफेक्शन के प्रभावों के कारण प्रत्यक्ष रूप से या जटिलताओं के माध्यम से क्लेम में भारी वृद्धि हुई है।

इससे जुड़ी बातें: कोविड-19 महामारी के दुरान हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय ध्यान दी जाने वाले बातें

संक्षेप में, बढ़े हुए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम से आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि केवल महंगाई से ही आप प्रीमियम में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। हेल्थकेयर से संबंधित बढ़े हुए व्ययों से प्रीमियम में वृद्धि होगी ही।  भारत में कोविड-19 के लिए इंश्योरेंस कवर के बारे में सबकुछ जाने।

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